समुद्रगुप्त को अपना उत्तराधिकारी बनाने के बाद चन्द्रगुप्त ने संन्यास ग्रहण कर लिया।
समुद्रगुप्त 335 ई. में राजगद्दी पर बैठा।
समुद्रगुप्त आक्रमणकारी एवं साम्राज्यवादी शासक था।
समुद्रगुप्त का दरबारी कवि हरिषेण था।
इलाहाबाद में स्थित प्रयाग प्रशस्ति की रचना हरिषेण ने की थी।
समुद्रगुप्त को वीणा बजाते हुए सिक्कों पर दिखाया गया है।
भारत का नेपोलियन समुद्रगुप्त को कहा जाता है।
समुद्रगुप्त ने उत्तर भारत (आर्यावर्त) के नौ शासकों को पराजित किया।
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