UP DELED 1st Semester Hindi Question Paper 2025 आप यहां से प्राप्त कर सकते हैं। जिसका कोई भी शुल्क आपसे नही लिया जाएगा, आप आसानी से इसे हल कर सकेंगे । आइए विस्तार से सभी प्रश्नो को जानें –
प्रश्न-पुस्तिका
प्रथम सेमेस्टर-2025
षष्टम् प्रश्न-पत्र
(हिन्दी)
1. सभी प्रश्न अनिवार्य हैं। प्रत्येक प्रश्न के निर्धारित अंक प्रश्न के सम्मुख दिये गये हैं।
2. इस प्रश्न-पत्र में तीन प्रकार के (वस्तुनिष्ठ, अतिलघु उत्तरीय तथा लघु उत्तरीय) प्रश्न हैं। वस्तुनिष्ठ प्रश्नों के सही विकल्प छाँटकर अपनी उत्तर पुस्तिका में लिखें। अति लघु उत्तरीय प्रश्नों के उत्तर लगभग तीस (30) शब्दों में, लघु उत्तरीय प्रश्नों के उत्तर लगभग पचास (50) शब्दों में लिखिए।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
1. अर्द्ध स्वर कहलाते हैं-
(1) अ, इ (2) उ, ऊ
(3) य, व (4) ञ, न
Ans. (3) य, व
2. स्पर्श व्यंजन नहीं है-
(1) क, ख (2) श, ह
(3) च, छ (4) प, फ
Ans. (2) श, ह
3. कोष-कोश का सही अर्थ चुनिए-
(1) अन्न, खजाना (2) खजाना, शब्द संग्रह
(3) शब्द, धन (4) अनाज, भण्डार
Ans. (2) खजाना, शब्द संग्रह
4. निम्नलिखित में कौन सही शब्द (शुद्ध शब्द) है-
(1) परिक्षा (2) परिच्छा
(3) परिच्क्षा (4) परीक्षा
Ans. (4) परीक्षा
5. अं, अः वर्ण कहलाते हैं-
(1) स्वर (2) व्यंजन
(3) अयोगवाह (4) अन्तस्थ
Ans. (3) अयोगवाह
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
6. मूल स्वर कौन-कौन हैं?
Ans. हिन्दी में मूल स्वर 5 हैं— अ, इ, उ, ए, ओ। इनसे ही बाकी स्वर व्यंजन या दीर्घ रूप बनते हैं। ये स्वतंत्र रूप से उच्चरित किए जा सकते हैं।
7. संयुक्त व्यंजन किसे कहते हैं?
Ans. दो या दो से अधिक व्यंजनों के संयोग से बनने वाले वर्ण संयुक्त व्यंजन कहलाते हैं, जैसे— क्ष, त्र, ज्ञ, श्र।
8. अज्ञ, नवीन, अधन एवं अवनि के विलोम शब्द लिखिए।
Ans.
- अज्ञ — ज्ञानी
- नवीन — पुरातन
- अधन — धनी
- अवनि — आकाश
9. अर्द्ध विराम चिह्न सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
Ans. वाक्य में थोड़े बड़े ठहराव को दिखाने के लिए अर्द्ध विराम (;) का प्रयोग होता है।
उदाहरण: राम गया; सीता आई।
10. आगत ध्वनियाँ किसे कहते हैं?
Ans. जो ध्वनियाँ हिन्दी में अन्य भाषाओं जैसे— अरबी, फ़ारसी, अंग्रेज़ी आदि से आई हों, उन्हें आगत ध्वनियाँ कहते हैं।
11. देवनागरी लिपि की दो विशेषताएं लिखिए।
Ans.
