पादपों में ऐसी व्यवस्था होती है जिसमें ऑक्सीजन 02 की उपलब्धता सुनिश्चित होती है अर्थात् रंध्र तथा वातरंध्र इस प्रक्रिया के लिए होते हैं।
पादप का प्रत्येक भाग स्वयं अपने गैसीय विनिमय की आवश्कताओं का ध्यान रखता है।
पादप के एक भाग से दूसरे भाग तक गैसों का परिवहन कम होता है
मूल, तना तथा पर्ण, जंतुओं की तुलना में अत्यधिक निम्न दर पर श्वसन करते हैं
पादप की अधिकांश कोशिकाओं की सतह हवा के संपर्क में होती है
ग्लूकोज का पूर्ण दहन अंतिम उत्पाद के रूप में CO₂ तथा H₂O उत्पन्न करता है
जिसका सर्वाधिक भाग ऊष्मा के रूप में निकल जाता है।
परंतु पादप अनेक छोटे-छोटे चरणों में ग्लूकोज का ऑक्सीकरण करते हैं
मुक्त हुई पर्याप्त ऊर्जा ATP के संश्लेषण के उपयोग में आ जाती है।