सूरदास के पद : अध्याय 11

मैया, कबहिं बढ़ेगी चोटी ?
किती बार मोहिं दूध पियत भई, यह अजहूँ है छोटी।
तू जो कहति बल की बेनी ज्यों, है है लाँबी-मोटी ।
‘काढ़त-गुहत न्हवावत जैहै, नागिनी सी भुइँ लोटी।
काँचौ दूध पियावत पचि-पचि, देति न माखन-रोटी।
सूर चिरजीवौ दोउ भैया, हरि-हलधर की जोटी।

तेरैं लाल मेरौ माखन खायौ।
दुपहर दिवस जानि घर सूनो ढूंढ़ि-हँढ़ोरि आपही आयौ।
खोलि किवारि, पैठि मंदिर मैं, दूध-दही सब सखनि खवायौ।
ऊखल चढ़ि, सींके कौ लीन्हौ, अनभावत भुइँ मैं ढरकायौ।
दिन प्रति हानि होति गोरस की, यह ढोटा कौनैं ढंग लायौ।
सूर स्याम कौं हटकि न राखै तैं ही पूत अनोखौ जायौ।

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प्रश्न-अभ्यास

पदों से

1. बालक श्रीकृष्ण किस लोभ के कारण दूध पीने के लिए तैयार हुए?
Ans.
श्रीकृष्ण, बलराम जी की तरह अपनी चोटी चाहते थे परन्तु उनकी चोटी छोटी है। माता यशोदा इसी बात का ताभ उठाकर श्रीकृष्ण को प्रलोभन देते हुए दूध पिलाती हैं कि अगर तुम रोज दूध पिओगे तो तुम्हारी चोटी भी बलराम भैया कि तरह मोटी व बड़ी होगी।

2. श्रीकृष्ण अपनी चोटी के विषय में क्या-क्या सोच रहे थे?
Ans.
श्रीकृष्ण अपनी चोटी के बारे में सोचते थे कि बार-बार लगातार दूध पीने पर भी यह छोटी ही रह गई हैदूध पीते रहने से यह मोटी और लंबी हो जाएगीबार-बार बालों में कंघी करने गूथने आदि से यह बड़ी हो जाएगी।

3. दूध की तुलना में श्रीकृष्ण कौन-से खाद्य पदार्थ को अधिक पसंद करते हैं?
Ans.
दूध की तुलना में श्रीकृष्ण माखन और रोटी अधिक पसंद करते थे

4. ‘तै ही पूत अनोखौ जायौ’ पंक्तियों में ग्वालन के मन के कौन-से भाव मुखरित हो रहे हैं?
Ans.
ते ही पूत अनोखी जायो पंक्तियों में ग्वालन के मन में यशोदा के लिए कृष्ण जैसा पुत्र पाने पर ईर्ष्या की भावना व कृष्ण के उनका माखन चुराने पर क्रोध के भाव मुखरित हो रहे हैं। इसलिए वह यशोदा माता को उलाहना दे रही है।

5. मक्खन चुराते और खाते समय श्रीकृष्ण थोड़ा-सा मक्खन बिखरा क्यों देते हैं?
Ans.
श्रीकृष्ण माखन चुराते समय आधा माखन खुद खाते हैं व आधा अपने सखाओं (मित्रों) को खिलाते हैं। जिसके कारण माखन जगह-जगह जमीन पर गिर जाता है।

6. दोनों पदों में से आपको कौन-सा पद अधिक अच्छा लगा और क्यों?
Ans
. दोनों पदों में मुझे दूसरा पद अधिक अच्छा लगा क्योंकि कृष्ण अपनी बालसुलभ आदतों के कारण माखन की चोरी करते हैं तथा गोपिका उनकी शिकायत माता यशोदा से करती है तथा अंत में कह देती है कि ते ही पूत अनोखो जायो उसका यह कथन अत्यंत प्रासंगिक बन गया है।

अनुमान और कल्पना

1. दूसरे पद को पढ़कर बताइए कि आपके अनुसार उस समय श्रीकृष्ण की उम्र क्या रही होगी?
Ans.
दूसरे पद को पढ़‌कर लगता है कि उस समय श्रीकृष्ण की उम्र चार से सात साल रही होगी तभी उनके छोटे छोटे हाथों से सावधानी बरतने पर भी माखन बिखर जाता था।

2. ऐसा हुआ हो कभी कि माँ के मना करने पर भी घर में उपलब्ध किसी स्वादिष्ट वस्तु को आपने चुपके-चुपके थोड़ा-बहुत खा लिया हो और चोरी पकड़े जाने पर कोई बहाना भी बनाया हो। अपनी आपबीती की तुलना श्रीकृष्ण की बाल लीला से कीजिए।
Ans.
मुझे चॉकलेट खाना बहुत पसंद हैमेरे चचेरे भाई का जन्मदिन था। उसी की तैयारी के लिए सामान लाया जा रहा था। मां ने फ्रिज में दूध रखने के लिए मुझसे कहा, पर यह भी कह दिया कि उसमें रखी चॉकलेट हम सभी शाम को खाएँगे। यह जन्मदिन के अवसर पर सभी में बाँटी जाएगी। उस समय तो मैं दूध रखकर आ गया, पर मेरा सारा ध्यान उन्हीं चॉकलेटों में लगा था। दोपहर में मम्मी की आँख लग गई और मुझे मोका मिल गया। मैंने तीन चॉकलेट निकाल लिए और खाकर उनका कागज बाहर फेंक आया पर पता नहीं एक टुकड़ा कैसे जेब में रह गया। मां को जब शाम में चॉकलेट कम मिले तो उन्होंने सबसे पहले मेरी जेब टटोली। उनके हाथ वह कागज लग गया और मेरी चोरी पकड़ी गई। मैंने बताया कि यह तो कल की खाई चॉकलेट का कागज है पर मेरा बहाना काम न आया। मुझे पापा की डाँट खानी पड़ी।

3. किसी ऐसी घटना के विषय में लिखिए जब किसी ने आपकी शिकायत की हो और फिर आपके किसी अभिभावक (माता-पिता, बड़ा भाई-बहिन इत्यादि) ने आपसे उत्तर माँगा हो।
Ans.
मेरे माता-पिता अभी मोटर साइकिल को हाथ लगाने से मना करते हैं, जबकि मेरे मित्र को तथा मुझे मोटर साइकिल तेज चलाना पसंद है। एक रविवार को में उसकी मोटर साइकिल पर उसे बिठाकर जा रहा था। मैंने अपने मित्र से कहा कि अभी उस मोटर साइ‌किल का ओवरटेक करता हूँ, कह कर मैंने स्पीड बढ़ा दी मैंने वह मोटर साइकिल ओवरटेक कर दी पर थोड़ी ही दूर जाने पर उसके चालक ने मुझे ओवरटेक करके रोका और देखा तो पसीना आ गया, क्योंकि यह तो पापा के मित्र थे। उन्होंने यह बात पापा को बताई तो मुझे शाम को घर पर डाँट पड़ी। मैने भविष्य में ऐसा न करने का वायदा किया।

मेरा नाम सुनीत कुमार सिंह है। मैं कुशीनगर, उत्तर प्रदेश का निवासी हूँ। मैं एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हूं।

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