मापन (measurement)

विज्ञान में विभिन्न राशियों, यथा-लंबाई (length), समय (time), द्रव्यमान (mass) इत्यादि को पूर्णतया व्यक्त करने, उनकी पारस्परिक तुलना (comparison) करने व संक्रियाएँ (calculations) करने के लिए उनके मापन की आवश्यकता पड़ती है। अतः किसी दी गई भौतिक राशि (Physical Quantity) का उसके उपयुक्त मात्रक (Unit) से तुलना करके उसका सटीक मान ज्ञात करना मापन (Measurement) कहलाता है। इसका व्यावहारिकः व वैज्ञानिक गणनाओं में प्रयोग किया जाता है।

मापन की विधि (Method of Measurement)

जिस राशि (Quantity) के मापन की आवश्यकता होती है उसके एक निश्चित मान (Value) को मानक (Standard) मान लेते हैं तथा उस मानक को कोई नाम दे देते हैं, जिसे मात्रक (Unit) कहते हैं। उस परिमाण/मान (Quantity/Value) का संख्यात्मक मान (Numerical Value) एक माना जाता है। उदाहरण स्वरुप लंबाई मापन के लिए दो नियत बिंदुओं को मिलाने वाली ऋजु रेखा (Straight Line) की लंबाई को मानक माना गया है, जिसे एक मीटर नाम दिया गया है। अब यदि यह किसी वस्तु की लंबाई में पूरी-पूरी पाँच बार आती है तो उस रेखा की लंबाई होगी 5 मीटर।

भौतिक राशियाँ (Physical Quantities)

दुनिया में जो भी कुछ मापनीय है, भौतिक राशि है। जैसे- लंबाई (length), समय (time), द्रव्यमान (mass), धारिता (capacity), आयतन (volume) व भार (weight) इत्यादि ।

किसी भौतिक राशि (Physical Quantity) को प्रस्तुत करने हेतु हमें दो चीजें ज्ञात होनी चाहिए।

1. उस भौतिक राशि का मात्रक (Unit)

2. वह संख्यात्मक मान (Numerical Value), जो बताता है कि ऊपर दिया गया मात्रक उसमें कितनी बार शामिल है। यह राशि दो प्रकार की होती है। यथा-

1. अदिश भौतिक राशियाँ (Scalar Physical Quantities): ऐसी भौतिक राशियाँ जिन्हें व्यक्त (express) करने हेतु दिशा (Direction) बताने की जरूरत नहीं होती, केवल परिमाण (Quantity) ही पर्याप्त होता है, अदिश राशियाँ कहलाती हैं। जैसे- द्रव्यमान (Mass), घनत्व (Density), चाल (Speed), आयतन (Volume) इत्यादि।

2. सदिश भौतिक राशियाँ (Vector Physical Quantities): ऐसी भौतिक राशियाँ, जिन्हें पूर्णतया व्यक्त करने के लिए परिमाण के साथ-साथ दिशा (Direction) की भी आवश्यकता होती है, उन्हें सदिश राशियाँ कहते हैं। जैसे विस्थापन (Displacement), वेग (Velocity), त्वरण (Acceleration), बल (Force) व संवेग (Momentum) इत्यादि। उदाहरणस्वरुप, कथन- “वस्तु A का विस्थापन 100 मीटर है” अपूर्ण है। इसे शुद्ध रूप से अभिव्यक्त करने हेतु इस तरह का अभिकथन होना चाहिए- “वस्तु A का विस्थापन पूर्व दिशा में 100 मीटर है।” संकेत रूप में लिखते समय राशि के ऊपर तीर का निशान (Arrow-) लम्ब देते हैं।

जैसे-

➤ मूल राशियाँ (Fundamental Quantities)

ऐसी भौतिक राशियाँ जो स्वतंत्र हैं अर्थात् जिन्हें व्यक्त करने के लिए दूसरी राशियों की आवश्यकता नहीं पड़ती है, उन्हें मूल राशियाँ कहते हैं। विज्ञान में सात मूल राशियाँ तथा दो पूरक मूल राशियाँ (Supplementary Quantities) हैं जो सारणी में प्रस्तुत है यथा :

