विज्ञान का सामान्य परिचय

‘विज्ञान’ शब्द अंग्रेजी भाषा के शब्द “Science” का हिन्दी रूपान्तर है, जो कि लैटिन भाषा के शब्द “Scientia” से व्युत्पन्न हुआ है, जिसका अर्थ है-जानना (to know)। अर्थात्- “वास्तविक अनुभवों, प्रयोगों व प्रेक्षणों पर आधारित तथ्यों के तार्किक विश्लेषण के परिणाम स्वरुप अर्जित सुसंगठित, सुव्यवस्थित व क्रमबद्ध ज्ञान को विज्ञान कहते हैं।”

ध्यातव्य है कि विज्ञान कहलाने के लिए ज्ञान का सुव्यवस्थित व क्रमबद्ध होना अनिवार्य है।

विज्ञान की विषय-वस्तु (Subject-matter of Science)

विज्ञान में प्रकृति (Nature) का अध्ययन किया जाता है। ब्रह्माण्ड (Universe) में जो कुछ भी द्रव्य (matter) व ऊर्जा (energy) से संगठित या निर्मित (constituted) है, प्रकृति का ही भाग है। इस तरह विज्ञान का विषय क्षेत्र (Scope) बहुत व्यापक है, और कोई भी विषय-वस्तु (Subject-matter) इससे परे नहीं। यथा-‘काल (Time), अंतरिक्ष (space), आकाशीय पिण्ड (celestial bodies), नदी, समुद्र, पर्वत, हवा व संसार के समस्त जैविक (living) एवं अजैविक (non-living) घटक आदि विज्ञान के अध्ययन की विषय-वस्तु हैं।

1. प्रकृति (Nature)- ब्रह्माण्ड में जो भी कुछ स्वनिर्मित, जैविक (living) या अजैविक (non-living) पदार्थ विद्यमान हैं, प्रकृति का ही भाग है। अतः इन सभी को मिलाकर जो परिदृश्य (scenario) प्राप्त होता है, वह प्रकृति है।

2. ब्रह्माण्ड (Universe)- जो भी कुछ अस्तित्व में है-अंतरिक्ष, तारे, ग्रह, सभी आकाशीय पिण्ड, जैविक-अजैविक वस्तुएं सभी मिलकर ब्रह्माण्ड का निर्माण करते हैं। ब्रह्माण्ड अनन्त है।

3. द्रव्य (Matter)- वह वस्तु जो स्थान घेरती है, जिसमें द्रव्यमान (mass) होता है तथा जिसका अनुभव प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष हम अपनी ज्ञानेन्द्रियों (sense-organs) द्वारा कर सकते हैं, द्रव्य या पदार्थ कहलाती है। जैसे-लोहा कोयला, लकड़ी, पत्थर, कागज, ऑक्सीजन, जल इत्यादि।

4. ऊर्जा (Energy)- ऊर्जा कोई द्रव्य न होकर शक्ति (Power) का रूप या स्रोत (Source) होती है, जिसमें कार्य करने की क्षमता होती है। किसी कार्य को करने हेतु ऊर्जा आवश्यक होती है। इसमें न तो द्रव्यमान होता है और न ही यह स्थान घेरती है। परन्तु इसका अनुभव हम अपनी ज्ञानेन्द्रियों द्वारा कर सकते हैं। जैसे-ऊष्मा, प्रकाश, विद्युत तथा ध्वनि आदि। ये सभी ऊर्जा के विभिन्न रूप हैं।

