विद्युत धारा के रासायनिक प्रभाव : अध्याय 11

आपके अभिभावकों ने संभवतः आपको यह चेतावनी दी होगी कि गीले हाथों से किसी भी वैद्युत साधित्र को न छुएँ। परंतु क्या आप जानते हैं कि गीले हाथों से किसी वैद्युत साधित्र को छूना क्यों खतरनाक है?

हम पहले ही सीख चुके हैं कि जो पदार्थ अपने से होकर विद्युत धारा को प्रवाहित होने देते हैं, वे विद्युत के सुचालक (अच्छे चालक) होते हैं। इसके विपरीत जो पदार्थ अपने से होकर विद्युत धारा को आसानी से प्रवाहित नहीं होने देते, वे विद्युत के हीन चालक होते हैं।

कक्षा VI में यह जाँच करने के लिए कि कोई पदार्थ अपने से विद्युत धारा को प्रवाहित होने देता है या नहीं हमने एक संपरीक्षित्र (tester) बनाया था। क्या आपको याद है कि इसे सुनिश्चित करने में संपरीक्षित्र ने हमारी किस प्रकार सहायता की थी?

हमने देखा था कि धातुएँ जैसे ताँबा तथा ऐलुमिनियम विद्युत का चालन करते हैं जबकि कुछ पदार्थ जैसे रबड़, प्लास्टिक तथा लकड़ी विद्युत का चालन नहीं करते। तथापि, अभी तक हमने अपने संपरीक्षित्र (टेस्टर) से केवल उन पदार्थों की जाँच की थी जो ठोस अवस्था में थे। लेकिन द्रवों के प्रकरण में क्या होता है? क्या द्रव भी विद्युत चालन करते हैं? आइए ज्ञात करें।

11.1 क्या द्रव विद्युत चालन करते हैं?

यह जाँच करने के लिए कि द्रव अपने से होकर विद्युत धारा को प्रवाहित होने देते हैं या नहीं हम उसी संपरीक्षित्र (चित्र 11.1) का प्रयोग कर सकते हैं। तथापि, अब हम सेल के स्थान पर बैटरी का उपयोग करेंगे। संपरीक्षित्र का उपयोग करने से पहले हम यह भी परीक्षण करेंगे कि वह कार्य कर रहा है या नहीं।

क्रियाकलाप 11.1

संपरीक्षित्र के सिरों को क्षण भर के लिए एक दूसरे से स्पर्श कराइए। ऐसा करते ही संपरीक्षित्र का परिपथ पूरा हो जाता है और बल्व दीप्त हो जाना चाहिए। तथापि, यदि बल्व दीप्त नहीं होता तो इसका अर्थ है कि संपरिक्षित्र कार्य नहीं कर रहा है। क्या आप इसके संभावित कारण बता सकते है? क्या यह संभव है कि तारों के संयोजन शिथिल हों या बल्व फ्यूज हो गया हो, अथवा आपके सेल बेकार हो गए हों? जाँच कीजिए कि सभी संयोजन कसे हुए हैं या नहीं। यदि संयोजन पहले से ही कसे हुए हैं तो बल्व को बदल दीजिए। अब फिर जाँच कीजिए कि संपरीक्षित्र कार्य कर रहा है या नहीं। यदि यह अब भी कार्य नहीं कर रहा है तो सेलों को बदल दीजिए।

इस प्रकार जब संपरीक्षित्र भलीभांति कार्य करने लगे तो इसका उपयोग विभिन्न द्रवों का परीक्षण करने के लिए कर सकते हैं।

(चेतावनी:-अपने संपरीक्षित्र की आँच करते समय इसके तारों के स्वतंत्र सिरों को केवल कुछ क्षणों से अधिक स्पर्श न कराएँ अन्यथा बैटरी के सेल अत्यंत शीघ्रता से समाप्त हो जाएँगे।)

क्रियाकलाप 11.2

बेकार फेंकी गई बोतलों के प्लास्टिक या रबड़ के कुछ ढक्कन एकत्र करके उन्हें साफ करिए। एक ढक्कन में एक चाय के चम्मच के बराबर नींबू का रस या सिरका उड़ेलिए। अपने संपरीक्षित्र को इस ढक्कन के समीप लाकर उसके सिरों को नींबू के रस या सिरके में (चित्र 11.2) डुबोइए। ध्यान रखिए कि दोनों सिरे परस्पर 1 cm से अधिक दूरी पर न हों लेकिन इसी के साथ-साथ वे एक दूसरे को स्पर्श भी न करें। क्या संपरीक्षित्र का बल्ब दीप्त होता है? क्या नींबू का रस या सिरका विद्युत का चालन करता है? नींबू के रस या सिरके को आप सुचालक या हीन चालक में से किस वर्ग में रखेंगे?

