हार्डवेयर के उपयोग के आधार पर कम्प्यूटर को विभिन्त्र पीढ़ियों (Generations) में बांटा जाता है।
ट्रांजिस्टर (Transistor) का आविष्कार 1947 में बेल लैबोरेटरीज (Bell Laboratories) के जॉन वारडीन, विलियम शाकले तथा वाल्टर ब्रेटन (Bardeen, Shockley and Brattain) ने किया। अर्द्धचालक (Semi-conductor) पदार्थ सिलिकन (Si) या जर्मेनियम (Ge) का बना ट्रांजिस्टर एक तीव्र स्विचिंग डिवाइस (Switching device) है।
2.1. पहली पीढ़ी के कम्प्यूटर (First Generation Computers) (1942-1955)
• इसमें निर्वात ट्यूब (Vacuum Tubes) का प्रयोग किया गया।
• इनमें मशीन भाषा (Machine Language) का प्रयोग किया गया। भंडारण के लिए पंचकार्ड का प्रयोग किया गया।
• ये आकार में बड़े (Bulky) और अधिक ऊर्जा खपत करने वाले थे।
• एनिएक (ENIAC), यूनीबैक (UNIVAC) तथा आईबीएम (IBM) के मार्क-1 इसके उदाहरण हैं।
• 1952 में डॉ. ग्रेस हापर द्वारा असेम्बली भाषा (Assembly Language) के आविष्कार से प्रोग्राम लिखना कुछ आसान हो गया।
2.2. दूसरी पीढ़ी के कम्प्यूटर (Second Generation Computers) (1955-64)
• निर्वात ट्यूब की जगह ट्रांजिस्टर का प्रयोग किया गया जो हल्के, छोटे और कम विद्युत खपत करनेवाले थे।
• इनकी गति तीव्र और त्रुटियां कम थी।
• पंचकार्ड की जगह चुम्बकीय भंडारण उपकरणों (Magnetic Storage Devices) का प्रयोग किया गया जिससे भंडारण क्षमता और गति में वृद्धि हुई।
• व्यवसाय तथा उद्योग में कम्प्यूटर का प्रयोग आरंभहुआ।
• बैच आपरेटिंग सिस्टम (Batch Operating System) का आरंभ किया गया।
• साफ्टवेयर में कोबोल (COBOL-Common Business Oriented Language) और फोरट्रान (FOR-TRAN -Formula Translation) जैसे उच्च स्तरीय भाषा (High Level language) का विकास आईबीएम द्वारा किया गया। इससे प्रोग्राम लिखना आसान हुआ।
2.3. तीसरी पीढ़ी के कम्प्यूटर (Third Generation Computers (1964-1975)
• ट्रांजिस्टर की जगह इंटीग्रेटेड सर्किट (IC-Integrated Circuit) का प्रयोग शुरू हुआ जिसमें सैकड़ों इलेक्ट्रानिक उपकरण जैसे ट्रांजिस्टर, प्रतिरोधक (Re-sister) और संधारित्र (Capacitor) एक छोटे चिप पर बने होते हैं।
• प्रारंभ में SSI (Small Scale Integration) और बाद में MSI (Medium Scale Integration) का प्रयोग किया गया।
• इस पीढ़ी के कम्प्यूटर हल्के, कम खर्चीले तथा तीव्र थे और अधिक विश्वसनीय थे।
• चुम्बकीयटेप और डिस्क के भंडारण क्षमता में वृद्धि हुई। रैम (RAM-Random Access Memory) के कारण गति में वृद्धि हुई।
• उच्च स्तरीय भाषा में पीएल-1 (PL/1), पास्कल (PAS-CAL) तथा बेसिक (BASIC) का विकास हुआ।
• टाइम शेयरिंग ऑपरेटिंग सिस्टम (Time Sharing Operating System) का विकास हुआ।
• हार्डवेयर और साफ्टवेयर की अलग-अलग बिक्री प्रारंभहुई। इससे उपयोगकर्ता आवश्यकतानुसार साफ्टवेयर ले सकता था।