5. द्रव्य-ऊर्जा संबंध (Relation of Matter and Energy)- आइंस्टीन के पूर्व यह माना जाता था कि द्रव्य व ऊर्जा दोनों ही बिल्कुल स्वतंत्र राशियाँ (Independent-quantities) हैं, जिनका आपस में कोई संबंध नहीं है तथा द्रव्य अविनाशी (immortal) होता है, अर्थात् इसे न तो उत्पन्न किया जा सकता है और न ही नष्ट। केवल इसका रूप या अवस्था परिवर्तन ही संभव है। परन्तु आइंस्टीन ने यह सिद्ध किया कि द्रव्य को ऊर्जा में व ऊर्जा को द्रव्य में परिवर्तित किया जा सकता है। इसके लिए उन्होंने E = mc² सूत्र (formula) दिया जिसमें E = ऊर्जा, m = द्रव्य का द्रव्यमान व c = निर्वात में प्रकाश की चाल है। इस सूत्र से हम गणना कर सकते हैं कि एक निश्चित द्रव्यमान (mass) के विनाश (destruction) से कितनी ऊर्जा प्राप्त होगी या कितनी ऊर्जा को कितने द्रव्यमान में परिवर्तित किया जा सकता है।

नाभिकीय विखण्डन (nuclear Fission) से परमाणु बम का निर्माण, नाभिकीय संलयन (nuclear fusion) से सूर्य में ऊष्मा व प्रकाश का उत्पादन तथा ब्रह्माण्ड के उत्पत्ति का विग- बैग सिद्धान्त, आइंस्टीन के उक्त सिद्धान्त को पुष्ट करता है।

विज्ञान के भाग (Parts of Science)

विज्ञान को मुख्य रूप से दो भागों में बाँटा गया है-

(1) प्राकृतिक विज्ञान, (2) सामाजिक विज्ञान

1. प्राकृतिक विज्ञान (Natural Science) – यह विज्ञान का वह भाग है जिसके अंतर्गत प्रकृति (Nature) व इसके घटकों (Components) यथा-आकाश (Space), खगोलीय पिण्डों (Celestial bodies), द्रव्य, ऊर्जा, जीवन (life) इत्यादि की पारस्परिक क्रियाओं व इनमें अंतर्निहित सिद्धान्तों का अध्ययन किया जाता है।

इस तरह हम देख सकते हैं कि प्राकृतिक विज्ञान का क्षेत्र बहुत व्यापक है। इसलिए इसे पुनः दो भागों में बाँटा जा सकता है।

(a) पदार्थ विज्ञान, (b) जीव विज्ञान

(a) पदार्थ विज्ञान (Material Science)- इसके अंतर्गत समस्त अजैविक (non-living) वस्तुओं के गुणों (behaviours) व उनमें अंतर्निहित सिद्धान्तों एवं नियमों का अध्ययन किया जाता है। इसे भी दो भागों में बाँटा जा सकता है-

(i) भौतिक विज्ञान (Physics)

(ii) रसायन विज्ञान (Chemistry)

भौतिक विज्ञान के अंतर्गत द्रव्य ऊर्जा संबंधों व व्यवहारों का अध्ययन किया जाता है, जबकि रसायन विज्ञान के अंतर्गत हम प्रकृति में प्राप्य विभिन्न तत्त्वों के गुण-धर्म का अध्ययन करते हैं। प्रस्तुत पुस्तक में विज्ञान की इन्हीं दोनों शाखाओं का वर्णन है।

(b) जीव विज्ञान (Life Science)- इसके अंतर्गत जीवों (जन्तुओं तथा वनस्पतियों) के वर्गीकरण, गुण, व्यवहार व अन्यान्य जैविक अभिक्रियाओं (Biological reactions) का अध्ययन किया जाता है। [नोट : इसके लिए हमारे प्रकाशन द्वारा ‘जीव विज्ञान’ की अलग से पुस्तक प्रस्तुत की गई है।]

2. सामाजिक विज्ञान (Social Science)- सामाजिक विज्ञान, विज्ञान की वह शाखा है जिसके अंतर्गत हम मानव जीवन के विभिन्न क्षेत्रों का वैज्ञानिक अध्ययन (Scientific study) करते हैं। यथा- अर्थशास्त्र (Economics), समाजशास्त्र (Sociology), राजनीति विज्ञान (Political Science), भूगोल (Geography) इत्यादि।

