जीव कोशिकाओं (Cell) में उपस्थित विलेयों (solutes) के अणुओं में प्रोटीन्स के अणु संख्या में ही नहीं, वरन् संरचनात्मक तथा कार्यात्मक विविधता में भी सबसे अधिक होते हैं। भार में सजीव कोशिका का लगभग 14% भाग तथा मृत व सूखी कोशिका का लगभग 50% भाग प्रोटीन्स का होता है। प्रत्येक कोशिका में हजारों प्रकार की प्रोटीन्स के हजारों अणु होते हैं। स्वयं हमारे शरीर में 50,000 से 100,000 प्रकार के प्रोटीन अणु होते हैं और प्रत्येक प्रकार की प्रोटीन की अपनी पृथक् संरचनात्मक एवं कार्यात्मक विशेषताएँ होती हैं।
ध्यातव्य है कि जिस प्रकार किसी भवन का निर्माण पहले से तैयार किए गए नक्शे या (blueprint) के अनुसार किया जाता है वैसे ही किसी कोशिका के संरचनात्मक एवं क्रियात्मक लक्षणों को संचालित करने वाले विविध प्रोटीन्स का संश्लेषण एक आनुवांशिक रूपरेखा (genetic blueprint) के अनुसार होता है जो कोशिका के DNA अणुओं में होती है। DNA के प्रत्येक अणु के हजारों छोटे-छोटे खण्ड जीन्स (genes) कहलाते हैं। प्रत्येक जीन में एक विशेष प्रकार की प्रोटीन की रूपरेखा होती है। इसीलिए कोशिकाओं में इतने विभिन्न प्रकार की प्रोटीन्स के अणु पाए जाते हैं।
• इनके संयोजन में कार्बन, हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन के अतिरिक्त, लगभग 16% नाइट्रोजन भी होती है।* यही नहीं, इनमें गन्धक, फास्फोरस, आयोडीन तथा लौह आदि के अंश भी प्रायः होते हैं।*
• पूर्ण विखण्डन पर शुद्ध प्रोटीन्स के अणु सरल अमीनो अम्लों के अणुओं में टूटते हैं। अतः प्रोटीन्स अमीनों अम्लों के यौगिक होते हैं, अर्थात अमीनों अम्ल इनकी संयोजक इकाइयाँ (monomers) होती हैं।
• प्रकृति में 20-22 प्रकार के अमीनों अम्ल पाये जाते हैं। स्तनियों में इनमें से केवल 10 ही शरीर में बनते हैं जबकि 10 अमीनों अम्ल को बाहर से लेना पड़ा है, कारणस्वरूप इन्हें क्रमशः अनानिवार्य और अनिवार्य अमीनो अम्ल (Nonessential & Essential amino acids) कहा जाता है। यथा-
अननिवार्य अमीनो अम्ल | अनिवार्य अमीनो अम्ल |
(1) ऐलैनीन (Alinine) | (1) आर्जिनीन (Arginine)’ |
(2) ऐस्पैरैजीन (Asparagine) | (2) हिस्टिडीन (Histidine)’ |
(3) ऐस्पार्टेट (Asparatate) | (3) आइसोल्यूसीन (Isoleucine) |
(4) सिस्टीन (Cysteine) | (4) ल्यूसीन (Leucine) |
(5) ग्लूटैमैट (Glutamate) | (5) लाइसीन (Lysine) |
(6) ग्लूटैमीन (Glutamine) | (6) मिथिओनीन (Methionine) |
(7) ग्लाइसीन (Glycine) | (7) फीनाइलऐलैनीन (Phenylalanine) |
(8) प्रोलीन (Proline) | (8) थियोनीन (Theonine) |
(9) सेरीन (Serine) | (9) ट्रिप्टोफैन (Tryptophan) |
(10) टाइरोसीन (Tyrosine) | (10) वैलीन (Valine) |
• जब एक अमीनों अम्ल के अणु का कार्बोक्सिल समूह दूसरे के एमीनों समूह से जुड़ता है तो जल का एक अणु निकल जाता है और एक डाइपेटाइड यौगिक बन जाता है इसे पेप्टाइड बन्ध (peptide or amide bond) कहते हैं। ऐसे ही बन्धों द्वारा जुड़-जुड़कर विभिन्न अमीनों अम्ल क्रमशः पेप्टोन्स एवं प्रोअिओजेज नामक जटिल पदार्थो का और अन्त में प्रोटीन्स का निर्माण करते हैं।
