खनिज किसी भी देश की प्राकृतिक सम्पदा है। भारत में खनिजों के प्रचुर भण्डार हैं। संविधान के अन्तर्गत खनिजों पर राज्य सरकारों का अधिकार है और खनन कानूनों का क्रियान्वयन राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है। किन्तु केन्द्र सरकार खान और खनिज (विनिमयन व विकास) अधिनियम, 1957 के अन्तर्गत बनाए गये कानूनों के जरिए अपतटीय क्षेत्रों में उत्पादित खनिजों को नियमित करती है।* राष्ट्रीय खनिज नीति 1993 के द्वारा भारतीय खनिज उद्योग को घरेलू एवं विदेशी निवेश हेतु खोला गया। वर्तमान मूल्यों पर कुल सकल मूल्य वर्द्धन (GVA : Gross Value Added) में वर्ष 2019-20 में खनन व उत्खनन (Mining and Quarrying) का योगदान 2.1 प्रतिशत था।*
यहाँ भारत के विभिन्न खनिजों के उत्पादन, भण्डार तथा अन्य आयामों का विवेचन किया जा रहा, है जो मुख्य रूप से ‘इण्डियन मिनरल ईयर बुक 2019’ (IMYB: 2019) पर आधारित है, तथा इसे इंडियन ब्यूरो ऑफ माइंस द्वारा प्रकाशित किया गया है।
खनन मंत्रालय के वार्षिक प्रतिवेदन 2018-19 के अनुसार वर्ष 2017-18 में कुल 95 खनिजों का उत्पादन हुआ जिसमें 4 ईंधन खनिज, 10 धात्विक खनिज, 23 अधात्विक खनिज 55 लघु तथा 3 नाभिकीय खनिजों का उत्खनन किया गया था। IMYB: 2017 के अनुसार वर्ष 2015-16 के दौरान कुल खनिज उत्पादन मूल्य में 67% का बड़ा हिस्सा ईंधन खनिजों का था। जिसमें धात्विक खनिज का 12%, अधात्विक खनिज का 2% तथा लघु खनिजों का भाग 19% था। वर्ष 2019-20 (अनंतिम) के दौरान भारत के कुल खनिज उत्पादन (लघु खनिजों तथा नाभिकीय खनिजों रहित) का मूल्य 123588 करोड़ रु० था। ध्यातव्य है कि जो वर्ष 2018-19 की तुलना में लगभग 3 प्रतिशत की कमी को दर्शाता है।
• वर्ष 2019-20 (अनुमानित) के दौरान धात्विक खनिजों का मूल्य 60822 करोड़ रु. और अधात्विक खनिजों सहित गौण खनिजों का मूल्य 62799 करोड़ रु. था।
• खनिज उत्पादन मूल्य के सन्दर्भ में वर्ष 2015-16 में सर्वाधिक योगदान कोयला (31.23%) का था। तत्पश्चात् पेट्रोलियम (23.73%), लघु खनिज (18.76%), लौह अयस्क (7.82%) एवं प्राकृतिक गैस (9.43%) का योगदान है। अन्य खनिजों का उत्पादन मूल्य के सन्दर्भ में प्रतिशत योगदान है, यथा-लिग्नाइट 2.65%, चूना पत्थर (2.14%), जिंक (1.23%) क्रोमाइट 0.81% एवं चाँदी (0.54%) इत्यादि।
• वर्ष 2015-16 के दौरान देश के अपतटीय क्षेत्रों सहित 32 राज्यों/संघीय क्षेत्रों में खनिज उत्पादन रिपोर्टेड था।
शीर्ष 5, खदानों (Total Minerals) वाले राज्य (2017-18) | |
राज्य | संख्या |
• तमिलनाडु | 230 |
• मध्य प्रदेश | 197 |
• गुजरात | 191 |
• कर्नाटक | 142 |
• ओडिशा | 132 |
• वर्ष 2015-16 के कुल खनिज उत्पादन मूल्य में सर्वाधिक 19.08% हिस्सा अपतटीय (Off-shore) क्षेत्र का था। वर्ष 2019-20(P) में खनिज मूल्य की दृष्टि से प्रमुखतः ओडिशा (25%), राजस्थान (17%), कर्नाटक (9%), आंध्रप्रदेश/छत्तीसगढ़ (8%) एवं तेलंगाना (7%) का है।
खनिज उत्पादन मूल्य में शीर्ष 5 खनिजों का हिस्सा (2015-16) | |
• प्रथम | कोयला (31.23%) |
• द्वितीय | पेट्रोलियम (23.73%) |
• तृतीय | लघु खनिज (18.76%) |
