कानपुर के बुद्धिमान और वृद्ध राजा का एक ही बेटा था।
मैं अधिक दिन जीवित नहीं रहूँगा। मुझे अपने पुत्र के लिए कोई सलाहकार ढूँढना चाहिए।
सो, एक सुबह उसने सब दरबारियों को दरबार में बुलवाया –
मैं आप सबसे एक प्रश्न पूछना चाहता हूँ। कृपा करके स्पष्ट उत्तर दीजिएगा।
प्रश्न है- क्या मैं बुद्धिमान और ईमानदार राजा हूँ?
सब दरबारियों ने बारी-बारी से यही उत्तर दिया-
निस्संदेह महाराज, संसार में आप-सा बुद्धिमान और ईमानदार राजा और कोई नहीं है।

हर दरबारी को राजा ने एक-एक हीरा दिया।
आपके उत्तर के लिए धन्यवाद।
सब दरबारी प्रसन्न होकर चले गए। पर एक दरबारी चुपचाप एक कोने में खड़ा रहा।
आप चुप क्यों है? आपका उत्तर क्या है?
महाराज, दूसरों ने तो आपको प्रसन्न करने वाले उत्तर दिए… पर क्षमा कीजिएगा, मेरा उत्तर वैसा नहीं है।
फिर भी, हम सुनना चाहते हैं।
इसमें कोई संदेह नहीं है महाराज कि आप बुद्धिमान और ईमानदार हैं। पर आपसे भी श्रेष्ठ राजा हो चुके हैं जो बुद्धिमत्ता और ईमानदारी में आपसे बढ़-चढ़कर थे।

हमें आपका उत्तर सुनकर बहुत प्रसन्नता हुई। यह लो आपका हीरा।
अगली सुबह, काननपुर के सारे दरबारी दरबार में वापस आए-
महाराज, हमने इन हीरों की जाँच जौहरी से करवाई। पता चला कि सारे हीरे तो नकली हैं।
आपने हमारे साथ ऐसा क्यों किया महाराज?

ठहरिए… मैं समझाता हूँ।
आप सबने मेरे प्रश्न का झूठा उत्तर दिया… इसलिए हीरे भी आपको बकली दिए गए।
पर इस नौजवान ने सीधा-सादा उत्तर दिया। इसलिए इसे असली हीरा दिया गया…
और मेरे बाद यही मेरे बेटे का विश्वस्त सलाहकार रहेगा।

यह भी पढ़ें: जयपुर से पत्र: पाठ-6
बातचीत के लिए
1. राजा ने अपने पुत्र का सलाहकार किसे और क्यों चुना?
Ans. राजा ने उस नवयुवक दरबारी को अपने पुत्र का सलाहकार चुना क्योंकि उसने सच्चाई और ईमानदारी से उत्तर दिया था, राजा को खुश करने के लिए झूठ नहीं बोला।
2. दरबारियों ने राजा के उपहार की जौहरी से तुरंत जाँच करवाई। इससे उनके बारे में कौन-कौन सी बातें पता चलती हैं?
Ans. इससे पता चलता है कि वे लोग लालची और स्वार्थी थे। वे राजा से मिला इनाम असली है या नकली, यह तुरंत जानना चाहते थे।
3. नवयुवक दरबारी राजा का प्रश्न सुनकर भी चुपचाप क्यों खड़ा था?
Ans. वह चुप इसलिए खड़ा था क्योंकि वह सोच-समझकर सच्चा उत्तर देना चाहता था। वह राजा को खुश करने के लिए झूठ नहीं बोलना चाहता था।
4. चित्रकथा के अनुसार काननपुर का राजा बहुत बुद्धिमान था। क्या आप इस बात से सहमत हैं? आपको ऐसा क्यों लगता है?
Ans. हाँ, मैं सहमत हूँ। राजा ने बहुत समझदारी से अपने दरबारियों की परीक्षा ली और सच्चे व्यक्ति की पहचान कर ली। यही उसकी बुद्धिमानी थी।
5. जब राजा ने अपने पुत्र के सलाहकार की घोषणा की, तब सभी दरबारियों को कैसा लगा होगा? उन्होंने क्या-क्या सोचा होगा?
Ans. सब दरबारी शर्मिंदा और दुखी हुए होंगे। उन्हें अपनी झूठी चापलूसी पर पछतावा हुआ होगा और वे सोचने लगे होंगे कि सच्चाई बोलना ही सही था।
सोचिए और लिखिए
2. इस चित्रकथा का नाम ‘नकली हीरे’ क्यों रखा गया है? आप भी इस चित्रकथा का कोई उपयुक्त शीर्षक दीजिए।
Ans. इस चित्रकथा का नाम ‘नकली हीरे’ इसलिए रखा गया है क्योंकि राजा ने झूठ बोलने वाले दरबारियों को नकली हीरे दिए।
👉 इसका दूसरा उपयुक्त शीर्षक हो सकता है — “सच्चे दरबारी की पहचान” या “राजा की परीक्षा”।
3. राजा ने नकली हीरों का पुरस्कार किन्हें और क्यों दिया?
Ans. राजा ने नकली हीरों का पुरस्कार उन दरबारियों को दिया जिन्होंने झूठ बोलकर राजा को खुश करने की कोशिश की थी। उन्होंने सच्चाई नहीं कही, इसलिए उन्हें नकली हीरे मिले।
4. राजा ने एक को छोड़कर अन्य सभी दरबारियों को नकली हीरे क्यों दिए? अपने उत्तर का कारण भी लिखिए।
Ans. राजा ने एक को छोड़कर बाकी सबको नकली हीरे इसलिए दिए क्योंकि बाकी सब दरबारी चापलूसी कर रहे थे। केवल एक दरबारी ने सच्चा और निडर उत्तर दिया, इसलिए उसे असली हीरा मिला।