साफ्टवेयर (Software)

किसी भी कम्प्यूटर को कार्य करने के लिए दो चीजों की जरूरत होती है- हार्डवेयर तथा साफ्टवेयर।

हार्डवेयर (Hardware) : कम्पयूटर मशीनों और कलपूर्जा को हार्डवेयर कहते हैं। कम्प्यूटर की भौतिक संरचना को हार्डवेयर के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। वस्तुतः वे सभी चीजें जिन्हें हम देख और छू सकते हैं, हार्डवेयर के अंतर्गत आते हैं जैसे-सिस्टम यूनिट, मॉनीटर, इनपुट डिवाइस, आउटपुट डिवाइस आदि।

साफ्टवेयर (Software): साफ्टवेयर, प्रोग्रामों नियम व क्रियाओं का वह समूह है जो कम्प्यूटर सिस्टम के कार्यों को नियंत्रित करता है तथा कम्प्यूटर के विभिन्न हार्डवेयर के बीच समन्वय स्थापित करता है, ताकि किसी विशेष कार्य को पूरा किया जा सके। इस तरह, साफ्टवेयर वह निर्देश है जो हार्डवेयर से निर्धारित कार्य कराने के लिए उसे दिए जाते हैं। अगर हार्डवेयर इंजन है तो साफ्टवेयर उसका ईंधन। साधारणतः प्रोग्राम (Pro-gram), अप्लिकेशन (Application) और साफ्टवेयर (Soft-ware) एक ही चीज को इंगित करते हैं।

साफ्टवेयर के प्रकार (Types of Software)

साफ्टवेयर को मुख्यतः तीन भागों में बांटा जा सकता है-

1. सिस्टम साफ्टवेयर (System Software)
2. एप्लिकेशन साफ्टवेयर (Application Software)
3. यूटीलिटी साफ्टवेयर (Utility Software)

1. सिस्टम साफ्टवेयर (System Software) :

प्रोग्रामों का समूह जो कम्प्यूटर सिस्टम के मूलभूत कार्यों को संपन्न करने तथा उन्हें कार्य के लायक बनाए रखने के लिए तैयार किए जाते हैं, सिस्टम साफ्टवेयर कहलाते हैं। यह कम्प्यूटर तथा उपयोगकर्ता के बीच मध्यस्थ का कार्य करता है। सिस्टम साफ्टवेयर के बिना कम्प्यूटर एक बेजान मशीन भर ही रह जाता है।

सिस्टम साफ्टवेयर के प्रमुख कार्य हैं-

(i) अप्लिकेशन साफ्टवेयर के लिए पृष्ठभूमि तैयार करना।

(ii) विभिन्न हार्डवेयर संसाधनों का महत्तम उपयोग सुनिश्चित करना।

(iii) पेरीफेरल डिवाइसेस का समन्वय तथा नियंत्रण करना।

सिस्टम साफ्टवेयर के उदाहरण हैं-

डॉस (DOS), विन्डोज (Windows), युनिक्स (Unix), मैसिन्टास (Macintosh) आदि।

सिस्टम साफ्टवेयर को मुख्यतः दो भागों में बांटा जाता है-

1. आपरेटिंग सिस्टम (Operating System)
2. लैंग्वेज ट्रांसलेटर (Language Translator)

1.1. आपरेटिंग सिस्टम (Operating System)

यह प्रोग्रामों का वह समूह है जो कम्प्यूटर सिस्टम तथा उसके विभिन्न संसाधनों के कार्यों को नियंत्रित करता है तथा हार्डवेयर, अप्लिकेशन साफ्टवेयर तथा उपयोगकर्ता के बीच संबंध स्थापित करता है। यह विभिन्न अप्लिकेशन प्रोग्राम के बीच समन्वय भी स्थापित करता है।

आपरेटिंग सिस्टम के मुख्य कार्य हैं-

(a) कम्प्यूटर चालू किये जाने पर साफ्टवेयर को द्वितीयक मेमोरी से लेकर प्राथमिक मेमोरी में डालना तथा कुछ मूलभूत क्रियाएं स्वतः प्रारंभ करना।

