जल ऑक्सीजन और हाइड्रोजन का यौगिक है। पौधों में 50 से 75 प्रतिशत तथा मनुष्यों के शरीर में लगभग 57 से 65 प्रतिशत भाग जल है। पृथ्वी के समस्त क्षेत्रफल (51.0 करोड़ वर्ग किमी.) के लगभग 71 प्रतिशत भाग पर (36.0 करोड़ वर्ग किमी.) जल का विस्तार है। इस प्रकार जल एक प्रमुख प्राकृतिक संसाधन, मनुष्य की मूलभूत आवश्यकता और एक बहुमूल्य राष्ट्रीय सम्पदा है। इसलिए जल संसाधनों का अधिकतम विकास और कुशल उपयोग अत्यन्त महत्वपूर्ण है।
जल संसाधन के दो प्रमुख स्रोत हैं-
(i) धरातलीय जल संसाधन (S.W.R.)
(ii) भूमिगत जल संसाधन (G.W.R.)
धरातलीय जल संसाधन (Surface Water Resources)
नदियाँ धरातलीय जल का प्रधान स्रोत है। देश में नदी प्रणाली का औसत प्रवाह 1869 बिलियन क्यूबिक मीटर अनुमानित है।
इसमें उपयोग में लाया जाने वाला सतही जल 690 बिलियन क्यूबिक मीटर (कुल धरातलीय जल का 32%) है (भारत 2020)। भारत के प्रमुख नदी बेसिनों में उपलब्ध जल संसाधनों की मात्रा अधोलिखित तालिका में प्रदर्शित हैं यथा-
स्पष्ट है कि वार्षिक वाही जल में ब्रह्मपुत्र बेसिन सर्वोपरि है,किन्तु इसका अधिकांश जल अनुपयोगी है तथा व्यर्थ चला जाता है। वहीं जल की दृष्टि से गंगा बेसिन द्वितीय स्थान पर है, किन्तु उपयोग योग्य जल तथा भण्डारण की दृष्टि से प्रथम स्थान पर है।* गोदावरी*, कृष्णा, महानदी तथा नर्मदा औसत वाही जल तथा उपयोग योग्य प्रवाह की दृष्टि से क्रमशः घटते हुए क्रम में अवस्थित हैं।*
केन्द्रीय भूमि जल बोर्ड (CGWB) के अनुमान में देश में जल का वार्षिक दोहन योग्य विभव 42.3 मिलियन हेक्टेयर मीटर है।
राज्य स्तर पर दोहन किये गये धरातलीय जल विभव की दृष्टि से प्रमुख राज्यों की स्थिति निम्नलिखित है। यथा-
राज्य | दोहित जलविभव % में |
• पंजाब* | 93.85 |
• हरियाणा* | 83.88 |
• तमिलनाडु* | 60.44 |
• राजस्थान | 50.63 |
• गुजरात | 41.45 |
• उत्तर प्रदेश | 37.67 |
• महाराष्ट्र | 30.39 |
• पं. बंगाल | 24.18 |
• आन्ध्र प्रदेश | 23.64 |
किन्तु असोम, ओडिशा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार तथा झारखण्ड आदि राज्य में अपने विभव का 1/5 भाग भी उपयोग नहीं करते।*
• समस्त प्रयुक्त जल का अधिकतम 78% व्यय कृषि क्षेत्र में, (77% सिंचाई में, 1% मवेशियों के लिये) होता है। शेष में से 13% ऊर्जा, 6% घरेलू तथा 3% उद्योगों में व्यय होता है।*
• मैदानों की नदियाँ सिंचाई के लिये विशेष रूप से उपयोगी हैं, क्योंकि देश का 63% से अधिक सिंचित क्षेत्र पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश तथा आन्ध्र प्रदेश में स्थित है।
• पर्वतीय क्षेत्र से बहने वाली तथा प्रायद्वीपीय पठार की नदियाँ विशेष रूप से जल विद्युत उत्पादन के लिये महत्वपूर्ण हैं। देश की बड़ी नदियों पर अनेक जल विद्युत एवं बहुउद्देशीय परियोजनाएँ स्थापित की गयी हैं।
• केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण (CEA) के एक अनुमान के अनुसार देश में कुल 45399 मेगावाट जल विद्युत उत्पादन की क्षमता विद्यमान है।*
भूमिगत जल संसाधन (Ground Water Resources)
भारत 2020 के अनुसार देश की कुल वार्षिक परिपूरणीय भू-जल मात्रा 447 बिलियन क्यूबिक मीटर तथा कुल वार्षिक भू- जल उपलब्धता 399 बिलियन क्यूबिक मीटर है। वर्तमान में सभी उपयोगों के लिए मौजूदा सकल भू-जल उपभोग 231 बिलियन क्यूबिक मीटर प्रतिवर्ष है। भू-जल विकास 58 प्रतिशत तक पहुँच गया है। देश के विभिन्न क्षेत्रों में भू-जल का विकास समान रुप से नहीं हुआ है। कुछ क्षेत्रों में जैसे-पंजाब, हरियाणा, आन्ध्र प्रदेश, म.प्र., राजस्थान आदि भू-जल स्तरों में बेहद गिरावट आयी है और तटवर्ती क्षेत्रों में समुद्री जल का अन्तः प्रवेश हुआ है।
भारत में प्रतिव्यक्ति जल उपलब्धता | |
वर्ष | जल उपलब्धता (क्यूबिक मी. में) |
2001 | 1820 |
2011 | 1545 |
2025 | 1340 |
2050 | 1140 |
भूमिगत जल संसाधन अनेक कारकों से प्रभावित होते हैं जिनमें प्रदेश की जलवायवीय दशाएँ, उच्चावच, भूगर्भिक संरचना तथा जलीय दशाएँ सम्मिलित हैं। आर.एल. सिंह (1971) ने देश को 8 भूमिगत जल प्रदेशों में बाँटा है। यथा-
1. पुराकैम्ब्रियन रवेदार शैलों का प्रदेश- यह प्रदेश देश के आधे से अधिक भाग पर तमिलनाडु, आन्ध्र प्रदेश, दण्डकारण्य, बुन्देलखण्ड, राजस्थान आदि पर विस्तृत है। यहाँ जल संसाधनों की बेहद कमी है।*
2. पुरा कैम्ब्रियन अवसादी बेसिन- यह कुडप्पा तथा विन्ध्यन बेसिनों पर विस्तृत है, यहाँ भी भूमिगत जल संसाधनों की कमी है।
3. गोंडवाना अवसादी बेसिन- इसमें बराकर तथा गोदावरी बेसिन सम्मिलित हैं जो चूना पत्थर से समृद्ध हैं। यहाँ पर्याप्त भूमिगत जल संसाधन उपलब्ध है।
4. दकन ट्रैप प्रदेश- इस प्रदेश में 1200 मीटर मोटी बेसाल्ट शैलों की अभेद्य परतों में भूमिगत जल की कमी है।
5. सीनोजोइक अवसादी बेसिन- इसमें तटवर्ती आन्ध्र प्रदेश, तमिलनाडु, केरल तथा गुजरात सम्मिलित हैं जहाँ टर्शियरी शैलों में पर्याप्त भूमिगत जल संसाधन पाये जाते हैं।
6. सीनोजोइक भ्रंश बेसिन- नर्मदा, ताप्ती तथा पूर्णा के भ्रंश बेसिनों में 60-160 मीटर तक गहरे काँपीय निक्षेपों में पर्याप्त भूमिगत जल संसाधन मिलते हैं।
7. गंगा-ब्रह्मपुत्र काँपीय बेसिन- इस प्रदेश में देश के 44% भूमिगत जल संसाधन उपलब्ध होते हैं।*
8. हिमालय क्षेत्र – जटिल भूगर्भिक संरचना के कारण इस प्रदेश में भूमिगत जल संसाधनों की विरलता है।
