मुगल साम्राज्य : बाबर(1526- 1530ई. )

बाबर (1526- 1530ई. )

• मुगल साम्राज्य की स्थापना जहीरुद्दीन बाबर ने की। बाबर ने पानीपत के प्रथम युद्ध (21 अप्रैल, 1526) में इब्राहिम लोदी को पराजित कर भारत में मुगल साम्राज्य की नींव डाली।

• बाबर का जन्म 1483 ई. में फरगना में हुआ था।

• बाबर के पिता का नाम उमर शेख मिर्जा था। बाबर की माँ का नाम कुतलुग निगार खां था।

• बाबर पितृ पक्ष की ओर से तैमूर का पाँचवां वंशज तथा मातृ पक्ष की ओर से चंगेज खाँ का चौदहवां वंशज था।

• बाबर 1494 ई. में (दादी ऐसान दौलत बेगम के सहयोग से) फरगना का शासक बना।

• बाबर काबुल पर 1504 ई. में अधिकार कर लिया।

• बाबर ने पादशाह की उपाधि 1507 ई. में धारण की। पादशाह से पहले बाबर ने ‘मिर्जा’ की पैतृक उपाधि धारण की थी।

• बाबर का भारत के विरुद्ध प्रथम अभियान 1519 ई. में युसुफजाई जाति के विरुद्ध था।

• बाबर ने 1519 ई. में बाजौर और भेरा भारतीय क्षेत्रों पर अधिकार कर लिया।

• बाबर ने तोपखाने का प्रयोग भेरा अभियान में किया था।

• भारत पर आक्रमण हेतु बाबर को राणा सांगा और लाहौर के गवर्नर दौलत खाँ लोदी ने निमंत्रण भेजा था।

• बाबर के (1526 में) पाँचवें अभियान में उसका पुत्र हुमायूँ भी साथ था।

• पानीपत का प्रथम युद्ध 21 अप्रैल, 1526 ई. को हुआ।

• पानीपत के प्रथम युद्ध में बाबर ने तुलगुमा युद्ध नीति एवं तोपखाने के प्रयोग से युद्ध जीता तथा तोपों को सजाने में उस्मानी विधि (रूमी विधि) का प्रयोग किया था।

• बाबर के दो प्रमुख निशानेबाज उस्ताद अली एवं मुस्तफा थे। ये दोनों तोपखाने का नेतृत्व किया था।

• बाबर ने तुलगुमा युद्ध पद्धति उजबेकों से ग्रहण की थी।

• भारत विजय के उपलक्ष्य में बाबर ने काबुल निवासियों को एक-एक चाँदी का सिक्का भेंट किया।

‘कलन्दर’ की उपाधि बाबर को दी गई थी।

• खानवा का युद्ध 1527 ई. में बाबर और राणा सांगा के बीच लड़ा गया।

• खानवा के युद्ध में बाबर ने अपने मुसलमान सैनिकों से तमगा कर न लेने की तथा राणा सांगा के विरुद्ध जिहाद का नारा दिया।

• खानवा का युद्ध जीतने के उपरान्त बाबर ने ‘गाजी’ की उपाधि ली।

• चंदेरी का युद्ध 1528 ई. में (मेदनी राय पराजित हुआ) हुआ।

• घाघरा का युद्ध 1529 ई. में (बंगाल एवं बिहार की संयुक्त सेना पराजित) हुआ।

• बाबर ने अपनी आत्मकथा ‘बाबरनामा’ की रचना तुर्की भाषा में की।

• बाबर ने बाबरनामा में केवल पाँच मुस्लिम शासकों-बंगाल, दिल्ली, मालवा, गुजरात एवं बहमनी तथा दो हिन्दू शासकों-मेवाड़ एवं विजयनगर का उल्लेख किया है।

• बाबरनामा का फारसी में अनुवाद अब्दुलरहीम खानखाना ने किया।

• बाबर को मुबईयान शैली और पद शैली का जन्मदाता माना जाता है।

• बाबर की मृत्यु 1530 ई. में आगरा में हुई।

• भूमि मापने के लिये बाबर ने गज-ए-बाबरी मापक का प्रयोग किया।

• बाबर के शव को काबुल में दफनाया गया। बाबर के चार पुत्र हुमायूँ, कामरान, अस्करी एवं हिन्दाल थे।

हुमायूँ ( 1530 ई.-1556 ई.)