(b) हार्डवेयर और उपयोगकर्ता के बीच संबंध स्थापित करना।

(c) हार्डवेयर संसाधनों का नियंत्रण तथा बेहतर उपयोग सुनिश्चित करना।

(d) अप्लिकेशन प्रोग्राम का क्रियान्वयन करना।

(e) मेमोरी और फाइल प्रबंधन करना।

(f) हार्डवेयर व साफ्टवेयर से संबंधित कम्प्यूटर के विभिन्न दोषों (errors) को इंगित करना।

कुछ प्रमुख आपरेटिंग सिस्टम के उदाहरण हैं-

→ माइक्रोसाफ्ट डॉस (MS-DOS)

→ विन्डोज 95, 98, 2000, एमई (ME), एक्स-पी (XP)

→ UNIX, LINUX, XENIX आदि

1.2. आपरेटिंग सिस्टम के प्रकार (Types of Operating System)

(i) बैच प्रोसेसिंग आपरेटिंग सिस्टम (Batch Processing Operating System) : इसमें एक ही प्रकृति के कार्यों को एक बैच के रूप में संगठित कर समूह में क्रियान्वित किया जाता है। इसके लिए बैच मॉनीटर साफ्टवेयर का प्रयोग किया जाता है।

इस सिस्टम का लाभ यह है कि प्रोग्राम के क्रियान्वयन के लिए कम्प्यूटर के सभी संसाधन उपलब्ध रहते हैं, अतः समय प्रबंधन की आवश्यकता नहीं पड़ती।

इस सिस्टम में, उपयोगकर्ता तथा प्रोग्राम के बीच क्रियान्वयन के दौरान कोई अंतर्संबंध नहीं रहता तथा परिणाम प्राप्त करने में समय अधिक लगता है। मध्यवर्ती परिणामों पर उपयोगकर्ता का कोई नियंत्रण नहीं रहता।

उपयोग : इस सिस्टम का प्रयोग ऐसे कार्यों के लिए किया जाता है जिसमें मानवीय हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं होती। जैसे- सांख्यिकीय विश्लेषण (Statistical Analysis), बिलप्रिंट करना, पेरोल (Payroll) बनाना आदि।

(ii) मल्टी प्रोग्रामिंग आपरेटिंग सिस्टम (Multi Programming Operating System): इस प्रकार के आपरेटिंग सिस्टम में एक साथ कई कार्यों को सम्पादित किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, किसी एक प्रोग्राम के क्रियान्वयन के बाद जब उसका प्रिंट लिया जा रहा होता है तो प्रोसेसर खाली बैठने के स्थान पर दूसरे प्रोग्राम का क्रियान्वयन आरंभ कर देता है जिसमें प्रिंटर की आवश्यकता नहीं होती। इससे क्रियान्वयन में लगने वाला कुल समय कम हो जाता है तथा संसाधनों का बेहतर उपयोग भी संभव हो पाता है।

(ii) मल्टी प्रोग्रामिंग आपरेटिंग सिस्टम (Multi Programming Operating System): इस प्रकार के आपरेटिंग सिस्टम में एक साथ कई कार्यों को सम्पादित किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, किसी एक प्रोग्राम के क्रियान्वयन के बाद जब उसका प्रिंट लिया जा रहा होता है तो प्रोसेसर खाली बैठने के स्थान पर दूसरे प्रोग्राम का क्रियान्वयन आरंभ कर देता है जिसमें प्रिंटर की आवश्यकता नहीं होती। इससे क्रियान्वयन में लगने वाला कुल समय कम हो जाता है तथा संसाधनों का बेहतर उपयोग भी संभव हो पाता है।

इसके लिए विशेष हार्डवेयर व साफ्टवेयर की आवश्यकता होती है। इसमें कम्प्यूटर की मुख्य मेमोरी का आकार बड़ा होना चाहिए ताकि मुख्य मेमोरी का कुछ हिस्सा प्रत्येक प्रोग्राम के लिए आवंटित किया जा सके। इसमें प्रोग्राम क्रियान्वयन का क्रम तथा वरीयता निर्धारित करने की व्यवस्था भी होनी चाहिए।