• चतुर्थ | प्राकृतिक गैस (9.43%) |
• पंचम | लौह अयस्क (7.82%) |
• वर्ष 2018-19 में भारत के कुल व्यापारिक आयात तथा निर्यात खनिज मूल्य 1299186 व 219168 करोड़ रुपये है।
शीर्ष 5 निर्यातक खनिज (2018-19 (P)) | |
खनिज | निर्यातक अंश (%) में |
• हीरा | 80.22 |
• ग्रेनाइट | 4.65 |
• लौह अयस्क | 4.23 |
• एल्युमिना | 2.14 |
• पन्ना | 1.05 |
शीर्ष 5 आयातक खनिज (2018-19) (P) | |
खनिज | आयातक अंश (%) में |
• पेट्रोलियम (क्रूड) | 61.44 |
• हीरा | 13.70 |
• कोयला | 13.16 |
• प्राकृतिक गैस | 5.69 |
• कापर अयस्क एवं कॉसन्ट्रेट/कोक | 0.93 |
भारत की खनिज पेटियाँ (Mineral Belts of India)
भारत में खनिजों का वितरण असमान है। भारत में पाए जाने वाले अधिकांश खनिज पांच पेटियों में वितरित हैं। यथा-
1. छोटा नागपुर पेटी- प्रायद्वीप के उत्तर-पूर्वी भाग में विस्तृत इस पेटी के अन्तर्गत झारखण्ड, ओडिशा तथा पश्चिम बंगाल राज्यों को समाहित किया गया है। यह पेटी मुख्यतः प्राचीन नीस तथा ग्रेनाइट शैलों से संयुक्त है, जो देश का समृद्धतम खनिज क्षेत्र है। यहाँ कोयला, लौह अयस्क, अभ्रक, मैंगनीज, क्रोमाइट, इल्मेनाइट, बॉक्साइट, फास्फेट, यूरेनियम, ताँबा, डोलोमाइट, चीनी मिट्टी और चूना प्रचुर मात्रा में मिलते हैं। यहाँ देश का लगभग शत प्रतिशत कायनाइट, 93% लौह अयस्क, 84% कोयला, 70% क्रोमाइट तथा अभ्रक, 50% अग्नि-मिट्टी, 45% एस्बेस्टस एवं चीनी मिट्टी, 20% चूना पत्थर एवं 10% मैंगनीज उपस्थित है। इस पेटी को ‘भारत की लौह एवं इस्पात पेटी’ कहा जाता है, क्योंकि अधिकांश इस्पात के कारखानें (कुल्टी, दुर्गापुर, बोकारों, राउरकेला, जमशेदपुर आदि) इस पेटी में स्थिति हैं। इस पेटी में बॉक्साइट के भण्डारों तथा ताप विद्युत विकसित होने के कारण एल्युमिनियम उद्योग भी स्थापित है।
2. मध्यवर्ती पेटी (Central Belt)- आन्ध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में विस्तृत इस पेटी में मैंगनीज, बॉक्साइट, चूना पत्थर, संगमरमर, लिग्नाइट, अभ्रक, जवाहरात, लौह अयस्क, ताँबा, ग्रेफाइट आदि उपलब्ध हैं।
3. दक्षिण पेटी (Southern Belt)- यह पेटी कर्नाटक और तमिलनाडु में विस्तृत है। यहां सोना, लोहा, ताँबा, क्रोमाइट, मैंगनीज, लिग्नाइट, अभ्रक, बॉक्साइट, जिप्सम, चूना पत्थर आदि के भण्डार हैं।
4. उत्तर पश्चिमी पेटी (North-Western belt)- राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र में विस्तृत इस पेटी में ताँबा, जस्ता, यूरेनियम, अभ्रक, मैंगनीज, ऐस्बेस्टॉस, नमक, कीमती पत्थर, खनिज तेल, प्राकृतिक गैस, बॉक्साइट के भण्डार हैं।
5. दक्षिण-पश्चिमी पेटी (South-Western Belt)- इसका विस्तार गोवा, दक्षिणी कर्नाटक और केरल में है। इस पेटी में इल्मेनाइट, जिरकान, मोनोजाइट, गार्नेट, चिकनी मिट्टी, लोहा, चूना पत्थर आदि के भण्डार हैं।
इन पेटियों के अलावा अन्य खनिज क्षेत्र हैं-हिमालय क्षेत्र (कोयला, बॉक्साइट, ताँबा और चूना पत्थर), गोदावरी बेसिन तथा बॉम्बे हाई में खनिज तेल एवं गैस आदि।
खनिजों का वर्गीकरण (Classification of Minerals)
सामान्यत – खनिजों को तीन श्रेणियों में विभक्त किया गया है। यथा-
