मायोग्लोबिन नामक लाल हीमोप्रोटीन की उपस्थिति के कारण इनका रंग गहरा लाल होता है।
मॉइटोकाड्रिया की संख्या अधिक होती है
इनमें रक्त केशिकाएं अधिक होती हैं
लाल पेशियों में पेशीद्रव्य जालिका कम होती है
ये लैक्टिक अम्ल का अधिक संचय किए बिना वायवीय ऑक्सीकरण करते हैं।
अतः लाल पेशी तंतु अधिक लम्बे समय तक बिना थकान के संकुचित हो सकते हैं।
दीर्घ अवधियों के लिए इन पेशी तंतुओं के संकुचन की दर मंद होती है
उदाहरणः मनुष्य की पीठ की प्रसारिणी पेशी, चील की उड़न पेशियाँ