संसदीय मंच :  24

संसदीय मंचों की स्थापना

वर्ष 2005 में पहला संसदीय फोरम ‘जल संरक्षण एवं प्रबंधन’ पर गठित हुआ।’ इसके पाँच अन्य फोरम भी गठित किए गए।

वर्तमान में 6 संसदीय फोरम कार्यरत हैं 2:

1. जल संरक्षण एवं प्रबंधन पर संसदीय फोरम (2005)

2. युवाओं पर संसदीय फोरम (2006)

3. बच्चों पर संसदीय फोरम (2006)

4. जनसंख्या एवं जन-स्वास्थ्य पर संसदीय फोरम (2008)

5. भूमंडलीय उष्णता एवं जलवायु परिवर्तन पर संसदीय फोरम (2008)

6. आपदा प्रबंधन पर संसदीय फोरम (2011)

फोरमों (मंचों) के उद्देश्य

किसी संसदीय फोरम की स्थापना के निम्न उद्देश्य हो सकते हैं:

1. सदस्यों को एक ऐसा मंच प्रदान करना जहाँ वे सम्बन्धित मंत्रियों, विशेषज्ञों तथा नोडल मंत्रालयों के प्रमुख अधिकारियों के साथ महत्वपूर्ण विषयों पर संकेन्द्रित और सार्थक चर्चा कर सकें, जो परिणामोन्मुख हो और कार्यान्वयन प्रक्रिया को गति प्रदान कर सकें।

2. सदस्यों को प्रमुख चिन्तनीय विषयों के प्रति साथ ही जमीनी वास्तविकताओं के प्रति भी संवेदित करना तथा उन्हें अद्यतन सूचनाओं, तकनीकी ज्ञान तथा देश के एवं विदेशों के विशेषज्ञों द्वारा प्रासंगिक विषय के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दिलाना जिससे कि वे सदन में तथा विभागीय स्थाई समितियों में इन मुद्दों को प्रभावकारी ढंग से उठा सकें।

3. महत्वपूर्ण मुद्दों पर सम्बन्धित मंत्रालय, विश्वस्त गैर-सरकारी संगठनों, समाचार-पत्रों, संयुक्त राष्ट्र, इंटरनेट आदि के माध्यम से आँकड़े एकत्रित कर एक डाटाबेस तैयार करना और उन्हें सदस्यों के बीच वितरित करना, जिससे कि वे फोरम की बैठकों में सार्थक ढंग से भाग लें तथा अधिकारियों एवं विशेषज्ञों से स्पष्टीकरण प्राप्त करें।

इस बारे में सहमति बन गई है कि संसदीय फोरम मंत्रालयों/विभागों से सम्बन्धित स्थाई समितियों (DRSC) के कार्य में हस्तक्षेप नहीं करेगा अथवा उनके अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण नहीं करेगा।

संसदीय फोरम का संघटन (संरचना)

सभी फोरमों के अध्यक्ष लोकसभा अध्यक्ष होते हैं, अपवाद हैं जनसंख्या पर गठित फोरम तथा सार्वजनिक स्वास्थ्य पर गठित फोरम जिनके अध्यक्ष राज्य सभा के सभापति होते हैं तथा सह-अध्यक्ष होते हैं लोकसभा अध्यक्ष, राज्य सभा के उप सभापति, उप लोकसभा अध्यक्ष, सम्बन्धित मंत्री तथा विभागों से सम्बन्धित स्थाई समितियों के अध्यक्ष विभिन्न फोरमों के पदेन उपाध्यक्ष होते हैं।

प्रत्येक फोरम में 31 से अधिक सदस्य नहीं होते (अध्यक्ष, तथा पदेन उपाध्यक्षों को छोड़कर) जिसमें लोकसभा से अधिकतम 21 तथा राज्य सभा से अधिकतम 10 सदस्य होते हैं।

इन फोरमों के सदस्य (अध्यक्ष और उपाध्यक्ष को छोड़कर) लोकसभा अध्यक्ष/सभापति द्वारा नामित किए जाते हैं, जिनमें राजनीतिक दलों/समूहों अथवा उनके द्वारा नामित सदस्य शामिल रहते हैं, जिनका सम्बन्धित विषय में विशेष ज्ञान अथवा अभिरुचि हो।’