• सभी एन्जाइम, कुछ हार्मोन जैसे इन्सुलिन या थाइरॉक्सिन आदि, एण्टीबॉडीज, एन्टीजन्स, फैक्टर, आदि प्रोटीन्स होते हैं।*
प्रोटीन का संगठन | |
तत्व | प्रतिशत मात्रा |
कार्बन | 50-54% |
ऑक्सीजन | 21-24% |
नाइट्रोजन | 13-16% |
हाइड्रोजन | ~7% |
सल्फर | 0.2-7% |
• अपेक्षाकृत सरल एवं घुलनशील प्रोटीन्स जीवद्रव्य के आधारभूत तरल (जल) में घुली रहती हैं और द्रव्य की भौतिक दशाओं (सॉल- sol एवं जेल-gel) का नियंत्रण करती है।
• तन्तुवत प्रोटीन्स कोशाओं के विभिन्न अंगकों तथा संयोजी ऊतकों की रचना में प्रमुख भाग लेती हैं। अतः ये वृद्धि एवं मरम्मत (ऐनैबोलिज्म) के लिए आवश्यक होती हैं। इन्हें इसीलिये संरचना प्रोटीन्स (structural proteins) कहते हैं।
• अनेक जटिल प्रोटीन्स मेटाबोलिक प्रतिक्रियाओं में उत्प्रेरकों अर्थात एन्जामों का काम करती हैं।
• कुछ प्रोटीन्स हॉर्मोन्स के रूप में, कोशाओं की क्रियाओं का नियमन करती हैं। इन्हें नियामक प्रोटीन्स (regulatory proteins) कहते हैं।
• अनाज, अण्डों, दूध आदि की पोषक प्रोटीन्स से ऐसे अमीनों अम्ल प्राप्त होते हैं जिनके डीऐमीनेशन के बाद कार्बोक्सिल अंश ऊर्जा उत्पादन या वसा-संश्लेषण में भाग लेते हैं।
• रुधिर में संचरित कुछ परिवहन प्रोटीन्स विशिष्ट पदाथों को शरीर के एक भाग से दूसरे भागों के बीच लाने-ले जाने का काम करती हैं। उदाहरणार्थ, रुधिर की होमोग्लोबिन ०, का संवहन करती है। इसी प्रकार, रुधिर प्लाज्मा की लाइपोप्रोटीन्स वसाओं का यकृत से वसीय ऊतकों तथा अन्य ऊतकों तक संवहन करती हैं। कोशाकला में उपस्थित कुछ प्रोटीन्स विशिष्ट अणुओं का कला के आर पार संवहन करती हैं।
• प्रोटीन्स स्वभावतः क्षारीय होती हैं और शरीर में अम्ल- क्षार संतुलन बनाये रखने में महत्वपूर्ण सहयोग देती हैं।
• अनेक प्रोटीन्स के संयोजन में अमीनों अम्लों के अतिरिक्त कोई गैरअमीनों अम्ल घटक (nonamino acid componet) होता है। इन्हें संयुक्त प्रोटीन्स (conjugated proteins) तथा इनके गैरअमीनों अम्ल घटकों को प्रायः प्रॉस्थेटिक समूह (prosthetic group) कहते हैं।
अमीनो अम्लों का जैव-संश्लेषण (Biosynthesis of Amino Acids)
जैव तन्त्रों में नाइट्रोजन की प्रविष्टि (Entry of Nitrogen into Biosystems)- जैव तन्त्रों में नाइट्रोजन की प्रविष्टि उन नाइट्रेट्स (nitrates) के माध्यम से होती है जिन्हें मिट्टी अर्थात् मृदा (soil) से लेकर अधिकांश जीवाणु (bacteria) तथा कवक (fungi) और सारे पादप अमोनिया (ammonia) बनाते हैं। इस सारी अमोनिया की α -कीटोग्लूटरेट (α-ketogluterate) से अभिक्रिया के फलस्वरूप, इन जीवों में सर्वप्रथम ग्लूटैमिक अम्ल (ग्लूटैमैट) तथा ग्लूटैमीन (Glutamate and Glutamine) नामक अमीनो अम्ल बनते हैं। ये अमीनो अम्ल फिर अन्य सभी अमीनो अम्लों के संश्लेषण के लिए अमीनो समूह का योगदान करते हैं अर्थात् ये अमीनो समूह के दाता (donors) होते हैं। इन अमीनों अम्लों के कीटों अम्ल भाग (keto acid parts) उन विविध मध्यवर्ती अणुओं से व्युत्पन्न होते हैं जो ऊर्जा के लिए ग्लूकोस के निम्नीकरण के दौरान बनते हैं। विविध अमीनों अम्ल फिर प्रोटीन अणुओं के एकलकों (monomers) का काम करने के अतिरिक्त कई प्रकार के अन्य नाइट्रोजनीय (nitrogenous) पदार्थों के संश्लेषण हेतु अमीनों समूहों की पूर्ति करते हैं।
