हुमायूँ 30 दिसम्बर, 1530 ई. को गद्दी पर बैठा।
हुमायूँ का पूरा नाम नासिरुद्दीन मुहम्मद हुमायूँ था।
हुमायूँ का कालिंजर अभियान गुजरात के शासक बहादुरशाह के विरुद्ध था।
दौराह का युद्ध 1532 ई. में हुमायूँ एवं महमूद लोदी के बीच हुआ।
हुमायूँ ने चुनार का घेरा अफगान नायक शेर खाँ के विरुद्ध डाला था।
हुमायूँ ने लाहौर पर 1555 ई. में कब्जा किया।
हुमायूँ दुबारा दिल्ली की गद्दी पर 23 जुलाई, 1555 ई. को बैठा।
हुमायूँ के पुस्तकालय का नाम शेरमण्डल था।
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