UP DELED 1st Semester Samajik Adhyayan Question Paper 2025 आप यहां से प्राप्त कर सकते हैं। जिसका कोई भी शुल्क आपसे नही लिया जाएगा, आप आसानी से इसे हल कर सकेंगे । आइए विस्तार से सभी प्रश्नो को जानें –
प्रश्न-पुस्तिका
प्रथम सेमेस्टर-2025
पंचम प्रश्न-पत्र
(सामाजिक अध्ययन)
1. सभी प्रश्न अनिवार्य हैं। प्रत्येक प्रश्न के निर्धारित अंक प्रश्न के सम्मुख दिये गये हैं।
2. इस प्रश्न-पत्र में तीन प्रकार के (वस्तुनिष्ठ, अतिलघु उत्तरीय तथा लघु उत्तरीय) प्रश्न हैं। वस्तुनिष्ठ प्रश्नों के सही विकल्प छाँटकर अपनी उत्तर पुस्तिका में लिखें। अति लघु उत्तरीय प्रश्नों के उत्तर लगभग तीस (30) शब्दों में, लघु उत्तरीय प्रश्नों के उत्तर लगभग पचास (50) शब्दों में लिखिए।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
1. शक संवत (78 ई. से प्रारम्भ) की स्थापना निम्न में से किस शासक द्वारा की गई-
(1) चन्द्रगुप्त मौर्य (2) चन्द्रगुप्त विक्रमादित्यू
(3) कनिष्क (4) कौटिल्य
Ans. (3) कनिष्क
2. गायत्री मंत्र किस वेद से लिया गया है-
(1) अथर्ववेद (2) ऋगवेद
(3) सामवेद (4) यर्जुवेद
Ans. (2) ऋगवेद
3. द्वितीय वौद्ध संगीति का आयोजन किस शासक के काल में हुआ था-
(1) अशोक (2) अजातशत्रु
(3) कनिष्क (4) कालाशोक
Ans. (4) कालाशोक
4. कौन सा ग्रह पानी पर तैर सकता है-
(1) शुक्र (2) पृथ्वी
(3) बुध (4) शनि
Ans. (4) शनि
5. पंचायती राज व्यवस्था कितने स्तर पर कार्य करती है-
(1) चार स्तर पर (2) तीन स्तर पर
(3) दो स्तर पर (4) एक स्तर पर
Ans. (2) तीन स्तर पर
6. “अर्धशास्त्र धन का विज्ञान है” यह कथन किस अर्थशास्त्री का है-
(1) कीन्स (2) मार्शल
(3) एडम स्मिथ (4) रॉबिन्स
Ans. (3) एडम स्मिथ
7. धौलावीरा-पुरास्थल भारत के किस राज्य में स्थित है-
(1) राजस्थान (2) पंजाब
(3) हरियाणा (4) गुजरात
Ans. (4) गुजरात
8. नासा का मुख्यालय स्थित है-
(1) वाशिंगटन डी.सी. (2) बंगलौर
(3) ब्रिसबेन (4) पेरिस
Ans. (1) वाशिंगटन डी.सी.
