ये बेलनाकार होती हैं
इनके सिरे रूक्ष होते हैं
रेशे अशाखित होते हैं
रेशे, बंडलों में बँधे होते हैं
रूधिर आपूर्ति प्रचुर होती है
ऐच्छिक प्रकृति होती है
ये कपालीय व मेरूरज्जु की तंत्रिकाओं द्वारा प्रेरित होती हैं
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