कितनी प्यारी है ये दुनिया: पाठ-18
मुझे हवा प्यारी लगती है….और सूरज और बारिश भी। मुझे धरती प्यारी लगती है….और समुद्र और आसमान भी। मुझे चिड़ियाँ प्यारी लगती है….और जानवर और …
मुझे हवा प्यारी लगती है….और सूरज और बारिश भी। मुझे धरती प्यारी लगती है….और समुद्र और आसमान भी। मुझे चिड़ियाँ प्यारी लगती है….और जानवर और …
ऊपर-नीचे दाएँ-बाएँ,हवा चली साँय-साँय। मुन्नी को छेड़कर,चढ़ गई पेड़ पर। हाथ नहीं आऊँगी,दूर मैं उड़ जाऊँगी। मुन्नी बोली हँसकर,हवा रानी बस कर। पकड़ तुझे मैं …
जन्मदिवस पर पेड़ लगाओ,हरा-भरा संसार बसाओ,जन्मदिवस पर पेड़ लगाओ। हरियाली से है खुशहाली,सुंदरता मन हरने वाली।पेड़ों और प्रकृति का नाता,जैसे हो बच्चों की माता। फूल …
रंग रंगीली होली आई,सबके मन को होली भायी।खेलें- कूदें खुशी मनाएँ,ढोल बजाकर होली गाएँ। निकल पड़ी मित्रों की टोली,सबने मिलकर खेली होली।आओ, लाल गुलाल लगाएँ,पिचकारी …
एक बार की बात है, दो सहेलियाँ थीं— एक मर्गी और एक बतख।मुर्गी का नाम था— मेघा। बतख का नाम था— बरखा। उनके तीन-तीन बच्चे …
घर के पास लगा था मेला,उसमें आया चाट का ठेला।हमने जाकर खाई चाट,ऐसे थे मेले के ठाट। घर के पास लगा था मेला,उसमे आया झूलेवाला।हमने …
जमाल की माँ रसोई में खाना बना रही थीं। जमाल माँ को देख रहा था। जमाल का मित्र जय बर्तनों के साथ खेल रहा था। …
नीना के नाना बाज़ार गए।नाना खूब सारे भुट्टे लाए। नाना ने नीना के लिए भुट्टे भूने। नीना ने जी भरकर भुट्टे खाए। नीना की नानी …
माटी-माटी खेलें,आओ, पानी-पानी खेलें;धरती में बीजों को बोएँ,खेल किसानी खेलें। छप्पम – छुप्पी खेलें,आओ, झूलम- झूली खेले;चढ़ें पेड़ पर पकड़म-पकड़ी,कूदम – कूदी खेलें। यह भी …
एक भालू था। उसे नानी के घर दूर जाना था। रास्ते में खाने के लिए भालू ने बोरा-भर आलू पीठ पर रख लिए। पर बोरे …