• हुमायूँ 30 दिसम्बर, 1530 ई. को गद्दी पर बैठा।

• हुमायूँ का पूरा नाम नासिरुद्दीन मुहम्मद हुमायूँ था।

• बाबर ने मरते वक्त हुमायूँ को अपने छोटे भाइयों के साथ उदारता बरतने के निर्देश दिये।

• हुमायूँ का कालिंजर अभियान गुजरात के शासक बहादुरशाह के विरुद्ध था।

दौराह का युद्ध 1532 ई. में हुमायूँ एवं महमूद लोदी के बीच हुआ।

• हुमायूँ ने चुनार का घेरा अफगान नायक शेर खाँ के विरुद्ध डाला था।

• 1533 ई. में हुमायूँ ने दिल्ली में दीनपनाह नामक विशाल दुर्ग का निर्माण मित्र एवं शत्रु को प्रभावित करने के लिये करवाया।

• हुमायूँ ने बंगाल के गौड़ क्षेत्र का नाम जन्नताबाद नाम रखा।

• चौसा का युद्ध 26 जून, 1539 ई. को हुआ, जिसमें शेर खाँ के हाथों हुमायूँ की पराजय हुई।

• चौसा के युद्ध के बाद शेर खाँ ने अपने को शेरशाह की उपाधि से सुसज्जित किया।

• कन्नौज (बिलग्राम) की लड़ाई 17 मई, 1540 को हुई।

• कन्नौज (बिलग्राम) की लड़ाई में हुमायूँ का साथ अस्करी एवं हिन्दाल भाईयों ने दिया।

• कन्नौज (बिलग्राम) में पराजित होने के बाद हुमायूँ सिंध चला गया।

• हुमायूँ ने शिया मीर बाबा दोस्त उर्फ मीर अली की पुत्री हमीदा बानू बेगम से शादी 29 अगस्त 1541 ई. में की।

• हुमायूँ ने लाहौर पर 1555 ई. में कब्जा किया।

• मच्छीवाड़ा का युद्ध हुमायूँ एवं अफगानों के बीच (मई, 1555 में) हुआ।

• जून, 1555 ई. में सरहिन्द का युद्ध अफगान सुल्तान सिकन्दर सूर एवं बैरम खान के बीच हुआ था।

• हुमायूँ दुबारा दिल्ली की गद्दी पर 23 जुलाई, 1555 ई. को बैठा।

• हुमायूँ के पुस्तकालय का नाम शेरमण्डल था।

• हुमायूँ ज्योतिष में विश्वास रखता था। वह सोमवार को सफेद, शनिवार को काला एवं रविवार को पीला वस्त्र धारण करता था।

• दिल्ली में हुमायूँ ने मदरसा-ए-बेगम विद्यालय खुलवाया।

• हुमायूँ की मृत्यु जनवरी 1556 में, दीनपनाह भवन के पुस्तकालय की सीढ़ियों से गिरकर हुई।

• लेनपूल में हुमायूँ के बारे में कहा- ‘हुमायूँ जीवन भर लड़खड़ाता रहा और लड़खड़ाते हुए अपनी जान दी।’

• हुमायूँ को अबुल फजल ने ‘इन्सान-ए-कामिल’ कहा है।

शेरशाह सूरी ( 1540 ई.-1545 ई.)