- यह ध्वन्यात्मक लिपि है— जैसा उच्चारण, वैसा लेखन।
- इसमें वरमाला का क्रम व्यवस्थित है— स्वर अलग और व्यंजन अलग।
लघु उत्तरीय प्रश्न
12. भाषायी कौशल क्या है? स्पष्ट कीजिए।
Ans. भाषा को प्रभावी ढंग से प्रयोग करने की क्षमता को भाषायी कौशल कहा जाता है। इसके चार मुख्य अंग होते हैं— सुनना, बोलना, पढ़ना और लिखना। इन कौशलों के माध्यम से व्यक्ति न केवल अपनी बात स्पष्ट रूप से व्यक्त करता है बल्कि दूसरों की बात को सही प्रकार से समझ भी पाता है।
भाषायी कौशल विद्यार्थियों में संप्रेषण क्षमता, शब्दज्ञान, उच्चारण तथा अभिव्यक्ति को विकसित करते हैं और भाषा सीखने की प्रक्रिया को आसान बनाते हैं।
13. ‘र’ वर्ण को कितने प्रकार से लिखते हैं? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
Ans. ‘र‘ वर्ण को मुख्यतः तीन प्रकार से लिखा जाता है। ये रूप शब्द में उसके स्थान और प्रयोग के अनुसार बदलते हैं:
1. पूर्ण रूप (साधारण र)
जब ‘र’ शब्द के प्रारम्भ, मध्य या अंत में सामान्य रूप से लिखा जाए।
उदाहरण:
- राम
- करम
- पार
2. रेफ़ (Reph)
जब ‘र’ किसी व्यंजन से पहले आता है, तो ऊपर की ओर एक तिरछी रेखा लगाकर ‘रेफ़’ बनाया जाता है।
उदाहरण:
- र्हदय → रहदय (हृदय)
- र्स्वत → रसवत (स्वर्ग)
- र्म्य → रम्य
(जैसे – हृदय = ह + रेफ़ (र) + दय)
3. रफ़ार / पदबद्ध र (Rakār)
जब ‘र’ किसी व्यंजन के बाद आता है, तो वह नीचे की ओर जोड़कर लिखा जाता है।
उदाहरण:
- क्र → क् + र (जैसे: क्रम)
- प्र → प् + र (जैसे: प्रकाश)
- ग्र → ग् + र (जैसे: ग्राम)
इस प्रकार ‘र’ वर्ण की तीन मुख्य लिखावटें हैं—
पूर्ण र, रेफ़ और रफ़ार, जिन्हें शब्द-रचना के अनुसार प्रयोग किया जाता है।
14. कक्षा शिक्षण में वाचन का महत्त्व बताते हुए वाचन के प्रकार लिखिए।
Ans. कक्षा शिक्षण में वाचन (Reading) का अत्यधिक महत्त्व है क्योंकि यह न केवल भाषा कौशल का विकास करता है बल्कि विद्यार्थियों में ज्ञानार्जन, समझ, विचार-विकास तथा अभिव्यक्ति क्षमता को भी बढ़ाता है।
कक्षा शिक्षण में वाचन का महत्त्व
- भाषा कौशल का विकास
वाचन से शब्द-ज्ञान, उच्चारण, वाक्य-विन्यास तथा भाषा-शुद्धि का विकास होता है। - समझने की क्षमता बढ़ती है
विद्यार्थियों में पाठ को समझने, अर्थ निकालने और विचार बनाने की क्षमता विकसित होती है। - ज्ञान प्राप्ति का प्रमुख साधन
नई जानकारियों, सूचनाओं और विचारों तक पहुँचने का सर्वश्रेष्ठ माध्यम वाचन है। - ध्यान एवं एकाग्रता का विकास
पढ़ने से बच्चों में एकाग्रता, ध्यान और मानसिक अनुशासन बढ़ता है। - मानसिक और बौद्धिक विकास
वाचन के माध्यम से कल्पनाशक्ति, तर्कशक्ति और रचनात्मकता का विकास होता है। - सुनियोजित अध्ययन के लिए आवश्यक
आगे की शिक्षा में सभी विषयों को समझने के लिए अच्छी पढ़ने की क्षमता अनिवार्य होती है।
वाचन के प्रकार
- मूक वाचन (Silent Reading)
