हमारी पृथ्वी एक गतिशील ग्रह है। इसके अंदर एवं बाहर निरंतर परिवर्तन होता रहता है। क्या आपने कभी सोचा है कि पृथ्वी के आंतरिक भाग में क्या है? पृथ्वी किन पदार्थों से बनी है?
पृथ्वी का आंतरिक भाग
एक प्याज की तरह पृथ्वी भी एक के ऊपर एक संकेंद्री परतों से बनी है (चित्र 2.1)। पृथ्वी की सतह की सबसे ऊपरी परत को पर्पटी कहते हैं। यह सबसे पतली परत होती है। यह महाद्वीपीय संहति में 35 किलोमीटर एवं समुद्री सतह में केवल 5 किलोमीटर तक है। महाद्वीपीय संहति मुख्य रूप से सिलिका एवं ऐलुमिना जैसे खनिजों से बनी है। इसलिए इसे सिएल (सि-सिलिका तथा एल-एलुमिना) कहा जाता है। महासागर की पर्पटी मुख्यतः सिलिका एवं मैग्नीशियम की बनी है; इसलिए इसे सिमे (सि-सिलिका तथा मैं-मैग्नीशियम) कहा जाता है (चित्र 2.2)।
पर्पटी के ठीक नीचे मैंटल होता है जो 2900 किलोमीटर की गहराई तक फैला होता है। इसकी सबसे आंतरिक परत क्रोड है, जिसकी त्रिज्या लगभग 3500 किलामीटर है। यह मुख्यतः निकल एवं लोहे की बनी होती है तथा इसे निफे (नि-निकिल तथा फे-फैरस) कहते हैं। केंद्रीय क्रोड का तापमान एवं दाब काफ़ी उच्च होता है।
शैल एवं खनिज
पृथ्वी की पर्पटी अनेक प्रकार के शैलों से बनी है। पृथ्वी की पर्पटी बनाने वाले खनिज पदार्थ के किसी भी प्राकृतिक पिंड को शैल कहते हैं। शैल विभिन्न रंग, आकार एवं गठन की हो सकती हैं।
मुख्य रूप से शैल तीन प्रकार की होती हैं-आग्नेय (इग्नियस) शैल, अवसादी (सेडिमेंट्री) शैल एवं कायांतरित (मेटामोरफिक) शैल।
द्रवित मैग्मा ठंडा होकर ठोस हो जाता है। इस प्रकार बने शैल को आग्नेय शैल कहते हैं। इन्हें प्राथमिक शैल भी कहते हैं। आग्नेय शैल दो प्रकार की होती हैं : अंतर्भेदी शैल एवं बर्हिभेदी शैल।
क्या आप ज्वालामुखी से निकलने वाले लावा की कल्पना कर सकते हैं? वास्तव में आग की तरह लाल द्रवित मैग्मा ही लावा है जो पृथ्वी के आंतरिक भाग से निकलकर सतह पर आता है। जब द्रवित लावा पृथ्वी की सतह पर आता है, यह तेज़ी से ठंडा होकर ठोस बन जाता है। पर्पटी पर इस प्रकार से बने शैल को बर्हिभेदी आग्नेय शैल कहते हैं। इनकी संरचना बहुत महीन दानों वाली होती है। उदाहरण के लिए बेसाल्ट । दक्कन पठार बेसाल्ट शैलों से ही बना है। द्रवित मैग्मा कभी-कभी भू-पर्पटी के अंदर गहराई में ही ठंडा हो जाता है। इस प्रकार बने ठोस शैलों को अंतर्भेदी आग्नेय शैल कहते हैं। धीरे-धीरे ठंडा होने के कारण ये बड़े दानों का रूप ले लेते हैं। ग्रेनाइट ऐसे ही शैल का एक उदाहरण है। लेई/मसालों तथा दानों का चूर्ण बनाने के लिए जिन अपघर्षण पत्थरों का उपयोग होता है वे ग्रेनाइट के बने होते हैं।
शैल लुढ़ककर, चटककर तथा एक-दूसरे से टकराकर छोटे-छोटे टुकड़ों में टूट जाती हैं। इन छोटे कणों को अवसाद कहते हैं। ये अवसाद हवा, जल आदि के द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुँचाकर, जमा कर दिए जाते हैं। ये अदृढ़ अवसाद दबकर एवं कठोर होकर शैल की परत बनाते हैं। इस प्रकार की शैलों को अवसादी शैल कहते है। उदाहरण के लिए, बलुआ पत्थर, रेत के दानों से बनता है। इन शैलों में पौधों, जानवरों एवं अन्य सूक्ष्म जीवाणुओं, जो कभी इन शैलों पर रहे हैं, के जीवाश्म भी हो सकते हैं।
आग्नेय एवं अवसादी शैल उच्च ताप एवं दाब के कारण कायांतरित शैलों में परिवर्तित हो सकती हैं (चित्र 2.3)। उदाहरण के लिए, चिकनी मिट्टी स्लेट में एवं चूना पत्थर संगमरमर में परिवर्तित हो जाता है।
