इस संघ का वर्गीकरण वॉन सी बोल्ड ने 1845 ई. में किया था।
आर्थोपोडा जन्तुओं का सबसे बड़ा और सबसे सफल संघ है।
यह प्रायः एकलिंगी होते हैं एवं निषेचन शरीर के अन्दर होता है।
शरीर तीन भागों में विभक्त होता है-सिर, वक्ष एवं उदर।
इनकी देह-गुहा हीमोसील कहलाती है।
रुधिर परिसंचारी तंत्र खुले प्रकार का होता है।
इनके पाद संधि-युक्त होते हैं।
ट्रेकिया गिल्स, बुक लंग्स, सामान्य सतह आदि श्वसन अंग हैं।
जैसे-तिलचट्टा, झींगा मछली, केकड़ा, खटमल, मक्खी, मच्छर, मधुमक्खी, टिड्डी आदि।