• 1965 में डीइसी (DEC-Digital Equipment Corporation) द्वारा प्रथम व्यवसायिक मिनी कम्प्यूटर (Mini Computer) पीडीपी-8 (Programmed Data Processer-8) का विकास किया गया।
2.4. चौथी पीढ़ी के कम्प्यूटर (Fourth Generation Computers) (1975-1989)
• एलएसआई (LSI-Large Scale Integration) तथा वीएलएसआई (VLSI-Very Large Scale Integration) चिप् तथा माइक्रो प्रोसेसर के विकास से कम्प्यूटर के आकार में कमी तथा क्षमता में वृद्धि हुई।
• माइक्रो प्रोसेसर का विकास एम ई हौफ ने 1971 में किया। इससे व्यक्तिगत कम्प्यूटर (Personal Computer) का विकास हुआ।
• चुम्बकीय डिस्क और टेप का स्थान अर्धचालक (Semi-conductor) मेमोरी ने ले लिया। रैम (RAM) की क्षमता में वृद्धि से कार्य अत्यंत तीव्र हो गया।
• उच्च गति वाले कम्प्यूटर नेटवर्क (Network) जैसे लैन (LAN) व वैन (WAN) का विकास हुआ।
• समानान्तर कम्प्यूटिंग (Parallel Computing) तथा मल्टीमीडिया का प्रचलन प्रारंभ हुआ।
• 1981 में आईबीएम (IBM) ने माइक्रो कम्प्यूटर का विकास किया जिसे पीसी (PC-Personal Computers) कहा गया।
• साफ्टवेयर में ग्राफिकल यूजर इंटरफेस (GUI-Graphical User Interface) के विकास ने कम्प्यूटर के उपयोग को सरल बना दिया।
• आपरेटिंग सिस्टम में एम.एस. डॉस (MS-DOS), माइक्रोसाफ्ट विण्डोज (MS-Windows) तथा एप्पल ऑपरेटिंग सिस्टम (Apple OS) का विकास हुआ।
• उच्च स्तरीय भाषा में ‘C’ भाषा का विकास हुआ जिसमें प्रोग्रामिंग सरल था।
• उच्च स्तरीय भाषा का मानकीकरण किया गया ताकि किसी प्रोग्राम को सभी कम्प्यूटर में चलाया जा सके।
2.5. पांचवी पीढ़ी के कम्प्यूटर (Fifth Generation Computers) (1989- अब तक )
• यूएलएसआई (ULSI-Ultra Large Scale Integration) के विकास से करोड़ो इलेक्ट्रानिक उपकरणों को चिप पर लगाया जा सका। आप्टिकल डिस्क (Optical disk) जैसी सीडी के विकास ने भंडारण क्षेत्र में क्रांति ला दी।
• नेटवर्किंग के क्षेत्र में इंटरनेट (Internet), ई-मेल (e-mail) तथा डब्ल्यू डब्ल्यू डब्ल्यू (www-world wide web) का विकास हुआ।
• सूचना प्रौद्योगिकी (Information Technology) तथा सूचना राजमार्ग (Information Highway) की अवधारणा का विकास हुआ।
• नये कम्प्यूटर में कृत्रिम ज्ञान क्षमता (Artificial Intelligence) डालने के प्रयास चल रहे हैं ताकि कम्प्यूटर परिस्थितियों के अनुकूल स्वयं निर्णय ले सके।
• मैगनेटिक बबल मेमोरी (Magnetic Bubble Memory) के प्रयोग से भंडारण क्षमता में वृद्धि हुई।
• पोर्टेबल पीसी (Portable PC) और डेस्क टॉप पीसी (Desktop PC) ने कम्प्यूटर को जीवन के लगभग प्रत्येक क्षेत्र से जोड़ दिया।
कम्प्यूटर की पीढ़ियाँ