विज्ञान की महत्त्वपूर्ण शाखाएँ (Important Branches of Science)

अठारहवीं शताब्दी तक विज्ञान को मुख्य रूप से दो भागों में बाँटकर अध्ययन किया जाता था-पदार्थ विज्ञान व जीव विज्ञान।

जीव विज्ञान से संबंधित विभिन्न शाखाओं का वर्णन हमारी सामान्य अध्ययन श्रृंखला के ‘जीव विज्ञान पुस्तक में दी गई है। इसीलिए यहाँ सिर्फ पदार्थ विज्ञान (भौतिकी व रसायन) से संबंधित शाखाओं का उल्लेख किया जा रहा है। यथा-

• यान्त्रिकी (Mechanics)- विभिन्न प्रकार के बलों व उनके प्रभावों का अध्ययन।

• ऊष्मा (Heat) या ऊष्मागतिकी (Thermodynamics) – ऊष्मा की प्रकृति (Nature), उसके संचरण (Transmission) तथा उत्पन्न प्रभावों का अध्ययन।

• प्रकाश (Light) या प्रकाशिकी (Optics)- प्रकाश के उत्पादन, प्रकृति, संचरण तथा उत्पन्न प्रभावों का अध्ययन।

• ध्वनि तरंग (Sound Waves or Accoustics)- ध्वनि तरंगों के उत्पादन, संचरण, प्रकृति व उत्पन्न प्रभावों का अध्ययन।

• वैद्युतिकी (Electricity)- विद्युत आवेश (charge) क उत्पादन, प्रकृति, संचरण व उत्पन्न प्रभावों का अध्ययन।

• चुम्बकत्व (Magnetism)- चुम्बक के गुणों, चुम्बकीय क्षेत्र व उत्पन्न प्रभावों का अध्ययन।

• विद्युत चुम्बकत्व (Electro-magnetism)- विद्युत चुम्बक तथा विद्युत चुम्बकीय विकिरण का अध्ययन किया जाता है।

• माप विज्ञान (Metrology)- तौल एवं माप की विधियों का अध्ययन।

• परमाणु भौतिकी (Atomic Physics)- परमाणु की संरचना व गुणों का अध्ययन ।

• खगोलिकी (Astronomy or space Science) – ब्रह्माण्ड में स्थित मंदाकिनियों (Galaxies), तारों (Stars), ग्रहों (Planets) व उपग्रहों (Satelites) तथा अन्य आकाशीय पिण्डों की उत्पत्ति, विकास व स्थिति का अध्ययन ।

• नाभिकीय भौतिकी (Nuclear Physics)- परमाणु के नाभिक की संरचना व नाभिक में उपस्थित कणों (न्यूट्रान-प्रोटान इत्यादि) के व्यवहार, प्रकृति, नाभिकीय विखंडन व नाभिकीय संलयन इत्यादि का अध्ययन।

• विकिरण विज्ञान (Radiology)- विभिन्न विकिरणों व रेडियो ऐक्टिव पदार्थों व मानव शरीर पर इनके प्रभावों का अध्ययन।

• धातुरचना विज्ञान (Mettallography)- धातुओं की संरचना व गुणों का अध्ययन।

• धातुकर्म विज्ञान (Metallurgy)- धातुओं के अयस्कों से धातुओं के निष्कर्षण (extraction) की विधियों का अध्ययन।

• कीमोमेट्रिक्स (Chemometrics)- रसायन विज्ञान की समस्याओं का गणितीय समाधान का अध्ययन।

• एपीग्रैफी (Apigraphy)- शिलालेख का अध्ययन ।*

• अंतरिक्ष यानिकी (Astronautics)- अंतरिक्ष यात्रा से संबंधित विषयों का अध्ययन।

• भौतिकी रसायन (Physical Chemistry)- इसके अंतर्गत रासायनिक अभिक्रियाओं के नियमों व सिद्धान्तों का अध्ययन अर्थात् द्रव्य व ऊर्जा के पारस्परिक संबंधों के कारण उसमें होने वाले परिवर्तनों का अध्ययन किया जाता है।।

