चन्द्रगुप्त का पुत्र बिन्दुसार, 298 ई.पू. में गद्दी पर बैठा।
यूनानी लेखक बिन्दुसार को अमित्रोकेट्स या अमित्रघात के नाम से जानते थे।
बिन्दुसार के समय तक्षशिला में विद्रोह हुआ था।
तक्षशिला विद्रोह दबाने के लिये सम्राट अशोक और सुसीम को भेजा गया था।
बिन्दुसार के दरबार में यूनानी राजदूत डाइमेकस आया था।
बिन्दुसार ने सीरिया के राजा एण्टियोकस से मदिरा, सूखे अंजीर एवं एक दार्शनिक मांगा था।
बिन्दुसार ने दो समुद्रों के बीच की भूमि समेत 16 राज्यों को जीता था।
बिन्दुसार की मृत्यु के समय अशोक उज्जैन में राज्यपाल था।
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