डिऐमीनेशन तथा ट्रॉसऐमीनेशन (Deamination & Transamination)
किसी यौगिक के अणु से अमीनों समूह को हटाना डिऐमीनेशन तथा अमीनो समूह को एक अणु से दूसरे अणु में स्थानान्तरित करना ट्रांसऐमीनेशन कहलाता है। मनुष्य सहित सारे स्तनियों में अनानिवार्य अमीनो अम्लों का संश्लेषण ट्रान्सैमिनेज एन्जाइम (Transaminase enzyme) की सहायता से अनिवार्य अमीनो अम्लों से ट्रॉसऐमीनेशन (Transamination) द्वारा ही होता है। इसी प्रकार, अमीनों अम्लों से अन्य नाइट्रोजनीय जैविक अणुओं का संश्लेषण भी Transamination द्वारा ही होता है। इसमें ग्लूटैमैट या ग्लूटैमिक अम्ल (Glutamate or Glutamic acid) मध्यस्थ (intermediary) का काम करता है। ध्यातव्य है कि प्रोटीन्स के अमीनो अम्लों के डिऐमीनेशन के बाद कार्बोक्सिल अंश ऊर्जा-उत्पादन या वसा संश्लेषण में भाग लेते हैं।
अमीनो अम्लों के कार्य (Functions of Amino Acids)
(1) ये प्रोटीन्स की एकलकी इकाइयों (monomeric units) का काम करते हैं।
(2) इनकी पार्श्व श्रृंखलाओं (R समूहों) पर प्रोटीन्स की आकृति, प्रकृति, लोच और दृढ़ता, स्थिरता, रासायनिक अभिक्रियाशीलता, आदि निर्भर करती हैं।
(3) आवश्यकतानुसार प्रोटॉन्स (H*) को देकर या लेकर ये अम्ल- क्षार सन्तुलन बनाए रखते हैं।*
(4) प्रकृति की नाइट्रोजन के जीव तन्त्र में प्रवेश के लिए ग्लूटैमैट तथा ग्लूटैमीन प्रवेश द्वार (gateway) का काम करते हैं।*
(5) निरर्थक अमीनों अम्लों के ऐमीनोहरण (deamination) के बाद बचे हुए α -कीटो अम्ल (α -keto acid) भाग से ऊर्जा प्राप्त की जाती है।*
(6) डिऐमीनेशन के फलस्वरूप कीटोजीनी (ketogenic) अमीनो अम्लों (ल्यूसीन तथा लाइसीन) से ऐसीटोऐसीटेट तथा ऐसीटिल सहएन्जाइम ए बनते हैं। अन्य अमीनो अम्ल ग्लूकोजीनी (glucogenic) होते हैं। डिऐमीनेशन के बाद ये, ग्लूकोनियोजेनिसिस (gluconeoenesis) प्रक्रिया के अन्तर्गत, ग्लूकोस के संश्लेषण हेतु आवश्यक कार्बन परमाणु प्रदान करते हैं। कुछ अमीनो अम्ल कीटोजीनी और ग्लूकोजीनी दोनों होते हैं। ग्लूकोस की कमी होने पर मस्तिष्क की कोशिकाएँ ल्यूसीन से कीटोनकाय बनाकर इनसे जैव ऊर्जा प्राप्त करती हैं।
(7) ग्लाइसीन से पोरफाइरिन वलय (prophyrin ring) बनती है जो हीमोग्लोबिन, साइटोक्रोम्स तथा पर्णहरिम या क्लोरोफिल के अणुओं की रचना में महत्त्वपूर्ण भाग लेती है।
(8) ग्लाइसीन, आर्जिनीन तथा मिथिओनीन से व्युत्पन्न फॉस्फोक्रिटीन (phospocreatine) कंकाल पेशियों में ऊर्जा के भण्डारण का काम करती हैं।
(9) ग्लाइसीन, ग्लूटैमैट एवं सिस्टीन से व्युत्पन्न ग्लूटैथायोन (Glutathione) सभी कोशिकाओं में अपचायक (reducing agent) का काम करता है, जीव कलाओं के आर-पार अमीनो अम्लों के आवागमन में सहायता करता है तथा लाल रुधिराणुओं की कोशिकाकला के अनुरक्षण (maintenance) का काम करता है।
(10) कुछ अमीनो अम्लों से महत्त्वपूर्ण प्रतिजैविक (antibiotic) पदार्थों का संश्लेषण होता है।*
