कम्प्यूटर नेटवर्क (Computer Network) : कम्प्यूटर नेटवर्क एक ऐसा सिस्टम है जिसमें दो या दो से अधिक कम्प्यूटर और अन्य उपकरण आपस में जुड़े होते हैं ताकि वे डेटा और संसाधनों का आदान-प्रदान कर सकें। नेटवर्क का मुख्य उद्देश्य सूचना का साझा करना, संसाधनों का उपयोग करना और संचार को सुविधाजनक बनाना है।
1. नेटवर्क (Network)
कम्प्यूटर नेटवर्क आपस में जुड़े स्वतंत्र कम्प्यूटरों (Autonomous Computers) का समूह है जो आपस में डाटा और सूचनाओं का आदान-प्रदान करने में सक्षम हैं। नेटवर्क का उद्देश्य सूचना, संसाधनों तथा कार्यों की साझेदारी करना होता है। इसमें किसी एक कम्प्यूटर का नेटवर्क पर नियंत्रण नहीं होता।
किसी नेटवर्क में संचार को स्थापित करने के लिए चार चीजों को आवश्यकता पड़ती है-
(i) प्रेषक (Sender)
(ii) माध्यम (Medium)
(iii) प्राप्तकर्ता (Receiver)
(iv) भेजने और प्राप्त करने की कार्य विधि (Protocol)

2. नेटवर्क के लाभ (Benefits of Network)
→ विभिन्न कम्प्यूटर द्वारा आपस में सूचनाओं का आदान-प्रदान।
→ डाटा, सूचना और महंगे उपकरणों का साझा उपयोग।
→ सूचना का तेज गति और शुद्धता (Speed & Accuracy) के साथ आदान-प्रदान
→ कम खर्च में डाटा का आदान-प्रदान
3. प्रोटोकॉल (Protocol)
किसी नेटवर्क में विभिन्न कम्प्यूटरों को आपस में जोड़ने तथा सूचना के आदान-प्रदान को सरल बनाने के लिए बनाए गए नियमों और प्रक्रियाओं (Rules and Procedures) का समूह प्रोटोकॉल कहलाता है।
4. नोड (Nodes)
नेटवर्क से जुड़े विभिन्न कम्प्यूटरों का अंतिम बिंदु या टर्मिनल जो नेटवर्क के संसाधनों का उपयोग कर सकते हैं, नोड कहलाता है।
5. सर्वर (Server)
नेटवर्क के किसी एक नोड को संचार व्यवस्था बनाए रखने तथा साझा संसाधनों के उपयोग में नियंत्रित करने की जिम्मेदारी सौंपी जाती है, जिसे सर्वर कहते हैं। यह नेटवर्क से जुड़े प्रत्येक कम्प्यूटर को विभिन्न सेवाएं प्रदान करता है।
6. संचार की विधियां (Methods of Communication)
(i) सिम्पलेक्स विधि (Simplex Method) : डाटा व सूचनाओं का एक ही दिशा में संचारण होता है। इसमें सूचना प्राप्त होना सुनिश्चित नहीं होता है। जैसे- रेडियो का प्रसारण

(ii) अर्ध डुप्लेक्स विधि (Half Duplex Method): इसमें सूचनाओं का संचारण दोनों दिशाओं में किया जा सकता है, पर एक बार में एक ही दिशा में सूचनाएं जा सकती हैं। जैसे-टेलीफोन पर आवाज का आदान-प्रदान। इसके लिए दो तार की आवश्यकता पड़ती है।

(iii) पूर्ण डुप्लेक्स विधि (Full Duplex Method): सूचना तथा डाटा को दोनों दिशाओं में एक साथ प्रेषित किया जा सकता है। इसमें चार तार की जरूरत पड़ती है।

7. बैंडविड्द्य (Bandwidth)
