संसाधन : अध्याय 1

मोना और राजू अपना घर साफ़ करने में अम्मा की मदद कर रहे थे। “इन सभी चीजों को देखो… कपड़े, बर्तन, अनाज, कंघा, शहद की बोतल, किताबें… इनमें से प्रत्येक उपयोगी है,” मोना ने कहा। “इसलिए ये महत्त्वपूर्ण हैं,” अम्मा ने कहा। “ये संसाधन हैं।” “संसाधन क्या है?” अम्मा से राजू ने प्रश्न पूछा। अम्मा ने बताया, “प्रत्येक वस्तु जिसका उपयोग आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए किया जा सकता है, वह संसाधन है।”

“अपने चारों ओर देखिए और निरीक्षण कीजिए, आप संसाधनों के विविध प्रकारों को पहचानने में सक्षम होंगे। आप प्यास लगने पर जो जल पीते हैं, आप अपने घर में जिस विद्युत का उपयोग करते हैं, स्कूल से घर पहुँचने के लिए उपयोग किया गया रिक्शा, पाठ्यपुस्तक जिसका उपयोग आप अध्ययन के लिए करते हैं, ये सभी संसाधन हैं। आपके पिता ने आपके लिए नाश्ता तैयार किया है। उन्होंने जिन ताजी सब्ज़ियों का उपयोग किया है, वे भी एक संसाधन हैं।”

जल, विद्युत, रिक्शा, सब्जियाँ और पाठ्यपुस्तक सभी में कुछ एक जैसा क्या है? उनमें से सभी वस्तुओं का उपयोग आपके द्वारा किया गया है। इसीलिए वे उपयोगी है। एक वस्तु अथवा पदार्थ की उपयोगिता अथवा प्रयोज्यता उसे एक संसाधन बनाती है।

राजू अब जानना चाहता था कि, “कोई भी वस्तु संसाधन कैसे बनती है?” अम्मा ने बच्चों को बताया वस्तुएँ उस समय संसाधन बनती हैं जब उनका कोई मूल्य होता है। “इसका प्रयोग अथवा उपयोगिता इसे मूल्य प्रदान करते हैं। सभी संसाधन मूल्यवान होते हैं।” अम्मा ने कहा।

मूल्य का अर्थ महत्त्व होता है। कुछ संसाधनों का आर्थिक मूल्य होता है जबकि कुछ संसाधनों का आर्थिक मूल्य नहीं होता है। उदाहरणार्थ धातुओं का आर्थिक मूल्य होता है लेकिन एक मनोरम भूदृश्य का आर्थिक मूल्य नहीं होता है। परन्तु ये दोनों संसाधन महत्त्वपूर्ण हैं और मनुष्य की आवश्यकताओं को पूरा करते हैं।

कुछ संसाधन समय के साथ आर्थिक रूप से मूल्यवान हो सकते हैं। आपकी दादी के घरेलू नुस्खों का आज कोई वाणिज्यिक मूल्य नहीं है। लेकिन यदि वे पेटेन्ट करने के उपरांत मेडिकल फर्म द्वारा बेचे जाते हैं, तब वे आर्थिक रूप से मूल्यवान हो सकते हैं।

समय और प्रौद्योगिकी दो महत्त्वपूर्ण कारक हैं जो पदार्थों को संसाधन में परिवर्तित कर सकते हैं। दोनों लोगों की आवश्यकताओं से संबंधित हैं। लोग स्वयं ही सबसे महत्त्वपूर्ण संसाधन हैं। ये लोगों के विचार, ज्ञान, आविष्कार और खोज ही हैं जो और अधिक संसाधनों की रचना करते हैं। प्रत्येक खोज अथवा आविष्कार से बहुत से अन्य खोज एवं आविष्कार होते हैं। आग की खोज से खाना पकाने की पद्धति एवं अन्य प्रक्रियाओं का प्रचलन हुआ जबकि पहिए के आविष्कार से अन्ततः परिवहन की नवीनतम विधियों का विकास हुआ। जलविद्युत बनाने की प्रौद्योगिकी ने तेजी से बहते जल से ऊर्जा उत्पन्न करके, उसे एक महत्त्वपूर्ण संसाधन बना दिया है।