(iii) टाइम शेयरिंग आपरेटिंग सिस्टम (Time Shar-ing Operating System) : इस आपरेटिंग सिस्टम में एक साथ कई उपयोगकर्ता जिन्हें टर्मिनल (Terminal) भी कहते हैं; इंटरएक्टिव मोड में कार्य करते हैं जिसमें प्रोग्राम के क्रियान्वयन के बाद प्राप्त परिणाम को तुरंत दर्शाया जाता है। प्रत्येक उपयोगकर्ता को संसाधनों के साझा उपयोग के लिए कुछ समय दिया जाता है जिसे टाइम स्लाइस (Time Slice) या क्वांटम कहते हैं।

इनपुट देने और आउटपुट प्राप्त करने के बीच के समय को टर्न अरांउड समय (Turn Around Time) कहा जाता है। इस समय का उपयोग कम्प्यूटर द्वारा अन्य उपयोगकर्ता के प्रोग्रामों के क्रियान्वयन में किया जाता है।

अगर किसी प्रोग्राम में टाइम स्लाइस से अधिक का समय लगता है तो उसे रोक कर अन्य प्रोग्राम का क्रियान्वयन किया जाता है। अधूरा रोके गये प्रोग्राम को अपने अगले बारी की प्रतीक्षा करनी पड़ती है।

इस आपरेटिंग सिस्टम में मेमोरी का सही प्रबंधन आवश्यक होता है क्योंकि कई प्रोग्राम एक साथ मुख्य मेमोरी में उपस्थित होते हैं। इस व्यवस्था में पूरे प्रोग्रामों को मुख्य मेमोरी में न रखकर प्रोग्राम क्रियान्वयन के लिए आवश्यक हिस्सा ही मुख्य मेमोरी में लाया जाता है। इस प्रक्रिया को स्वैपिंग (Swapping) कहते हैं।

(iv) रीयल टाइम सिस्टम (Real Time System): इस आपरेटिंग सिस्टम में निर्धारित समय सीमा में परिणाम देने को महत्व दिया जाता है। इसमें एक प्रोग्राम के परिणाम का दूसरे प्रोग्राम में इनपुट डाटा के रूप में प्रयोग किया जा सकता है। पहले प्रोग्राम के क्रियान्वयन में देरी से दूसरे प्रोग्राम का क्रियान्वयन और परिणाम रुक सकता है। अतः इस व्यवस्था में प्रोग्राम के क्रियान्वयन समय (Response time) को तीव्र रखा जाता है।

(v) एकल आपरेटिंग सिस्टम (Single Operating System) : पर्सनल कम्प्यूटर के विकास के साथ एकल आपरेटिंग सिस्टम की आवश्यकता महसूस की गई जिसमें प्रोग्राम क्रियान्वयन की समय सीमा या संसाधनों के बेहतर उपयोग को वरीयता न देकर प्रोग्राम की सरलता तथा उपयोगकर्ता को अधिक से अधिक सुविधा प्रदान करने पर जोर दिया गया।

1.3 लैंग्वेज ट्रांसलेटर (Language Translator)

कम्प्यूटर केवल मशीनी भाषा (0 या 1) को समझ सकता है। पर मशीनी भाषा में प्रोग्राम लिखना कठिन कार्य है। अतः -प्रोग्राम को उच्च स्तरीय भाषा (High Level Language) में लिखकर लैंग्वेज ट्रांसलेटर की मदद से मशीन भाषा में बदला जाता है।

लैंग्वेज ट्रांसलेटर के प्रकार हैं-

(i) असेम्बलर (Assembler) : यह क्रियान्वयन से पहले असेम्बली भाषा (Assembly Language) या निम्नस्तरीय भाषा (Low Level Language) को मशीन भाषा में परिवर्तित करता है।

असेम्बली भाषा→ असेम्बलर→ मशीन भाषा

(ii) कम्पाइलर (Compiler) : यह उच्च स्तरीय भाषा को मशीनी भाषा में परिवर्तित करता है। यह पूरे प्रोग्राम को एक ही बार में अनुवादित करता है तथा प्रोग्राम की सभी गलतियों को उनके लाइन क्रम में एक साथ सूचित करता है। जब सभी गलतियां दूर हो जाती हैं तो प्रोग्राम संपादित हो जाता है तथा मेमोरी में सोर्स प्रोग्राम (Source Program) की कोई आवश्यकता नहीं रहती।

