UP DELED 3rd Semester Shaikshik Moolyaankan Kriyaatmak Shodh Evan Navaachaar Question Paper 2025 आप यहां से प्राप्त कर सकते हैं। जिसका कोई भी शुल्क आपसे नही लिया जाएगा, आप आसानी से इसे हल कर सकेंगे । आइए विस्तार से सभी प्रश्नो को जानें –
प्रश्न-पुस्तिका
तृतीय सेमेस्टर – 2025
प्रथम प्रश्न-पत्र
(शैक्षिक मूल्यांकन क्रियात्मक शोध एवं नवाचार)
1. सभी प्रश्न अनिवार्य हैं। प्रत्येक प्रश्न के निर्धारित अंक प्रश्न के सम्मुख दिये गये हैं।
2. इस प्रश्न-पत्र में तीन प्रकार के (वस्तुनिष्ठ, अतिलघु उत्तरीय तथा लघु उत्तरीय) प्रश्न हैं। वस्तुनिष्ठ प्रश्नों के सही विकल्प छाँटकर अपनी उत्तर पुस्तिका में लिखें। अति लघु उत्तरीय प्रश्नों के उत्तर लगभग तीस (30) शब्दों में, लघु उत्तरीय प्रश्नों के उत्तर लगभग पचास (50) शब्दों में लिखिए।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
Q1). ब्लूम टेक्सोनामी विकसित हुई-
1) 1957 ई. 2) 1958 ई.
3) 1956 ई. 4) 1956 ई.
Ans. 3) 1956 ई.
Q2) चर के प्रकार हैं-
1) सतत 2) असतत
3) उपर्युक्त दोनों (1) एवं (2) 4) उपर्युक्त में से कोई नहीं
Ans. 3) उपर्युक्त दोनों (सतत व असतत)
Q3) रीता ने भाषा में 60 अंक प्राप्त किए हैं। 60 अंक प्राप्त करना प्रदर्शित करता है-
1) मापन को 2) मूल्यांकन को
3) परीक्षण को 4) उपलब्धि को
Ans. 4) उपलब्धि को
Q4) परिकल्पना होती हैं-
1) समाधान का पूर्व अनुमान 2) समाधान का बाद में अनुमान
3) शोध के मध्य में अनुमान 4) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
Ans. 1) समाधान का पूर्व अनुमान
Q5) बचाव, निदान का उच्चतम स्तर है। यह कथन है-
1) स्कीनर 2) फ्रोबेल
3) रॉस 4) क्रानबैक
Ans. 3) रॉस
Q6) “सर्वशिक्षा अभियान” को क्रियान्वयन करने में सहायक है-
1) क्रियात्मक शोध 2) परम्परागत शोध
3) वैज्ञानिक शोध 4) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
Ans. 1) क्रियात्मक शोध
Q7) सतत एवं व्यापक मूल्यांकन का आरम्भ हुआ –
1) सन् 2009 ई. में 2) सन् 2008 ई. में
3) सन् 2010 ई. में 4) सन् 2011 ई. में
Ans. 3) सन् 2010 ई. में
Q8) मापन होता है-
1) मात्रात्मक 2) गुणात्मक
3) तुलनात्मक 4) उपर्युक्त सभी
Ans. 1) मात्रात्मक
Q9) छात्रों के प्रारम्भिक ज्ञान का मूल्यांकन किया जाता है-
1) आंकलित मूल्यांकन में। 2)रचनात्मक मूल्यांकन में।
3) मौखिक मूल्यांकन में। 4) दक्षता मूल्यांकन में।
Ans. 1) आंकलित (डायग्नोस्टिक) मूल्यांकन
Q10) बौद्धिक योग्यता में बोध का अंग नहीं है-
1) अनुवाद 2) विवेचना
3) वाग्विस्तार 4) अनुप्रयोग
Ans. 3) वाग्विस्तार
Q11) दिल्ली का लाल किला किसने बनवाया था वह किस प्रकार का प्रश्न है?