डाटा के संचारण के समय माध्यम में उपलब्ध उच्चतम और निम्नतम आवृति (higher and lower frequency) की सीमा बैंडविड्थ कहलाती है। बैंडविड्थ जितना अधिक होगा, डाटा का संचारण उतना ही तीव्र होगा। इसका आशय संचार माध्यम की सूचना वहन करने की क्षमता से होता है।
7.1. बॉड (Baud)
यह डाटा संचारण की गति को मापने की इकाई है। इसे बिट प्रति सेकेण्ड (bps-bit per second) भी कहा जाता है।
7.2. ब्रॉडबैण्ड (Broad Band)
इस सेवा का उपयोग तीव्र गति से अधिक डाटा के संचारण के लिए किया जाता है। इसमें डाटा स्थानान्तरण की गति एक मिलियन (दस लाख) बॉड या इससे अधिक हो सकती है। वर्तमान में इंटरनेट के लिए ब्रॉडबैण्ड सेवा का प्रयोग किया जा रहा है।
अक्टूबर 2004 में घोषित भारत सरकार की ब्राडबैंड नीति के अनुसार, 256 किलोबाइट प्रति सेकेण्ड (KBPS) क्षमता को ब्राडबैण्ड के रूप में परिभाषित किया गया है।
8. संचार के माध्यम (Medium of Communication)
डाटा और सूचनाओं के संचारण के लिए कुछ महत्त्वपूर्ण माध्यम हैं-
(i) युग्मतार (Twisted Pair Cable)
(ii) को-एक्सियल केबल (Co-axial Cable)
(iii) प्रकाशीय तंतु (Optical fiber cable)
(iv) माइक्रोवेब (Microwave)
(v) संचार उपग्रह (Communication Satellite)
8.1. युग्मतार (Twisted Pair Cable)
इसमें तांबे के दो तार हाते हैं, जिन पर कुचालकों की परत चढ़ी रहती है। ये तार आपस में लिपटे रहते हैं और संतुलित माध्यम बनाते हैं जिससे केबल में शोर (noise) में कमी आती है। यह संकेतों को रिपिटर के बिना लंबी दूरी (1 किमी.) तक ले जाने में सक्षम है।

8.2. को-एक्सियल केबल (Co-axial Cable)
इसमें केंद्रीय ठोस चालक के चारों ओर चालक तार की जाली जिसे शील्ड (Shield) भी कहते हैं, रहती है तथा दोनों के बीच प्लास्टिक का कुचालक रहता है। तार की जाली भी कुचालक से ढकी रहती है। संकेतों का संचारण केंद्रीय ठोस तार से होता है जबकि शील्ड अर्थ (earth) से जुड़ा रहता है। इसमें संकेतों की हानि अपेक्षाकृत कम होती है। इसकी बैंडविड्थ अधिक होती है तथा यह संकेतों को अधिक दूरी तक ले जा सकता है। इसका उपयोग केबल टीवी (Cable TV) नेटवर्क में भी किया जाता है।

8.3. प्रकाशीय तंतु (Optical Fiber Cable)
इसमें ग्लास या प्लास्टिक या सिलिका (Silica) का बना अत्यंत पतला तंतु होता है जो एलइडी (LED) या लेजर डायोड (Laser diode) द्वारा उत्पन्न संकेत युक्त प्रकाश को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाता है। प्रकाश को पुनः संकेतों में बदलने के लिए फोटो डायोड (Photo diode) का इस्तेमाल किया जाता है। यह प्रकाश के पूर्ण आंतरिक परावर्तन (Total Internal Reflection) के आधार पर कार्य करता है। इसके संचरण में ऊर्जा की खपत अत्यंत कम होती है। यह रेडियो आवृत्ति (Radio frequency) अवरोधों से मुक्त होता है।
इसमें शोर (Noise) अत्यंत कम, बैंडविड्थ अधिक, गति तीव्र तथा संकेतों की हानि निम्नतम होती है। ये लंबी दूरी के संचार के लिए उपयुक्त हैं। पर इसको लगाने और रख-रखाव का खर्च अधिक होता है।