जब संपरीक्षित्र के दोनों सिरों के बीच का द्रव अपने से विद्युत धारा को प्रवाहित होने देता है तो संपरीक्षित्र का परिपथ पूरा हो जाता है। परिपथ में विद्युत धारा प्रवाहित होती है तथा बल्ब दीप्त हो जाता है। जब कोई द्रव विद्युत धारा को अपने से प्रवाहित होने नहीं देता तो संपरीक्षित्र का परिपथ पूरा नहीं होता तथा बल्व दीप्त नहीं होता।

कुछ स्थितियों में द्रव के चालक होने पर भी संभव हो सकता है कि बल्ब दीप्त न हो। ऐसा क्रियाकलाप 11.2 में भी हो सकता है। इसका क्या कारण हो सकता है?

क्या आपको याद है कि बल्ब से विद्युत धारा प्रवाहित होने पर वह दीप्त क्यों होता है? विद्युत धारा के ऊष्मीय प्रभाव के कारण बल्ब का तंतु उच्च ताप तक गर्म होकर दीप्त हो जाता है। तथापि, यदि परिपथ में विद्युत धारा दुर्बल है तो तंतु पर्याप्त गर्म न हो पाने के कारण दीप्त नहीं हो पाता। अब आप यह जानना चाहेंगे कि किसी परिपथ में विद्युत धारा दुर्बल कब होती है?

यद्यपि कोई पदार्थ विद्युत का चालन कर सकता है, परंतु यह संभव है कि वह धातु की भाँति आसानी से विद्युत का चालन न कर पाता हो। जिसके कारण संपरीक्षित्र का परिपथ तो पूरा हो जाता है लेकिन फिर भी इसमें प्रवाहित विद्युत धारा बल्ब को दीप्त करने के लिए दुर्बल हो सकती है। क्या हम कोई ऐसा अन्य संपरीक्षित्र बना सकते हैं जो दुर्बल धारा को भी संसूचित कर सके ?

एक अन्य संपरीक्षित्र बनाने के लिए आप विद्युत धारा के किसी अन्य प्रभाव का उपयोग कर सकते हैं। क्या आपको याद है कि विद्युत धारा चुंबकीय प्रभाव उत्पन्न करती है? जब किसी तार में विद्युत धारा प्रवाहित होती है तो उसके पास रखी चुंबकीय सुई पर क्या प्रभाव पड़ता है? विद्युत धारा के बहुत दुर्बल होने पर भी चुंबकीय सुई में विक्षेप देखा जा सकता है। क्या हम विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव का उपयोग करके कोई संपरीक्षित्र बना सकते हैं। आइए क्रियाकलाप 11.3 द्वारा पता लगाएँ।

आप चित्र 11.2 के संपरीक्षित्र में विद्युत बल्ब के स्थान पर LED (प्रकाश उत्सर्जक डायोड) (चित्र 11.3) का उपयोग कर सकते हैं। LED दुर्बल विद्युत धारा प्रवाहित होने पर भी दीप्त होता है। LED के साथ दो तार जुड़े होते हैं। इन तारों को लीड्स कहते हैं। एक तार दूसरे की अपेक्षा थोड़ा लंबा होता है। याद रखिए कि LED को किसी परिपथ में जोड़ते समय इसके लंबे तार को सदैव बैटरी के धन टर्मिनल से तथा छोटे तार को बैटरी के ऋण टर्मिनल से जोड़ते हैं।

क्रियाकलाप 11.3

माचिस की खाली डिबिया से ट्रे निकालिए। ट्रे पर चित्र में दर्शाए अनुसार एक विद्युत-तार के कुछ फेरे लपेटिए। ट्रे के भीतर एक छोटी चुंबकीय सुई रखिए। अब तार के एक स्वतंत्र सिरे को बैटरी के एक टर्मिनल से जोड़िए। तार के दूसरे सिरे को स्वतंत्र छोड़ दीजिए। तार का एक दूसरा टुकड़ा लेकर बैटरी के दूसरे टर्मिनल से जोड़िए (चित्र 11.4)।