➤ व्युत्पन्न राशियाँ (Derived Quantities)

वे भौतिक राशियाँ जो मूल राशियों की सहायता से व्युत्पादित की जाती हैं, व्युत्पन्न भौतिक राशियाँ कहलाती हैं। यथा क्षेत्रफल, आयतन, बल, वेग, त्वरण, कार्य, ऊर्जा, सामर्थ्य इत्यादि।

मात्रक (Units)

राशियों को पूर्णतया व्यक्त करने हेतु उसके किसी निश्चित परिमाण को जो नाम दिया जाता है उसे मात्रक कहते हैं। यह दो प्रकार का होता है।

• मूल मात्रक (Fundamental Units)- मूल राशियों को व्यक्त करने के लिए जिन मात्रकों का प्रयोग किया जाता है उन्हें मूल मात्रक कहते हैं। जैसे लंबाई का मूल मात्रक मीटर, द्रव्यमान का किलोग्राम व समय का मूल मात्रक सेकेण्ड होता है। (देखें-सारणी)

• व्युत्पन्न मात्रक (Derived Units)- व्युत्पन्न भौतिक राशियों को व्यक्त करने के लिए जिन मात्रकों का प्रयोग किया जाता है, उन्हें व्युत्पन्न मात्रक कहते हैं। व्युत्पन्न मात्रक, मूल मात्रकों की सहायता से ही व्युत्पादित किये जाते हैं। जैसे- क्षेत्रफल एक व्युत्पन्न राशि है व इसका मात्रक वर्गमीटर होता है इसे निम्नवत् निगमित किया जा सकता है

क्षेत्रफल = लंबाई × चौड़ाई

मात्रक = मीटर × मीटर = मीटर2 या, वर्गमीटर

मात्रक पद्धतियाँ (Systems of Units)

भौतिक राशियों के मापन हेतु मुख्य चार पद्धतियाँ प्रचलित हैं-

1. M.K.S. पद्धति (MKS System)- अर्थात् मीटर, किलोग्राम, सेकेण्ड पद्धति। इसमें लंबाई का मुख्य मात्रक मीटर, द्रव्यमान का किलोग्राम व समय का सेकेण्ड माना गया है।

2. CGS पद्धति (CGS System)- अर्थात् सेण्टीमीटर- ग्राम-सेकेण्ड प्रणाली। इसमें लंबाई का मुख्य मात्रक सेमी०, द्रव्यमान का ग्राम व समय का सेकेण्ड माना गया है। ध्यातव्य है कि इसे फ्रेंच या मीट्रिक पद्धति भी कहते हैं।

3. FPS पद्धति (FPS System)- अर्थात् फुट-पौण्ड-सेकेण्ड पद्धति। इसमें लंबाई का मुख्य मात्रक फुट, द्रव्यमान का पौण्ड व समय का सेकेण्ड माना गया है। इसे ब्रिटिश पद्धति भी कहा जाता है।

4. SI पद्धति (SI-System)- इसे अंतर्राष्ट्रीय पद्धति भी कहते हैं। आजकल सर्वाधिक प्रचलन इसी पद्धति का है, जिसे पूरी दुनिया में मान्यता प्राप्त है। सन् 1967 में अंतर्राष्ट्रीय माप-तौल के महाधिवेशन में इस पद्धति को स्वीकार किया गया। आजकल सभी वैज्ञानिक व व्यावहारिक प्रेक्षणों व गणनाओं (Observations & Calculations) में इसी पद्धति का प्रयोग किया जाता है। इस पद्धति में सात मूल मात्रक व दो पूरक मूल मात्रक होते हैं, जिनका विवरण सारणी में दिया गया है।