संसाधनों के प्रकार

सामान्यतः संसाधनों को प्राकृतिक, मानव निर्मित मानव में वर्गीकृत किया गया है।

प्राकृतिक संसाधन

जो संसाधन प्रकृति से प्राप्त होते हैं और अधिक संशोधन के बिना उपयोग में लाए जाते हैं, प्राकृतिक संसाधन कहलाते हैं। वायु, जिसमें हम साँस लेते हैं, हमारी नदियों और झीलों का जल, मृदा और खनिज, सभी प्राकृतिक संसाधन हैं। इन संसाधनों में से बहुत से प्रकृति के निःशुल्क उपहार हैं और सीधे ही उपयोग में लाए जा सकते हैं। कुछ परिस्थितियों में, प्राकृतिक संसाधन का सबसे अच्छी तरह उपयोग करने के लिए औज़ारों और प्रौद्योगिकी की आवश्यकता हो सकती है।

प्राकृतिक संसाधनों को विस्तृत रूप से नवीकरणीय और अनवीकरणीय संसाधनों में विभाजित किया जा सकता है।

नवीकरणीय संसाधन वे संसाधन हैं जो शीघ्रता से नवीकृत अथवा पुनः पूरित हो जाते हैं। इनमें से कुछ असीमित हैं और उन पर मानवीय क्रियाओं का प्रभाव नहीं होता, जैसे सौर और पवन ऊर्जा। लेकिन फिर भी कुछ नवीकरणीय संसाधनों, जैसे जल, मृदा और वन का लापरवाही से किया गया उपयोग उनके भंडार को प्रभावित कर सकता है। जल असीमित नवीकरणीय संसाधन प्रतीत होता है। फिर भी जल की कमी और प्राकृतिक जल स्रोतों का सूखना आज विश्व के बहुत से भागों में एक बड़ी समस्या है।

अनवीकरणीय संसाधन वे संसाधन हैं जिनका भंडार सीमित है। भंडार के एक बार समाप्त होने के बाद उनके नवीकृत अथवा पुनः पूरित होने में हजारों वर्ष लग सकते हैं। यह अवधि मानव जीवन की अवधि से बहुत अधिक है, इस प्रकार के संसाधन अनवीकरणीय कहलाते हैं। कोयला, पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस इसके कुछ उदाहरण हैं।

प्राकृतिक संसाधनों का वितरण भूभाग, जलवायु, ऊँचाई जैसे अनेक भौतिक कारकों पर निर्भर करता है। पृथ्वी पर इन कारकों में विभिन्नता होने के कारण संसाधनों का वितरण असमान है।

मानव निर्मित संसाधन

कभी-कभी प्राकृतिक पदार्थ तब संसाधन बन जाते हैं जब उनका मूल रूप बदल दिया जाता है। लौह अयस्क उस समय तक संसाधन नहीं था जब तक लोगों ने उससे लोहा बनाना नहीं सीखा था। लोग प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग पुल, सड़क, मशीन और वाहन बनाने में करते हैं जो मानव निर्मित संसाधन के नाम से जाने जाते हैं। प्रौद्योगिकी भी एक मानव निर्मित संसाधन है। “इसीलिए हम जैसे लोग प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करके मानव निर्मित संसाधन बनाते हैं”, मोना ने समझाते हुए कहा। “हाँ” राजू ने स्वीकृति में सिर हिलाया।

मानव संसाधन

लोग और अधिक संसाधन बनाने के लिए प्रकृति का सबसे अच्छा उपयोग तभी कर सकते हैं जब उनके पास ऐसा करने का ज्ञान, कौशल तथा प्रौद्योगिकी उपलब्ध हो। इसलिए मनुष्य एक विशिष्ट प्रकार का संसाधन है। अतः, लोग मानव संसाधन हैं। शिक्षा और स्वास्थ्य, लोगों को बहुमूल्य संसाधन बनाने में मदद करते हैं। अधिक संसाधनों के निर्माण में समर्थ होने के लिए लोगों के कौशल में सुधार करना मानव संसाधन विकास कहलाता है।

संसाधन संरक्षण

मोना ने एक बुरा स्वप्न देखा। उसने देखा कि पृथ्वी पर सारा जल सूख गया है और सारे पेड़ कट गए हैं। वहाँ पर न तो छाया ही थी और न कुछ खाने-पीने के लिए था। लोग परेशान हो रहे थे और चारों तरफ भोजन और छाया की तलाश में निराश घूम रहे थे।

उसने अपनी माँ को सपने के बारे में बताया। उसने पूछा, “अम्मा क्या यह सच में हो सकता है?”