• अकार्बनिक रसायन (Inorganic Chemistry)- इसके अंतर्गत विभिन्न तत्वों व इससे निर्मित होने वाले यौगिकों (मुख्यतया कार्बन रहित) के गुणधर्म, संरचना, निर्माण, निष्कर्षण, संघटन व उपयोग आदि का अध्ययन किया जाता है। यह मुख्यतया अजैव पदार्थों से संबंधित विज्ञान है।

• कार्बनिक रसायन (Organic Chemistry)- इसके अंतर्गत कार्बन के यौगिकों के निर्माण, संघटन, संरचना, गुणधर्म, उपयोग इत्यादि का अध्ययन किया जाता है। यह मुख्यतया जैविक पदार्थों व जैविक अभिक्रियाओं से संबंधित विज्ञान है।

• औद्योगिक रसायन (Industrial Chemistry)- इसके अंतर्गत मानवोपयोगी वस्तुओं का बड़े पैमाने पर निर्माण की विधियों, तकनीकों इत्यादि का अध्ययन किया जाता है।

• विश्लेषिक रसायन (Analytical Chemistry)- इसके अंतर्गत विभिन्न पदार्थों की पहचान, आयतन व मात्रा ज्ञात करने की विधियों का अध्ययन किया जाता है।

• औषधि रसायन (Medicine Chemistry)- इसके अंतर्गत विभिन्न औषधियों, उनके संघटन व बनाने की विधियों इत्यादि का अध्ययन किया जाता है।

• रेडियो रसायन (Radio-chemistry)- इसके अंतर्गत रेडियोधर्मी पदार्थों से होने वाली रेडियोधर्मी विकिरणों व उसके उपयोगों इत्यादि का अध्ययन किया जाता है।

• वैद्युत रसायन (Electro-chemistry)- इसके अंतर्गत विद्युत अपघट्यों वः विद्युत अपघटन के नियमों, प्रक्रियाओं, उपयोगों इत्यादि का अध्ययन किया जाता है।

• भू-रसायन (Geo-chemistry)- इसके अंतर्गत पृथ्वी में प्राप्य विभिन्न उपयोगी खनिजों, पदार्थों इत्यादि को खोजने व प्राप्त करने की विधियों इत्यादि का अध्ययन किया जाता है।

• प्रकाश रसायन (Photo-chemistry)- इसके अंतर्गत सूर्य के प्रकाश में होने वाली जैविक, अजैविक अभिक्रियाओं (यथा- प्रकाश संश्लेषण) व उनके उपयोगों इत्यादि का अध्ययन किया जाता है।

• होलोग्राफी (Holography)- लेसर किरणों द्वारा किसी वस्तु का त्रिविमीय (3-dimentional) चित्र प्राप्त करने की विधि का अध्ययन।*

द्रवगतिकी (Hydrodynamics)- गतिशील द्रव पर कार्य करने वाले बल, दाब एवं उसकी ऊर्जा का अध्ययन।

• जल ध्वनि विज्ञान (Hydrophonics)- ध्वनि तरंगों द्वारा जल के नीचे की स्थिति का अध्ययन।

• द्रव-स्थैतिकी (Hydrostatics)- स्थिर द्रवों में बल, दाब व उनके प्रभावों का अध्ययन।

• काइनेस्थेटिक्स (Kinesthetics)- शरीर की भाषा (Body Language) का अध्ययन।*

• पर्वत विज्ञान (Orology)- पर्वतों की उत्पत्ति संरचना, विकास व इनसे पृथ्वी पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन।

• भूकम्प विज्ञान (Seismology)- पृथ्वी के कंपन, विस्तार पूर्वानुमान आदि का अध्ययन।*

