कोशिका अंगक के रूप में केन्द्रक की खोज सबसे पहले रॉबर्ट ब्राउन द्वारा वर्ष 1831 के प्रारंभ में हुई थी।
बाद में, फ्लेमिंग द्वारा केन्द्रक के द्रव्य का नाम क्रोमैटिन रखा गया था।
तरालावस्था, केंद्रक में क्रोमैटिन, केंद्रकीय आधात्री तथा केंद्रिक होते हैं।
केंद्रक में झिल्लियाँ होती हैं तथा दो झिल्लियों के बीच के अवकाश को परिकेंद्रकी अवकाश कहते हैं।
बाह्य झिल्ली अंतर्द्रव्यी जालिका के साथ सामान्यतः सतत होती है तथा इस पर राइबोसोम भी होते हैं।
केंद्रकीय आधात्री अथवा केंद्रकद्रव्य में केंद्रिक तथा क्रोमैटिन पाए जाते हैं।
कोशिका विभाजन की विभिन्न अवस्थाओं के दौरान, कोशिकाएँ संरचित गुणसूत्र दर्शाती हैं।
क्रोमैटिन में DNA, कुछ आधारी हिस्टोन, कुछ अहिस्टोन तथा कुछ RNA पाए जाते हैं।