दोनों तारों के स्वतंत्र सिरों को क्षणमात्र के लिए एक दूसरे से स्पर्श कराइए। चुंबकीय सुई को तुरंत विक्षेप दिखाना चाहिए। आपका, तार के दो स्वतंत्र सिरों वाला संपरीक्षित्र तैयार है। अब इस संपरीक्षित्र का उपयोग करके क्रियाकलाप 11.2 को दोहराइए। क्या संपरीक्षित्र के स्वतंत्र सिरों को नींबू के रस में डुबोते ही आपको चुंबकीय सुई में विक्षेप दिखाई देता है? संपरीक्षित्र के सिरों को नींबू के रस से बाहर

निकालिए। उन्हें पानी में डुबोइए और पोंछकर सुखाइए। इस क्रियाकलाप को अन्य द्रवों जैसे टोंटी का पानी, वनस्पति तेल, दूध, शहद आदि के साथ दोहराइए (प्रत्येक द्रव का परीक्षण करने के पश्चात संपरीक्षित्र के सिरों को जल में धोकर तथा पोंछकर सुखाना अवश्य याद रखिए)। प्रत्येक स्थिति में देखिए कि चुंबकीय सुई विक्षेप दर्शाती है अथवा नहीं। अपने प्रेक्षणों को सारणी 11.1 में अंकित कीजिए।

सारणी 11.1 सुचालक/हीन चालक द्रव

पदार्थचुंबकीय सुई विक्षेप दर्शाती है हाँ/नहीं सुचालक/हीन चालक
नींबू का रसहाँअच्छा चालक
सिरका
टोंटी का पानी
वनस्पति तेल
दूध
शहद

सारणी 11.1 से हम देखते हैं कि कुछ द्रव विद्यु के सुचालक हैं तथा कुछ हीन चालक हैं।

जब संपरीक्षित्र के स्वतंत्र सिरे एक दूसरे को नहीं छूते हैं संभव है कि उनके बीच में वायु हो, पहेली को ज्ञात है कि वायु विद्युत की हीन चालक है। परंतु उसने यह भी पढ़ा है कि तड़ित के समय वायु से विद्युत धारा प्रवाहित हो जाती है। वह यह जानना चाहती है कि क्या हर अवस्था में वायु विद्युत की हीन चालक होती है। इसी से प्रेरित होकर बूझो भी यह जानना चाहता है कि क्या हीन चालकों की श्रेणी में रखे अन्य पदार्थ भी विशेष परिस्थितियों में अपने में से विद्युत को प्रवाहित होने देते हैं।

वास्तव में विशेष परिस्थितियों में अधिकांश पदार्थ विद्युत धारा का चालन कर सकते हैं। यही कारण है कि पदार्थों को चालकों तथा विद्युतरोधियों के रूप में वर्गीकृत करने की अपेक्षा, अच्छे चालकों (सुचालकों) तथा हीन चालकों के रूप में वर्गीकृत करने को अधिक मान्यता दी जाती है।

हमने टोंटी के पानी द्वारा विद्युत चालन का परीक्षण किया है। आइए अब आसुत जल द्वारा विद्युत चालन का परीक्षण करते हैं।

क्रियाकलाप 11.4

एक स्वच्छ तथा सूखे प्लास्टिक या रबड़ के ढक्कन में लगभग दो चाय के चम्मच के बराबर आसुत जल भरिए। आप आसुत जल को अपने विद्यालय की प्रयोगशाला से प्राप्त कर सकते हैं। (आप किसी दवाई की दुकान या डॉक्टर या नर्स से भी आसुत जल ले सकते हैं)। संपरीक्षित्र का उपयोग करके परीक्षण कीजिए कि आसुत जल विद्युत चालन करता है अथवा नहीं। आप क्या पाते हैं? क्या आसुत जल विद्युत चालन करता है? अब एक चुटकी साधारण नमक लेकर इसे आसुत जल में घोलिए। फिर परीक्षण कीजिए। इस बार आप क्या निष्कर्ष निकालते हैं?