1) स्मृति सम्बन्धी 2) विचारोत्तेजन
3) तर्क सम्बन्धी 4) विकासात्मक
Ans. 1) स्मृति सम्बन्धी
Q12) क्रियात्मक शोध के अन्तर्गत समष्टि (सम्पूर्ण जनसंख्या) के छोटे से भाग को कहते हैं-
1) सादर्श 2) प्रेक्षेपण
3) न्यायदर्श 4) न्यादर्श
Ans. 1) सादर्श (Sample)
Q13) मूल्यांकन के कितने पक्ष होते हैं?
1) 3 2) 2
3) 6 4) 4
Ans. 1) 3 पक्ष
Q14) “नील मुद्रण” का निर्माण आवश्यक है-
1) कक्षा-शिक्षण में 2) प्रश्न-पत्र निर्माण मे
3) परीक्षा आयोजन में 4) गृहकार्य के मूल्यांकन में
Ans. 2) प्रश्न-पत्र निर्माण में
Q15) उत्तम परीक्षण की विशेषताएँ है-
1) वैधता 2) विश्सनीयता
3) उद्देश्यपूर्णता 4) उपर्युक्त सभी।
Ans. 4) उपर्युक्त सभी
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
Q16) किसी समस्या का प्रस्तावित उत्तर क्या कहलाता है?
Ans. किसी समस्या का प्रस्तावित उत्तर परिकल्पना कहलाता है। यह एक अस्थायी उत्तर होता है जिसे शोध प्रक्रिया द्वारा सत्यापित या खण्डित किया जाता है।
Q17) प्रार्थना स्थल की गतिविधियों में मुख्य नवाचार क्या माना जाता है?
Ans. प्रार्थना-स्थल की गतिविधियों में मुख्य नवाचार विद्यार्थियों में नैतिक मूल्यों, अनुशासन, समूह-भावना और सहभागिता को बढ़ाने हेतु नई विधियों का उपयोग माना जाता है।
Q18) मांसपेशियाँ एवं आंगिक गतिविधियाँ मूल्यांकन के किस पक्ष से सम्बन्धित हैं?
Ans. मांसपेशियाँ एवं आंगिक गतिविधियाँ मनोदैहिक (Psychomotor) पक्ष से सम्बन्धित होती हैं जिसमें कौशल, क्रियाएँ, समन्वय व शारीरिक दक्षताएँ शामिल हैं।
Q19) उपचारात्मक-शिक्षण को परिभाषित कीजिए।
Ans. कमजोर विद्यार्थियों की सीखने की समस्याओं को दूर करने के लिए विशेष रूप से दिया गया शिक्षण उपचारात्मक-शिक्षण कहलाता है।
Q20) शैक्षिक नवाचार को परिभाषित कीजिए।
Ans. शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया में किए गए नए, उपयोगी और बेहतर परिवर्तन को शैक्षिक नवाचार कहा जाता है।
Q21) सतत एवं व्यापक मूल्यांकन किसे कहते है? स्पष्ट कीजिए।
Ans. विद्यार्थियों का निरंतर (सतत) एवं विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक (समग्र) मूल्यांकन ही सतत एवं व्यापक मूल्यांकन (CCE) कहलाता है।
Q22) शैक्षिक मापन के स्तरों का नाम लिखिए।
Ans. शैक्षिक मापन के स्तर—
• अनुपात (Ratio)
• नाममात्र (Nominal)
• क्रम (Ordinal)
• अन्तराल (Interval)
Q23) शैक्षिक अनुसन्धान के दो प्रमुख उद्देश्य लिखिए।
Ans. शैक्षिक अनुसंधान के दो उद्देश्य—
• शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया में सुधार
• समस्याओं का वैज्ञानिक समाधान
Q24) मौलिक शोध किसे कहते हैं? स्पष्ट कीजिए।
Ans. ज्ञान में वृद्धि हेतु मूल सिद्धांतों की खोज करने वाला शोध मौलिक शोध कहलाता है। इसका उद्देश्य नई अवधारणाएँ विकसित करना है।
Q25) न्यादर्श से आप क्या समझते हैं? परिभाषित कीजिए।