• शेर खाँ का प्रारम्भिक नाम फरीद खाँ था।

• शेर खाँ के पिता हसन खाँ (जौनपुर के छोटे जमींदार) थे।

• फरीद खाँ बिहार के सुल्तान मुहमद शाह नुहानी के यहाँ नौकरी करता था।

• फरीद को शेर खाँ की उपाधि मुहम्मद शाह नुहानी ने दी।

• शेर खाँ दिल्ली की गद्दी पर 1540 ई. में 67 साल की उम्र में बैठा।

• अपने राज्याभिषेक के समय शेर खाँ ने शेरशाह की उपाधि ग्रहण की।

• 1541 ई. में शेरशाह ने गक्खरों के विरुद्ध अभियान किया।

• गक्खर मुगलों की सहायता करते थे।

• शेरशाह ने अपनी उत्तर-पश्चिम सीमा को सुरक्षित करने के लिये रोहतासगढ़ किले का निर्माण कराया।

• शेरशाह ने शिकदारों को नियंत्रित करने के लिए अमीन-ए-बंगला की नियुक्ति की।

• रणथम्भौर के शक्तिशाली किले को अपने अधीन कर अपने पुत्र आदिल खाँ को वहाँ का गवर्नर बनाया।

• शेरशाह द्वारा किये गये रायसीन किले पर रात में आक्रमण को उस पर काला धब्बा की संज्ञा दी गई है।

• शेरशाह को अकबर का अग्रदूत भी कहा जाता है।

• मारवाड़ विजय के बारे में शेरशाह ने कह कि ‘मै मुट्ठी भर बाजरे के लिये हिन्दुस्तान के साम्राज्य को लगभग खो चुका था।’

• शेरशाह के समय कालिंजर का शासक कीरता सिंह था।

• मृत्यु के समय शेरशाह उक्का नामक आग्नेयास्त्र चला रहा था।

• शेरशाह ने अपने संपूर्ण साम्राज्य को 47 सरकारों में विभाजित किया था।

• शेरशाह के समय स्थानीय करों को आबवाब कहा गया।

• शेरशाह ने उत्पादन के आधार पर भूमि को अच्छी, मध्यम और खराब तीन श्रेणियों में बांटा था।

• शेरशाह की लगान व्यवस्था मुख्यरूप में रैयतवाड़ी थी जिसमें किसानों से प्रत्यक्ष सम्पर्क स्थापित किया गया था।

• शेरशाह ने भूमि मापने के लिए 39 अंगुल या 32 इंच वाला ‘सिकन्दरीगज’ एवं ‘सन की डंडी’ मापक का प्रयोग किया।

• शेरशाह ने 178 ग्रेन का चाँदी का रुपया एवं 380 ग्रेन का ताँबे का दाम मुद्रा जारी किया।

• शेरशाह के शासनकाल में 23 टकसालें थीं।

• शेरशाह ने 1700 सरायें एवं चार बड़ी सड़के तथा सड़कों के किनारे वृक्ष लगवाये।

• ग्राण्ड ट्रंक रोड का निर्माण शेरशाह ने करवाया।

• कन्नौज के स्थान पर ‘शेरसूर’ नामक नगर शेरशाह ने बसाया।

• शेरशाह ने पाटलिपुत्र का नाम पटना रखा।

• शेरशाह ने सिक्कों पर अपना नाम अरबी एवं देवनागरी लिपि में खुदवाया।

• शेरशाह का मकबरा बिहार के सासाराम में, झील के अन्दर है।

• शेरशाह ने हुमायूँ द्वारा निर्मित दीनपनाह को तुड़वाकर उसके ध्वंशावशेषों पर पुराना किला का निर्माण करवाया।

• किला-ए-कुहना मस्जिद का निर्माण शेरशाह सूरी ने कराया।

• अब्बास खां ने शेरशाह की प्रशंसा करते हुए कहा कि-‘बुद्धिमता और अनुभव में वह दूसरा हैदर था।’

• शेरशाह ने ‘सुल्तान-उल-अदल’ की उपाधि धारण कर रखी थी।

अकबर (1556 ई.-1605 ई.)

