गमन विभिन्न संरचनाओं की सहायता से एककोशिकीय और बहुकोशिकीय दोनों प्रकार के जीवों में होता है।
शरीर के आआंतरिक व बाह्य अंगों के संचलन एवं गमन के लिए कुछ निश्चित संरचनाएं अनिवार्य होती हैं।
उदाहरण के लिए, हाड्डा अपना शिकार/भोजन पकड़ने के लिए तथा गगन के लिए अपने स्पर्शकों का उपयोग करता है।
भोजन के संचलन (अंतग्रहण) व गमन के लिए पैरामीशियम, पक्ष्माभों का उपयोग करता है।
समान उद्देश्य के लिए अमीबा अपने पावाभों का उपयोग करता है।
शारीरिक मुद्राओं में परिवर्तन व गमन के लिए मनुष्य, पादों का उपयोग करते हैं।
इससे पता चलता है कि संचलन एवं गमन, अलग-अलग नहीं हैं बल्कि वे एक-दूसरे पर अन्योन्याश्रित माने जा सकते हैं।
अतः यह कहा जा सकता है कि सभी गमन, संचलन होते हैं लेकिन सभी संचलन, गगन नहीं होते।