9. सिकन्दर ने भारत पर आक्रमण किया था-
(1) 321 ई. पू. में (2) 321 ई. में
(3) 326 ई. पू. में (4) 326 ई. में
Ans. (3) 326 ई. पू. में
10. ग्रेट बैरियर रीफ किस महाद्वीप में स्थित है-
(1) एशिया (2) यूरोप
(3) आफ्रीका (4) आस्ट्रेलिया
Ans. (4) आस्ट्रेलिया
11. भारत की सबसे लम्बी तट रेखा वाला राज्य है-
(1) केरल (2) गांवा
(3) गुजरात (4) तमिलनाडु
Ans. (3) गुजरात
12. ग्राम पंचायत के सदस्य चुने जाते हैं-
(1) दो वर्ष हेतु (2) पांच वर्ष हेतु
(3) छः वर्ष हेतु (4) सात वर्ष हेतु
Ans. (2) पांच वर्ष हेतु
13. ग्लोब प्रतिरूप होता है-
(1) पृथ्वी (2) मंगल
(3) बुध (4) शुक्र
Ans. (1) पृथ्वी
14. पृथ्वी का ब्लैकहोल कहा जाने वाला’ बरमूडा त्रिभुज’ किस महासागर में स्थित है-
(1) प्रशान्त (2) अटलांटिक
(3) हिन्द (4) आर्कटिक
Ans. (2) अटलांटिक
15. प्रतियोगी परीक्षाएं सर्वप्रथम किस देश में प्रारम्भहुई-
(1) भारत में (2) जापान में
(3) ब्राजील में (4) चीन में
Ans. (4) चीन में
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
16. क्षुद्र ग्रह किन-किन ग्रहों की कक्षाओं के मध्य अवस्थित हैं?
Ans. मंगल और बृहस्पति की कक्षाओं के बीच क्षुद्र ग्रहों का मुख्य घेरा स्थित है।
17. विश्व का सबसे बड़ी नदी द्वीप ‘माजुली’ किस नदी और किस राज्य में स्थित है?
Ans. माजुली ब्रह्मपुत्र नदी में स्थित है और असम राज्य में स्थित है।
18. इसरो (ISRO) का पूर्णरूप क्या है?
Ans. Indian Space Research Organization.
19. नगर निगम के अध्यक्ष का पदनाम क्या है?
Ans. नगर-निगम के अध्यक्ष को महापौर (Mayor) कहा जाता है।
20. पाणिनी के किस ग्रन्थ से 16 महाजनपदों के विषय में ज्ञान प्राप्त होता है?
Ans. अष्टाध्यायी।
21. जैन धर्म में त्रिरत्न क्या हैं?
Ans. सम्यक दर्शन, सम्यक ज्ञान और सम्यक चारित्र।
22. यातायात के दो नियम बताएं?
Ans.
- लाल बत्ती पर रुकना।
- सीट बेल्ट/हेलमेट का उपयोग करना।
23. अक्षांश किसे कहते हैं?
Ans. भूमध्य रेखा के समानांतर खींची गई काल्पनिक रेखाएँ अक्षांश कहलाती हैं।
24. अंग महाजनपद की राजधानी क्या थी?
Ans. चंपा।
25. महाभारत के लेखक कौन थे?
Ans. वेदव्यास।
26. सोलह महाजनपदों में से किसी चार के नाम लिखिए।
Ans. मगध, कोशल, वत्स, अवंति।
27. वेदांग की संख्या कितनी है?
Ans. कुल 6 वेदांग।
28. पाषाण काल को कितने भागों में बांटा गया? नाम लिखिए।
Ans. पुरापाषाण, मध्यपाषाण, नवपाषाण।
29. तारा किसे कहते हैं?
Ans. जो खगोलीय पिंड स्वयं प्रकाश उत्सर्जित करते हैं उन्हें तारे कहते हैं।
30. हड़प्पा सभ्यता में किस देवता की पूजा की जाती थी?
Ans. पशुपति (शिव रूप) तथा माता देवी की।
लघु उत्तरीय प्रश्न
31. पृथ्वी की घूर्णन गति से आप क्या समझते हैं?