शैल हमारे लिए बहुत उपयोगी हैं। कठोर शैलों का उपयोग सड़क, घर एवं इमारत बनाने के लिए किया जाता है। आप पत्थरों का उपयोग कई खेलों में करते हैं। उदाहरण के लिए, सात पत्थर (पिट्टू), चिबिड्डी (स्टापू या किट-किट), पाँच पत्थर (गिट्टी), आदि। आप अपने दादा-दादी, माता-पिता, पड़ोसियों आदि से पूछकर कुछ अन्य खेलों की जानकारी प्राप्त करें।
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि किन्हीं निश्चित दशाओं में एक प्रकार की शैल चक्रीय तरीके से एक-दूसरे में परिवर्तित हो जाते हैं। एक शैल से दूसरे शैल में परिवर्तन होने की इस प्रक्रिया को शैल चक्र कहते हैं। आप जानते हैं कि द्रवित मैग्मा ठंडा होकर ठोस आग्नेय शैल बन जाता है। ये आग्नेय शैल छोटे-छोटे टुकड़ों में टूटकर एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानांतरित होकर अवसादी शैल का निर्माण करते हैं। ताप एवं दाब के कारण ये आग्नेय एवं अवसादी शैल कायांतरित शैल में बदल जाते हैं। अत्यधिक ताप एवं दाब के कारण कायांतरित शैल पुनः पिघलकर द्रवित मैग्मा बन जाती है। यह द्रवित मैग्मा पुनः ठंडा होकर ठोस आग्नेय शैल में परिवर्तित हो जाता है (चित्र 2.4)।
शैल विभिन्न खनिजों से बनी होती हैं। खनिज प्राकृतिक रूप में पाए जाने वाले पदार्थ हैं जिनका निश्चित भौतिक गुणधर्म एवं निश्चित रासायनिक मिश्रण होता है। खनिज मानव जाति के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण हैं। कुछ का उपयोग ईंधन की तरह होता है जैसे कोयला, प्राकृतिक गैस एवं पेट्रोलियम । इनका उपयोग उद्योगों, औषधि एवं उर्वरक में भी होता है जैसे-लोहा, एल्यूमिनियम, सोना, यूरेनियम, आदि।
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अभ्यास
1. निम्न प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(क) पृथ्वी की तीन परतें क्या है?
Ans. पृथ्वी की तीन परतें हैं-
1. भू-पर्पटी
2. मेटल
3. क्रोड।
(ख) शैल क्या है?
Ans. पृथ्वी की पर्पटी बनाने वाले खनिज पदार्थ के किसी भी प्राकृतिक पिंड को शैल कहते हैं। शैलें विभिन्न रंग, आकार एवं गठन की हो सकती हैं।
(ग) तीन प्रकार की शैलों के नाम लिखें।
Ans. तीन प्रकार की शैलें –
1. आग्नेय शैल
2. अवसादी शैल
3. कायांतरित शैल
(घ) बहिर्भेदी एवं अंतर्भेदी शैल का निर्माण कैसे होता है?
Ans. जब मेग्मा पृथ्वी की सतह के ऊपर ठंडा होता है तो बहिर्भदी शैल का निर्माण होता है। जब मैग्मा पृथ्वी के भीतर ठंडा होता है तो अंतर्भेदी शैल का निर्माण होता है।
अथवा
बर्तिभदी आग्नेय शैल का निर्माण जब पृथ्वी पर ज्वालामुखी का उदगार होता है तब आग की तरह ताल द्रवित मैम्मा पृथ्वी के आंतरिक भाग से निकलकर सतह पर आता है। जब द्रवित लावा पृथ्वी की सतह पर आता है. तो यह तेजी से ठंडा होकर ठोस बन जाता है। पर्पटी पर इस प्रकार से बने शैल को बर्तिभेदी आग्रेय शैल कहते हैं। इनकी संरचना बहुत महीन दानों वाली होती है। उदाहरण के लिए बेसाल्ट। दक्कन पठार बेसाल्ट शैलों से ही बना है।
अंतर्भेदी आग्नेय शेत- द्रवित मैग्मा कभी-कभी भू-पर्पटी के अंदर गहराई में ही ठंडा हो जाता है। इस प्रकार बने ठोस शैलों को अंतर्भेदी आग्रेय शैल कहते हैं। धीरे-धीरे ठंडा होने के कारण पे बड़े दानों का रूप ले लेते है। ग्रेनाइट ऐसे ही शैल का एक उदाहरण है।
(च) शैल चक्र से आप क्या समझते हैं?
Ans. एक शैल के दूसरे शैल में रूपांतरिक होते रहने के चक्र को शेत चक्र कहते हैं। आग्नेय शैल टूटकर और फिर दबाव और तापमान के कारण अवसादी शैल बन जाती है। आग्नेय और अवसादी शैल रूपांतरित शैल में बदल जाते हैं। रूपांतरित शैत पिघलकर मैग्मा बनती है और फिर उससे आग्नेय शैल का निर्माण होता है।
(छ) शैलों के क्या उपयोग हैं?