(A) धात्विक खनिज (Metallic Minerals)- ये वे खनिज हैं जिन्हें गलानें से धातु प्राप्त होते हैं। ज्ञातव्य है कि धातु लचीले होते हैं और उन्हें पीटकर कोई भी रूप दिया जा सकता है। ध्यातव्य है कि वर्ष 2015-16 में देश के कुल खनिज उत्पादन मूल्य में धात्विक खनिजों का योगदान 12% का है। धात्विक खनिजों में लौह अयस्क का उत्पादन मूल्य में सर्वाधिक 7.82% का योगदान 2015-16 में था। धात्विक खनिजों को दो भागों में बांटा गया है। यथा-
(i) लोहांश खनिज- इसमें लौह अयस्क, मैंगनीज, क्रोमियम, कोबाल्ट, टंगस्टन, मोलिब्डेनम, वैनेडियम, टाइटेनियम, बोरॉन, निकिल आदि को सम्मिलित किया गया है।
(ii) अलौह धातुएँ- इनमें ताँबा, शीसा, जस्ता, बॉक्साइट, टिन, मैग्नीशियम एवं प्लैटिनम आदि को शामिल किया गया है।
(B) अधात्विक खनिज (Non-Metallic Minerals)- वे खनिज जिनमें धातु अंश का अभाव होता है और जो भंगुर प्रकृति के होते हैं, अधात्विक खनिज कहलाते हैं। इन पर चोट मारने पर ये टूट जाते हैं। जैसे- डोलोमाइट, चूना पत्थर, अभ्रक, जिप्सम, पाइराइटस, नमक, ऐस्बेस्ट्रॉस, हीरा, घीया पत्थर एवं विभिन्न प्रकार की मिट्टियाँ आदि। ज्ञातव्य है कि खनिजों के उत्पादन मूल्य में सर्वाधिक योगदान वर्ष 2015-16 में कोयले (31.23%) का है।
(C) खनिज ईंधन (Mineral fuels)- इसके अन्तर्गत आणविक खनिज, कोयला, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस को शामिल किया गया है।
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FAQs
Q1. खनिज उत्पादन इंडेक्स का आधार वर्ष क्या है?
Ans. 2004-05 (14.157 बिन्दु- 2015-16)
Q2. खान और खनिज अधिनियम 1957 कब लागू हुआ था?
Ans. 1 जून, 1958 को
Q3. खनिज उत्पादन की दृष्टि से अपतटीय क्षेत्र के अन्तर्गत समाहित क्षेत्र कौन से हैं?
Ans. समुद्री क्षेत्र, महाद्वीपीय ढाल एवं विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र जिसके उत्खनन हेतु नियमन की सम्पूर्ण शक्ति केन्द्र के पास है।
Q4. खान एवं खनिज अधिनियम 1957 को कितने बार संशोधित किया गया?
Ans. 1972, 1986, 1994, 1999, एवं 2004 में
Q5. विविध खनिजों के संरक्षित संसाधन वर्गीकरण किस पद्धति पर आधारित है?
Ans. U.N.F.C. पद्धति 1 अप्रैल 2000 पर
Q6. भारत में खनिजों की खोज और विकास के लिए उत्तरदायी संगठन कौन-कौन से हैं?
Ans. भारतीय भूगर्भ सर्वेक्षण (G.S.I.), खनिज अन्वेषण निगम लिमिटेड (MECL), भारतीय खान ब्यूरों एवं सार्वजनिक क्षेत्र के अन्य उपक्रम
Q7. जी.एस.आई. की स्थापना कब की गई थी?
Ans. 1851
Q8. भारतीय खान ब्यूरों का मुख्यालय कहाँ स्थित है?
Ans. नागपुर में
Q9. MECL की स्थापना वर्ष तथा मुख्यालय कहाँ है?
Ans. 1972 एवं नागपुर (महाराष्ट्र)
Q10. भारत के खनिज मानचित्र के अनुसार कौन सी पेटी खनिज सम्पदा में सर्वोच्च है?
Ans. छोटा नागपुर पेटी
Q11. खनिज सम्पदा की दृष्टि में ‘भारत का रुर’ उपमा किसे प्रदान किया गया है?
Ans. छोटानागपुर
Q12. भारत की लौह एवं इस्पात पेटी’ की संज्ञा किस खनिज पेटी को प्रदान की गई है?
Ans. छोटानागपुर पेटी
Q13. भारत में खनिज सम्पदा की दृष्टि से सबसे विपन्न भाग कौन है?
Ans. उत्तरी मैदानी भाग