यह बिना आवाज किए मन ही मन पढ़ने की प्रक्रिया है। यह तेज, कुशल और समझ-प्रधान वाचन का रूप है। - स्वर वाचन (Loud Reading)
इसमें विद्यार्थी पाठ को स्पष्ट, सही उच्चारण के साथ आवाज में पढ़ते हैं। इससे उच्चारण और बोलने के कौशल का विकास होता है। - सहवाचन (Group/Choral Reading)
पूरी कक्षा एक साथ मिलकर पाठ का वाचन करती है।
यह कमजोर विद्यार्थियों को सहारा देता है। - व्यक्तिगत वाचन (Individual Reading)
प्रत्येक विद्यार्थी को अकेले पढ़ने का अवसर दिया जाता है, जिससे उसकी त्रुटियाँ और क्षमताएँ पहचानी जा सकती हैं। - व्याख्यात्मक वाचन (Interpretative Reading)
इसमें पढ़ते समय भाव, अर्थ और अभिव्यक्ति के साथ वाचन किया जाता है—कविता, कहानी आदि के लिए उपयुक्त।
15. प्रारम्भिक स्तर पर लेखन सिखाने की विधियाँ बताइए।
Ans. प्रारम्भिक स्तर पर बच्चों को लेखन सिखाना एक क्रमबद्ध तथा रोचक प्रक्रिया है। इस स्तर पर बच्चे पहली बार लिखना सीखते हैं, इसलिए सरल, स्पष्ट और अभ्यास-आधारित विधियाँ अपनाई जाती हैं।
प्रारम्भिक स्तर पर लेखन सिखाने की प्रमुख विधियाँ
1. अनुकृति (Imitation) विधि
इसमें शिक्षक पहले अक्षर या शब्द लिखकर दिखाता है और बच्चे उसी को देखकर नकल करते हैं।
- इससे बच्चों को अक्षरों के आकार, दिशा और गति का ज्ञान होता है।
2. बिन्दु जोड़कर लेखन (Dot Method)
अक्षरों या शब्दों के रूप को बिन्दुओं के रूप में दिया जाता है।
बच्चे बिन्दुओं को मिलाकर अक्षर का सही आकार बनाते हैं।
- यह छोटे बच्चों के लिए अत्यंत उपयोगी है।
3. वर्ण-आकृति लेखन विधि (Pattern Writing)
सबसे पहले रेखाएँ, वक्र, आड़ी-तिरछी लकीरें, गोल आकृतियाँ आदि लिखवाई जाती हैं।
- इससे हाथ की पकड़ मज़बूत होती है और अक्षर लिखना आसान होता है।
4. श्रुतलेख (Dictation) विधि
शिक्षक शब्द या वाक्य बोलता है, और विद्यार्थी उन्हें लिखते हैं।
- इससे श्रवण कौशल, वर्तनी और लेखन गति का विकास होता है।
5. चित्र-आधारित लेखन विधि (Picture-based Writing)
चित्र दिखाकर उसके नाम या उससे जुड़े शब्द/वाक्य लिखवाए जाते हैं।
- इससे बच्चों में कल्पनाशक्ति और शब्दज्ञान बढ़ता है।
6. शब्द-गठन विधि (Word Formation Method)
पहले वर्ण सिखाकर उनसे शब्द बनाने की प्रक्रिया अपनाई जाती है।
जैसे— क + म = कम, म + ल = मल
- यह बच्चों को भाषा संरचना समझने में मदद करती है।
7. खेल-आधारित लेखन (Play-way Writing)
लेखन को खेल, गतिविधि और रोचक अभ्यासों के माध्यम से सिखाया जाता है।
- जैसे—फ्लैश कार्ड, अक्षर-पहेली, रेत पर लिखना, बोर्ड पर लिखना आदि।
8. अभ्यास-पुस्तिकाओं का उपयोग (Workbooks)
रेखांकित पृष्ठों का प्रयोग कर अक्षर और शब्दों का नियमित अभ्यास कराया जाता है।
- इससे लेखन में शुद्धता और सुलेख की आदत विकसित होती है।
16. प्राथमिक स्तर पर छात्रों की वर्तनी शुद्ध करने हेतु उपाय लिखिए।