SI की 7 मूल एवं 2 पूरक राशियाँ
भौतिक राशि
मात्रक
संकेत
1. लंबाई (length)
मीटर
m
2. समय (Time)
सेकेण्ड
s
3. द्रव्यमान (Mass)*
किलोग्राम
kg
4. ताप (Temperature)
केल्विन
K
5. विद्युत धारा* (Electric Current)
ऐम्पियर
A
6. ज्योति तीव्रता* (Luminous Intensity)
कैण्डेला
cd
7. पदार्थ की मात्रा* (Amount of substance)
मोल
mol
पूरक राशियाँ
1. समतल कोण¹* (Plane Angle)
रेडियन
2. घन कोण’* (Solid Angle)
स्टेरेडियन
महत्वपूर्ण व्युत्पन्न मात्रक
राशि
निगमन सूत्र
निगमित मात्रक
1. आयतन
लं० × चौ० × ऊं०
m3
2. चाल
दूरी/समय
m/s
3. घनत्व
द्रव्यमान/आयतन
Kg/m3
4. त्वरण
वेग-परिवर्तन/समय
m/s2
5. बल
द्रव्यमान × त्वरण
Kg m/s2
6. कार्य
बल × बल की दिशा में विस्थापन
Kg m2/s2 or जूल J
7. शक्ति या सामर्थ्य
कार्य/समय
J/s = वाट (w)
8. आवेग
बल × समयान्तराल
NS
9. संवेग
द्रव्यमान × वेग
Kg m/s
10. दाब
बल/क्षेत्रफल
N m-2

मापन की दाशमिक पद्धति (Metric System of Measurement)

विज्ञान में गणना (calculation) की सुविधा के लिए लंबाई (length), द्रव्यमान (mass) व धारिता (capacity) के मापन के लिए 10 गुने के अनुपात में विभिन्न मात्रकों (Units) की व्युत्पत्ति (Derivation) की गई है, जिसे मापन की दाशमिक पद्धति कहते हैं। यह निम्नवत् है :

उपर्युक्त पैमाना जब धारिता के लिए प्रयुक्त होता है तो प्रत्येक मात्रक के बाद लीटर जुड़ जाता है, द्रव्यमान के लिए प्रयुक्त होने पर ग्राम व लंबाई के लिए प्रयुक्त होने पर मीटर जुड़ जाता है। जैसे-किलोग्राम, किलो लीटर व किलोमीटर इत्यादि।

• गणना की विधि (Method of calculation)- यदि ज्ञात करना है कि एक डेकामीटर में कितने डेसीमीटर होते हैं तो सारणी देखने पर पता चलता है कि डेका बड़ा मात्रक है व डेसी छोटा। अब डेका से डेसी तक पहुँचाने में दो पग (step) चलने पड़ते हैं अतः अनुपात हुआ- 10 * 10 = 100 अर्थात् 1 डेका मी० = 100 डेसी मी० इसी प्रकार, 1 डेका ली० 100 डेसी० ली०।

इसी प्रकार यदि सेण्टीलीटर को हेक्टो लीटर में बदलना है तो सारणी में ऊपर से नीचे चलना पड़ेगा अर्थात् छोटे मात्रक को बड़े मात्रक में बदलना पड़ेगा। सेंटी से हेक्टो तक पहुँचने में 4 पग (Step) चलना पड़ता है। अतः 1 सेण्टीलीटर

= 1/10 × 1/10 × 1/10 × 1/10 = 1/10000 हे० ली०

or = 0.0001 ली०

दश के विभिन्न घातों के प्रत्यय व प्रतीक (Power of Ten in Different Prefixes)

विज्ञान में बहुत बड़ी व बहुत छोटी राशियों को प्रायः 10 के अधिकतम घातों के रूप में प्रकट किया जाता है क्योंकि 10 के घातों के रूप में प्रकटित राशियों की गणना व आंकलन आसान होता है।

जैसे-पृथ्वी व सूर्य के बीच की औसत दूरी लगभग 14.96 करोड़ किमी. है तो इसे 1.496 × 1011 मी० लिखा जाता है। 10 की कुछ घातों (Powers) को विशेष नाम तथा संकेत दिये गये हैं जिनका प्रदर्शन निम्न सारणी में किया गया है :

