जीवद्रव्य या कोशिकाद्रव्य के प्रवाह के कारण कोशिका के पृष्ठ आभासी पाद कूटपाद या पादाभ निर्मित करते हैं।
पुराने पादाभ नए पादाभों द्वारा प्रतिस्थापित होते हैं
इस प्रकार इसके बनने व बिगड़ने से कोशिका नियमित रूप से अपनी आकृति परिवर्तित करती रहती है।
अमीबा की तरह श्वेत रुधिर कणिकाएं WBC, तथा महाभक्षकाणु भी पादाभी गति दर्शाते हैं
जिनकी निश्चित आकृति नहीं होती।
श्वेताणु तथा महाभक्षकाणु शरीर के प्रत्येक भाग तक पहुँचते हैं
इन पादाभों के माध्यम से प्रतिजनों या रोगजनकों का भक्षण करते हैं।
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