कम्प्यूटर की पीढ़ियाँ उनके विकास के विभिन्न चरणों को दर्शाती हैं। प्रत्येक पीढ़ी में तकनीकी प्रगति और नवाचारों के कारण कम्प्यूटर की कार्यक्षमता, आकार, और उपयोग में बदलाव आया है। यहाँ कम्प्यूटर की पाँच प्रमुख पीढ़ियाँ के बारे में बताया गया है।
1. पहली पीढ़ी (1942-1955)
प्रमुख तकनीक: वैक्यूम ट्यूब, पंचकार्ड, विद्युत और यांत्रिक मशीन
विशेषताएँ:
• बहुत बड़े आकार के होते थे।
• उच्च मात्रा में बिजली का उपयोग करते थे और गर्म होते थे।
• प्रोग्रामिंग के लिए मशीन लैंग्वेज का उपयोग किया जाता था।
उदाहरण: ENIAC, UNIVAC, IBM 701
2. दूसरी पीढ़ी (1955-1964)
प्रमुख तकनीक: ट्रांजिस्टर, चुंबकीय मेमोरी
विशेषताएँ:
• आकार में छोटे और अधिक विश्वसनीय।
• कम बिजली की खपत।
• उच्च गति और बेहतर प्रदर्शन।
• उच्च स्तर की प्रोग्रामिंग भाषाओं का उपयोग (जैसे FORTRAN, COBOL)।
उदाहरण: IBM 1401, CDC 1604
3. तीसरी पीढ़ी (1964-1975)
प्रमुख तकनीक: इंटीग्रेटेड सर्किट (IC), SSI व MSI
विशेषताएँ:
• यह और भी छोटे आकार के और अधिक शक्तिशाली।
• एक ही चिप पर कई ट्रांजिस्टर होते थे।
• मल्टीटास्किंग और मल्टीप्रोग्रामिंग की क्षमता।
उदाहरण: IBM System/360, PDP-8
4. चौथी पीढ़ी (1975-1989)
प्रमुख तकनीक: माइक्रोप्रोसेसर, VLSI
विशेषताएँ:
• व्यक्तिगत कम्प्यूटर (PC) का विकास।
• बहुत छोटे और सस्ते।
• ग्राफिकल यूजर इंटरफेस (GUI) का उपयोग।
• इंटरनेट और नेटवर्किंग की शुरुआत।
उदाहरण: Intel 4004, Apple II, IBM PC
5. पाँचवीं पीढ़ी (1989 – अबतक)
प्रमुख तकनीक: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और क्वांटम कम्प्यूटिंग, ऑप्टिकल डिस्क
विशेषताएँ:
• मशीन लर्निंग और प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण।
• मानव जैसे सोचने और निर्णय लेने की क्षमता।
• क्वांटम कम्प्यूटिंग के माध्यम से अत्यधिक जटिल समस्याओं का समाधान।
उदाहरण: AI आधारित सिस्टम, क्वांटम कम्प्यूटर, सुपर कंप्यूटर, IBM नोटबुक
2.6. अगली पीढ़ी के कम्प्यूटर (Next Generation Computer)
नैनो कम्प्यूटर (Nano Computer) : नैनो ट्यूब्स जिनका व्यास 1 नैनो मीटर (1×10-9 मी.) तक हो सकता है, के प्रयोग से अत्यंत छोटे व विशाल क्षमता वाले कम्प्यूटर के विकास की परिकल्पना की गई है।
क्वांटम कम्प्यूटर (Quantum Computer) : विद्युतीय किरणों में ऊर्जा इलेक्ट्रान की उपस्थिति के कारण होती है। ये इलेक्ट्रान अपने कक्ष में तेजी से भ्रमण करते हैं। इस कारण इन्हें एक साथ 1 और 0 की स्थिति में गिना जा सकता है। इस क्षमता का इस्तेमाल कर मानव मस्तिष्क से भी तेज कार्य करने वाले कम्प्यूटर के विकास का प्रयास चल रहा है।
3. कार्य पद्धति के आधार पर वर्गीकरण (Classification on Working Technology)
तकनीक के आधार पर कम्प्यूटर को तीन प्रकार में बांटा जाता है-
