मौर्य वंश : चन्द्रगुप्त मौर्य तथा बिन्दुसार

मौर्य वंश


इस लेख में मौर्य वंश के शासक के बारे में बताया गया है: मौर्य वंश के शासक  चन्द्रगुप्त मौर्य, बिंदुसार, और अशोक के इतिहास के बारे में बताया गया है तो आइए हम विस्तार से इसके बारे में जानते हैं।

चन्द्रगुप्त मौर्य (323ई.पू. से 298ई.पू.)

● चंद्रगुप्त मौर्य ने नंदवंश के अंतिम शासक धननंद (धनानंद) को हराकर मौर्य वंश की स्थापना 323 ई. पू. में की।

● सिकन्दर के लौट जाने और उसकी अकाल मृत्यु के कारण पंजाब में फैली अराजकता का चंद्रगुप्त ने लाभ उठाया और अपने सुयोग्य परामर्शदाता मंत्री चाणक्य की मदद से वह पंजाब का सम्राट बन बैठा।

● तक्षशिला धनुर्विद्या तथा वैधक की शिक्षा के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध था। चन्द्रगुप्त मौर्य ने अपनी सैनिक शिक्षा यहीं पर ग्रहण किया था। कोशल के राजा प्रसेनजित, मगध का राजवैद्य जीवक, सुप्रसिद्ध राजनीतिविद् चाणक्य, बौद्ध विद्वान वसुबन्धु आदि ने यहीं शिक्षा प्राप्त की थी।

मौर्य प्रशासन

केन्द्रीय अधिकारी तंत्र : सबसे ऊंचे अधिकारी तीर्थ कहलाते थे। 18 तीर्थ थे, जो निम्नलिखित हैं-

मंत्री प्रधानमंत्री
पुरोहितप्रधानमंत्री तथा प्रमुख धर्माधिकारी
समाहर्ताराजस्व विभाग का प्रधान अधिकारी
सन्निधाता कोषाध्यक्ष
प्रदेष्टाफौजदारी न्यायालय का न्यायाधीश
नायकसेना का संचालक
कर्मान्तिकउद्योग धंधों का प्रधान निरीक्षक
व्यावहारिकदीवानी न्यायालय का न्यायाधीश
दण्डपालसेना की सामग्रियों को जुटाने वाला प्रधान अधिकारी
आटविकवन विभाग का प्रधान
अंतपालसीमावर्ती दुर्गों का रक्षक
दौवारिकराजमहल की देखभाल करने वाला प्रधान
अर्न्तेशिकसम्राट की अंगरक्षक सेना का प्रधान
नागरक (पौर)नगर का प्रमुख अधिकारी या नगर कोतवाल
दुर्गपालराजकीय दुर्ग रक्षकों का अध्यक्ष
युवराजराजा का उत्तराधिकारी
सेनापतियुद्ध विभाग का मंत्री
मंत्रिपरिषदाध्यक्षपरिषद् का अध्यक्ष

● चाणक्य ने ‘अर्थशास्त्र’ नामक पुस्तक लिखी जो मौर्य काल के इतिहास को जानने के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण स्रोत है।

● ‘अर्थशास्त्र’ में मौर्य काल की राजनैतिक स्थिति और राज प्रबन्ध के विषय में जानकारी मिलती है।

● चंद्रगुप्त मौर्य भारत का पहला महान ऐतिहासिक सम्राट कहलाता है।

● ब्राह्मण साहित्य चंद्रगुप्त मौर्य को शूद्र कुल का और जैन एवं बौद्ध साहित्य उसे क्षत्रिय कुल का मानते हैं।

चन्द्रगुप्त मौर्य के नाम

सैन्ड्रोकोट्सस्ट्रेबो, एरियन, जस्टिन
एण्ड्रोकोट्सप्लूटार्क
चन्द्रगुप्तजूनागढ़ अभिलेख

● चन्द्रगुप्त मौर्य की संज्ञा का प्राचीनतम अभिलेखीय साक्ष्य रुद्रदामन के जूनागढ़ अभिलेख से मिलता है। जूनागढ़ अभिलेख ब्राह्मी लिपि में है।

● चन्द्रगुप्त मौर्य एवं सेल्यूकस के बीच युद्ध 305ई.पू. में हुआ था। सेल्यूकस युद्ध में पराजित हुआ। फलस्वरूप चन्द्रगुप्त मौर्य तथा सेल्यूकस के बीच सन्धि हुई। सेल्यूकस ने अपनी पुत्री का विवाह चन्द्रगुप्त के साथ कर दिया। इससे उसका साम्राज्य भारतीय सीमा का अतिक्रमण कर पराजित साम्राज्य की सीमा को स्पर्श करने लगा। इस प्रकार चन्द्रगुप्त ने यूनानियों को भारत से बाहर निकाल दिया।

● सेल्यूकस ने अपने राजदूत मेगस्थनीज को चन्द्रगुप्त के दरबार में भेजा था। मेगस्थनीज ने ‘इंडिका’ की रचना की थी।

● चन्द्रगुप्त ने सेल्यूकस को 500 हाथी उपहार में दिये थे। (प्लूटार्क के अनुसार)

● चन्द्रगुप्त को यूनानियों ने सैन्ड्रोकोटस कहा है। अपने जीवन के अंतिम समय में चन्द्रगुप्त ने जैन धर्म स्वीकार किया।