Ans. पृथ्वी अपनी धुरी (Axis) पर पश्चिम से पूर्व की ओर घूमती है, इसे पृथ्वी का घूर्णन कहते हैं। पृथ्वी एक पूर्ण घूर्णन लगभग 24 घंटे में पूरा करती है। घूर्णन के कारण ही दिन और रात का निर्माण होता है तथा सूर्य की स्थिति में परिवर्तन दिखाई देता है।
32. इतिहास जानने के पुरातात्विक साधनों का वर्णन कीजिए।
Ans. पुरातात्विक साधन वे स्रोत हैं जिनसे हमें प्राचीन मानव जीवन, संस्कृति, समाज तथा सभ्यताओं के बारे में जानकारी मिलती है। ये साधन मुख्यतः निम्न प्रकार हैं—
- अवशेष एवं उत्खनन सामग्री – मिट्टी के बर्तन, औजार, मुद्रा, मूर्तियाँ, आभूषण आदि, जो उत्खनन से प्राप्त होते हैं।
- स्मारक एवं भवन – स्तूप, मंदिर, मस्जिद, किले, महल जैसे स्थापत्य, जिनसे उस समय की कला, जीवनशैली और तकनीक का ज्ञान होता है।
- शिलालेख एवं अभिलेख – पत्थर, ताम्रपत्र या धातु पर लिखे आदेश, दानपत्र, घोषणाएँ; ये तत्कालीन शासन, भाषा और समाज की जानकारी देते हैं।
- अस्थियाँ एवं मानव अवशेष – मानव और पशु की हड्डियाँ, जिनसे उस काल की खाद्य आदतें, स्वास्थ्य और जीवन-पद्धति ज्ञात होती है।
- मुद्राएँ – प्राचीन सिक्कों से अर्थव्यवस्था, व्यापार और शासन का ज्ञान मिलता है।
इन सभी साधनों के आधार पर इतिहासकार प्राचीन सभ्यताओं का पुनर्निमाण करते हैं।
33. सिंधु घाटी सभ्यता के सन्दर्भ में संक्षेप में बताइए।
Ans. सिंधु घाटी सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक थी, जिसका विकास मुख्यतः सिंधु नदी तथा उसकी सहायक नदियों के किनारे हुआ। यह सभ्यता लगभग 2500 ई.पू. से 1750 ई.पू. के बीच अत्यंत विकसित अवस्था में रही।
इसकी प्रमुख विशेषताएँ निम्न थीं—
- सुसंगठित नगर नियोजन – चौड़ी सड़कें, पक्की ईंटों के मकान, नालियों की उत्कृष्ट व्यवस्था।
- प्रमुख नगर – हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, लोथल, धौलावीरा आदि।
- उच्च स्तरीय जल-निकासी प्रणाली – प्रत्येक घर का नाला मुख्य नाली से जुड़ा होता था।
- कृषि एवं व्यापार – गेहूँ, जौ की खेती तथा मेसोपोटामिया जैसे देशों से समुद्री व थल व्यापार।
- धार्मिक जीवन – माता देवी की पूजा, पशुपति जैसी आकृतियों का मिलना, वृक्ष-पूजा आदि।
- लिपि – चित्रलिपि का प्रयोग, जो आज तक अपठित है।
यह सभ्यता अत्यंत उन्नत, समृद्ध और सुव्यवस्थित थी, जिसने भारतीय उपमहाद्वीप के सांस्कृतिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
34. अष्टांगिक मार्ग क्या हैं?
Ans. अष्टांगिक मार्ग बौद्ध धर्म में दुःखों से मुक्ति पाने का प्रमुख मार्ग है, जिसे भगवान बुद्ध ने बताया था। यह मार्ग नैतिक आचरण, मानसिक अनुशासन और प्रज्ञा के आठ अंगों से मिलकर बना है। ये आठ अंग इस प्रकार हैं—
- सम्यक दृष्टि – सही ज्ञान और सही दृष्टिकोण रखना।
- सम्यक संकल्प – अच्छे विचार और शुभ भावनाएँ रखना।
- सम्यक वाणी – सत्य, मधुर और अहिंसक वाणी का प्रयोग करना।
- सम्यक कर्मांत – अच्छे और नैतिक कर्म करना, दूसरों को हानि न पहुँचाना।
- सम्यक आजीविका – ईमानदार और अहिंसक तरीके से आजीविका कमाना।
- सम्यक प्रयास – बुरे विचारों को रोकना और अच्छे विचारों को बढ़ावा देना।
- सम्यक स्मृति – मन, वचन और कर्म के प्रति जागरूक रहना।
- सम्यक समाधि – ध्यान के द्वारा मन को एकाग्र और शांत बनाना।
अष्टांगिक मार्ग जीवन को संतुलित, नैतिक एवं शांतिपूर्ण बनाने का मार्गदर्शन प्रदान करता है।
35. मानचित्र से क्या लाभ हैं?