(11) ट्रिप्टोफैन से विटामिन B5, मिलैटोनिन (melatonin-निद्रा- प्रेरक पदार्थ), सीरोटोनिन (serotonin) – तन्त्रिसंचारी – (neurotransmitter), आदि व्युत्पन्न होते हैं।
(12) टाइरोसीन से थाइरॉक्सिन (thyroxine) तथा एपिनेफ्रीन (ephnephrine) हॉरमोन तथा डोपामीन (dopamine) नामक तन्त्रिसंचारी पदार्थ व्युत्पन्न होते हैं। यह एक ऐसा अमीनो अम्ल है, जिसका कार्य मस्तिष्क में एड्रेलिन, नोरएड्रेलिन और डोपामाइन आदि न्यूरोट्रांसमीटर्स का निर्माण करना है। इसकी कमी होने से व्यक्ति स्वयं को दुखी और सुस्त महसूस करता है। टायरोसीन से शारीरिक सतर्कता और ऊर्जा को बढ़ाने में मदद मिलती है।
(13) ग्लूटैमैट के कार्बोक्सिलहरण (decarboxylation) से महत्त्वपूर्ण तन्त्रिसंचारी पदार्थ, γ ऐमीनोबूटाइरेट (γ-aminobutyrate GABA) व्युत्पन्न होते हैं।
(14) हिस्टिडीन महत्त्वपूर्ण उभयप्रतिरोधी (buffer) होता है। इससे व्युत्पन्न हिस्टैमीन (histamine) नामक प्रोटीन ऐलर्जी (allergy) प्रतिक्रियाओं का नियन्त्रण करती है।
(15) ऐलैनीन से विटामिन B, बनता है।
(16) सेरीन से लिपिड्स के नाइट्रोजनीय घटक बनते हैं। इसी से व्युत्पन्न सेलीनोसिस्टीन (selenocystiene) प्रोटीन्स की पोलीपेप्टाइड श्रृंखलाओं के संश्लेषण को mRNA के UGA कोडोन (codon) पर रोकती है।
(17) ऐस्पार्टेट तथा ग्लूटैमैट, धात्विक एन्जाइमों में धातु परमाणुओं का वहन करते हैं।
मुख्य प्रोटीन्स | |
• कोलेजन * | तुन्तुमय संयोजी ऊतक के निर्माण में प्रयुक्त। अस्थि व कार्टिलेज के आधार पदार्थ का निर्माण करना। |
• फ्राइब्रोइन * | रेशम तथा मकड़ियों के धागे का निर्माण करना। |
• केराटिन * | त्वचा, बाल, नाखून, सींग, खुर के निर्माण में सहायक होते हैं। |
• इलास्टिन | यह भी तन्तुमय प्रोटीन है, जो लिंगामेंटस व रुधिर वाहिनियों के पीले ऊतक में मिलता है। |
• गोसिपिन | कपास प्रोटीन है, जो कीट नाशक के रूप में प्रयुक्त होता है। |
• एक्टिन एवं मायोसिन* | सभी कंकालीय पेशियों में संकुचनशीलता का हेतु है। |
• ग्लाएडिन | गेहूं में पाया जाता है। |
• जिन | मक्का में पाये जाने वाला प्रोटीन है। |
• ग्लोब्युलिन * | अण्डे में पाया जाता है। |
• केसीन* | दूध में पाया जाता है, जो सफेद रंग का होता है। |
• ग्लूटेलिन्स | अनाज में पाये जाने वाला प्रोटीन है। |
• प्रोलैमीन्स | दालों में पायी जाने वाली प्रोटीन है। |
• फाइब्रिनोजन तथा थ्रॉम्बिन* | चोट लगने पर रुधिर का थक्का बनाकर रक्तस्राव को रोकती है। |
• हिस्टोन | यह न्यूक्लिओ प्रोटीन है जो आनुवांशिक लक्षणों के विकास एवं वंशागति का नियंत्रण करती हैं। |
• ग्लोबिन * | यह रुधिर में पाये जाने वाला प्रोटीन है, जो हीमोग्लोबिन के रूप में ऑक्सीजन का संवहन करती है। |
• साइटोक्रोम * | यह माइट्रोकाण्ड्यिा में पाये जाने वाला प्रोटीन है जो श्वसन-प्रक्रिया को पूर्ण करने में सहायता करता है। |
• एन्टीबॉडीज | यह सुरक्षात्मक प्रोटीन्स होती है जो हॉनिकारक पदार्थो तथा आक्रमणकारी जीवाणुओं आदि से शरीर की सुरक्षा करती है। |
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