(i) एनालॉग कम्प्यूटर (Analog Computer) : इसमें विद्युत के एनालॉग रूप (भौतिक राशि जो लगातार बदलती रहती हैं) का प्रयोग किया जाता है। इनकी गति अत्यंत धीमी होती है। अब इस प्रकार के कम्प्यूटर प्रचलन से बाहर हो गये हैं।
एक साधारण घड़ी, वाहन का गति मीटर (Speedo meter), वोल्टमीटर आदि एनालॉग कम्प्यूटिंग के उदाहरण हैं।
(ii) डिजिटल कम्प्यूटर (Digital Computer) : ये इलेक्ट्रानिक संकेतों पर चलते हैं तथा गणना के लिए द्विआधारी अंक पद्धति (Binary System- 0 या 1) का प्रयोग किया जाता है। इनकी गति तीव्र होती है। वर्तमान में प्रचलित अधिकांश कम्प्यूटर इसी प्रकार के हैं।
(iii) हाइब्रिड कम्प्यूटर (Hybrid Computer) : यह डिजिटल व एनालॉग कम्प्यूटर का मिश्रित रूप है। इसमें गणना तथा प्रोसेसिंग के लिए डिजिटल रूप का प्रयोग किया जाता है, जबकि इनपुट तथा आउटपुट में एनालॉग संकेतों का उपयोग होता है। इस तरह के कम्प्यूटर का प्रयोग अस्पताल, रक्षा क्षेत्र व विज्ञान आदि में किया जाता है।
यह भी पढ़ें : कम्प्यूटर का विकास (Development of Computer)
FAQs
1. परम पदम (Param Padam) जो हाल में चर्चा का विषय था, है-
(a) भारत सरकार द्वारा स्थापित एक नवीन नागरिक पुरस्कार
(b) भारत द्वारा विकसित सुपर कम्प्यूटर का नाम
(c) भारत की उत्तरी तथा दक्षिणी नदियों को जोड़ने के लिए ‘प्रस्तावित नहरों के तंत्र’ का नाम
(d) म. प्र. में ई-प्रशासन के लिए साफ्टवेयर प्रोग्राम
Ans.(b)
व्याख्या : भारत में परम सीरीज के सुपर कम्प्यूटर का विकास सी-डैक पुणे द्वारा 1998 में किया गया। इसकी क्षमता 1 खरब गणना प्रति सेकेण्ड थी। इसके निर्माण का श्रेय सी-डैक के निदेशक डॉ. विजय भास्कर को है। भारत के अतिरिक्त अन्य चार देशों- अमेरिका, चीन, जापान तथा इजराइल के पास सुपर कम्प्यूटर उपलब्ध हैं।
2. विश्व के प्रथम सुपर कम्प्यूटर का निर्माण किया?
(a) आईबीएम
(b) एससीएल
(c) सीआरसी
(d) सी-डैक
Ans. (c)
व्याख्या : विश्व के प्रथम सुपर कम्प्यूटर क्रे. के.-1 एस के निर्माण का श्रेय अमेरिका के सीआरसी (Cray Research Company) को है। सी-डैक पुणे ने भारत में परम सीरीज के सुपर कम्प्यूटर का विकास किया। आईबीएम को विश्व के सबसे तेज सुपर कम्प्यूटर ब्लूजीन के निर्माण का श्रेय है।
3. विश्व का द्रुततम कम्प्यूटर निष्पादित कर पाया है-
(a) 106 संक्रियाएं प्रति सेकेण्ड
(b) 105 संक्रियाएं प्रति सेकेण्ड
(c) 1012 संक्रियाएं प्रति सेकेण्ड
(d) 1015 संक्रियाएं प्रति सेकेण्ड
Ans. (c) 1996 के स्थिति के अनुसार
व्याख्या : सुपर कम्प्यूटर की गणना क्षमता अति तीव्र होती है। 1998 में भारत में बना सुपर कम्प्यूटर 1 खरब (1012) गणना प्रति सेकेण्ड कर सकता है। आज का सबसे तीव्र सुपर कम्प्यूटर ब्लू जीन 478 ट्रिलियन (1015) संक्रियाएं प्रति सेकेण्ड कर सकता है।
4. निम्नलिखित में से कौन सी भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र द्वारा विकसित सुपर कम्प्यूटर है?