(iii) इंटरप्रेटर (Interpreter) : यह कम्पाइलर की तरह ही उच्च स्तरीय भाषा को मशीन भाषा में परिवर्तित करता है। यह सोर्स प्रोग्राम के एक लाइन का मशीन भाषा में अनुवाद करता है तथा दूसरी लाइन का अनुवाद करने से पहले पिछली लाइन को प्रोसेस करता है। यदि इस लाइन में कोई गलती हो तो उसे उसी समय इंगित करता है तथा संशोधन के बाद ही आगे बढ़ता है। हर बार प्रोग्राम को सम्पादन के दौरान इंटरप्रेटर से होकर गुजरना पड़ता है, अतः इसका मेमोरी में बना रहना आवश्यक है।

1.4. कम्पाइलर (Compiler) और इंटरप्रेटर (Interpreter) में अंतर

वस्तुतः दोनों का कार्य उच्च स्तरीय भाषा (High Level Language) को मशीन भाषा में बदलना है। पर कार्य पद्धति के आधार पर दोनों में कुछ अंतर भी है-

कम्पाइलर
इंटरप्रेटर
(ⅰ) पूरे प्रोग्राम को एक साथ परिवर्तित करता है।
(ⅰ) प्रोग्राम को एक-एक लाइन कर अनुवादित करता है।
(ii) पूरे प्रोग्राम को मशीन भाषा में परिवर्तित कर सभी गलतियां एक साथ बताता है।
(ii) एक लाइन को मशीन भाषा में परिवर्तित कर उसकी गलतियां बताता है तथा उस दोष के दूर हो जाने पर ही आगे बढ़ता है।
(iii) अशुद्धियों को हटाने में धीमा।
(iii) अशुद्धियों को हटाने में तीव्र
(iv) सम्पादन में कम समय लेता है।
(iv) सम्पादन में अधिक समय लेता है।

1.5. कुछ लोकप्रिय ऑपरेटिंग सिस्टम (Some Popular Operating System)

(a) एमएसडॉस (MS-DOS-Microsoft Disk Operating System) : यह 1981 में माइक्रोसाफ्ट व आईबीएम द्वारा संयुक्त रूप से तैयार किया गया एकल आपरेटिंग सिस्टम (Single Operating System) है। यह कमाण्ड प्राम्प्ट पर आधारित आपरेटिंग सिस्टम है। इसके प्राम्प्ट में चालू डिस्क का नाम, स्लैश (Slash) तथा खुले हुए डायरेक्टरी का नाम रहता है। जैसे C:\PARIKSHAMANTHAN>

वर्तमान में इस आपरेटिंग सिस्टम का प्रचलन कम हो गया है क्योंकि इसके कमाण्ड को याद रखना पड़ता है तथा इसमें चित्र और ग्राफ नहीं बनाये जा सकते।

(b) माइक्रोसाफ्ट विण्डोज (Microsoft Windows): माइक्रोसाफ्ट कम्पनी ने एमएस-डॉस की कमियों को दूर करने के लिए 1990 में विण्डोज 3.0 जारी किया। बाद में इसके कुछ अन्य रूप जैसे- विण्डोज-95, विण्डोज-98, विण्डोज-एक्सपी, विण्डोज एम-ई, विण्डोजविस्टा (Windows-95, Windows-98, Windows-XP, Windows ME, Windows Vista) आदि जारी किये गये हैं।

विण्डोज आपरेटिंग सिस्टम की कुछ विशेषताएं इस प्रकार हैं-

(i) यह ग्राफिकल यूजर इंटरफेस (GUI) पर आधारित है, अतः इसे सीखना और इस पर कार्य करना आसान है।

(ii) इसमें चित्र, ग्राफ तथा अक्षर के कार्य किये जा सकते हैं।

(iii) विण्डोज पर आधारित सभी प्रोग्राम की कार्य पद्धति लगभग समान होती है। इससे एक प्रोग्राम का ज्ञान दूसरे प्रोग्राम में भी उपयोगी होता है।