Ans. मानचित्र पृथ्वी के किसी भाग का छोटा और स्पष्ट चित्र होता है, जो हमें स्थानों की सही जानकारी देता है। इसके प्रमुख लाभ इस प्रकार हैं—
- दूरी व दिशा का ज्ञान – मानचित्र से किसी भी स्थान की दिशा, दूरी और स्थिति का पता चलता है।
- भू-आकृतियों की जानकारी – पहाड़, नदियाँ, मैदान, समुद्र, जंगल आदि को आसानी से समझा जा सकता है।
- राजनीतिक जानकारी – देशों, राज्यों, जिलों की सीमाओं और उनकी स्थिति को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।
- योजना एवं प्रशासन में उपयोग – सड़क निर्माण, शहर योजना, सिंचाई आदि में मानचित्र बहुत उपयोगी होते हैं।
- शिक्षण में सहायक – विद्यालयों में भूगोल, इतिहास और पर्यावरण विषयों को पढ़ाने में मानचित्र अत्यंत सहायक होते हैं।
इस प्रकार मानचित्र हमारी भौगोलिक जानकारी को सरल, स्पष्ट और सटीक बनाते हैं।
36. वन्यजीव अभ्यारण्य एवं राष्ट्रीय पार्क में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
Ans. वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए बनाए गए संरक्षित क्षेत्रों के दो प्रमुख रूप—वन्यजीव अभ्यारण्य और राष्ट्रीय उद्यान हैं। दोनों के बीच मुख्य अंतर निम्नलिखित हैं :
| आधार | वन्यजीव अभ्यारण्य | राष्ट्रीय उद्यान (National Park) |
|---|---|---|
| परिभाषा | ऐसा क्षेत्र जहाँ पशु-पक्षियों की सुरक्षा हेतु संरक्षण किया जाता है। | ऐसा संरक्षित क्षेत्र जहाँ पशु, वनस्पति और सम्पूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र को कड़ी सुरक्षा दी जाती है। |
| कानूनी संरक्षण | राष्ट्रीय उद्यान की अपेक्षा कम कड़ा संरक्षण। | सबसे अधिक और कड़ी कानूनी सुरक्षा प्रदान की जाती है। |
| मानव गतिविधियाँ | सीमित मानवीय गतिविधियाँ जैसे—चराई या लकड़ी इकट्ठा करना कभी-कभी अनुमति होती है। | किसी भी प्रकार की मानव गतिविधि (चराई, पेड़ काटना आदि) पूरी तरह निषिद्ध होती है। |
| सीमा निर्धारण | सीमाएँ बदल सकती हैं। | सीमाएँ स्थायी होती हैं, बदली नहीं जा सकतीं। |
| उद्देश्य | मुख्य रूप से वन्यजीव संरक्षण। | वन्यजीवों के साथ-साथ वनस्पतियों और प्राकृतिक आवास का संरक्षण। |
| उदाहरण | बिहार का वाल्मीकि अभ्यारण्य, असम का पोबितोरा। | राजस्थान का रणथम्भौर, मध्यप्रदेश का कान्हा राष्ट्रीय उद्यान। |
37. राष्ट्रीय आय के आकलन की प्रमुख विधियों पर प्रकाश डालिए।
Ans. किसी देश की एक निश्चित अवधि (अधिकतर एक वर्ष) में सभी अंतिम वस्तुओं और सेवाओं के कुल मूल्य को राष्ट्रीय आय कहा जाता है। इसके आकलन के लिए तीन प्रमुख विधियाँ प्रयोग की जाती हैं:
(1) उत्पादन विधि (Production Method / Output Method)
