आइये मै आपको कार्डेटा संघ के स्तनी वर्ग के बारे में कुछ नई जानकारी देता हूँ
इनके लाल रुधिराणुओं में केन्द्रक नहीं होता (केवल ऊँट एवं लामा को छोड़कर)।
बाह्य कर्ण उपस्थित होता है।
त्वचा पर स्वेद ग्रंथियाँ एवं तैल ग्रंथियाँ पायी जाती हैं।
ये सभी जन्तु उच्चतापी एवं नियततापी होते हैं।
इनका हृदय चारवेश्मी होता है।
इसमें दांत जीवन में दो बार निकलते हैं इसलिए इन्हें द्विवारदन्ती कहते हैं।
कृपया इस जानकारी को अधिक से अधिक लोगों तक शेयर करें