• अकबर का जन्म 15 अक्टूबर, 1542 ई. में अमरकोट के राणा वीरसाल के महल में हुआ था।

• अकबर को पहली बार नौ वर्ष की अवस्था में गजनी की सूबेदारी मिली।

• अकबर का संरक्षक मुनीम खाँ था (गजनी में)।

• हुमायूँ ने अकबर को युवराज सरहिन्द जीतने के बाद (1555 ई. में) घोषित किया।

• युवराज अकबर का संरक्षक तुर्क सेनापति बैरम खान को नियुक्त किया गया।

• अकबर का राज्याभिषेक 14 फरवरी, 1556 को कालानौर में हुआ।

अकबर के कुछ महत्वपूर्ण कार्य

वर्षकार्य
1562 ई.दास प्रथा का अंत
1562 ई.अकबर की ‘हरमदल’ से मुक्ति
1563 ई.तीर्थयात्रा कर समाप्त
1564 ई.जजिया कर समाप्त
1571 ई.फतेहपुर सीकरी की स्थापना एवं राजधानी का आगरे से फतेहपुर स्थानान्तरण
1575 ई.इबादत खाने की स्थापना
1579 ई.महजर की घोषणा
1580 ई.‘दहसाला प्रणाली (टोडरमल द्वारा) लागू
1582 ई.दीन-ए-इलाही की घोषणा

• अकबर बादशाह गाजी की उपाधि के साथ राजसिंहासन पर बैठा।

• अकबर ने सम्राट बनने पर बैरम खाँ को वकील नियुक्त कर खान-ए-खाना की उपाधि दी।

• बैरम खाँ 1556 से 1560 ई. तक अकबर का संरक्षक रहा।

• हेमू सूर शासक आदिलशाह का प्रधानमंत्री था।

• हेमू को 24 युद्धों में से 22 युद्ध जीतने का श्रेय प्राप्त है।

• आदिलशाह ने हेमू को विक्रमादित्य की उपाधि प्रदान की।

• हेमू ने दिल्ली में तरगी बेग को परास्त कर शाही छत्र धारण किया तथा अपने नाम के सिक्के चलवाये।

• पानीपत की द्वितीय लड़ाई 5 नवम्बर, 1556 ई. को हेमू और बैरम खाँ के बीच हुई।

• हल्दीघाटी का युद्ध जून 1576 ई. में अकबर एवं महाराणा प्रताप के बीच हुआ था।

• अकबर ने काबुल की सूबेदारी बख्तुन्निसा बेगम को सौंपी।

• अकबर ने कश्मीर विजय के लिए भगवानदास एवं कासिम खाँ को भेजा था।

• अकबर ने खानदेश को 1591 ई. में जीता। जिसे दक्षिण भारत का प्रवेश द्वारा माना जाता था।

• अकबर ने सम्राट की उपाधि दक्षिण विजय के बाद ग्रहण की।

• अकबर की मृत्यु अतिसार रोग के कारण (21 अक्टूबर, 1605 को) हुई थी।

• अकबर को बौद्ध प्रभाव से प्रभावित सिकन्दरा के मकबरे में दफनाया गया।

• अकबर ने 1575 ई. में इबादतखाने की स्थापना फतेहपुर सीकरी में कराई।

• इबादतखाना का उद्देश्य प्रत्येक रविवार को धार्मिक विषयों पर खुला वाद-विवाद था।

• अकबर ने महजरनामा नामक दस्तावेज 1579 ई. में जारी किया।

• इसका प्रारूप ‘शेख मुबारक’ ने तैयार किया था। शेख मुबारक अबुल फजल और फैजी के पिता थे।