इस विधि में देश में एक वर्ष के दौरान विभिन्न उत्पादन क्षेत्रों—जैसे कृषि, उद्योग, सेवा क्षेत्र—द्वारा उत्पादित अंतिम वस्तुओं और सेवाओं के कुल मूल्य का आकलन किया जाता है।
- उत्पाद का कुल मूल्य = मूल्य × मात्रा
- मध्यवर्ती वस्तुओं को दो बार गिनने से बचने के लिए मूल्य संवर्द्धन (Value Added) का प्रयोग किया जाता है।
उपयोग: कृषि प्रधान देशों में यह विधि अधिक प्रयुक्त होती है।
(2) आय विधि (Income Method)
इस विधि में उत्पादन प्रक्रिया में लगे व्यक्तियों और उद्यमों द्वारा प्राप्त सभी प्रकार की आय को जोड़कर राष्ट्रीय आय ज्ञात की जाती है।
इसमें निम्न आय शामिल होती है—
- वेतन एवं मजदूरी
- किराया
- ब्याज
- लाभ
- स्व-नियोजित आय
सूत्र:
राष्ट्रीय आय = वेतन + किराया + ब्याज + लाभ + मिश्रित आय
(3) व्यय विधि (Expenditure Method)
इस विधि में देश के भीतर एक वर्ष में अंतिम वस्तुओं और सेवाओं पर किए गए कुल व्यय का योग किया जाता है।
व्यय के मुख्य घटक—
- उपभोग व्यय (C)
- पूँजी निर्माण/निवेश व्यय (I)
- सरकारी व्यय (G)
- शुद्ध निर्यात = निर्यात (X) – आयात (M)
सूत्र:
राष्ट्रीय व्यय = C + I + G + (X – M)
38. जिलाधिकारी के प्रमुख कार्यों पर प्रकाश डालिए।
Ans. जिलाधिकारी जिले का सर्वोच्च प्रशासनिक अधिकारी होता है, जो शासन की नीतियों को प्रभावी ढंग से लागू करने के साथ-साथ कानून-व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी निभाता है। इसके प्रमुख कार्य इस प्रकार हैं—
- कानून एवं व्यवस्था बनाए रखना:
जिले में शांति, सुरक्षा और सामाजिक स्थिरता सुनिश्चित करना तथा पुलिस प्रशासन के कार्यों की देखरेख करना। - विकास योजनाओं की निगरानी:
विभिन्न सरकारी विकास कार्यक्रमों, योजनाओं एवं परियोजनाओं का क्रियान्वयन कराना और उनकी प्रगति रिपोर्ट तैयार करना। - राजस्व एवं भूमि प्रबंधन:
भूमि अभिलेखों का रख-रखाव, भू-अधिग्रहण, राजस्व वसूली और भूमि संबंधी विवादों का निस्तारण करना। - चुनाव कार्य:
जिले में चुनावों का संचालन, सुरक्षा व्यवस्था तथा निष्पक्ष मतदान सुनिश्चित करना। - आपदा प्रबंधन:
बाढ़, सूखा, महामारी आदि प्राकृतिक आपदाओं में राहत एवं बचाव कार्यों का नेतृत्व करना। - समन्वयकारी भूमिका:
जिले के सभी विभागों के बीच समन्वय स्थापित करना तथा आवश्यक दिशा-निर्देश देना। - न्यायिक एवं प्रशासनिक कार्य:
मजिस्ट्रेट के रूप में धारा 144 लागू करना, लाइसेंस एवं परमिट जारी करना तथा शिकायतों का समाधान करना। - जन-सुनवाई एवं सार्वजनिक सेवा:
जनता की समस्याएँ सुनना, समाधान देना तथा शासन-जनता के बीच संपर्क बनाए रखना।