Ans. प्राथमिक स्तर पर छात्रों की वर्तनी (Spelling) सुधारना अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि इसी आधार पर उनका भाषा-ज्ञान मजबूत बनता है। वर्तनी शुद्ध कराने के कुछ प्रभावी उपाय निम्नलिखित हैं—
प्राथमिक स्तर पर वर्तनी शुद्ध करने के उपाय
1. श्रुतलेख (Dictation) का नियमित अभ्यास
प्रतिदिन 5–10 शब्दों का श्रुतलेख कराने से बच्चों की सुनने और लिखने की क्षमता बढ़ती है तथा सही वर्तनी की आदत बनती है।
2. कठिन शब्दों की सूची तैयार कराना
बच्चों को कठिन या सामान्य रूप से गलत लिखे जाने वाले शब्दों की सूची दी जाए और उन्हें घर एवं विद्यालय में दोहराने को कहा जाए।
3. शब्द-भित्ति (Word Wall) का उपयोग
कक्षा में चार्ट पर सामान्य, कठिन और विषय से जुड़े शब्द लिखकर टाँगे जाएँ।
- बच्चे बार-बार देखकर सही वर्तनी सीख जाते हैं।
4. वर्ण और मात्रा अभ्यास
वर्तनी की गलतियाँ अक्सर मात्राओं के कारण होती हैं।
इसलिए मात्राओं—ा, ि, ी, ु, ू, ए, ऐ, ओ, औ—का पर्याप्त अभ्यास कराया जाए।
5. पढ़ने की आदत विकसित कराना
नियमित वाचन से बच्चों के सामने शब्दों की सही आकृति (स्पेलिंग) आती है और वे स्वाभाविक रूप से सही वर्तनी लिखने लगते हैं।
6. शब्दों को तोड़कर लिखने की विधि
बच्चों को शब्दों के खंड बताकर लिखने की विधि सिखाई जाए।
जैसे—
- विद्यालय → वि+द्या़+लय
- पुस्तकालय → पु+स्त+का+लय
इससे वे संरचना समझकर सही लिखते हैं।
7. खेल-आधारित गतिविधियाँ
स्पेलिंग खेल, कार्ड गेम, शब्द-पहेली, मिलान खेल आदि के माध्यम से वर्तनी सीखना सरल और रोचक बन जाता है।
8. त्रुटि सुधार (Error Correction) पद्धति
बच्चों द्वारा लिखे गए शब्दों में गलत वर्तनी को रेखांकित कर उन्हें खुद सुधारने को कहा जाए।
- इससे सीखना आत्मनिर्भर बनता है।
9. सही लेखन मॉडल दिखाना
शिक्षक बोर्ड पर स्पष्ट, साफ और सुलेख में शब्द लिखे जिससे बच्चे सही रूप सीखें।
10. बार-बार पुनरावृत्ति (Revision)
वर्तनी सुधार का सबसे प्रभावी तरीका है — निरंतर अभ्यास और पुनरावृत्ति।
17. विराम चिह्नों के प्रकार लिखिए।
Ans. विराम चिह्न (Punctuation Marks) लेखन को स्पष्ट, सुबोध और प्रभावी बनाते हैं। ये वाक्य में ठहराव, भाव, प्रश्न, विस्मय आदि को स्पष्ट करते हैं। विराम चिह्नों के प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं—
विराम चिह्नों के प्रकार
1. पूर्ण विराम ( । )
वाक्य के पूर्ण होने पर लगाया जाता है।
उदाहरण: राम स्कूल गया।
2. अल्पविराम ( , )
समानार्थक शब्दों, सूची या छोटे ठहराव के लिए।
उदाहरण: सेब, केला, अंगूर फल हैं।
3. अर्द्ध विराम ( ; )
दो सम्बंधित वाक्यों के बीच थोड़ा अधिक ठहराव देने हेतु।
उदाहरण: वह मेहनत करता है; इसलिए सफल है।
4. द्वि-विराम ( : )
सूची, उदाहरण या कथन शुरू करने में।
उदाहरण: प्रमुख फल हैं: सेब, आम, केला।
5. प्रश्नवाचक चिह्न ( ? )
प्रश्नवाचक वाक्य के अंत में।
उदाहरण: तुम्हारा नाम क्या है?
