यह परपोषी जीवों का अद्भुत जगत है।
कवक आकारिकी व चास-स्थल में बहुत भिन्नता दर्शाते हैं।
इनके एककोशिकीय स्वरूपों का उपयोग ब्रेड बनाने तथा बियर बनाने में किया जाता है।
इनमें से अधिकांश मृतजीवी होते हैं परंतु ये परजीवी या सहजीवी हो सकते हैं जैसे कि लाइकेन तथा कवकमूल संबंध।
जनन कायिक, अलैंगिक तथा लैंगिक तरीकों से होता है।
कायिक जनन, खंडन, विखंडन तथा मुकुलन विधि द्वारा होता है।
अलैंगिक जनन, बीजाणु निर्माण जैसे कि कोनिडिया, धानी बीजाणु या चलबीजाणु द्वारा होता है।
लैंगिक जनन, निषिक्तांड, एस्कोस्पोर तथा बेसिडियोस्पोर निर्माण द्वारा होता है।