(iv) यह मल्टी टास्कींग एकल (Multi Tasking Single User) आपरेटिंग सिस्टम है। इसमें एक साथ कई कार्यक्रमों को चलाया और उस पर कार्य किया जा सकता है।

(c) माइक्रोसाफ्ट विण्डोज एनटी (Microsoft Windows NT) : यह कम्प्यूटर नेटवर्क में प्रयोग के लिए बनाया गया बहुउपयोगकर्ता (Multiuser) तथा टाइम शेयरिंग आपरेटिंग सिस्टम है। इस तरह के आपरेटिंग सिस्टम को नेटवर्क आपरेटिंग सिस्टम कहा जाता है। यह विण्डोज की तरह ग्राफिकल यूजर इंटरफेस का प्रयोग करता है, पर इसमें नेटवर्क, संचार तथा डाटा सुरक्षा की अनेक विशेषताएं पायी जाती हैं।

(d) यूनिक्स (UNIX) : यह एक बहुउपयोगकर्ता टाइम शेयरिंग आपरेटिंग साफ्टवेयर है। इसका विकास 1970 में बेल लैबोरेटरीज (Bell Laboratories) के केन थाम्पसन तथा डेनिस रीची (Ken Thompson and Dennis Ritchie) द्वारा किया गया। यह नेटवर्क तथा संचार के लिए बनाया गया पहला साफ्टवेयर था।

(e) लाइनक्स (LINUX): यह पीसी के लिए बनाया गया मल्टीटास्किंग (Multi Tasking) तथा मल्टी प्रोसेसिंग (Multi Processing) साफ्टवेयर है जिसका विकास नेटवर्क प्रयोग के लिए किया गया। यह वर्तमान में सर्वाधिक लोकप्रिय व प्रयोग में आने वाला साफ्टवेयर है।

2. अप्लिकेशन साफ्टवेयर (Application Software)

यह प्रोग्रामों का समूह है जो किसी विशिष्ट कार्य के लिए तैयार किये जाते हैं। संस्थान, व्यक्ति या कार्य को देखकर आवश्यकतानुसार इस साफ्टवेयर का विकास किया जाता है।

उपयोगिता के आधार पर अप्लिकेशन साफ्टवेयर को दो भागों में बांटा जाता है।

(a) विशेषीकृत अप्लिकेशन साफ्टवेयर (Customized Application Software): यह उपयोगकर्ता की विशेष आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर बनाया जाता है। किसी और के लिए इसकी उपयोगिता नहीं होती है। उदाहरण- रेलवे आरक्षण के लिए तैयार साफ्टवेयर, वायुयान नियंत्रण के लिए तैयार साफ्टवेयर, मौसम विश्लेषण के लिए तैयार साफ्टवेयर आदि।

(b) सामान्य अप्लिकेशन साफ्टवेयर (General Application Software): हालांकि इसे विशेष आवश्यकताओं के लिए बनाया जाता है, पर अनेक उपयोगकर्ता इससे लाभ उठा सकते हैं।

सामान्य अप्लिकेशन साफ्टवेयर के कुछ उदाहरण हैं-

(i) वर्ड प्रोसेसिंग साफ्टवेयर (Word Processing Software) : इसमें कम्प्यूटर उपयोग से दस्तावेजों (पत्र, रिपोर्ट, पुस्तकें आदि) का निर्माण, संशोधन, रूप और आकार में परिवर्तन व्याकरण और स्पेलिंग चेक करना, प्रिंट आदि कार्य कर सकते हैं। यह साफ्टवेयर कम्प्यूटर को टाइपराइटर का विकल्प बनाने के अलावा कुछ अन्य सुविधाएं भी देता है।

वर्ड प्रोसेसिंग साफ्टवेयर के कुछ उदाहरण हैं-

एमएस डॉस (MS-DOS) → वर्ड स्टार (Word Star),

विंडोज (Windows) → वर्डपैड (Word Pad),

-एमएस-वर्ड (MS-Word),

लाइनक्स (Linux) → के-वर्ड (K-Word),
-एबी-वर्ड (Abi-Word),
-ओपन राइटर (Open writer),
-स्टार राइटर (Star writer) आदि।