39. नदियों के किनारे सभ्यताओं के विकसित होने के कारणों पर प्रकाश डालिए।
Ans. प्राचीन काल में अधिकांश महान सभ्यताएँ नदियों के किनारे विकसित हुईं, क्योंकि नदियाँ मानव जीवन एवं आर्थिक विकास के लिए अत्यंत अनुकूल परिस्थितियाँ प्रदान करती थीं। इसके मुख्य कारण निम्नलिखित हैं—
- उर्वरा भूमि की उपलब्धता:
नदियों द्वारा लाई गई मिट्टी अत्यंत उपजाऊ होती थी, जिससे कृषि उत्पादन अधिक होता था। इससे खाद्यान्न की प्रचुरता सुनिश्चित होती थी। - जल की निरंतर उपलब्धता:
पीने, खेती, पशुपालन, घरेलू कार्यों और शिल्पकारी के लिए पर्याप्त जल उपलब्ध होता था। - परिवहन एवं व्यापार का विकास:
नदियाँ प्राचीन समय की प्राकृतिक सड़कें थीं। इनके माध्यम से वस्तुओं का आदान-प्रदान सरल था, जिससे व्यापारिक गतिविधियाँ बढ़ीं। - मत्स्य पालन एवं प्राकृतिक संसाधन:
नदियाँ मछलियाँ और अनेक अन्य संसाधन प्रदान करती थीं, जो भोजन और व्यापार दोनों के लिए उपयोगी थे। - जनसंख्या वृद्धि के लिए अनुकूल वातावरण:
पर्याप्त जल, उपजाऊ भूमि और संसाधनों की उपलब्धता के कारण लोग यहाँ बसते गए और नगरों का विकास हुआ। - सुरक्षा एवं रक्षा:
कुछ सभ्यताओं में नदी प्राकृतिक सुरक्षा कवच का कार्य करती थी, जिससे बाहरी आक्रमण कठिन होता था। - उद्योगों का विकास:
मिट्टी, लकड़ी, जल और अन्य संसाधनों की उपलब्धता से कुम्हारी, धातुकर्म आदि उद्योग पनपे।
इन्हीं कारणों से सिंधु घाटी, मिस्र, मेसोपोटामिया, चीनी सभ्यता जैसी महान सभ्यताएँ नदियों के तट पर विकसित हुईं।
40. आश्रम व्यवस्था से आप क्या समझते हैं?
Ans. आश्रम व्यवस्था वैदिक काल में मानव जीवन को चार चरणों में बाँटने की एक महत्वपूर्ण सामाजिक एवं धार्मिक व्यवस्था थी। इसका उद्देश्य व्यक्ति के व्यक्तिगत, सामाजिक, नैतिक तथा आध्यात्मिक विकास को संतुलित रूप से सुनिश्चित करना था। चारों आश्रम इस प्रकार हैं—
- ब्रह्मचर्य आश्रम: जीवन का प्रथम चरण (लगभग 25 वर्ष तक) जिसमें विद्यार्थी गुरुकुल में रहकर शिक्षा, अनुशासन, संयम एवं चरित्र निर्माण सीखता है।
- गृहस्थ आश्रम: दूसरा चरण जिसमें व्यक्ति विवाह करके परिवार का पालन-पोषण करता है, आजीविका कमाता है और समाज व राष्ट्र के प्रति कर्तव्यों का निर्वहन करता है। यह आश्रम समस्त समाज का आधार माना गया है।
- वानप्रस्थ आश्रम: तीसरा चरण जिसमें व्यक्ति सांसारिक दायित्वों से धीरे-धीरे मुक्त होकर आध्यात्मिक जीवन की ओर अग्रसर होता है। परिवार की जिम्मेदारियाँ संतानों को सौंप दी जाती हैं।
- संन्यास आश्रम: अंतिम चरण जिसमें व्यक्ति पूर्ण रूप से भौतिक आकर्षणों का त्याग कर मोक्ष, सत्य और आत्मज्ञान की प्राप्ति के लिए समर्पित हो जाता है।