8.4. माइक्रोवेव (Microwave)
इसमें अति उच्च आवृत्ति (2 से 40 गीगा हर्ट्ज) वाले विद्युत चुंबकीय तरंगों के संप्रेषण से संचार स्थापित किया जाता है।
उच्च आवृत्ति होने के कारण इसमें कम लंबाई के पाराबोलिक (Parabolic) ऐंटीना का प्रयोग किया जाता है।
चूंकि, उच्च आवृत्ति की तरगें किसी बाधा को पार नहीं कर सकती, अतः प्रेषक और प्राप्तकर्ता, दोनों के एंटीना सीधी रेखा में होनी चाहिए। इस कारण, माइक्रोवेव में प्रत्येक 25-30 किमी. के बीच एक रिपिटर स्थापित करना पड़ता है। टेलीविजन प्रोग्राम का प्रसारण इसी माध्यम से किया जाता है।
8.5. संचार उपग्रह (Communication Satellite)
कृत्रिम उपग्रह फोन, टीवी और कम्प्यूटर के लिए संचार का बेहतर मांध्यम उपलब्ध कराता है। यह सुदूर प्रदेशों तथा विश्व के किसी भी कोने में संचार उपलब्ध कराने में सक्षम है। संचार उपग्रह दो आवृत्तियों पर कार्य करता है-
सी बैंड (C-Band)-4-6 GHz के-यू बैंड (Ku-Band)-11-14 GHz 1 गीगा हर्ट्ज (GHz) = 10° Hz
इसमें 6 या 14 GHz आवृत्ति को उपग्रह की ओर छोड़ा जाता है। उपग्रह पर स्थित ट्रांसपोण्डर (Transponder) इसे संवर्धित (Amplify) कर 4 या 11 GHz की आवृत्ति से वापस भेज देता है। आवृत्तियों में यह अंतर संकेतों को आपस में मिलने (Interference) से रोकने के लिए होता है।
उपग्रह के संचार को आसान बनाने के लिए एंटीना का आकार छोटा (1 से 2 मी. व्यास) किया गया जिसे VSAT (Very Small Aperture Terminal) कहा गया।
9. मॉडुलेशन (Modulation)
डिजिटल संकेतों (Digital Signals) को संचार माध्यमों पर भेजने के लिए एनालॉग संकेतों (Analog Signals) में बदलने की प्रक्रिया मॉडुलेशन कहलाता है। एनालॉग संकेतों के तीन गुण होते हैं, आयाम (Amplitude), आवृत्ति (Frequency) तथा, कला (Phase)। इन्हीं के आधार पर माडुलेशन की तीन विधियां हैं-
(i) आयाम मॉडुलेशन (Amplitude Modulation): इसमें बाइनरी संकेतों (0 और 1) के लिए दो आयाम निर्धारित किए जाते हैं। इसमें एनालॉग संकेतों के आयाम को डिजिटल संकेतों के अनुसार बदला जाता है, जबकि आवृत्ति और फेज नियत रहते हैं।
(ii) आवृत्ति मॉडुलेशन (Frequency Modulation): एनालॉग संकेतों की आवृत्ति को डिजिटल संकेतों (0 और 1) के अनुसार बदला जाता है जबकि आयाम और फेज नियत रहते हैं।
(iii) कला मॉडुलेशन (Phase Modulation) : इसमें एनालॉग संकेतों के कला (Phase) को डिजिटल संकेतो के अनुसार बदला जाता है जबकि आयाम और आवृत्ति नियत रहता है।
10. डाटा प्रेषण सेवा (Data Transmission Service)
भारत में प्रमुख डाटा प्रेषण सेवा प्रदाता जिन्हें, Common Carriers भी कहते हैं, हैं-
→ (VSNL) विदेश संचार निगम लिमिटेड
→ (BSNL) भारत संचार निगम लिमिटेड
