जलियाँवाला बाग हत्याकांड के विरोध में रवींद्रनाथ टैगोर ने नाइटहुड की उपाधि को त्याग दिया।
महात्मा गांधी ने कैसर-ए-हिंद की उपाधि वापस कर दी, जिसे बोअर युद्ध के दौरान अंग्रेज़ों द्वारा दिया गया था।
वायसराय की कार्यकारिणी परिषद् के भारतीय सदस्य शंकर नायर ने इस हत्याकाण्ड के विरोध में कार्यकारिणी परिषद् से इस्तीफा दे दिया।
भारत सरकार ने जलियाँवाला बाग हत्याकांड की जाँच करने के लिए डिसऑर्डर इन्क्वायरी कमेटी के गठन की घोषणा 14 Oct, 1919 को की गई
इस कमेटी में भारतीय सदस्य भी शामिल थे।
समिति ने सर्वसम्मति से जनरल डायर के कृत्यों की निंदा की जनरल डायर को अपने पद से इस्तीफा देने का निर्देश दिया।
इस हत्याकांड की सब जगह निंदा हुई, परन्तु 'ब्रिटिश हाउस ऑफ़ लाडर्स' में जनरल डायर की प्रशंसा की गई।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा जलियाँवाला बाग हत्याकांड की जाँच करने के लिए अपनी गैर-आधिकारिक समिति नियुक्त की थी।
समिति में मोतीलाल नेहरू, सीआर दास, अब्बास तैयब जी, एम. आर. जयकर और महात्मा गांधी को शामिल थे।