Ans. जनसंख्या के छोटे प्रतिनिधि भाग को न्यादर्श (Sample) कहा जाता है, जिससे पूरे समुदाय का अनुमान लगाया जा सके।
Q26) संरचनात्मक (फारमेटिव) मूल्यांकन से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
Ans. शिक्षण के दौरान विद्यार्थियों की प्रगति जानने व सुधार के लिए किया गया मूल्यांकन संरचनात्मक (Formative) मूल्यांकन कहलाता है।
Q27) शून्य परिकल्पना को परिभाषित कीजिए।
Ans. यह वह परिकल्पना है जिसमें कहा जाता है कि दो चर में कोई अंतर नहीं है। इसे नल हाइपोथीसिस कहते हैं।
Q28) मापन किसे कहते हैं? स्पष्ट कीजिए।
Ans. किसी गुण को संख्यात्मक रूप में अभिव्यक्त करना मापन कहलाता है। जैसे—ऊँचाई 160 सेमी।
Q29) मूल्यांकन प्रक्रिया में अभिलेखीकरण के दो महत्व बताइए।
Ans. अभिलेखीकरण के महत्व—
• भविष्य की योजना व सुधार में सहायता मिलती है।
• विद्यार्थी की प्रगति का रिकॉर्ड उपलब्ध रहता है।
Q30) मौखिक परीक्षा के दो दोष लिखिए।
Ans. मौखिक परीक्षा के दो दोष—
• सभी विद्यार्थियों को समान अवसर नहीं मिल पाता।
• परीक्षक पक्षपात की संभावना रहती है।
लघु उत्तरीय प्रश्न
Q31) परीक्षण एवं मापन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
Ans. शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया में परीक्षण (Test) और मापन (Measurement) दोनों महत्वपूर्ण हैं, परंतु दोनों के उद्देश्य और स्वरूप अलग-अलग होते हैं। इनके बीच मुख्य अंतर निम्नलिखित हैं—
परीक्षण (Test)
- परीक्षण किसी विशेष ज्ञान, कौशल या व्यवहार को जाँचने हेतु तैयार किया गया प्रश्नों या गतिविधियों का सुव्यवस्थित सेट होता है।
- इसका उद्देश्य यह पता लगाना होता है कि विद्यार्थी ने क्या सीखा है।
- परीक्षण गुणात्मक व मात्रात्मक—दोनों प्रकार के परिणाम दे सकता है।
- परीक्षण में प्रश्नों का चयन, कठिनाई स्तर तथा मानकों का निर्धारण शामिल होता है।
- यह मूल्यांकन की प्रक्रिया का एक भाग है।
मापन (Measurement)
- मापन से आशय किसी गुण, योग्यता, ज्ञान या कौशल को संख्यात्मक रूप में व्यक्त करने से है।
- इसका उद्देश्य उपलब्धि या व्यवहार का मात्रात्मक आकलन करना है।
- मापन हमेशा संख्यात्मक रूप (जैसे: अंक, प्रतिशत, स्कोर) देता है।
- मापन उपकरणों (जैसे परीक्षण, स्केल, रेटिंग स्केल आदि) के माध्यम से किया जाता है।
- यह आंकड़ों की सटीकता, विश्वसनीयता और वस्तुनिष्ठता पर आधारित होता है।
मुख्य अंतर (Difference between Test and Measurement)
| क्रम | परीक्षण (Test) | मापन (Measurement) |
|---|---|---|
| 1. | ज्ञान/कौशल को जाँचने की प्रक्रिया है | उस ज्ञान/कौशल को संख्यात्मक रूप देने की प्रक्रिया |
| 2. | प्रश्नों का एक संगठित समूह | प्राप्त उत्तरों या प्रतिक्रियाओं का मात्रात्मक निर्धारण |
| 3. | गुणात्मक और मात्रात्मक दोनों परिणाम दे सकता है | हमेशा मात्रात्मक (संख्यात्मक) परिणाम देता है |
| 4. | मूल्यांकन की पूर्व-चरण गतिविधि | मूल्यांकन का सांख्यिकीय आधार |