(ii) स्प्रेड शीट साफ्टवेयर (Spreadsheet Software) : यह मुख्यतः सांख्यिकीय डाटा को टेबल अर्थात रो और कालम (Rows and Columns) के रूप में वर्गीकृत और विश्लेषित करता है। इसमें ग्राफ और चार्ट बनाने की सुविधा भी रहती है। इसका प्रयोग मुख्यतः बैंकों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों में लेजर (Ledger) बनाने में किया जाता है।

स्प्रेडशीट साफ्टवेयर के कुछ उदाहरण हैं-

एमएस डॉस → लोटस 1-2-3 (Lotus 1-2-3)
विण्डोज → एमएस-एक्सेल (MS-Excel)
लाइनक्स → के स्प्रेड (K-Spread)
-ओपेन कैल्क (Open Calc)
-स्टार कैल्क (Star Calc) आदि।

(iii) डाटा बेस साफ्टवेयर (Data Base Software): इसका प्रयोग डाटा को स्टोर करने, उसमें संशोधन तथा उसका वर्गीकरण करने के लिए किया जाता है।

डाटा बेस साफ्टवेयर के कुछ उदाहरण हैं-

एमएसडॉस →डी-बेस-III
विण्डोज →एमएस-एक्सेल
लाइनक्स → स्टार बेस आदि।
आरेकल इंग्लैंड में बना एक शक्तिशाली डाटा बेस साफ्टवेयर है।

(iv) प्रेजेंटेशन साफ्टवेयर (Presentation Soft-ware) : इस साफ्टवेयर द्वारा सम्मेलन, बैठक, गोष्ठी आदि में सूचनाओं का प्रस्तुतिकरण किया जाता है। इस साफ्टवेयर के कुछ उदाहरण हैं-

विण्डोज –  पॉवर प्वाइंट,
लाइनक्स – के-प्रेजेंटर तथा स्टार इम्प्रैस आदि।

(v) एकाउंटिंग पैकेज (Accounting Package) : इसके द्वारा विभिन्न वित्तीय लेखांकन (Financial Accounting), व्यापारिक लेन-देन तथा सामान प्रबंधन को सरल बनाया जाता है। टैली (Tally) भारत में बना एक लोकप्रिय एकाउंटिंग साफ्टवेयर है।

(vi) डेस्कटॉप पब्लिशिंग (DTP-Desk Top Publishing) : इसमें कम्प्यूटर और उसके सहयोगी उपकरणों का प्रकाशन के कार्य में व्यवहार किया जाता है। कुछ लोकप्रिय डीटीपी साफ्टवेयर हैं- माइक्रोसाफ्ट पब्लिशर (MS Publisher), पेजमेकर (Page Maker), कोरल ड्रा (Corel Draw), वेंनचूरा (Ventura) आदि।

(vii) ग्रफिक्स साफ्टवेयर (Graphics Software): इसमें कम्प्यूटर द्वारा ग्राफ, चित्र और रेखाचित्र आदि का निर्माण, संशोधन तथा प्रिंट किया जा सकता है।

(viii) कैड साफ्टवेयर (CAD-Computer Aided Design Software) : इसमें कम्प्यूटर द्वारा इंजीनियरिंग और वैज्ञानिक डिजाइन तैयार करने, उसमें संशोधन करने तथा निर्माण की प्रक्रिया को समझने का कार्य किया जाता है।

3. यूटीलिटी साफ्टवेयर (Utility Software)

यह कम्प्यूटर के कार्य को सरल बनाने, उसे अशुद्धियों से दूर रखने तथा सिस्टम के विभिन्न सुरक्षा कार्यों के लिए बनाया गया साफ्टवेयर है। इसका उपयोग कई अप्लिकेशन साफ्टवेयर में किया जा सकता है।

यूटीलिटी साफ्टवेयर के कुछ उदाहरण हैं-

(i) डिस्क फॉरमैटिंग (Disk Formatting) : इसके द्वारा नये मेमोरी डिस्क (फ्लापी, हार्ड डिस्क या ऑप्टिकल डिस्क) को प्रयोग से पहले आपरेटिंग सिस्टम के अनुकूल बनाया जाता है।