सदस्यों का कार्यकाल उनके अपने सदन में सदस्यता के साथ जुड़ा होता है। कोई सदस्य लोकसभा अध्यक्ष/सभापति को लिखित रूप में अपना त्याग-पत्र दे सकता है।

फोरम का अध्यक्ष सदस्यों में एक को सदस्य-संयोजक नियुक्त करता है जो कि नियमित रूप से स्वीकृत कार्यक्रमों/ बैठकों का संचालन अध्यक्ष के परामर्श लेकर करता है। फोरम की बैठकें चालू सत्र में समय-समय पर आयोजित होती रहती हैं।

फोरम के कार्य

जल संरक्षण एवं प्रबंधन पर संसदीय फोरम

इस फोरम के निम्नलिखित कार्य हैं:

1. जल से सम्बन्धित समस्याओं की पहचान करना तथा उन पर सुझाव/अनुशंसा देना, जिससे कि उन पर विचारोपरान्त सरकार या सम्बन्धित संगठन द्वारा उपयुक्त कार्यवाही की जा सके।

2. संसद सदस्यों के अपने-अपने चुनाव क्षेत्रों/राज्यों में जल संसाधन के संरक्षण में उनकी संलग्नता के तरीकों को चिन्हित करना

3. जल संरक्षण एवं उसके कुशल प्रबन्धन के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए संगोष्ठियों एवं कार्यशालाओं का आयोजन।

4. अन्य सम्बन्धित कार्य जिसे उचित समझा जाए। युवाओं पर संसदीय फोरम।

युवाओं के लिए संसदीय फोरम

इस फोरम के निम्नलिखित कार्य हैं:

1. विकासात्मक पहलों को आगे बढ़ाने के लिए युवाओं के अन्दर मौजूद मानव-पूँजी का उपयोग करने के बारे में रणनीतियों पर संकेन्द्रित चर्चा चलाना।

2. जन-नेताओं के बीच तथा तृणमूल स्तर पर सामाजिक आर्थिक परिवर्तन के लिए युवा शक्ति की क्षमताओं के बारे में जागरूकता पैदा करना।

3. युवा प्रतिनिधियों एवं नेताओं के साथ नियमित अन्तः क्रिया करना, जिससे कि उनकी आशाओं, आकांक्षाओं, चिन्ताओं एवं समस्याओं के बारे में जाना और विचार किया जा सके।

4. उन तरीकों पर विचार करना, जिनके माध्यम से संसद की विभिन्न वर्गों के युवाओं तक पहुँच को बढ़ाया जा सके, जिससे कि लोकतान्त्रिक संस्थाओं में उनकी आस्था एवं प्रतिबद्धता बनाई जा सके और उनमें उनकी सक्रिय सहभागिता को भी प्रोत्साहित किया जा सके।

5. विशेषज्ञों, राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय अकादमियों तथा सम्बन्धित सरकार एजेंसियों के साथ चर्चा करके युवा सशक्तिकरण से सम्बन्धित सार्वजनिक नीति की पुनर्रचना की जा सके।

बच्चों के लिए संसदीय फोरम

इस फोरम के निम्नलिखित कार्य हैं:

1. सांसदों में बच्चों के कल्याण पर प्रभाव डालने वाले महत्वपूर्ण मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाना जिससे कि वे विकास प्रक्रिया में बच्चों के उचित स्थान को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक नेतृत्व प्रदान कर सकें।

2. सांसदों को एक ऐसा मंच प्रदान करना जहाँ कि वे बच्चों से सम्बन्धित अपने विचारों, दृष्टिकोणों, अनुभवों तथा विशेषज्ञ प्रचलनों के बारे में सुव्याख्यायित तरीके से कार्यशालाओं, संगोष्ठियों, उन्मुखीकरण कार्यक्रमों के माध्यम से आदान-प्रदान कर सकें।