| 5. | यह उपकरण की तरह कार्य करता है | यह उपकरण से प्राप्त परिणाम है |
Q32) गणितीय कौशल से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
Ans. गणितीय कौशल से आशय उन योग्यता-समुच्चयों से है, जिनकी सहायता से विद्यार्थी गणितीय समस्याओं को समझने, विश्लेषण करने, हल करने और वास्तविक जीवन में लागू करने में सक्षम बनता है। यह केवल गणना करने की क्षमता नहीं है, बल्कि तार्किक सोच, समस्या-समाधान और विश्लेषणात्मक विचारशक्ति का विकास भी इसमें शामिल है।
गणितीय कौशल के प्रमुख घटक:
- संख्यात्मक कौशल:
संख्याओं का ज्ञान, गणना, जोड़, घटाव, गुणा, भाग, प्रतिशत, भिन्न आदि को सही ढंग से करने की क्षमता। - तार्किक एवं विश्लेषणात्मक कौशल:
तर्कपूर्ण निष्कर्ष निकालना, पैटर्न पहचानना, संबंध समझना तथा सूचनाओं का विश्लेषण करना। - समस्या-समाधान कौशल:
दिए गए गणितीय प्रश्न को समझकर उपयुक्त विधि का चयन करते हुए सही समाधान प्राप्त करना। - स्थानिक (Spatial) कौशल:
आकृतियों, आकारों, क्षेत्रों तथा आयतन को समझना; चित्रों के रूपांतरण और स्थानिक संबंधों का ज्ञान। - मापन एवं अनुमान कौशल:
लंबाई, क्षेत्रफल, समय, वजन आदि का सटीक मापन और यथार्थ अनुमान लगाना। - गणितीय संप्रेषण कौशल:
गणितीय विचारों को प्रतीकों, ग्राफ, सारणियों और समीकरणों के माध्यम से स्पष्ट रूप से व्यक्त करना।
Q33) उत्तम प्रवपत्र निर्माण के सोपानों को स्पष्ट कीजिए।
Ans. उत्तम प्रश्न-पत्र तैयार करने के लिए निम्नलिखित सोपानों का पालन किया जाता है—
• उद्देश्य निर्धारण
विषय के अधिगम उद्देश्यों एवं सीखने के परिणामों को स्पष्ट रूप से तय किया जाता है।
• ब्लूप्रिंट (नील-नक्शा) तैयार करना
प्रश्न-पत्र में किन इकाइयों से कितने प्रश्न होंगे, उनकी कठिनाई-स्तर व अंक-वितरण कैसे होगा—इसका विस्तृत चार्ट बनाया जाता है।
• प्रश्नों का चयन/निर्माण
उद्देश्यों और ब्लूप्रिंट के अनुसार सरल, मध्यम एवं कठिन स्तर के प्रश्न तैयार किए जाते हैं। प्रश्न स्पष्ट, सटीक और त्रुटिरहित होने चाहिए।
• प्रश्नों का क्रम निर्धारण
प्रश्नों को सरल से कठिन, वस्तुनिष्ठ से वर्णनात्मक तथा कम अंक वाले से अधिक अंक वाले क्रम में व्यवस्थित किया जाता है।
• निर्देश लिखना
प्रश्न-पत्र के प्रारंभ में स्पष्ट एवं संक्षिप्त निर्देश दिए जाते हैं ताकि छात्र आसानी से समझ सकें।
• प्रश्न-पत्र की समीक्षा (Editing & Moderation)
प्रश्नों में त्रुटियाँ, दोहराव, अस्पष्टता आदि की जाँच की जाती है। आवश्यक होने पर विशेषज्ञ द्वारा संशोधन कराया जाता है।
• अंकन योजना (Scoring Key) तैयार करना
प्रत्येक प्रश्न के उत्तर की रूपरेखा और अंक-वितरण पहले से तय किया जाता है ताकि मूल्यांकन वस्तुनिष्ठ व विश्वसनीय बने।
• अंतिम रूप देना व मुद्रण
सभी संशोधनों के बाद प्रश्न-पत्र का अंतिम प्रारूप तैयार कर सुरक्षित रूप से मुद्रित किया जाता है।
Q34) शैक्षिक नवाचार के महत्व एवं आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
