समुद्रगुप्त के बाद राजगद्दी पर चन्द्रगुप्त-II (380-415 ई.) बैठा।
चन्द्रगुप्त-II को देवराज एवं देवगुप्त के नाम से भी जाना जाता है।
शकों को पराजित करने की स्मृति में चन्द्रगुप्त-II ने विशेष चाँदी के सिक्के जारी किये।
कालिदास चन्द्रगुप्त-II के दरबार में रहते थे।
चन्द्रगुप्त द्वितीय ने अपनी पुत्री प्रभावती गुप्त का विवाह वाकाटक नरेश रुद्रसेन से किया।
रुद्रसेन की मृत्यु के बाद चन्द्रगुप्त -II ने अपनी दूसरी राजधानी उज्जैन में बनाई।
चन्द्रगुप्त द्वितीय का अन्य नाम देवगुप्त, देवराज, देवश्री थी।
चन्द्रगुप्त द्वितीय के शासन काल में चीनी यात्री फाह्यान भारत आया था।
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