हवा : पाठ -17

हवा

ऊपर-नीचे दाएँ-बाएँ,हवा चली साँय-साँय। मुन्नी को छेड़कर,चढ़ गई पेड़ पर। हाथ नहीं आऊँगी,दूर मैं उड़ जाऊँगी। मुन्नी बोली हँसकर,हवा रानी बस कर। पकड़ तुझे मैं …

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जन्मदिवस पर पेड़ लगाओ : पाठ -16

जन्मदिवस पर पेड़ लगाओ

जन्मदिवस पर पेड़ लगाओ,हरा-भरा संसार बसाओ,जन्मदिवस पर पेड़ लगाओ। हरियाली से है खुशहाली,सुंदरता मन हरने वाली।पेड़ों और प्रकृति का नाता,जैसे हो बच्चों की माता। फूल …

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होली : पाठ -15

होली

रंग रंगीली होली आई,सबके मन को होली भायी।खेलें- कूदें खुशी मनाएँ,ढोल बजाकर होली गाएँ। निकल पड़ी मित्रों की टोली,सबने मिलकर खेली होली।आओ, लाल गुलाल लगाएँ,पिचकारी …

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बरखा और मेघा : पाठ -14

बरखा और मेघा

एक बार की बात है, दो सहेलियाँ  थीं— एक मर्गी और एक बतख।मुर्गी का नाम था— मेघा। बतख का नाम था— बरखा। उनके तीन-तीन बच्चे …

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मेला : पाठ -13

मेला

घर के पास लगा था मेला,उसमें आया चाट का ठेला।हमने जाकर खाई चाट,ऐसे थे मेले के ठाट। घर के पास लगा था मेला,उसमे आया झूलेवाला।हमने …

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फूली रोटी : पाठ -12

फूली रोटी

जमाल की माँ रसोई में खाना बना रही थीं। जमाल माँ को देख रहा था। जमाल का मित्र जय बर्तनों के साथ खेल रहा था। …

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भुट्टे : पाठ -11

भुट्टे

नीना के नाना बाज़ार गए।नाना खूब सारे भुट्टे लाए। नाना ने नीना के लिए भुट्टे भूने। नीना ने जी भरकर भुट्टे खाए। नीना की नानी …

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झूलम-झूली : पाठ -10

झूलम-झूली

माटी-माटी खेलें,आओ, पानी-पानी खेलें;धरती में बीजों को बोएँ,खेल किसानी खेलें। छप्पम – छुप्पी खेलें,आओ, झूलम- झूली खेले;चढ़ें पेड़ पर पकड़म-पकड़ी,कूदम – कूदी खेलें। यह भी …

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आलू की सड़क: पाठ -9

आलू की सड़क

एक भालू था। उसे नानी के घर दूर जाना था। रास्ते में खाने के लिए भालू ने बोरा-भर आलू पीठ पर रख लिए। पर बोरे …

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