(a) परम पदम
(b) फ्लोसाल्वर
(c) चिप्स
(d) अनुपम
Ans. (d)
व्याख्या : ‘अनुपम’ सीरीज के सुपर कम्प्यूटर का विकास बार्क (Bhabha Atomic Research Centre) मुम्बई द्वारा किया जा रहा है। ‘परम पदम’ सी-डैक, पुणे द्वारा विकसित किया गया, जबकि फ्लोसाल्वर नेशनल एयरोनाटिक्स लेबोरेटरीज, बंग्लुरू द्वारा विकसित भारत का प्रथम सुपर कम्प्यूटर है।
5. विश्व का सबसे तेज कम्प्यूटर है?
(a) टी-3ए
(b) येन्हा-3
(c) परम-10,000
(d) जे-8
Ans. (b)
व्याख्या : येन्हा-3 चीन द्वारा निर्मित सुपर कम्प्यूटर है जो दिये गये विकल्पों में से सबसे तीव्र है।
6. डिजिटल कम्प्यूटर विकसित किया गया?
(a) रूस
(b) ब्रिटेन
(c) यूएसए
(d) जापान
Ans. (c)
व्याख्या : डिजिटल कम्प्यूटर द्विआधारीय पद्धति (Binary System 0 या 1) का उपयोग करता है। इसके विकास में अमेरिका का सर्वाधिक योगदान है।
7. आईबीएम (IBM) का पूरा नाम है ?
(a) इंडियन बिजनेस मशीन
(b) इंटरनेशनल बिजनेस मशीन
(c) इटैलियन बिजनेस मशीन
(d) इन्टीग्रल बिजनेस मशीन
Ans. (b)
व्याख्या: IBM-International Business Machine कम्प्यूटर निर्माण के क्षेत्र में एक प्रतिष्ठित अमेरिकी कम्पनी है। इसे पर्सनल कम्प्यूटर तथा विश्व के सबसे तेज सुपर कम्प्यूटर के विकास का श्रेय है।
8. वह आदमी जो कम्प्यूटर का जनक समझा जाता है?
(a) चार्ल्स बैबेज
(b) होलरिप
(c) लेबनिज
(d) ब्लेज पास्कल
Ans. (a)
व्याख्या: ब्रिटिश गणितज्ञ चार्ल्स बैबेज ने 1822 में डिफरेंस इंजिन और 1842 में एनालिटिकल इंजन का निर्माण किया। कम्प्यूटर के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए उन्हें ‘आधुनिक कम्प्यूटर विज्ञान का जनक’ माना जाता है।
9. भारत ने सुपर कम्प्यूटर परम का निर्माण किया?
(a) चेन्नई में
(b) बंग्लुरू में
(c) दिल्ली में
(d) पुणे में
Ans. (d)
व्याख्या : परम सीरीज के सुपर कम्प्यूटर का निर्माण सी-डैक, पुणे द्वारा किया गया है।
10. कम्प्यूटर में प्रयुक्त आईसी चिप बनी होती है?
(a) सिलिकान
(b) पर्ण
(c) क्रोमियम
(d) स्वर्ण
Ans. (a)
व्याख्या : आईसी चिप (Integrated Circuit Chip) वस्तुतः अर्धचालक पदार्थ सिलिकन या जर्मेनियम का छोटा टुकड़ा होता है जिस पर इलेक्ट्रानिक सर्किट बना रहता है। इसका निर्माण 1958 में जे. एस. किल्वी तथा राबर्ट नोयी ने किया।
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