गैर-परम्परागत ऊर्जा (Non-Conventional Energy)

गैर परम्परागत ऊर्जा नवीकरणीय ऊर्जा है जो सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, भू-तापीय ऊर्जा, महासागरीय लहरों, हाइड्रोजन, बायोमॉस आदि स्रोतों से प्राप्त होती है। ये संसाधन नवीकरणीय तथा प्रदूषण रहित हैं।

नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय अक्षय ऊर्जा से संबंधित सभी मुद्दों पर भारत सरकार का एक शीर्ष मंत्रालय है। मंत्रालय का व्यापक लक्ष्य देश में ऊर्जा संबंधी जरूरतों की प्रतिपूर्ति के लिए अक्षय ऊर्जा विकसित करना है।

देश की ऊर्जा सुरक्षा के लिए हाल में बढ़ती चिंता को ध्यान में रखते हुए अक्षय ऊर्जा को महत्त्वपूर्ण माना जा रहा है। ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने हेतु अक्षय ऊर्जा की पहचान एक प्रदूषण मुक्त ईंधन के रूप में की गयी है। 1970 के दशक में तेल क्षेत्र से मिले झटके के अलावा तेल के मूल्य में अचानक वृद्धि होना, इसकी आपूर्ति से जुड़ी अनिश्चितताएँ और भुगतान संतुलन पर इसके प्रतिकूल प्रभाव के कारण हम वैकल्पिक ऊर्जा के प्रति सोचने को विवश हैं।

अन्य ऊर्जा स्त्रोतों की तुलना में अक्षय ऊर्जा स्त्रोत और ऊर्जा की पर्याप्तता के लिए महत्वपूर्ण अवसर देश के अधिकांश भौगोलिक क्षेत्र में मौजूद हैं। अक्षय ऊर्जा के शीघ्र कार्यान्वयन होने से ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक लाभ प्राप्त होगें। अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार देश में अक्षय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों, पद्धतियों, सामग्रियों, घटकों, उपप्रणालियों, उत्पादों और सेवाओं का कार्यान्वयन करके हम अपने देश को इस क्षेत्र में विदेशी मुद्रा अर्जित करने वाला बना सकते हैं।

देश में नवीकरणीय विद्युत ऊर्जा स्रोत की स्थापित क्षमता 1 जनवरी, 2021 तक 91154 (24.5%) मेगावॉट थी। नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने देश के विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व वाले धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों सहित विभिन्न स्थानों पर सौर-प्रकाश व्यवस्था सहित अक्षय ऊर्जा की अनेक पद्धतियों को दर्शाने के लिए एक विशेष क्षेत्र प्रदर्शन परियोजना लागू की है। अब तक देश के 12 राज्यों के 29 धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों को इस परियोजना में शामिल किया गया है। वर्ष 2011 के दौरान क्रिस्टालिन सिलिकॉन प्रौद्योगिकी पर आधारित सौर पीवी मॉड्यूल का भी घरेलू उत्पादन लगभग 300 मेगावॉट बिजली उत्पादन के लिए किया गया। इसके अलावा 31 अक्टूबर, 2012 तक 268 मेगावॉट कुल क्षमता वाले ग्रिड से जुड़े सौर पीवी बिजली संयंत्र जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय सौर मिशन (JNNSM) के अधीन स्थापित किया गया था, जिसमें से 99 प्रतिशत भाग का इस्तेमाल घरेलू तौर पर होता है।

शीर्ष 5, सौर ऊर्जा से विद्युत (Solar Photovoltaic Electricity) उत्पादन वाले देश
क्रम
देश (2018)
• प्रथम
चीन
• द्वितीय
USA
• तृतीय
जापान
• चतुर्थ
जर्मनी
• पंचम
भारत
शीर्ष सौर ऊर्जा संस्थापित क्षमता वाले राज्य (31 मार्च, 2020)
रैंक
देश
• प्रथम
कर्नाटक
• द्वितीय
राजस्थान
• तृतीय
आंध्र प्रदेश
• चतुर्थ
तेलंगाना
• पंचम
तमिलनाडु
शीर्ष 5, विश्व सौर ऊर्जा संस्थापित क्षमता वाले देश (2020)
रैंक
देश
• प्रथम
चीन
• द्वितीय
USA
• तृतीय
जापान
• चतुर्थ
जर्मनी
• पंचम
भारत

महत्वपूर्ण जानकारी

प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी ने पेरिस समझौते में नवीकरणीय ऊर्जा के लिये 175 गीगावाट लक्ष्य की घोषणा की थी। हम वर्तमान में लगभग 91 गीगावाट हासिल कर चुके हैं। प्रधानमंत्री ने हाल के संयुक्त राष्ट्र जलवायु कार्रवाई सम्मेलन में यह लक्ष्य बढ़ाकर 450 गीगावाट कर दिया है।

• प्रथम नवीकरणीय ऊर्जा वैश्विक निवेशक सम्मेलन 15-17 फरवरी, 2015 को नई दिल्ली में सम्पन्न हुआ था।