Ans. शैक्षिक नवाचार का अर्थ शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया में नए, उपयोगी और प्रभावी परिवर्तन करना है। इसका महत्व इसलिए है क्योंकि इससे शिक्षा अधिक रोचक, सरल और विद्यार्थियों की आवश्यकताओं के अनुरूप बनती है। नवाचार सीखने के परिणामों को बेहतर बनाते हैं, रचनात्मकता बढ़ाते हैं और शिक्षण की गुणवत्ता में सुधार लाते हैं।
इसकी आवश्यकता इसलिए है क्योंकि बदलते समाज, तकनीक और शिक्षार्थियों की विविध क्षमताओं के अनुसार शिक्षा को अद्यतन रखना अनिवार्य है। नवाचार से शिक्षक को नई विधियाँ अपनाने, समस्याओं का समाधान खोजने तथा कक्षा में सक्रिय सहभागिता बढ़ाने में सहायता मिलती है।
Q35) क्रियात्मक शोध को उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
Ans. शिक्षक द्वारा अपनी कक्षा की समस्या को दूर करने हेतु किया गया शोध क्रियात्मक शोध है।
उदाहरण: विद्यार्थियों की गणित में कमजोरी दूर करने के लिए शिक्षक नई विधि अपनाकर सुधार जाँचता है।
Q36) दक्षता आधारित मूल्यांकन को स्पष्ट कीजिए एव दक्षता आधारित मूल्यांकन की आवश्यकता पर भी प्रकाश डालिए।
Ans. दक्षता आधारित मूल्यांकन (Competency Based Assessment) वह प्रक्रिया है जिसमें विद्यार्थी के ज्ञान को केवल अंक या रटने की क्षमता से नहीं, बल्कि किसी कार्य को सही ढंग से करने की योग्यता, कौशल और व्यवहारिक दक्षता के आधार पर आँका जाता है। इसमें सीखने के परिणाम (Learning Outcomes) स्पष्ट रूप से निर्धारित होते हैं और यह देखा जाता है कि विद्यार्थी उन परिणामों को कितनी प्रभावी ढंग से प्राप्त कर सके हैं। इसमें करके सीखना, समस्या समाधान, संचार कौशल, क्रिटिकल थिंकिंग जैसी क्षमताएँ प्रमुख रूप से जांची जाती हैं।
दक्षता आधारित मूल्यांकन की आवश्यकता
- व्यावहारिक कौशल का विकास: यह विद्यार्थियों की वास्तविक जीवन में कार्य करने की क्षमता का परीक्षण करता है, जिससे वे अधिक सक्षम और आत्मनिर्भर बनते हैं।
- रटना आधारित परीक्षा से मुक्ति: यह परंपरागत याद करने वाली शिक्षा से हटकर उपयोगी एवं जीवनोपयोगी कौशल विकसित करता है।
- व्यक्तिगत भिन्नताओं का सम्मान: प्रत्येक विद्यार्थी की क्षमता अलग होती है। यह मूल्यांकन उसी के अनुरूप प्रगति का आकलन करता है।
- समग्र विकास: इसमें संज्ञानात्मक, मनोचिकित्सक एवं भावात्मक—तीनों क्षेत्रों की दक्षताओं का आकलन होता है, जिससे बालक का संतुलित विकास होता है।
- 21वीं सदी के कौशलों की पूर्ति: आधुनिक समय में समस्या समाधान, संचार, टीमवर्क और नवाचार जैसी क्षमताएँ आवश्यक हैं, जिन्हें यह मूल्यांकन पूरी तरह समर्थ बनाता है।
इस प्रकार, दक्षता आधारित मूल्यांकन शिक्षा को अधिक उपयोगी, प्रभावी और विद्यार्थी-केंद्रित बनाकर ज्ञान को व्यवहार से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
Q37) बालक के भावात्मक पक्ष का वर्गीकरण ब्लूम टेक्सोनामी के आधार पर कीजिए।
