Presented By:

Sunit Singh

कंकालीय

ये बेलनाकार होती हैं

इनके सिरे रूक्ष होते हैं

रेशे अशाखित होते हैं

रेशे, बंडलों में बँधे होते हैं

रूधिर आपूर्ति प्रचुर होती है

ऐच्छिक प्रकृति होती है

ये कपालीय व मेरूरज्जु की तंत्रिकाओं द्वारा प्रेरित होती हैं

कृपया इस जानकारी को अपने सभी सहपाठियों तक अवश्य पहुंचाएं

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