जब हम आसुत जल में नमक घोलते हैं तो हमें नमक का घोल प्राप्त होता है। यह विद्युत का अच्छा चालक है।

जो जल हमें नलों, हैन्ड पम्पों, कुओं, तालों आदि से प्राप्त होता है वह शुद्ध नहीं होता। इसमें अनेक लवण घुले हो सकते हैं। खनिज लवणों की थोड़ी मात्रा इसमें प्राकृतिक रूप से विद्यमान होती है। इसीलिए यह जल विद्युत का सुचालक होता है। इसके विपरीत, आसुत जल लवणों से मुक्त होने के कारण हीन चालक होता है।

जल में थोड़ी मात्रा में प्राकृतिक रूप से विद्यमान खनिज लवण मानव स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होते हैं। परंतु, ये लवण जल को चालक बना देते हैं। इसीलिए हमें वैद्युत साधित्रों का (उपयोग) कभी भी गीले हाथों से अथवा गीले फर्श पर खड़े होकर नहीं करना चाहिए।

हमने देखा कि जब साधारण लवण को आसुत जल में घोला जाता है तो यह उसे अच्छा चालक बना देता है। वे कौन से अन्य पदार्थ हैं जो आसुत जल में घुलने पर इसे चालक बना देते हैं? आइए पता लगाएँ।

चेतावनी : अगले क्रियाकलाप को केवल अपने अध्यापक, माता-पिता/अभिभावक अथवा किसी वयस्क व्यक्ति की देख रेख में करिए, क्योंकि इसमें अम्ल का प्रयोग सम्मिलित है।

क्रियाकलाप 11.5

बोतलों के प्लास्टिक या रबड़ के तीन स्वच्छ ढक्कन लीजिए। प्रत्येक में लगभग दो चाय के चम्मच के बराबर आसुत जल भरिए। एक ढक्कन के आसुत जल में कुछ बूंदें नींबू के रस या तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल की मिलाइए। अब दूसरे ढक्कन के आसुत जल में कास्टिक सोडा या पोटेशियम आयोडाइड जैसे क्षारक की कुछ बूंदें मिलाइए। तीसरे ढक्कन के आसुत जल में थोड़ी सी चीनी डाल कर घोलिए। परीक्षण कीजिए, इन विलयनों में से कौन सा विलयन विद्युत का चालन करता है और कौन सा नहीं। आपको क्या परिणाम प्राप्त होते हैं?

विद्युत चालन करने वाले अधिकांश द्रव अम्लों, क्षारकों तथा लवणों के विलयन होते हैं।

जब विद्युत धारा किसी चालक-विलयन से प्रवाहित होती है तो क्या वह उस विलयन में कोई प्रभाव उत्पन्न करती है?

11.2 विद्युत धारा के रासायनिक प्रभाव

कक्षा VII में हमनें विद्युत धारा के कुछ प्रभावों के बारे में सीखा था। क्या आप इन प्रभावों की सूची बना सकते है? जब विद्युत धारा किसी चालक-विलयन से प्रवाहित होती है तो यह क्या प्रभाव उत्पन्न करती है? आइए पता लगाएँ।

क्रियाकलाप 11.6

दो बेकार सेलों से सावधानीपूर्वक कार्बन की छड़े निकालिए। उनकी धातु की टोपियों को रेगमाल से साफ़ करके इन पर ताँबे के तार लपेटिए और उन्हें एक बैटरी से जोड़िए (चित्र 11.5)। इन दो छड़ों को हम इलेक्ट्रोड कहते हैं। (कार्बन की छड़ों के स्थान पर आप लगभग 6 cm लम्बी लोहे की कीलें भी ले सकते हैं)।

किसी काँच के गिलास या प्लास्टिक के कटोरे में एक प्याला जल भरिए। जल को और अधिक चालक बनाने के लिए, इसमें एक छोटा चम्मच भरकर साधारण नमक या नींबू के रस की कुछ बूंदें मिलाइए। अब इस विलयन में इलेक्ट्रोडों को डुबोइए। यह सुनिश्चित कीजिए कि कार्बन की छड़ों की धातु की टोपियाँ जल से बाहर रहें। 3-4 मिनट तक प्रतीक्षा कीजिए। इलेक्ट्रोडों को ध्यानपूर्वक देखिए। क्या आप इलेक्ट्रोडों के समीप किसी गैस के बुलबुले देख पाते हैं? क्या हम विलयन में हो रहे परिवर्तनों को रासायनिक परिवर्तन कह सकते है? कक्षा VII में पढ़ी गई रासायनिक परिवर्तन की परिभाषा का स्मरण कीजिए।

सन् 1800 में एक ब्रिटिश रसायनज्ञ, विलियम निकलसन (1753-1815) ने यह दर्शाया कि यदि इलेक्ट्रोड जल में डूबे हों तथा उनके द्वारा विलयन से विद्युत धारा प्रवाहित की जाए तो ऑक्सीजन तथा हाइड्रोजन के बुलबुले उत्पन्न होते हैं। ऑक्सीजन के बुलबुले बैटरी के धन टर्मिनल से जुड़े इलेक्ट्रोड पर तथा हाइड्रोजन के बुलबुले दूसरे इलेक्ट्रोड पर बनते हैं।