Ans. ब्लूम की टेक्सोनॉमी में भावात्मक पक्ष (Affective Domain) का वर्गीकरण क्रैथवॉल (Krathwohl) ने किया है। यह बालक की रुचि, इच्छाएँ, मूल्य, दृष्टिकोण एवं भावनात्मक विकास से संबंधित होता है। भावात्मक पक्ष को पाँच स्तरों में विभाजित किया गया है—
ब्लूम टेक्सोनॉमी के आधार पर भावात्मक पक्ष का वर्गीकरण
- स्वीकार करना (Receiving / Attention)
- किसी वस्तु, विचार या घटना को ध्यानपूर्वक सुनना, देखना या स्वीकार करना।
- उदाहरण: शिक्षक की बातों को ध्यान से सुनना।
- प्रतिक्रिया देना (Responding)
- किसी कार्य में रुचि लेकर भाग लेना, प्रश्नों का उत्तर देना या गतिविधियों में सक्रिय रहना।
- उदाहरण: कक्षा गतिविधियों में भाग लेना।
- मूल्यांकन करना (Valuing)
- किसी वस्तु, विचार या व्यवहार का मूल्य समझना और उसे महत्व देना।
- उदाहरण: अनुशासन का पालन करना, समय का महत्व समझना।
- अनुकूलन करना / संगठित करना (Organization)
- विभिन्न मूल्यों और विचारों को व्यवस्थित करना, अपने जीवन में समाहित करना और उन्हें प्राथमिकता देना।
- उदाहरण: अपने जीवन में ईमानदारी, सहयोग और जिम्मेदारी जैसे मूल्यों को अपनाना।
- व्यक्तित्व निर्माण / आत्मसात (Characterization by Value / Internalization)
- मूल्य व्यक्ति के स्वभाव और व्यक्तित्व का हिस्सा बन जाते हैं तथा उसकी आदतों और व्यवहार में दिखाई देते हैं।
- उदाहरण: निरंतर सत्य बोलने वाला, जिम्मेदार और सहानुभूतिशील व्यक्ति बन जाना।
Q38) सेमेस्टर एवं ग्रेडिंग सिस्टम को उदाहरण सहित परिभाषित कीजिए।
Ans. सेमेस्टर प्रणाली (Semester System)
सेमेस्टर प्रणाली में पूरे शैक्षिक वर्ष को दो समान भागों में बाँटा जाता है, जिन्हें सेमेस्टर कहा जाता है। प्रत्येक सेमेस्टर में नियमित रूप से परीक्षाएँ, मूल्यांकन, प्रायोगिक कार्य, आंतरिक मूल्यांकन तथा असाइनमेंट शामिल होते हैं। इससे छात्रों का सीखना निरंतर और सतत बना रहता है।
उदाहरण:
यदि एक वर्ष में 6 विषय हैं, तो वर्ष को दो सेमेस्टर में बाँट दिया जाता है—
पहला सेमेस्टर: 3 विषय + आंतरिक मूल्यांकन + सेमेस्टर परीक्षा
दूसरा सेमेस्टर: शेष 3 विषय + आंतरिक मूल्यांकन + सेमेस्टर परीक्षा
ग्रेडिंग प्रणाली (Grading System)
ग्रेडिंग प्रणाली में छात्रों के अंक संख्यात्मक रूप से न देकर ग्रेड (A, B, C, D, E) के रूप में दिए जाते हैं। यह प्रणाली छात्रों के प्रदर्शन को व्यापक रूप से दर्शाती है और प्रतियोगिता व तनाव को कम करती है।
उदाहरण:
यदि किसी विद्यार्थी को गणित में 85 अंक प्राप्त होते हैं, तो उसे अंक न देकर ग्रेड दिया जाएगा—
| अंक सीमा | ग्रेड |
|---|---|
| 90–100 | A+ |
| 80–89 | A |
| 70–79 | B |
| 60–69 | C |
| 50–59 | D |
| 50 से कम | E |
तो 85 अंक = ग्रेड A।
Q39) अवलोकन विधि से आपका क्या आशय है? इसके महत्त्व को समझाइए।
Ans. अवलोकन विधि का आशय