(ii) डिस्क क्लीन अप (Disk Clean Up) : इसके द्वारा मेमोरी डिस्क की अशुद्धियाँ तथा अनावश्यक प्रोग्राम व डाटा हटाकर उसकी क्षमता में वृद्धि की जाती है।

(iii) बैकअप प्रोग्राम (Backup Program) : कम्प्यूटर में लगे मेमोरी डिस्क (Online memory disk) के क्षतिग्रस्त हो जाने पर डाटा नष्ट होने का डर बना रहता है। इससे बचने के लिए डाटा को कम्प्यूटर से अलग किसी अलग मेमोरी डिस्क (Offline Memory disk) पर भी संग्रहित रखा जाता है। इसे बैकअप यूटीलिटी प्रोग्राम कहते हैं।

(iv) एंटीवायरस यूटिलिटी (Antivirus Utility): सही प्रोग्राम के साथ लगा हुआ छोटा प्रोग्राम या अनुदेश जो चलाये जाने पर कम्प्यूटर सिस्टम में कुछ खराबी उत्पन्न करता है, वायरस कहलाता है। इस वायरस को निष्क्रिय करने के लिए तैयार किये गये साफ्टवेयर प्रोग्राम को एंटीवायरस यूटीलिटी प्रोग्राम कहा जाता है।

यह भी पढ़ें :  संख्या पद्धति ( Number System)

FAQs

Q1. एक लोकप्रिय विण्डोज इन्वायरमेंट “विण्डोज-3′ माइक्रोसाफ्ट द्वारा निर्गत की गई-

(a) 1985 में
(b) 2000 में
(c) 1995 में
(d) 1990 में

Ans. (d)
व्याख्या :
माइक्रोसाफ्ट कम्पनी ने एमएस डॉस की कमियों को दूर करने के लिए 1990 में विण्डोज-3.0 (Windows 3.0) जारी किया।

2. ‘लाइनक्स’ एक-

(a) आपरेटिंग सिस्टम का नाम है
(b) बीमारी का नाम है
(c) केमिकल का नाम है
(d) कम्प्यूटर वायरस है

Ans. (a)
व्याख्या:
लाइनक्स (Linux) एक मल्टी प्रोसेसिंग आपरेटिंग सिस्टम है जिसका विकास नेटवर्क में प्रयोग के लिए किया गया। इसका नाम इसके खोजकर्ता लाइनस टोरवाल्डस (Linus Torvalds) के नाम पर पड़ा।

3. विंडोज साफ्टवेयर का निर्माण किया गया-

(a) आईबीएम द्वारा
(b) ऐप्पल कारपोरेशन द्वारा
(c) विप्रो द्वारा
(d) इनमें से कोई नहीं

Ans. (d)
व्याख्या :
बिल गेट्स (Bill Gates) के स्वामित्व वाली अमेरिकी साफ्टवेयर कम्पनी माइक्रोसाफ्ट ने 1990 में विण्डोज 3.0 नामक प्रथम विण्डोज साफ्टवेयर जारी किया। विण्डोज के अन्य संस्करण हैं – Win-95, Win-98, Win-2000, Win-ME, Win-XP, Win-Vista आदि।

4. सीएडी (CAD) का तात्पर्य है-

(a) कम्प्यूटर एल्गोरिथम फॉर डिजाइन
(b) कम्प्यूटर एडेड डिजाइन
(c) कम्प्यूटर एप्लिकेशन इन डिजाइन
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं

Ans. (b)
व्याख्या :
सीएडी (CAD) अर्थात् Computer Aided Design एक साफ्टवेयर है जिसका प्रयोग कम्प्यूटर द्वारा इंजीनियरिंग डिजाइन तैयार करने में किया जाता है।

5. माइक्रोसाफ्ट ऑफिस है-

(a) शेयर वेयर
(b) अप्लिकेशन साफ्टवेयर
(c) ओपेन सोर्स साफ्टवेयर
(d) पब्लिक डोमेन साफ्टवेयर
(e) वर्टिकल मार्केट अप्लिकेशन