किसी चालक विलयन से विद्युत धारा प्रवाहित होने पर रासायनिक अभिक्रियाएँ होती हैं। इसके फलस्वरूप इलेक्ट्रोडों पर गैस के बुलबुले बन सकते है। इलेक्ट्रोडों पर धातु के निक्षेप देखे जा सकते हैं। विलयनों के रंग में परिवर्तन हो सकते हैं। यह रासायनिक अभिक्रिया उपयोग किए जाने वाले विलयन तथा इलेक्ट्रोडों पर निर्भर करती है। ये विद्युत धारा के कुछ रासायनिक प्रभाव है।

बूझो ने यह परीक्षण करने का निश्चय किया कि क्या कुछ फल एवं वनस्पतियाँ भी विद्युत चालन करती हैं या नहीं। उसने एक आलू को दो बराबर भागों में काटा तथा संपरीक्षित्र के ताँबे के तारों को इसमें निर्विष्ट कर दिया। तभी उसकी माँ ने उसे बुला लिया और वह आलू में निर्विष्ट किए गए संपरीक्षित्र के तारों को बाहर निकालना भूल गया। लगभग आधे घंटे के पश्चात जब वह वापस आया तो उसने देखा कि आलू में एक तार के चारों ओर नीला हरा सा धब्बा बन गया है जबकि दूसरे तार के चारों ओर ऐसा कोई धब्बा नहीं है (चित्र 11.6)।

उसे इस प्रेक्षण पर बड़ा आश्चर्य हुआ और उसने पहेली के साथ इस क्रियाकलाप को कई बार दोहराया। उन्होंने पाया कि हर बार धन टर्मिनल से संयोजित तार के चारों ओर ही नीला हरा धब्बा बनता है। उन्होंने अनुभव किया कि यह खोज अत्यंत लाभप्रद है क्योंकि इसका उपयोग किसी बॉक्स में छिपी बैटरी या सेल के धन टर्मिनल की पहचान करने के लिए किया जा सकता है। उन्होंने अपनी इस खोज को बच्चों की एक पत्रिका में छपवाने का निश्चय किया।

याद रखिए कि बुझो ने इस परीक्षण से प्रारम्भ किया था कि आलू विद्युत चालन करता है या नहीं। उसने पाया कि विद्युत धारा आलू में एक रासायनिक प्रभाव उत्पन्न करती है। उसके लिए यह अत्यंत उत्तेजक खोज थी। वास्तव में विज्ञान में कभी-कभी ऐसे भी होता है कि आप खोज किसी चीज को रहे होते हैं और आप कुछ अन्य खोज कर लेते हैं। अनेक महत्वपूर्ण खोजें इसी प्रकार से हुई हैं।

11.3 विद्युतलेपन

स्मरण कीजिए, बिलकुल नयी साइकिल का हैन्डिल तथा पट्टियों के रिम कितने चमकदार होते हैं। तथापि यदि दुर्घटनावश इनमें खरोंच पड़ जाए तो चमकदार परत उतर जाती है और उसके नीचे की सतह इतनी चमकदार नहीं होती। आपने कुछ महिलाओं को ऐसे आभूषण पहने हुए भी देखा होगा जो देखने में सोने के प्रतीत होते हैं। तथापि, लगातार उपयोग से इनकी सोने की परत उतर जाती है और नीचे की चाँदी या किसी अन्य धातु की सतह दिखाई देने लगती है।

इन दोनों ही परिस्थितियों में एक धातु के ऊपर दूसरी धातु की परत चढ़ी होती है। क्या आप जानते हैं कि एक धातु की सतह के ऊपर दूसरी धातु की परत किस प्रकार निक्षेपित कर दी जाती है? आइए इसे स्वयं करके देखें।

क्रियाकलाप 11.7

इस क्रियाकलाप के लिए हमें कॉपर सल्फेट तथा लगभग 10 cm 4 cm साइज़ की ताँबे की दो प्लेट चाहिए। किसी स्वच्छ तथा सूखे बीकर में 250 mL आसुत जल लीजिए। इसमें चाय की दो चम्मच भरकर कॉपर सल्फेट घोलिए। अधिक चालक बनाने के लिए कॉपर सल्फेट विलयन में कुछ बूँदें तनु सल्फ्यूरिक अम्ल की डालिए। ताँबे की प्लेटों को रेगमाल से साफ़ कीजिए। इन्हें पानी में धोकर सुखाइए। ताँबे की प्लेटों को एक बैटरी के टर्मिनलों से संयोजित कीजिए और उन्हें कॉपर सल्फेट के विलयन में डुबोइए (चित्र 11.7)।

