इस संघ का नामकरण 'जैकोब क्लीन' ने 1738 ई. में किया था।
प्रचलन, भोजन-ग्रहण करने हेतु नाल पाद होते हैं जो संवेदी अंग का कार्य करते हैं।
तंत्रिका तंत्र में मस्तिष्क विकसित नहीं होता।
इस संघ के सभी जन्तु समुद्री होते हैं।
जल संवहन तंत्र पाया जाता है।
पुनरुत्पादन की विशेष क्षमता होती है।
जैसे-सितारा मछली , समुद्री अर्चिन, पंखतारा, ब्रिटिल स्टार तथा समुद्री खीरा, आदि।
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