“हाँ,” अम्मा ने उत्तर दिया। “यदि हम नवीकरणीय संसाधनों के प्रति सतर्क नहीं रहते हैं तो वे बहुत ही दुर्लभ हो सकते हैं और अनवीकरणीय संसाधन निश्चय ही समाप्त हो सकते हैं।” राजू ने पूछा, “हम इसके लिए क्या कर सकते हैं?” “बहुत कुछ,” अम्मा ने उत्तर दिया, “आप अपने दोस्तों से बात क्यों नहीं करते?”

संसाधनों का सतर्कतापूर्वक उपयोग करना और उन्हें नवीकरण के लिए समय देना, संसाधन संरक्षण कहलाता है। संसाधनों का उपयोग करने की आवश्यकता और भविष्य के लिए उनके संरक्षण में संतुलन बनाए रखना, सततपोषणीय विकास कहलाता है। संसाधनों के संरक्षण के अनेक तरीके हैं। प्रत्येक व्यक्ति उपभोग को कम करके वस्तुओं के पुनः चक्रण और पुनः उपयोग द्वारा योगदान दे सकता है। अन्ततः यह एक विभिन्नता बनाता है क्योंकि सभी जीवन एक-दूसरे से जुड़े हैं।

उस शाम बच्चों और उनके मित्रों ने पुराने समाचारपत्रों, व्यर्थ वस्त्रों तथा बाँस की डण्डियों से लिफाफे और खरीददारी के लिए थैले बनाए। मोना ने कहा, “हम इन वस्तुओं में से कुछ वस्तुएँ उन परिवारों को देंगे जिन्हें हम जानते हैं।” मुस्त‌फा ने कहा, “अपने संसाधनों को बचाना और अपनी पृथ्वी को सजीव रखना यह एक बहुत अच्छा कार्य है।”

जेस्सी ने कहा, “मैं बहुत ही सतर्क रहूंगी कि कागज व्यर्थ न हो।” उसने स्पष्ट किया, “कागज बनाने के लिए बहुत से पेड़ों को काट दिया जाता है।”

“मैं ध्यान रखूँगा कि मेरे घर में विद्युत व्यर्थ न हो,” मुस्तफ़ा ने जोर से कहा, “विद्युत जल और कोयले से मिलती है।” “मैं विश्वास दिलाती हूँ कि घर में जल बेकार नहीं होगा। जल की एक-एक बूँद मूल्यवान है,” आशा ने कहा। बच्चों ने कहा “हम सब मिलकर अन्तर ला सकते हैं।”

यह कुछ कार्य मोना, राजू और उनके मित्रों ने किए हैं। आपका क्या विचार है? आप संसाधन संरक्षण में कैसे मदद करने जा रहे हैं?

हमारी पृथ्वी और इस पर निवास करने वाले लोगों का भविष्य पेड़-पौधों और परितंत्र की सुरक्षा और संरक्षण से जुड़ा है।

अब यह सुनिश्चित करना हमारा कर्त्तव्य हो जाता है कि-

• सभी नवीकरणीय संसाधनों के उपयोग सततपोषणीय हैं।

• पृथ्वी पर जीवन की विविधता संरक्षित की जाए।

• प्राकृतिक पर्यावरणीय तंत्र की हानि को कम-से-कम किया जाए।

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अभ्यास

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए –

(i) पृथ्वी पर संसाधन असमान रूप से क्यों वितरित हैं?
Ans.
पृथ्वी पर संसाधन प्रचुर मात्रा में पाए जाते है। प्राकृतिक संसाधनों का वितरण भूभाग, जलवायु ऊँचाई जैसे अनेक भौतिक कारकों पर निर्भर करता है। पृथ्वी पर इन कारकों में अनेक विभिन्नता पाई जाती है और इन्हीं विभिन्नताओं के कारण पृथ्वी पर संसाधन असमान रूप से वितरित है।