परिपथ में लगभग 15 मिनट तक विद्युत धारा प्रवाहित होने दीजिए। अब विलयन में से इलेक्ट्रोडों को हटाइए तथा उन्हें ध्यानपूर्वक देखिए। क्या उनमें से किसी एक में कुछ अन्तर पाते हैं? क्या आप इस पर कोई परत चढ़ी देखते हैं? इस परत का रंग कैसा है? बैटरी के उस टर्मिनल को नोट कीजिए जिससे ये इलेक्ट्रोड संयोजित हैं।

जब कॉपर सल्फेट विलयन में विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तो कॉपर सल्फेट, कॉपर तथा सल्फेट में वियोजित हो जाता है। स्वतंत्र कॉपर (ताँबा) बैटरी के ऋण टर्मिनल से संयोजित इलेक्ट्रोड की ओर आकर्षित होता है तथा उस पर निक्षेपित हो जाता है। लेकिन विलयन से कॉपर के क्षय की पूर्ति कैसे होती है?

दूसरे इलेक्ट्रोड से जो ताँबे की प्लेक् से बना है, समान मात्रा का कॉपर विलयन में घुल जाता है। इस प्रकार विलयन से जो कॉपर कम हुआ, वह विलयन में पुनः स्थापित हो जाता है और यह प्रक्रिया चलती रहती है।

इसका अर्थ हुआ कि इस विद्युतलेपन प्रक्रिया में एक इलेक्ट्रोड से कॉपर दूसरे इलेक्ट्रोड को स्थानांतरित होता जाता है।

बूझो को ताँबे की केवल एक प्लेट ही मिल पाई। इसलिए उसने क्रियाकलाप 11.7 को ताँबे की प्लेट के स्थान पर कार्बन की छड़ को बैटरी के ऋण टर्मिनल से संयोजित करके किया। उसे कार्बन की छड़ पर ताँबे की परत चढ़ाने में सफलता प्राप्त हो गई।

विद्युत द्वारा किसी पदार्थ पर किसी वांछित धातु की परत निक्षेपित करने की प्रक्रिया को विद्युतलेपन कहते है। यह विद्युत धारा के रासायनिक प्रभाव का एक सर्वाधिक सामान्य उपयोग है।

विद्युतलेपन अत्यंत उपयोगी प्रक्रम है। उद्योगों में धातु की वस्तुओं पर किसी दूसरी धातु की पतली परत विलेपित करने के लिए इसका व्यापक रूप में उपयोग किया जाता है (चित्र 11.8)। विलेपित किए जाने वाली धातु की परत में कुछ ऐसे वांछित गुण होते हैं जो उस वस्तु की धातु में नहीं होते जिस पर निक्षेपण किया जाता है। उदाहरण के लिए, अनेक वस्तुओं जैसे कार के कुछ भागों, स्नान गृह की टोंटी, गैस बर्नर, साइकिल का हैन्डिल, पहियों के रिम आदि पर क्रोमियम का लेपन किया जाता है।

क्रोमियम चमकदार दिखाई देता है। यह संक्षारित नहीं होता। यह खरोंचों का प्रतिरोध करता है। तथापि, क्रोमियम मँहगा है तथा किसी पूरी वस्तु को क्रोमियम से बनाना आर्थिक दृष्टि से व्यावहारिक नहीं होता। इसलिए वस्तु को किसी सस्ती धातु से बनाया जाता है और इस पर केवल क्रोमियम की परत ही निक्षेपित कर दी जाती है।

आभूषण बनाने वाले सस्ती धातुओं पर चाँदी तथा सोने का विद्युतलेपन करते हैं। ये आभूषण देखने में चाँदी या सोने के प्रतीत होते हैं लेकिन वास्तव में अपेक्षाकृत बहुत सस्ते होते हैं।

खाद्य पदार्थों के भंडारण के लिए उपयोग किए जाने वाले टिन के डिब्बों में लोहे के ऊपर टिन का विद्युतलेपन किया जाता है। टिन लोहे से कम क्रियाशील होता है। इस प्रकार खाद्य पदार्थ लोहे के सम्पर्क में नहीं आते और खराब होने से बच जाते हैं।