Ans. (b)
व्याख्या :
एमएस ऑफिस माइक्रोसाफ्ट द्वारा जारी एक अप्लिकेशन साफ्टवेयर है। जिसमें एमएस वर्ड, एमएस पॉवर प्वाइंट, एमएस एक्सेल तथा एमएस एक्सेस जैसे अन्य कई प्रोग्राम निहित रहते हैं।

6. कौन सा साफ्टवेयर शब्द संसाधन में प्रयुक्त किया जाता है-

(a) पेज मेकर
(b) वर्ड स्टार
(c) एमएस वर्ड
(d) उपयुक्त सभी

Ans. (d)
व्याख्या :
शब्द संसाधनों के लिए प्रयुक्त साफ्टवेयर को वर्ड प्रोसेसिंग साफ्टवेयर कहते हैं। वर्ड प्रोसेसिंग साफ्टवेयर के उदाहरण हैं-एमएस डॉस में वर्ड स्टार, विण्डोज में एमएस-वर्ड तथा वर्ड पैड, लाइनक्स में के-वर्ड तथा ओपेन राइटर आदि। पेज मेकर का प्रयोग डीटीपी (Desk Top Publishing) में किया जाता है।

7. पब्लिक डोमेन साफ्टवेयर है-

(a) पब्लिक द्वारा बनाया गया साफ्टवेयर
(b) इंटरनेट पर मुफ्त में उपलब्ध साफ्टवेयर
(c) सरकारी साफ्टवेयर
(d) माइक्रोसाफ्ट साफ्टवेयर

Ans. (b)

व्याख्या : पब्लिक डोमेन साफ्टवेयर इंटरनेट पर मुफ्त में उपलब्ध साफ्टवेयर है जो किसी एक या अनेक व्यक्तियों द्वारा तैयार किया जाता है। इसी कारण इसे शेयर-वेयर (Share Ware) या फ्री वेयर (Free Ware) भी कहा जाता है।

8. कम्प्यूटर की भौतिक बनावट कहलाती है-

(a) साफ्टवेयर
(b) हार्डवेयर
(c) फर्मवेयर
(d) ह्यूमनवेयर

Ans. (b)
व्याख्या :
कम्प्यूटर की भौतिक संरचना (Physical structure) को हार्डवेयर के रूप में परिभाषित किया जाता है। वस्तुतः वे सभी वस्तुएं जिन्हें हम देख और छू सकते हैं, हार्डवेयर कहलाता है।

9. कम्प्यूटर के संचालन में प्रयुक्त प्रोग्राम, नियम तथा कम्प्यूटर क्रियाओं से संबंधित लिखित सामग्री को कहा जाता है-

(a) साफ्टवेयर
(b) हार्डवेयर
(c) नेटवर्क
(d) फर्मवेयर

Ans. (a)
व्याख्या :
प्रोग्राम, नियम व क्रियाओं का समूह जो कम्प्यूटर सिस्टम के कार्यों को नियंत्रित करता है तथा कम्प्यूटर के विभिन्न हार्डवेयर के बीच समन्वय स्थापित करता है, साफ्टवेयर कहलाता है।

10. निम्नलिखित में से कौन आपरेटिंग साफ्टवेयर नहीं है-

(a) विण्डोज
(b) एमएस डॉस
(c) एकाउंटिंग
(d) लाइनक्स

Ans. (c)
व्याख्या :
एकाउंटिंग एक व्यावसायिक अप्लिकेशन साफ्टवेयर है जबकि एमएस डॉस, विण्डोज तथा लाइनक्स आपरेटिंग साफ्टवेयर है।

11. कम्प्यूटर आंकड़ों में अशुद्धि को कहा जाता है-

(a) चिप
(b) बाइट
(c) बग
(d) बिट

Ans. (c)
व्याख्या :
कम्प्यूटर आंकड़ों में अशुद्धि को बग (Bug) कहा जाता है। इसे सुधारने की प्रक्रिया डी बगिंग (Debugging) कहलाता है।

मेरा नाम सुनीत कुमार सिंह है। मैं कुशीनगर, उत्तर प्रदेश का निवासी हूँ। मैं एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हूं।

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