अवलोकन विधि वह तकनीक है जिसके द्वारा शोधकर्ता या शिक्षक किसी व्यक्ति, समूह या स्थिति के व्यवहार, गतिविधियों, भावनाओं तथा प्रतिक्रियाओं को प्रत्यक्ष रूप से देखता और नोट करता है। इस विधि में किसी घटना का वास्तविक रूप बिना किसी हस्तक्षेप के समझा जाता है। यह प्राकृतिक परिस्थितियों में तथ्य जुटाने की अत्यंत विश्वसनीय प्रक्रिया है।
अवलोकन विधि का महत्त्व
- प्रत्यक्ष एवं वास्तविक जानकारी प्राप्त होती है
अवलोकन से व्यवहार या घटना के वास्तविक रूप को उसी समय देखा जा सकता है, जिससे जानकारी अधिक विश्वसनीय होती है। - बालकों के व्यवहार का सटीक मूल्यांकन
कक्षा में छात्र कैसे सीखते हैं, कैसे प्रतिक्रिया देते हैं, किस प्रकार की कठिनाइयाँ होती हैं—इनका सही विश्लेषण किया जा सकता है। - गैर-मौखिक संकेतों को समझने में सहायक
छात्रों की भाव-भंगिमा, रुचियाँ, अनिच्छा, संकोच, उत्साह जैसे पहलुओं का पता चलता है, जो अन्य विधियों से कठिन होता है। - शिक्षण-शैली में सुधार
शिक्षक अवलोकन के आधार पर अपनी शिक्षण विधियों में आवश्यक सुधार कर सकता है। - शोध में उपयोगी
क्रियात्मक शोध में अवलोकन विधि द्वारा शोधकर्ता समस्या की वास्तविक स्थिति को समझकर समाधान ढूँढ सकता है। - नैसर्गिक व्यवहार का ज्ञान
बच्चे किस प्रकार स्वाभाविक रूप से व्यवहार करते हैं, इसका पता चलता है क्योंकि अवलोकन में उन्हें अलग से कुछ करने को नहीं कहा जाता।
Q40) शोध में परिकल्पना को परिभाषित करते हुए इनके प्रकारों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
Ans. शोध में परिकल्पना किसी समस्या के संभावित उत्तर या पूर्वानुमानित कथन को कहते हैं। यह वह कथन है जिसे शोधकर्ता सत्यापित या असत्यापित करना चाहता है। यह शोध को दिशा देती है तथा डेटा संग्रह एवं विश्लेषण का आधार बनती है।
परिकल्पना के प्रकार (संक्षेप में)
- शून्य परिकल्पना (Null Hypothesis – H₀)
इसमें कहा जाता है कि दो चर (Variables) के बीच कोई अंतर या प्रभाव नहीं होता।
उदाहरण: “नई शिक्षण विधि का छात्र उपलब्धि पर कोई प्रभाव नहीं है।” - वैकल्पिक परिकल्पना (Alternative Hypothesis – H₁ या Ha)
इसमें माना जाता है कि दो चरों के बीच अंतर या प्रभाव मौजूद है।
उदाहरण: “नई शिक्षण विधि छात्र उपलब्धि को बढ़ाती है।” - दिशात्मक परिकल्पना (Directional Hypothesis)
इसमें प्रभाव की दिशा स्पष्ट की जाती है—जैसे वृद्धि या कमी।
उदाहरण: “सहयोगी अधिगम विधि से उपलब्धि बढ़ती है।” - अदिशात्मक परिकल्पना (Non-directional Hypothesis)
इसमें केवल अंतर की बात होती है, दिशा नहीं बताई जाती।
उदाहरण: “दो विधियों से प्राप्त उपलब्धि में अंतर है।” - वर्णनात्मक परिकल्पना (Descriptive Hypothesis)
किसी घटना, वस्तु या स्थिति के स्वरूप का अनुमान लगाया जाता है। - कारणात्मक परिकल्पना (Causal Hypothesis)
इसमें एक चर के कारण दूसरे चर पर पड़ने वाले कारण-परिणाम संबंध का अनुमान किया जाता है।
उदाहरण: “अधिक अध्ययन समय से उपलब्धि बढ़ती है।”