पुलों तथा स्वचालित वाहनों को प्रबल बनाने के लिए लोहे का उपयोग किया जाता है। तथापि, लोहे में संक्षारित होने तथा जंग लगने की प्रवृत्ति होती है। अतः इसे संक्षारण तथा जंग लगने से बचाने के लिए लोहे पर जिंक की परत निक्षेपित कर दी जाती है।

विद्युतलेपन कारखानों में उपयोग किए जा चुके विलयनों का निपटारा किया जाना भी एक मुख्य समस्या है। यह एक प्रदूषणकारी अपशिष्ट है तथा पर्यावरण संरक्षण के लिए इस प्रकार के प्रदूषकों के निपटारे के लिए विशिष्ट दिशा निर्देश दिए गए हैं।

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आपने क्या सीखा

• कुछ द्रव विद्युत के सुचालक हैं तथा कुछ हीन चालक हैं।

• विद्युत चालन करने वाले अधिकांश द्रव अम्लों, क्षारकों तथा लवणों के विलयन होते हैं।

• किसी चालक द्रव में विद्युत धारा प्रवाहित होने पर रासायनिक अभिक्रियाएँ होती हैं। इसे विद्युत धारा का रासायनिक प्रभाव कहते हैं।

• विद्युत धारा द्वारा किसी पदार्थ पर वांछित धातु की परत निक्षेपित करने की प्रक्रिया को विद्युतलेपन कहते हैं।

अभ्यास

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

(a) विद्युत चालन करने वाले अधिकांश द्रव अम्ल, क्षार तथा लवण के विलयन होते हैं।

(b) किसी विलयन से विद्युत धारा प्रवाहित होने पर रासायनिक प्रभाव उत्पन्न होता है।

(c) यदि कॉपर सल्फेट विलयन से विद्युत धारा प्रवाहित की जाए तो कॉपर बैटरी के ऋण टर्मिनल से संयोजित प्लेट पर निक्षेपित होता है।

(d) विद्युत धारा द्वारा किसी पदार्थ पर वाचित धातु की परत निक्षेपित करने की प्रक्रिया को विद्युत लेपन कहते हैं।

2.  जब किसी संपरीक्षित्र के स्वतंत्र सिरों को किसी विलयन में डुबोते हैं तो चुंबकीय सुई विक्षेपित होती है। क्या आप ऐसा होने के कारण की व्याख्या कर सकते हैं?
Ans.
जब किसी संपरीक्षित्र के स्वतंत्र सिरों को किसी विलयन में डुबोते हैं तो विलयन में विद्युत् धारा के प्रवाहित होने से चुंबकीय सुई विक्षेपित होती है।

3 ऐसे तीन द्रवों के नाम लिखिए जिनका परीक्षण चित्र 11.9 में दर्शाए अनुसार करने पर चुंबकीय सुई विक्षेपित हो सके।

Ans. अम्ल, क्षार और लवण के विलयन।

4. चित्र 11.10 में दर्शायी गई व्यवस्था में बल्ब नहीं जलता। क्या आप सम्भावित कारणों की सूची बना सकते हैं? अपने उत्तर की व्याख्या कीजिए।

Ans. जब कोई द्रव विद्‌युत धारा को अपने से प्रवाहित नहीं होने देता तो संपरीक्षित्र का परिपथ पूरा नहीं होता तथा बल्ब दीप्त नहीं होता। यदि परिपथ में विद्युत धारा दुर्बल हे तो तंतु पर्याप्त गर्म न होने के कारण बल्ब दीप्त नहीं हो पाता।

5. दो द्रवों A तथा B. के विद्युत चालन की जाँच करने के लिए एक संपरीक्षित्र का प्रयोग किया गया। यह देखा गया कि संपरीक्षित्र का बल्ब द्रव A के लिए चमकीला दीप्त हुआ जबकि द्रव B के लिए अत्यंत धीमा दीप्त हुआ। आप निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि:

(i) द्रव A. द्रव B से अच्छा चालक है।

(ii) द्रव B. द्रव A से अच्छा चालक है।

(iii) दोनों द्रवों की चालकता समान है।

(iv) द्रवों की चालकता के गुणों की तुलना इस प्रकार नहीं की जा सकती।

Ans. (i) द्रव A. द्रव B से अच्छा चालक है।

6. क्या शुद्ध जल विद्युत का चालन करता है? यदि नहीं, तो इसे चालक बनाने के लिए हम क्या कर सकते हैं?
Ans.
शुद्ध जल विद्युत का चालन नहीं करता। इसको चालक बनाने के लिए इसमें कुछ बूंदें तनु सल्फ्यूरिक अम्त की डालनी चाहिए।