केन्द्रीय भूमिगत जल बोर्ड के अनुसार गंगा-ब्रह्मपुत्र के मैदान में 600 मीटर की गहराई तक 100-150 घन मीटर प्रति घण्टा की दर से जल उपलब्ध है। गोदावरी-कृष्णा डेल्टा में 300 मीटर की गहराई तक 40-100 घन मीटर प्रति घण्टा की दर से जल उपलब्ध है। महानदी डेल्टा तथा तटवर्ती उड़ीसा में भूमिगत जल 100 मीटर की गहराई तक उपलब्ध है।
भारत में सिंचाई (Irrigation In India)
योजना आयोग ने सिंचाई साधनों सम्बन्धी योजनाओं को तीन वर्गों में बांटा है:
1. वृहत् सिंचाई योजनाएँ – इस वर्ग में उन सिंचाई योजनाओं और कार्यक्रमों को सम्मिलित किया जाता है जिनके अन्तर्गत 10 हजार से अधिक हेक्टेअर का कृषि योग्य क्षेत्र (Culturbale Command Area-CCA) आता है। इस वर्ग में नहरें एवं बहुउद्देशीय योजनाएँ सम्मिलित हैं।
2. मध्यम सिंचाई योजनाएँ- इस वर्ग में उन सिंचाई योजनाओं को सम्मिलित किया जाता है जिनके अन्तर्गत कृषि योग्य क्षेत्र 2,000 हेक्टेअर से अधिक किन्तु 10,000 हेक्टेअर से कम हो। ये योजनाएं मध्यम आकार की होती हैं। देश में विकसित छोटी नहरें इसी वर्ग की सिंचाई योजनाओं का उदाहरण हैं।
3. लघु सिंचाई योजनाएँ- इस वर्ग में उन सिंचाई योजनाओं को सम्मिलित किया जाता है जिनका कृषि योग्य क्षेत्र 2,000 हेक्टेअर या उससे कम हो। इस वर्ग में सम्मिलित क्षेत्र को किसी वृहत् या मध्यम आकार वाली योजनाओं का अंग नहीं बनाया जा सकता। इस वर्ग की योजनाओं में कुंए, नलकूप, पम्पसेट, ड्रिप सिंचाई, तालाब और छोटी-छोटी नहरों को सम्मिलित किया जाता है। ज्ञातव्य है कि भारत की सिंचाई का लगभग 62 प्रतिशत की आपूर्ति लघु सिंचाई परियोजनाओं से ही की जाती है।
स्वतंत्रता के बाद से आज तक भारत में कुल सिंचित क्षेत्र लगभग पाँच गुना बढ़ा है। आर्थिक समीक्षा 2014-15 के अनुसार- 31 मार्च 2013 तक 1082 लाख हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई क्षमता का विकास किया गया था जिसमें शुद्ध सिंचित क्षेत्रफल 932 लाख हेक्टेयर था। अर्थात् शुद्ध बोये गये क्षेत्रफल (141 मिलियन हेक्टेयर) के 66 प्रतिशत भाग पर शुद्ध सिंचाई की जाती थी। ध्यातव्य है कि यह सिंचित क्षेत्र कुल बुआई क्षेत्रफल (Total Cultivated area) (192मि.हे.) का 48.5 प्रतिशत है।
विभिन्न फसलों के अन्तर्गत सिंचित क्षेत्र | |
फसलें | सिंचित क्षेत्र % में (2014-15)P |
1. चावल * | 60.1 |
2. गेहूँ* | 94.2 |
3. गन्ना* | 90.2 |
4. कुल खाद्यान्न* | 53.1 |
5. मोटे अनाज | 17.35 |
6. अरहर* | 4.0 |
7. कुल दालें* | 19.9 |
8. कपास | 33.7 |
9. ज्वार | 9.9 |
10. बाजरा | 9.5 |
11. मक्का | 26.6 |
12. कुल तिलहन | 27.4 |
• राष्ट्रीय लघु सिचाई मिशन लघु सिंचाई पर गठित कार्य बल द्वारा की गई सिफारिशों के आधार पर जनवरी, 2006 में लघु सिंचाई पर केन्द्र द्वारा प्रायोजित योजना शुरू की गई थी। इस योजना को जून 2010 में ‘राष्ट्रीय लघु सिंचाई मिशन’ नाम देकर मिशन में तब्दील किया गया। यह योजना कृषि में जल उपयोग की दक्षता को बढ़ाने के लिए लघु सिंचाई प्रौद्योगिकी के रूप में लोकप्रिय हुई है।