6. विस्मयादिबोधक चिह्न ( ! )
विस्मय, आश्चर्य, क्रोध, खुशी आदि में।
उदाहरण: वाह! तुमने बहुत अच्छा लिखा।
7. उद्धरण चिह्न ( “ ” )
किसी के कथन, संवाद या विशेष शब्द के लिए।
उदाहरण: शिक्षक ने कहा, “मेहनत सफलता की कुंजी है।”
8. कोष्ठक ( ( ) )
अतिरिक्त, विशेष या स्पष्टीकरण हेतु।
उदाहरण: रवि (मेरा मित्र) आज आया।
9. हाइफ़न ( – )
दो शब्दों को जोड़ने में।
उदाहरण: लाल-किला, हिंदी-अंग्रेज़ी शब्दकोश।
10. अपसर्ग चिह्न ( ’ )
संक्षेप या लघु रूप में।
उदाहरण: आज ’कल (आज कल), राम ’चंद्र (रामचंद्र)
11. तिर्यक चिह्न / डैश ( — )
वाक्य में अचानक विचार परिवर्तन या विशेष बल हेतु।
उदाहरण: मैं कह ही रहा था — वह अचानक आ गया।
18. गृहकार्य का महत्त्व स्पष्ट करते हुए, इसके लाभ लिखिए।
Ans. गृहकार्य (Home Work) वह कार्य है जो शिक्षक द्वारा कक्षा में पढ़ाए गए विषयों को और अधिक पक्का करने तथा विद्यार्थियों की स्वयं अध्ययन क्षमता विकसित करने के लिए दिया जाता है। यह सीखने की प्रक्रिया का महत्वपूर्ण भाग है।
गृहकार्य का महत्त्व
- अध्ययन की निरंतरता बनाए रखना
गृहकार्य से विद्यार्थी नियमित रूप से पढ़ाई करते हैं और सीखी हुई सामग्री को भूलते नहीं। - कक्षा में सीखे ज्ञान को मजबूत करना
अभ्यास के माध्यम से विद्यार्थी विषय को गहराई से समझ पाते हैं। - स्वयं अध्ययन की आदत विकसित करना
गृहकार्य से विद्यार्थियों में आत्मनिर्भरता, समय-प्रबंधन और अनुशासन की भावना आती है। - आत्ममूल्यांकन का अवसर
गृहकार्य से छात्र अपनी कमजोरियों को पहचानते हैं और सुधार की दिशा में कार्य करते हैं।
गृहकार्य के लाभ
- व्यावहारिक ज्ञान में वृद्धि
विद्यार्थी सीखे हुए ज्ञान को अभ्यास में लाते हैं, जिससे सीखना प्रभावी होता है। - सृजनात्मकता का विकास
परियोजना, चित्र, लेखन आदि प्रकार के गृहकार्यों से रचनात्मकता बढ़ती है। - अभिभावक-विद्यार्थी-शिक्षक के बीच समन्वय
अभिभावक बच्चों की पढ़ाई से जुड़े रहते हैं, जिससे कुल मिलाकर सीखने की गुणवत्ता बढ़ती है। - समस्या समाधान कौशल का विकास
अलग-अलग प्रश्न हल करने से तर्कशक्ति एवं गणनात्मक क्षमता विकसित होती है। - कक्षा प्रदर्शन में सुधार
नियमित गृहकार्य से विद्यार्थी परीक्षाओं में अच्छा प्रदर्शन करते हैं।