3. सांसदों को नागरिक समाज के साथ आमने-सामने होने का अवसर प्रदान करना ताकि बच्चों से संबंधित मुद्दों को उजागर किया जा सके तथा स्वयंसेवी क्षेत्र मीडिया तथा कॉरपोरेट क्षेत्र के साथ ही संवाद स्थापित कर प्रभावकारी राजनीतिक भागीदारी को बढ़ावा दिया जा सके।

4. सांसदों को संस्थागत तरीके से विशेषज्ञता प्राप्त संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों, जैसे कि युनिसेफ तथा अन्य तुलनीय बहुपाश्विक एजेंसियों के साथ विशेषज्ञों के प्रतिवेदनों, अध्ययनों, समाचार एवं रुझान विश्लेषणों आदि के बारे में बातचीत करने के अवसर प्रदान करना।

5. ऐसे अन्य कार्य, परियोजना, कार्यभार आदि को हाथ में लेना, जैसा कि फोरम उचित समझे।

जनसंख्या एवं सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए संसदीय फोरम

इस फोरम के निम्नलिखित कार्य हैं:

1. जनसंख्या स्थिरीकरण एवं इससे जुड़े मामलों पर रणनीति बनाने के लिए संकेन्द्रित चर्चा चलाना।

2. जन-स्वास्थ्य से जुड़े मामलों पर चर्चा चलाना एवं रणनीति बनाना।

3. जनसंख्या नियंत्रण एवं जन-स्वास्थ्य के बारे में समाज के सभी वर्गों, खासकर तृणमूल स्तर पर जागरूकता फैलाना।

4. राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विशेषज्ञों के साथ जनसंख्या एवं जन-स्वास्थ्य जैसे मसलों पर चर्चा करना तथा बहुपाश्विक संस्थाओं, जैसे-विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या निधि (UNPF), अकादमिकों एवं सम्बन्धित सरकारी एजेन्सियों के साथ संवाद करना।

भूमंडलीय उष्णता एवं जलवायु परिवर्तन पर संसदीय फोरम

इस फोरम के निम्नलिखित कार्य हैं:

1. भूमंडलीय उष्णता एवं जलवायु परिवर्तन से सम्बन्धित समस्याओं को चिह्नित करना तथा सरकार सम्बन्धित संगठन के स्तर पर भूमंडलीय उष्णता को कम करने के लिए की जाने वाली कार्रवाइयों के बारे में राय देना/अनुशंसा करना।

2. उन तरीकों को चिन्हित करना जिनके द्वारा सांसदों को राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के उन विशेषज्ञों के साथ संवाद स्थापित कराया जा सके जो कि भूमंडलीय उष्णता एवं जलवायु परिवर्तन पर कार्य कर रहे हैं। साथ ही भूमंडलीय उष्णता के न्यूनीकरण से सम्बन्धित नई प्रौद्योगिकी को विकसित करने संबंधी प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए भी कार्य कर रहे हैं।

3. सांसदों में भूमंडलीय उष्णता एवं जलवायु परिवर्तन के कारणों एवं प्रभाव के बारे में जागरूक बनाने के लिए संगोष्ठियों/ कार्यशालाओं का आयोजन करना।

4. उन तरीकों को चिन्हित करना जिनसे कि सांसदों को भूमंडलीय उष्णता एवं जलवायु परिवर्तन को रोकने के बारे में जागरूकता फैलाने में संलग्न किया जा सके।

5. ऐसे दूसरे कार्य जिन्हें फोरम उचित समझे।

आपदा-प्रबन्धन पर संसदीय फोरम

इस फोरम के निम्नलिखित कार्य हैं:

1. आपदा प्रबन्धन से संबंधित समस्याओं की पहचान एवं उन पर चर्चा, तथा;

2. सांसदों को आपदा प्रबन्धन के बारे में सूचना एवं ज्ञान से लैस करना जिससे कि वे मामले की गम्भीरता से अवगत हो सकें तथा इस चिन्तनीय मुद्दे पर परिणामोन्मुख दृष्टिकोण अपनाने के लिए प्रवृत्त किया जा सके।

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मेरा नाम सुनीत कुमार सिंह है। मैं कुशीनगर, उत्तर प्रदेश का निवासी हूँ। मैं एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हूं।

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