● सेल्यूकस ने चन्द्रगुप्त को एरिया (काबुल), अराकोसिया (कान्धार), ग्रेदेसिया (तरान) प्रान्त दिये थे। चन्द्रगुप्त मौर्य की पत्नी हेलन सेल्यूकस की पुत्री थी।

● चन्द्रगुप्त का साम्राज्य चार प्रान्तों में विभाजित था। चन्द्रगुप्त मौर्य के दक्षिण विजय की जानकारी तमिल ग्रंथ-अहनानूरू एवं पुरनानुरू से मिलती है।

● चन्द्रगुप्त मौर्य की सेना के छ: अंग थे – अश्व सेना, हस्तिसेना, पैदल, नौसेना, रथ सेना और सैन्य सहायता विभाग।

● विभागों के अध्यक्ष को अमात्य कहा जाता था।

● चन्द्रगुप्त का जैन गुरु भद्रबाहु था।

● चन्द्रगुप्त मौर्य की मृत्यु कर्नाटक के श्रवणबेलगोला में स्थित चन्द्रागिरि पहाड़ी पर 298ई.पू. में हुई थी।

● चन्द्रगुप्त मौर्य ने सल्लेखना विधि से (भूखे-प्यासे रहकर) शरीर का त्याग किया था।

● विलियम जोन्स पहले विद्वान थे जिन्होंने सैन्ड्रोकोट्टस की पहचान भारतीय ग्रंथों में चंद्रगुप्त से की है।

● प्लूटार्क के अनुसार चन्द्रगुप्त ने 6 लाख सेना लेकर समूचे भारत पर अधिपत्य स्थापित किया।

● चंद्रगुप्त मौर्य के राज्यपाल पुष्यगुप्त वैश्य ने सुदर्शन नामक झील का निर्माण करवाया।

● मेगस्थनीज के अनुसार भारत में दास प्रथा नहीं था।

● मेगस्थनीज भारतीय समाज को सात जातियों में विभक्त किया। सात जातियां-दार्शनिक, किसान, अहीर, कारीगर या शिल्पी, सैनिक, निरीक्षक, सभासद तथा अन्य शासक वर्ग।

● मेगस्थनीज ने पाटलिपुत्र को पालिब्रोथा नाम दिया था।

बिन्दुसार (298 ई.पू. से 272 ई.पू)

● चन्द्रगुप्त मौर्य का पुत्र बिन्दुसार, 298 ई.पू. में गद्दी पर बैठा। यूनानी लेखक बिन्दुसार को अमित्रोकेट्स या अमित्रघात के नाम से जानते थे।

● बिन्दुसार के समय तक्षशिला में विद्रोह हुआ था। तक्षशिला विद्रोह दबाने के लिये अशोक और सुसीम को भेजा गया था।

● बिन्दुसार के दरबार में यूनानी राजदूत डाइमेकस आया था।

बिन्दुसार के नाम

भद्रसार वायुपुराण
अमित्रोकेट्स या अमित्रघातयूनानी लेखक
सिंहसेनजैन ग्रंथ
अलिड्रोकेड्सस्ट्रेबो
बिन्दुपालचीनी विवरण

● बिन्दुसार ने सीरिया के राजा एण्टियोकस से मदिरा, सूखे अंजीर एवं एक दार्शनिक मांगा था।

● एण्टियोकस ने दार्शनिक (यूनानी कानून में इसकी अनुमति नहीं थी) भेजने से मना कर दिया था।

● बिन्दुसार आजीवक सम्प्रदाय का अनुयायी था।

● पिंगलवत्स नामक आजीवक विद्वान बिन्दुसार के दरबार में रहता था।

● अशोक के राजा बनने की भविष्यवाणी पिंगलवत्स ने की थी।

● बिन्दुसार की मृत्यु के समय अशोक उज्जैन में राज्यपाल था।

● बिन्दुसार ने दो समुद्रों के बीच की भूमि समेत 16 राज्यों को जीता था।

● आजीवक बनने से पूर्व बिन्दुसार ब्राह्मण धर्म को मानता था।

● चाणक्य ने तीन मौर्य राजाओं के राज्य का संचालन किया।

● तक्षशिला विद्रोह का मुख्य कारण अधिकारियों का दुर्व्यवहार था।

चाणक्य या कौटिल्य या विष्णुगुप्त

● बचपन का नाम विष्णुगुप्त था।

● चाणक्य ने अर्थशास्त्र (राजनीतिक विज्ञान) की रचना की है।

● चाणक्य को भारत का मैकियावेली कहा जाता है।

● चाणक्य के पिता का नाम चणक था।

यह भी पढ़ें: अशोक: मौर्य साम्राज्य का महानतम् शासक

निष्कर्ष:

हम आशा करते हैं कि आपको यह पोस्ट मौर्य साम्राज्य जरुर अच्छी लगी होगी। मौर्य साम्राज्य के बारें में काफी अच्छी तरह से सरल भाषा में समझाया गया है। अगर इस पोस्ट से सम्बंधित आपके पास कुछ सुझाव या सवाल हो तो आप हमें कमेंट बॉक्स में ज़रूर बताये। धन्यवाद!

मेरा नाम सुनीत कुमार सिंह है। मैं कुशीनगर, उत्तर प्रदेश का निवासी हूँ। मैं एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हूं।

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