• देश का प्रथम सोलर पावर प्लांट पंजाब, अमृतसर के रमदास के निकट अवान गाँव में 15 दिसम्बर, 2009 को प्रारम्भ किया गया है। केन्द्र तथा पंजाब सरकार के सहयोग से ‘अझूर पावर’ नामक निजी कम्पनी ने यह प्लांट स्थापित किया है। • 10 सितम्बर, 2010 को गुजरात के बड़ोदरा में अपने कार्यालय को खोलकर बुनियादी ढाँचा साल्यूशन सेवा कम्पनी ‘सीमंस’ ने भारत में अक्षय ऊर्जा (पवन तथा सौर ऊर्जा) क्षेत्र में अपना परिचालन शुरु कर दिया है।

• राजस्थान के सरहदी बाड़मेर (मंगला प्रोसेसिंग टर्मिनल) से केयर्न इण्डिया और तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ONGC) ने विश्व की सबसे लम्बी 670 किमी. लम्बी हीटिड तेल पाइप लाइन के द्वारा गुजरात के सलाया तक कच्चे तेल को पहुँचाने में 23 जून, 2010 को सफलता प्राप्त की है। इस तकनीक के माध्यम से मोम की अधिक मात्रा वाले कच्चे तेल को सैकड़ों किमी. दूर स्थित तेल शोधक कारखानों को भेजा जा रहा है।

• राष्ट्रीय वर्द्धित ऊर्जा क्षमता मिशन-इस मिशन की घोषणा 5 फरवरी, 2010 को तथा लागू 1 अप्रैल, 2010 को किया गया। इसका उद्देश्य पारिस्थितिकीय संपोषणता के साथ विकास हासिल करना है जबकि लक्ष्य 2030 तक कार्बन उत्सर्जन में 20% की कटौती है अर्थात् 9.90 करोड़ टन कार्बन उत्सर्जन को कम करना है।

• राजीव गाँधी ग्रामीण LPG वितरण योजना 17 अक्टूबर, 2009 को प्रारम्भ किया गया था।

• विश्व का सबसे बड़ा सौर ऊर्जा संयन्त्र ‘ब्लाइथे सौर संयन्त्र’ दक्षिणी कैलीफोर्निया के

मोजाबे रेगिस्तान में लगाया जा रहा है। इससे कुल 1000 मेगावाट तक बिजली उत्पन्न की जा सकेगी।

• पेट्रोलियम पदार्थों से सम्बद्ध प्रमुख समितियाँ है- (i) विजय केलकर समिति (1995); (ii) रंगराजन समिति (2005) (iii) चतुर्वेदी समिति (2008) तथा (iv) किरीट पारीख समिति (2009)।

• दि एनर्जी रिसौर्सेज इंस्टीट्‌यूट (टेरी) ने कुछ आयल जैपर बैक्टीरिया विकसित किये हैं जो समुद्र के भीतर तेल बिखरने पर उसे अत्यल्प समय (कुछ ही मिनट में) में खा जाते हैं।

• IEA world Energy Statistics, 2020 के अनुसार वर्ष 2018 में पवन ऊर्जा से विद्युत उत्पादन करने वाले शीर्ष राष्ट्रों में भारत का चौथा स्थान था।

• मंगला-भाग्यम, शक्ति एवं ऐश्वर्या बाड़मेर-सांचौर बेसिन में खोजे गए नये तेल क्षेत्र हैं।*

• भारत में तेल अन्वेषण का कार्य ONGC और ऑयल इण्डिया लिमिटेड द्वारा किया जाता है। (UPPSC:M: 04)

• HBJ पाइप लाइन द्वारा प्राकृतिक गैस का परिवहन दक्षिणी बेसिन से किया जाता है, यह बाम्बे हाई के अपतटीय क्षेत्र में अवस्थित है।

• राजस्थान के बाड़मेर में केयर्न इंडिया के ‘भाग्यम’ तेल क्षेत्र में कच्चे तेल का उत्पादन 20 जनवरी, 2012 को शुरू हो गया था। केयर्न की बाड़मेर परियोजना के मंगला, भाग्यम और ऐश्वर्या क्षेत्रों में कुल मिलाकर एक अरब बैरल तेल की निकासी की संभावना है।

• सतत् विकास हेतु ऊर्जा की महती आवश्यकता के मद्देनजर U.N.O. महासभा ने अपने संकल्प द्वारा वर्ष 2012 को ‘सभी के लिए सतत् ऊर्जा के अन्तर्राष्ट्रीय वर्ष’ (International year of Sustainable Energy for all) के रूप में मनाने का वैश्विक आह्वान किया था। इस अभियान के तहत् वर्ष 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा के प्रयोग में 30 प्रतिशत की वृद्धि करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया। ज्ञातव्य है कि नवीकरणीय ऊर्जा की सकल ऊर्जा उपभोग में हिस्सेदारी एक दशक पूर्व 0.8 प्रतिशत थी। जो वर्ष 2019 में बढ़कर 4.2 प्रतिशत हो गई थी।

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मेरा नाम सुनीत कुमार सिंह है। मैं कुशीनगर, उत्तर प्रदेश का निवासी हूँ। मैं एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हूं।

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