Ans. शैतों के उपयोग
1. शैलों से कई दुर्गा, किलों का निर्माण किया जा चुका है तथा भवन निर्माण में भी ये सहायक होते हैं।
2. सड़क निर्माण में सहायक।
3. विभिन्न खेतों में उपयोम।
(ज) कायांतरित शैल क्या है?
Ans. आग्नेय एवं अवसादी शैल उच्चताप एवं दाब के कारण कायांतरित शैलों में परिवर्तित हो सकती है। उदाहरण के लिए चिकनी मिट्टी स्लेट में एवं चूना पत्थर संगमरमर में परिवर्तित हो जाता है।
2. सही (✓) उत्तर चिह्नित कीजिए-
(क) द्रवित मैग्मा से बने शैल
(i) आग्नेय
(ii) अवसादी
(iii) कयांतरित
Ans. आग्नेय
(ख) पृथ्वी की सबसे भीतरी परत
(i) पर्पटी
(ii) क्रोड
(iii) मैंटल
Ans. क्रोड
(ग) सोना, पेट्रोलियम एवं कोयला किसके उदाहरण है?
(i) शैल
(ii) खनिज
(iii) जीवाश्म
Ans. खनिज
(घ) शैल, जिसमें जीवाश्म होते हैं
(i) अवसादी शैल
(ii) कायांतरित शैल
(iii) आग्नेय शैल
Ans. अवसादी शैल
(च) पृथ्वी की सबसे पतली परत है
(i) पर्पटी
(ii) मैंटल
(iii) क्रोड
Ans. पर्पटी
3. निम्नलिखित स्तंभों को मिलाकर सही जोड़े बनाइए-
कॉलम A | कॉलम B |
क्रोड | पृथ्वी की सतह |
खनिज | सड़क एवं इमारत बनाने के लिए उपयोग होता है |
शैल | सिलिका एवं एलुमिना से बनता है |
चिकनी मिट्टी | इसका एक निश्चित रासायनिक मिश्रण होता है |
सिएल | सबसे भीतरी परत |
स्लेट में बदलता है | |
शैल के परिवर्तित होने की प्रक्रिया |
Ans.
क्रोड | सबसे भीतरी परत |
खनिज | इसका एक निश्चित रासायनिक मिश्रण होता है |
शैल | सड़क एवं इमारत बनाने के लिए उपयोग होता है |
चिकनी मिट्टी | स्लेट में बदलता है |
सिएल | सिलिका एवं एलुमिना से बनता है |
4. कारण बताइए-
(क) हम पृथ्वी के केंद्र तक नहीं जा सकते हैं।
Ans. हम पृथ्वी के केन्द्र में निम्न कारणों से नहीं जा सकते
1. पृथ्वी के केन्द्र तक पहुँचने के लिए जो बिल्कुल असंभव है।) आपको समुद्र की सतह परे 6000 किलोमीटर गहराई तक खोदना होगा।
2. पृथ्वी की सतह से नीचे जाने पर तापमान 1 सेंटीग्रेड प्रति 32 मीटर की दर से बढ़ता जाता है।
3. पृथ्वी के केन्द्रीय क्रोड तरल अवस्था में आग का गोला है एवं वहाँ का दाब भी बहुत अधिक है।
(ख) अवसादी शैल अवसाद से बनती है।
Ans. शैलों के अपरदन से छोटे छोटे कण बनते हैं। इन कणों को अवसाद कहते हैं। फिर ये कण पवन और पानी द्वारा कहीं जमा कर दिये जाते हैं। फिर उच्च दाब के कारण ये अवसादी शैल बन जाते हैं।
अथवा
शैल लुढ़ककर चटककर तथा एक-दूसरे से टकराकर छोटे-छोटे टुकड़ों में टूट जाती हैं। इन छोटे कणों को अवसद कहते हैं। ये अवसाद हवा, जल आदि के द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचाकर, जमा कर दिए जाते हैं। ये अदद अवसाद दबकर एवं कठोर होकर शैल की परत बनाते। हैं। इस प्रकार की मौतों को अवसादी शैल कहते हैं। उदाहरण के लिए, बलुआ पत्थर, रेत के दानों से बनता है। इन शैलों में पौधों, जानवरों एवं अन्य सूक्ष्म जीवाणुओं, जो कभी इन मोलों पर रहे हैं. के जीवाश्म भी हो सकते हैं।
(ग) चूना पत्थर संगमरमर में बदलता है।
Ans. चूना पत्थर एक अवसादी शैल है। अवसादी शैल उच्च ताप एवं दाब के कारण कायांतरित शैतों में परिवर्तित हो सकती है। चूना पत्थर भी उच्च ताप एवं दाब के कारण संगमरमर में परिवर्तित हो जाता है।
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