शाम – एक किसान : अध्याय 6

आकाश का साफ़ा बाँधकर
सूरज की चिलम खींचता
बैठा है पहाड़,
घुटनों पर पड़ी है नदी चादर-सी,
पास ही दहक रही है
पलाश के जंगल की अँगीठी
अँधकार दूर पूर्व में
सिमटा बैठा है भेड़ों के गल्ले-सा।

अचानक बोला मोर।
जैसे किसी ने आवाज़ दी-
‘सुनते हो’।
चिलम औंधी
धुआँ उठा-
सूरज डूबा
अँधेरा छा गया।

कविता के बारे में

कवि ने किसान के रूप में जाड़े की शाम के प्राकृतिक दृश्य का चित्रण किया है। इस प्राकृतिक दृश्य में पहाड़-बैठे हुए एक किसान की तरह दिखाई दे रहा है, आकाश-उसके सिर पर बँधे साने के समान, पहाड़ के नीचे बहती हुई नदी-घुटनों पर रखी चादर-सी, पलाश के पेड़ों पर खिले लाल-लाल फूल-जलती अँगीठी के समान, पूर्व क्षितिज पर घना होता अँधकार-झुंड में बैठी भेड़ों जैसा और पश्चिम दिशा में डूबता सूरज-चिलम पर सुलगती आग की भाँति दिख रहा है। यह पूरा दृश्य शांत है। अचानक मोर बोल उठता है। मानो किसी ने आवाज लगाई ‘सुनते हो’। इसके बाद यह दृश्य घटना में बदल जाता है-चिलम उलट जाती है, आग बुझ जाती है, धुआँ उठने लगता है, सूरज डूब जाता है, शाम ढल जाती है और रात का अँधेरा छा जाता है।

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प्रश्न अभ्यास

कविता से

1. इस कविता में शाम के दृश्य को किसान के रूप में दिखाया गया है-यह एक रूपक है। इसे बनाने के लिए पाँच एकरूपताओं की जोड़ी बनाई गई है। उन्हें उपमा कहते हैं। पहली एकरूपता आकाश और साझे में दिखाते हुए कविता में ‘आकाश का साफ़ा’ वाक्यांश आया है। इसी तरह तीसरी एकरूपता नदी और चादर में दिखाई गई है, मानो नदी चादर-सी हो। अब आप दूसरी, चौथी और पाँचवी एकरूपताओं को खोजकर लिखिए।
Ans.
कविता में एकरूपता बनाने वाली उपमाएँ-
(i) सूरज – चिलम
(ii) पहाड़ – किसान
(iii) आकाश – साफ़ा
(iv) अंधकार – भेड़ों का गल्ला
(v) पलाश का जंगल – अंगीठी

2. शाम का दृश्य अपने घर की छत या खिड़की से देखकर बताइए-

(क) शाम कब से शुरू हुई?
(ख) तब से लेकर सूरज डूबने में कितना समय लगा?
(ग) इस बीच आसमान में क्या-क्या परिवर्तन आए?

Ans. शाम में घर की छत या खिड़की से देखने पर पता चला है कि

(क) सूर्य के पश्चिम में पहुँचने के साथ-साथ ही संध्या होने का रंगत होने लगता है।

(ख) शाम से सूरज के डूबने तक में लगभग एक से डेढ़ घंटे का समय लगा।

(ग) इस बीच आसमान में लालिमा छा जाती है, नारंगी तथा बैंगनी रंग के बादलों से आकाश व दिशाएँ ढक गईं।

3. मोर के बोलने पर कवि को लगा जैसे किसी ने कहा हो ‘सुनते हो’। नीचे दिए गए पक्षियों की बोली सुनकर उन्हें भी एक या दो शब्दों में बाँधिए-
कौआ ,कबूतर , तोता
चील , मैना , हंस

Ans.
कबूतर – कहाँ जा रहे हो?
कौआ – सुनो! रात न होने दो।
मैना – तुम मनमोहक हो।
तोता – तुम्हारा समय निराला है।
चील – थोड़ी देर तो रुको।
हंस – तुम्हारा कोई मुकाबला नहीं।

कविता से आगे

1. इस कविता को चित्रित करने के लिए किन-किन रंगों का प्रयोग करना होगा?
Ans.
इस कविता को चित्रित करने के लिए पीला, लाल, आसमानी, नीला, भूरा, सफ़ेद, नारंगी, हरे और काले रंगों का प्रयोग करना चाहिए।

2. शाम के समय ये क्या करते हैं? पता लगाइए और लिखिए-

पक्षी , खिलाड़ी , फलवाले , माँ ,पेड़-पौधे ,पिता जी , किसान, बच्चे

Ans.
(i) पक्षी- अपने घोंसले में लौट आते हैं।
(ii) खिलाड़ी- अपना खेल बंद कर देते हैं।
(iii) फलवाले – फल बेचते हैं।
(iv) माँ- बच्चों के लिए खाना बनाती है।
(v) पेड़-पौधे – अपनी जगह पर खड़े रहते हैं।
(vi) पिताजी – दफ्तर से घर आते हैं।
(vii) किसान – खेतों से लौटकर घर आते हैं।
(viii) बच्चे – खेलते हैं।

3. हिंदी के एक प्रसिद्ध कवि सुमित्रानंदन ने संध्या का वर्णन इस प्रकार किया है-

संध्या का झुटपुट-
बाँसों का झुरमुट-
है चहक रहीं चिड़ियाँ
टी-वी-टी–टुद-टुट्

ऊपर दी गई कविता और सर्वेश्वरदयाल जी की कविता में आपको क्या मुख्य अंतर लगा? लिखिए।
Ans. सुमित्रानंदन पंत द्वारा लिखित कविता में प्रकृति के शाम के समय बाँसों के झुरमुट में चिड़ियों की गतिविधियों का वर्णन है, जबकि कवि सर्वेश्वरदयाल सक्सेना द्वारा अपनी कविता ‘शाम-एक किसान’ के रूप में जाड़े की शाम के प्राकृतिक दृश्य का वर्णन अनुपम ढंग से किया है।

मेरा नाम सुनीत कुमार सिंह है। मैं कुशीनगर, उत्तर प्रदेश का निवासी हूँ। मैं एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हूं।

2 thoughts on “शाम – एक किसान : अध्याय 6”

  1. शाम एक किसान पाठ का सार
    इस कविता के कवि सर्वेश दयाल है। कवि ने किसान के रूप में जाड़े की शाम के प्रकृति के दृश्य का चित्रण किया है। इस प्राकृतिक दृश्य में पहाड़ बैठे हुए एक किसान की तरह दिखाई दे रहा है। पहाड़ के नीचे बहती हुई नदी घुटनों पर चादर सी, पलाश के पेड़ों पर किले लाल-लाल पुष्प जलती अंगीठी के समान , पुरुष क्षितिज पर घना होता अंधेरा झुंड में भेद जैसा और पश्चिम दिशा में डूबता सूरज चिलम पर सोलंकी आज की भांति दिख रहा है। यह पूरा दृश्य शांतहै। अचानक मोर बोल उठता है। मानो किसी ने आवाज लगाई सुनते हो। इसके बाद यह दृश्य घटना में बदल जाता है चिलम उलट जाती है,
    आग बुझ जाती है, दुआ उठने लगता है, सूरज डूब जाता है ,श्याम ढल जाती है और रात का अंधेरा छा जाता है।

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