सूत्रकणिका को जब तक विशेष रूप से अभिरंजित नहीं किया जाता तब तक सूक्ष्मदर्शी द्वारा इसे आसानी से नहीं देखा जा सकता है।
प्रत्येक सूत्रकाणिका, आधात्री नामक भीतरी कक्ष वाली एक दोहरी झिल्ली युक्त संरचना है।
दोनों झिल्लियों में इनके अपने विशिष्ट एंजाइम होते हैं।
बाह्य झिल्ली, अंगक की निरंतर सीमित सीमा बनाती है तथा आंतरिक झिल्ली, क्रिस्टी बनाती है।
सूत्रकणिकाएँ वायवीय श्वसन के स्थल होती हैं।
ये ATP के रूप में कोशिकीय ऊर्जा उत्पन्न करती हैं, अतः 'कोशिका का शक्ति गृह' कहलाती हैं।
आधात्री में एकल वृत्ताकार DNA अणु, कुछ RNA अणु, राइबोसोम (70S) तथा प्रोटीन के संश्लेषण के लिए आवश्यक घटक होते हैं।
यहाँ 'S' (स्वेडबर्ग की इकाई) अवसादन गुणांक प्रदर्शित करता है।