अंतर्जात कारकों अर्थात् बीज के भीतर की स्थितियों द्वारा नियंत्रित होती है।
बीज प्रसुप्ति को मानव निर्मित उपायों जैसे यांत्रिक अपघर्षण, चाकू के उपयोग, सेंडपेपर या तीव्र हल्लन को हटाया जा सकता है।
प्रकृति में बीज प्रसुप्ति, सूक्ष्मजीवों की अभिक्रिया द्वारा जंतुओं के पाचन नाल से होकर गुजरने पर समाप्त हो सकती है।
शीत स्थिति, जिब्बेरेलिक अम्ल का उपयोग तथा नाइट्रेट संदमक पदार्थ के प्रभाव को हटा सकते हैं।
प्रकाश तथा तापमान, बीज प्रसुप्ति को भी तोड़ सकते हैं।
पादपों में परिवर्धन आंतरिक तथा बाह्य नियंत्रण के अंतर्गत हो सकता है।
आंतरिक, अंतःकोशिकीय (आनुवंशिकी) या अंतरकोशिकीय (PGR) हो सकता है।
पादपों में वृद्धि तथा विभेदन भी खुला होता है क्योंकि एक ही विभज्योतक की कोशिकाओं व ऊतकों में परिपक्वता पर भिन्न संरचना होती है।