सारणी
दश की घात
प्रत्यय
प्रतीक
101
डेका
da
102
हेक्टो
h
103
किलो
k
106
मेगा
M
109
गीगा*
G
1012
टेरा*
T
1015
पेटा
P
1018
एक्सा
E
10-18
एटो
a
10-15
फेम्टो
f
10-12
पिको
p
10-9
नैनो*
n
10-6
माइक्रो *
µ
10-3
मिली
m
10-2
सेण्टी
c
10-1
डेसी
d
10-10
ऐंग्स्ट्राम
A

SI पद्धति के मूल मात्रकों की मानक परिभाषाएँ

• मानक मीटर (Standard Metre)

फ्रांस के अंतर्राष्ट्रीय माप एवं बॉट कार्यालय सेवरेस में रखी प्लेटिनम-इरीडियम मिश्रधातु की छड़ पर दो चिन्हों की दूरी को एक मीटर माना गया है।

1960 में इसको और अधिक मानक बनाने के लिए परिवर्द्धित (Upgrade) किया गया, जिसके अनुसार-1 मीटर = 16,50,763.73 × क्रिप्टन 86 के नारंगी रंग के प्रकाश किरण की तरंग दैर्ध्य ।

1983 में इसकी परिभाषा में पुनः परिवर्धन (Upgradation) किया गया। यथा-

“प्रकाश द्वारा निर्वात (vacuum) में 1/29,97,92,458 सेकेण्ड में चली गई दूरी एक मीटर के बराबर होती है।”

• मानक किलोग्राम (Standard Kilogram)

बाँट एवं माप के अंतर्राष्ट्रीय कार्यालय (पेरिस) में रखे एक प्लेटिनम-इरीडियम मिश्र धातु बेलन का द्रव्यमान एक किलोग्राम माना गया है। व्यवहार में, 4°C ताप तथा ताप वायुमण्डलीय दाब पर एक लीटर शुद्ध जल का द्रव्यमान 1 किग्रा होता है।

परमाणवीय स्केल पर कार्बन-12 के 5.0188 × 1025 परमाणुओं का द्रव्यमान एक किलोग्राम के बराबर होता है।

• मानक सेकेण्ड (Standard Second)

एक मानक सेकेण्ड वह समयान्तराल है जिसमें परमाणु घड़ी (atomic clock) में सीजियम-133 का परमाणु 9,19,26,31770 बार कंपन करता है।

• ऐम्पियर (Ampere)

एक ऐम्पियर वह विद्युत धारा (electric Current) है जो निर्वात (vacuum) में एक मीटर की दूरी पर स्थित दो सीधे, लम्बे व सामान्तर (Parallel) तारों में प्रवाहित होने पर प्रत्येक तार की प्रतिमीटर लंबाई पर तारों के बीच 2×10-7 न्यूटन का बल उत्पन्न करती है।

• केल्विन (Kelvin)

जल के त्रिक बिन्दु (Triple Point) के ऊष्मागतिक ताप (Thermodynamic Temperature) के 1/273.16 वें भाग को एक केल्विन कहते हैं।

• रेडियन (Radian)

यह समतल पर दो रेखाओं के बीच के झुकाव (inclination) (कोंण) की माप करने वाला मात्रक है। “किसी वृत्त की त्रिज्या (radius) के बराबर लंबाई के चाप (arc) द्वारा उसके केन्द्र (centre) पर बनाया गया कोण एक रेडियन” होता है।

• स्टेरेडियन (Steradian)

किसी गोले (Sphere) की सतह (surface) पर उसकी त्रिज्या (radius) के बराबर भुजा वाले वर्गाकार क्षेत्रफल के बराबर क्षेत्र (area) द्वारा गोले के केन्द्र पर बनाये गये घनकोण को एक स्टेरेडियन कहते हैं। यह ठोसीय कोणों को मापने का मात्रक है।*

• मोल (Mole)

एक मोल किसी पदार्थ की वह मात्रा है, जिनमें उस पदार्थ के अवयवों की संख्या C-12 के 0.012 किलोग्राम में परमाणुओं की संख्या के बराबर होता है।

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मेरा नाम सुनीत कुमार सिंह है। मैं कुशीनगर, उत्तर प्रदेश का निवासी हूँ। मैं एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हूं।

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