9वीं कृषि संगणना के अनुसार वर्ष 2010-11 में सर्वाधिक सिंचित क्षेत्रफल वाले तीन राज्य क्रमशः हैं- उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश एवं राजस्थान हैं।
• कुल क्षेत्रफल के प्रतिशत की दृष्टि से सर्वाधिक सिंचित राज्य है- पंजाब। इस प्रदेश में 99.60% क्षेत्रफल पर सिंचाई सुविधा उपलब्ध है। इसके पश्चात् क्रमशः हरियाणा, उत्तर प्रदेश, प. बंगाल व तमिलनाडु का स्थान है।
• देश में सबसे कम सिंचित क्षेत्रफल प्रतिशत के दृष्टिकोण से असोम में पाया जाता है। यहाँ 5.54% क्षेत्रफल पर सिंचाई सुविधा उपलब्ध है। जबकि क्षेत्रफल के दृष्टिकोण से सर्वाधिक असिंचित (Non Irrigated Area) क्षेत्रफल क्रमशः महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्य प्रदेश, कर्नाटक एवं आन्ध्रप्रदेश में पाया जाता है।*
देश के समस्त सिंचित क्षेत्र में सिंचाई साधनों का योगदान अधोलिखित है-
→ 9वीं कृषि संगणना 2010-11 के अनुसार देश में सिंचाई का मुख्य स्रोत नलकूप (45.17%) था। इसके पश्चात् क्रमशः नहर, कुआं एवं तालाब थे।
नहरों द्वारा (क्षे० की दृष्टि से) शीर्ष 5 सिंचाई वाले राज्य (2014-15) | |
राज्य | क्षेत्रफल (लाख हे०) |
• प्रथम | उत्तर प्रदेश (24.82) |
• द्वितीय | राजस्थान (19.29) |
• तृतीय | मध्य प्रदेश (16.46) |
• चतुर्थ | आन्ध्र प्रदेश (14.29) |
• पंचम | कर्नाटक (11.77) |
• भारत | 161.82 |
→ कृषि संगणना 2010-11 के अनुसार नहरों द्वारा 26.19% सिंचित क्षेत्र पर सिंचाई सुविधा उपलब्ध करायी जाती थी।
• कुआँ द्वारा कुल 18.46% क्षेत्रफल पर सिंचाई की जाती थी।
• प्रायद्वीपीय भारत में सिंचाई का एक प्रमुख साधन तालाब है, क्योंकि इस क्षेत्र की अधिकांश नदियाँ मौसमी हैं। कृषि संगणना 2010-11 के अनुसार भारत में तालाब द्वारा 3.48% क्षेत्रफल पर सिंचाई की जाती थी तथा अन्य साधनों द्वारा 6.71% क्षेत्रफल पर सिंचाई की जाती थी।
ध्यातव्य है कि कृषि संगणना 2010-11 के अपेक्षाकृत अद्यतन स्त्रोत इकोनामिक्स एण्ड स्टैटिकल मिनिस्ट्री ऑफ एग्रीकल्चर एण्ड फॉर्मर वेलफेयर (E.S.M.A.F.W.) 2018 के अनुसार, वर्ष 2014-15 में देश के कुल सिंचित क्षेत्र का 46.21% नलकूपों, 23.66% नहरों 16.60% तालाबों तथा 10.99% अन्य साधनों द्वारा प्राप्त होता है।
नहरें देश में सिंचाई के द्वितीय प्रमुख साधन हैं और इनसे 26.19% (कृषि संगणना 2010-11) से अधिक कृषि भूमि की सिंचाई की जाती है। हमारे देश की नहरों का सर्वाधिक विकास उत्तर के विशाल मैदानी भाग तथा तटवर्ती नदी डेल्टा के क्षेत्रों में किया गया है क्योंकि इनका निर्माण समतल भूमि एवं जल की निरन्तर आपूर्ति पर निर्भर करता है। नहरों को मुख्यतः दो प्रकारो में रखा जाता है-