• चन्द्र विज्ञान (Selinology)- चन्द्रमा की संरचना, गति व स्थिति का अध्ययन।*

• भू-भौतिकी (Geo-physics)- पृथ्वी की आंतरिक संरचना व पृथ्वी के अंदर होने वाली क्रियाओं का अध्ययन।

• साइबरनेटिक्स (Cybernetics)- विभिन्न तंत्रों में हो रही प्रक्रियाओं का नियंत्रण व क्रियाविधि का अध्ययन।*

• ट्राइबोलॉजी (Trybology)- सापेक्ष गतिशील (relatively moving) सतहों (Surfaces) के मध्य लगने वाले बल का अध्ययन ।*

• हॉरोलॉजी (Harology)- इसके अंतर्गत समय का मापन किया जाता है।*

• हॉरोलॉजी (Harology)- इसके अंतर्गत समय का मापन किया जाता है।*

• सूक्ष्म यांत्रिकी (Quantum Mechanics)- इसके अंतर्गत अतिसूक्ष्म कणों की गति व व्यवहार का अध्ययन किया जाता है।

• निम्न तापिकीय (Cryogenics)- इसके अंतर्गत निम्न ताप उत्पन्न करने की विधियों का तथा निम्न ताप पर पदार्थों के गुणों का अध्ययन किया जाता है। इसका उपयोग अंतरिक्ष यात्रा (Space Travelling), रक्तहीन सर्जरी (Operation of body without bleeding) व अति चालकता (Super Conductivity) आदि में किया जाता है।*

• मणि विज्ञान या क्रिस्टलकी (Crystallography)- यह एक प्रायोगिक विज्ञान है जिसमें क्रिस्टलों में परमाणुओं के संरचना अथवा विन्यास (Configuration) का अध्ययन किया जाता है। इसमें एक्स किरणों के विवर्तन द्वारा क्रिस्टलों की संरचना का अध्ययन किया जाता है।

• स्पेक्ट्रम विज्ञान (Spectro Scopy)- इसके अंतर्गत विभिन्न पदार्थों के वर्णक्रम प्राप्त कर उनके आधार पर उनकी आंतरिक संरचना का अध्ययन किया जाता है।

• विकृति विज्ञान (Rheology)- इसके अंतर्गत किसी पदार्थ के विरुपण (Deformation) तथा उसके प्रवाह का अध्ययन किया जाता है।

• धातु रचना विज्ञान (Metallography)- इसके अंतर्गत धातुओं की संरचना व गुणों का अध्ययन किया जाता है।

भौतिक विज्ञान (Physics)

“भौतिक विज्ञान, विज्ञान की वह शाखा है जिसमें द्रव्य (Matter), ऊर्जा (energy) तथा इनकी अन्योन्य क्रियाओं व संबंधों का अध्ययन किया जाता है।”

➤ भौतिकी के क्षेत्र (Scope of Physics)

भौतिकी का क्षेत्र (Scope) बहुत व्यापक है। सभी प्राकृतिक क्रियाएँ (Natural Phenomena) इसके अंतर्गत आती हैं और अन्य विषयों यथा-रसायन विज्ञान (Chemistry), जीव विज्ञान (Biology), खगोलिकी (Astronomy), गणित (Mathematics), भूगोल (Geography) इत्यादि से इसके घनिष्ट संबंध हैं।

इसके अंतर्गत यांत्रिकी, ऊष्मा व ऊष्मागतिकी तरंग व तरंग गति, प्रकाशिकी, विद्युत चुम्बकत्व, परमाणवीय व नाभिकीय भौतिकी, इलेक्ट्रानिक्स व कंप्यूटर्स व प्रौद्योगिकी (Technology) का अध्ययन समाहित है।

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मेरा नाम सुनीत कुमार सिंह है। मैं कुशीनगर, उत्तर प्रदेश का निवासी हूँ। मैं एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हूं।

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