7. आग लगने के समय, फायरमैन पानी के हौज (पाइपों) का उपयोग करने से पहले उस क्षेत्र की मुख्य विद्युत आपूर्ति को बन्द कर देते हैं। व्याख्या कीजिए कि वे ऐसा क्यों करते हैं।
Ans.
शुद्ध जल वि‌द्युत हीन चालक है. परंतु नल का जल विद्युत् का अच्छा चालक है। विद्युत् के झटके से बचने के लिए फायरमैन पानी के होज (पाइपों) का उपयोग करने से पहले मुख्य विद्‌युत् आपूर्ति को बंद कर देते हैं।

8. तटीय क्षेत्र में रहने वाला एक बालक अपने संपरीक्षित्र से पीने के पानी तथा समुद्र के पानी का परीक्षण करता है। वह देखता है कि समुद्र के पानी के लिए चुंबकीय सुई अधिक विक्षेप दर्शाती है। क्या आप इसके कारण की व्याख्या कर सकते हैं?
Ans.
समुद्र के पानी में लवणों की सघनता अधिक होती है। इसी कारण चुंबकीय सुई अधिक विक्षेपित होती है।

9. क्या तेज वर्षा के समय किसी लाइनमैन के लिए बाहरी मुख्य लाइन के विद्युत तारों की मरम्मत करना सुरक्षित होता है? व्याख्या कीजिए।
Ans.
नहीं. लाइनमैन के लिए वर्षा के समय बाहरी मुख्य लाइन के विद्‌युत तारों की मरम्मत करना सुरक्षित नहीं है क्योंकि वर्षा का जल विद्युत का चालक है, जिससे झटका लगने की संभावना बढ़ जाती है।

10. पहेली ने सुना था कि वर्षा का जल उतना ही शुद्ध है जितना कि आसुत जल। इसलिए उसने एक स्वच्छ काँच के बर्तन में कुछ वर्षों का जल एकत्रित करके संपरीक्षित्र से उसका परीक्षण किया। उसे यह देखकर आश्चर्य हुआ कि चुंबकीय सुई विक्षेप दर्शाती है। इसका क्या कारण हो सकता है?
Ans.
इस बात में सही तथ्य है कि वर्षा का जल आसुत जल की तरह ही शुद्ध होता है। आसुत जल लवणों से मुक्त होने के कारण हीन चालक होता है। लेकिन हवा के कुछ कण जब पानी में घुलते है तो इकट्ठा किया हुआ शुद्ध जल अशुद्ध हो सकता है। ये अशुद्धिया वर्षों के जल में घुल कर इसे विद्युत् का चालक बना देती हैं।

11. अपने आस-पास उपलब्ध विद्युतलेपित वस्तुओं की सूची बनाइए।
Ans.
विद्युत् लेपित वस्तुओं की सूची इस प्रकार है:

(क) कार के कुछ भाग
(ख) खानगृह की टोटी
(ग) गैस बर्नर
(घ) साइकित का हेन्डल
(ङ) पहियों के रिम

12. जो प्रक्रिया आपने क्रियाकलाप 11.7 में देखी वह कॉपर के शोधन में उपयोग होती है। एक पतली शुद्ध कॉपर छड़ एवं एक अशुद्ध कॉपर की छड़ इलेक्ट्रोड के रूप में उपयोग की जाती है। कौन-सा इलेक्ट्रोड बैटरी के धन टर्मिनल से संयोजित किया जाए। कारण भी लिखिए?
Ans.
जब कॉपर सल्फेट विलयन में विद्‌युत् धारा प्रवाहित की जाती है, तो कॉपर सल्फेट, कॉपर और सल्फेट में नियोजित होता है। स्वतंत्र कॉपर बेटरी के ऋण टर्मिनल से संयोजित इलेक्ट्रोड की ओर आकर्षित होता है तथा उस पर निशेपित हो जाता है। इसलिए अशुद्ध कॉपर की छड़ को धन टर्मिनल के साथ संयोजित किया जाना चाहिए क्योंकि यहीं धन टर्मिनल पर जुड़ा शुद्ध कॉपर इलेक्ट्रोड विलयन में कॉपर की आपूर्ति करता है।

मेरा नाम सुनीत कुमार सिंह है। मैं कुशीनगर, उत्तर प्रदेश का निवासी हूँ। मैं एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हूं।

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