(ii) संसाधन संरक्षण क्या है?
Ans.
संसाधनों का सतर्कतापूर्वक उपयोग करना और उन्हें नवीकरण के लिए समय देना, संसाधन संरक्षण कहलाता है। संसाधनों के संरक्षण के अनेक तरीके है। प्रत्येक व्यक्ति उपभोग को कम करके वस्तुओं के पुनः चक्रण और पुनः उपयोग द्वारा योगदान दे सकता है, अर्थात संसाधन संरक्षण कर सकता है।

(iii) मानव संसाधन महत्त्वपूर्ण क्यों हैं?
Ans.
मानव संसाधन से तात्पर्य लोगों की संख्या और योग्यता (मानसिक तथा शारीरिक) से है। मानव संसाधन इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि मनुष्य की कुशलताएं ही संसाधनों को प्रयोग में लाती है। लोग और अधिक संसाधन बनाने के लिए प्रकृति का सबसे अच्छा उपयोग तभी कर सकते है जब उनके पास ज्ञान, कौशल और प्रोद्योगिकी उपलब्ध हो. और इसमे मनुष्य ही एक विशिष्ट प्रकार का संसाधन है। मनुष्य ही संसाधनों का प्रयोग करना अच्छे से जानता है। शिक्षा और स्वालय का अच्छे से उपयोग करके मानव ने संसाधन को अत्यधिक महत्वपूर्ण बनाया है।

(iv) सततपोषणीय विकास क्या है?
Ans.
संसाधनों का उपयोग करने की आवश्यकता और भविष्य के लिए उनके संरक्षण में संतुलन बनाए रखना, सततपोषणीय विकास कहलाता है। इससे तात्पर्य यह है कि संसाधनों का सावधानीपूर्वक उपयोग ताकि न केवल वर्तमान पीढ़ी की अपितु भावी पीढ़ियों की आवश्यकताएं भी पूरी होती रहें।

2. सही उत्तर पर निशान लगाइए –

(i) निम्नलिखित में से कौन संसाधन को निर्धारित नहीं करता?

(क) उपयोगिता

(ख) मूल्य

(ग) मात्रा

Ans. (ग) मात्रा

(ii) निम्नलिखत में से कौन-सा मानव निर्मित संसाधन है?

(क) कैंसर उपचार की औषधियाँ

(ख) झरने का जल

(ग) उष्णकटिबंधीय वन

Ans. (क) कैंसर उपचार की औषधियाँ

(iii) कथन पूरा कीजिए-

अनवीकरणीय संसाधन …….. होते हैं।

(क) सीमित भंडार वाले

(ख) मनुष्यों द्वारा निर्मित

(ग) निर्जीव वस्तुओं से व्युत्पन्न

Ans. (क) सीमित भंडार वाले

3. क्रियाकलाप –

“रहिमन पानी राखिए बिनु पानी सब सून। पानी गए न ऊबरे मोती, मानुस, चुन..”

ये पंक्तियाँ अकबर के दरबार के नौ रत्नों में से एक, कवि अब्दुर रहीम खानखाना द्वारा लिखी गई थीं। कवि किस प्रकार के संसाधन की ओर संकेत कर रहा है? इस संसाधन के समाप्त हो जाने पर क्या होगा? इसे 100 शब्दों में लिखिए।
Ans.
कवि पानी की ओर संकेत कर रहा है। पानी एक नवीकरणीय संसाधन है। लेकिन पूरी धरती पर जितना पानी है उसका बहुत ही छोटा हिस्सा ताजे पानी के रूप में है और हमारे इस्तेमाल लायक है। पानी का इस्तेमाल न केवल पीने के लिए होता है बल्कि खेती बारी और अधिकतर आर्थिक क्रियाओं के लिए होता है। यदि पानी समाप्त हो जाएगा तो इंसानों के अलावा जंतुओं और पेड़ पौधों का जीवन खतरे में पड़ जाएगा। जेब पेड़ पौधे और जंतु समाप्त हो जाएँगे तो पूरा पारितंत्र नष्ट हो जाएगा। खेती बारी भी नहीं हो पाएगी। ऐसे में मानव अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा।

मेरा नाम सुनीत कुमार सिंह है। मैं कुशीनगर, उत्तर प्रदेश का निवासी हूँ। मैं एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हूं।

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