(i) नित्यवाही नहरें जो वर्ष भर प्रवाहित होने वाली नदियों से निकाली जाती हैं एवं सदैव जल से भरी रहती हैं। इतना अवश्य है कि नदी के जल को पहले बाँध बनाकर रोक लिया जाता है और उनसे नहरों को जल की आपूर्ति की जाती है।
(ii) अनित्यवाही अथवा बाढ़ की नहरें, जिनमें वर्ष भर लगातार जल की आपूर्ति सम्भव नहीं हो पाती और वे मात्र नदियों में आने वाली बाढ़ों के समय ही सिंचाई के काम आती हैं। ऐसी नहरों के द्वारा मात्र वर्ष में एक फसल की ही सिंचाई की जा सकती है।
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FAQs
Q1. समेकित जल संसाधन प्रबंधन के राष्ट्रीय आयोग (NCIWRD) की रिपोर्टानुसार देश में वर्षा के माध्यम से प्रतिवर्ष कितने विलियन क्यूबिक मीटर (बीसीएम) जल प्राप्त होता है?
Ans. 4000 बिलियन क्यूबिक मीटर
Q2. वार्षिक तौर पर कितने क्यूबिक मीटर से प्रति व्यक्ति कम जल उपलब्धता को उसकी कमी वाली स्थिति मानी जाती है?
Ans. 1700 क्यूबिक मीटर्स से कम
Q3. कितने क्यूबिक मीटर से कम सालाना प्रतिव्यक्ति जल उपलब्धता को जलाभाव की स्थिति माना जाता है?
Ans. 1000 क्यूबिक मीटर्स से कम
Q4. केन्द्र सरकार ने किस वर्ष को जल संरक्षण वर्ष के रूप में मनाया था?
Ans. वर्ष 2013 को
Q5. भारत के भूमिगत जल के सम्बन्ध में तैयार की गई पहली एटलस के अनुसार भारत का वह राज्य जिसका भूमिगत जल का स्तर सर्वश्रेष्ठ है?
Ans. हिमाचल प्रदेश
Q6. राष्ट्रीय स्तर पर प्रति व्यक्ति जल की उपलब्धता कितना है?
Ans. 1545 क्यूबिक मी. (2011)
Q7. देश में जल की औसत सालाना उपलब्धता (वाष्पन के उपरांत) कितना अनुमानित है?
Ans. 1869 विलियन क्यूबिक मीटर
Q8. देश में उपयोग में लाया जाने वाला जल संसाधन कितना है?
Ans. 1137 विलियन क्यूबिक मीटर
Q9. देश में सतही जल प्रवाह कितना है?
Ans. 690 अरब घन मीटर
Q10. भारत में कितनी मात्रा में भू-जल उपलब्ध है?
Ans. 447 विलियन क्यूबिक मीटर
Q11. जवाहर लाल नेहरु ने किसे आधुनिक भारत के मन्दिर की उपमा दिया था?
Ans. बहुउद्देशीय परियोजनाओं को
Q12. किन क्षेत्रों में समुद्री जल का अन्तः प्रवेश हुआ है?
Ans. तटवर्ती क्षेत्रों में
Q13. आधुनिक सिंचाई प्रणाली के जनक की उपमा भारत में किसे प्रदान की गई है?
Ans. मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया को
Q14. मेरठ, सहारनपुर तथा मुजफ्फर नगर में मुख्यतः किस नहर द्वारा सिंचाई होती है?
Ans. पूर्वी यमुना नहर
Q15. हरिके बाँध से कौन-सी नहर निकाली गई है?
Ans. इन्दिरा गाँधी नहर
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