• महजरनामा जारी होने के बाद अकबर ने सुल्ताने आदिल की उपाधि धारण की।

• अकबर ने दीन-ए-इलाही या ‘तौहिद- ए-इलाही’ की घोषणा 1582 ई. में की।

• दीन-ए-इलाही का पुरोहित अबुल फजल था। • हिन्दू राजाओं में बीरबल ने दीन-ए-इलाही को स्वीकार किया।

• अकबर ने आगरा एवं लाहौर में ईसाइयों को गिरजाघर बनवाने की अनुमति प्रदान की।

• अकबर ने हरिविजय सूरि को जगतगुरु की उपाधि दिया।

अकबर के नवरत्न

मुल्ला दो प्याजाराजा मानसिंहहकीम हुकाम
राजा टोडरमलअब्दुर रहीम खान-ए-खाना फैजी
अबुल फजलबीरबलतानसेन

• अकबर पर सर्वाधिक प्रभाव हिन्दू धर्म का पड़ा।

• अकबर ने इलाही संवत 1583 ई. में जारी किया।

• अकबर ने बीरबल को कविराज एवं राजा की उपाधि प्रदान की थी।

• बीरबल की मृत्यु युसुफजाइयों का विद्रोह दबाते समय हुई।

• ‘अकबरनामा’ एवं ‘आइन-ए-अकबरी’ की रचना अबुल फजल ने की थी।

• अकबर की सेवा में आने से पहले टोडरमल शेरशाह के दरबार में था।

• अकबर के भूमि सम्बन्धी सुधारों का श्रेय टोडरमल को है।

• अकबर ने भगवानदास आमेर के राजा भारमल के पुत्र को अमीर-उल-उमरा की उपाधि दी थी।

• तानसेन का जन्म ग्वालियर में हुआ था।

• ध्रुपद गायन शैली का विकास तानसेन के समय में हुआ।

• अकबर ने तानसेन को कण्ठाभरण वाणीविलास की उपाधि दी थी।

• तानसेन की प्रमुख कृतियाँ ‘मियाँ की मल्हार’, ‘मियाँ की टोड़ी’, ‘मियाँ सारंग’ और ‘दरबारी कान्हडा’ थी।

• बैरम खाँ के पुत्र अब्दुर्रहीम खानखाना विद्वान तथा कवि थे।

• जहाँगीर सबसे ज्यादा अब्दुर्रहीम खानखाना से प्रभावित था।

• हकीम हुकाम अकबर के रसोईघर का प्रधान था।

• अकबर का दरबारी राजकवि फैजी था।

• अकबर ने अपनी राजधानी आगरा से फतेहपुर सिकरी 1571 ई. में स्थानान्तरित की।

• राजपूत राजा महाराणा प्रताप ने अकबर की अधीनता स्वीकार नहीं की।

• मुगल चित्रशाला की प्रथम कृति का नाम दास्ताने – अमीर-हम्जा (इसमें 1200 चित्र हैं) था।

• दसवंत द्वारा बनाये गये चित्र हम्जनामा, खानदाने तैमूरिया एवं तूतीनामा में मिलते हैं।

• अकबर के समय का सर्वोत्कृष्ट चित्रकार बसावन को माना जाता है।

• पहली बार भिति चित्रकारी अकबर के समय शुरू हुई।

यह भी पढ़ें: मध्यकालीन धार्मिक आंदोलन

निष्कर्ष:

हम आशा करते हैं कि आपको यह पोस्ट मुगल साम्राज्य जरुर अच्छी लगी होगी। मुगल साम्राज्य के बारें में काफी अच्छी तरह से सरल भाषा में समझाया गया है। अगर इस पोस्ट से सम्बंधित आपके पास कुछ सुझाव या सवाल हो तो आप हमें कमेंट बॉक्स में ज़रूर बताये। धन्यवाद!

मेरा नाम सुनीत कुमार सिंह है। मैं कुशीनगर, उत्तर प्रदेश का निवासी हूँ। मैं एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हूं।

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