→ (MTNL) महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड इनके द्वारा प्रदत्त मुख्य सेवाएं हैं-
(i) डायल-अप-लाइन (Dialup line) : इसे स्विच्ड लाइन (Switched line) भी कहते हैं तथा इसका उपयोग टेलीफोन की तरह नम्बर डायल कर संचार स्थापित करने में किया जाता है।
(ii) लीज्ड लाइन (Leased line) : इसे व्यक्तिगत या सीधी लाइन (Private or dedicated line) भी कहते हैं। इसमें दो दूरस्थ कम्प्यूटरों को एक खास लाइन से सीधे जोड़ा जाता है। इसका प्रयोग आवाज और डाटा (Voice and data) दोनों के लिए किया जा सकता है। इस सेवा का मूल्य लाइन की क्षमता, जिसे बॉड या बीपीएस (Baud or bps-bits per sec) में मापते हैं, और दूरी पर निर्भर करता है।
(iii) आईएसडीएन (ISDN-Integrated Services Digital Network) : यह डिजिटल टेलीफोन व डाटा हस्तांतरण सेवा प्रदान करता है। चूंकि डाटा हस्तांतरण डिजिटल रूप में होता है, इसलिए इसमें मॉडेम की जरूरत नहीं रहती तथा शोर भी नगण्य होता है।
11. कम्प्यूटर नेटवर्क का वर्गीकरण (Classification of Computer Network)
(i) लोकल एरिया नेटवर्क (LAN-Local Area Network) : एक निश्चित और छोटे भौगोलिक क्षेत्र (लगभग 1 किमी.) में आपस में जुड़े कम्प्यूटर का जाल लोकल एरिया नेटवर्क कहलाता है। यह किसी एक ऑफिस, फैक्टरी या विश्वविद्यालय कैम्पस में कुछ किमी. क्षेत्र तक ही फैला रहता है। इसका आकार छोटा, डाटा स्थानांतरण की गति तेज तथा त्रुटियां कम होती हैं। इथरनेट (Ethernet) एक लोकप्रिय लैन (LAN) है। लैन में कम्प्यूटरों को जोड़ने के लिए बस टोपोलॉजी (Bus Topology) तथा को-एक्सिंगल केबल का प्रयोग किया जाता है। इसमें रख-रखाव आसान होता है।
(ii) मेट्रोपोलिटन एरिया नेटवर्क (MAN- Metropolitan Area Network): यह किसी बड़े भौगोलिक क्षेत्र (लगभग 100 किमी. त्रिज्या) में स्थित कम्प्यूटरों का नेटवर्क है। इसका उपयोग एक ही शहर में स्थित निजी या सार्वजनिक कम्प्यूटर को जोड़ने में किया जाता है।
(iii) वाइड एरिया नेटवर्क (WAN-Wide Area Network) : यह एक विस्तृत भौगोलिक क्षेत्र, कई देश, महाद्वीप या संपूर्ण विश्व में फैले कम्प्यूटरों का नेटवर्क है। इसमें कम्प्यूटरों को टेलीफोन, प्रकाशीय तंतु (Fiber optic cable) या कृत्रिम संचार उपग्रह से जोड़ा जाता है। इसमें गति कम रहती है तथा त्रुटियों की संभावना अधिक रहती है। इसे लॉग हॉल नेटवर्क (Long haul network) भी कहा जाता है। इंटरनेट भी वैन का एक उदाहरण है। कम्प्यूटर मेंटनेंस कारपोरेशन (CMC) द्वारा विकसित इंडोनेट (Indonet) भारत में वैन (WAN) का उदाहरण है।
12. नेटवर्क टोपोलॉजी (Network Topology)
नेटवर्क टोपोलॉजी नेटवर्क के विभिन्न नोड या टर्मिनल्स को आपस में जोड़ने का तरीका है। यह नेटवर्क की भौतिक संरचना को बताता है।
मुख्य नेटवर्क टोपोलॉजी है-
(i) स्टार (Star)
(ii) बस (Bus)
(iii) रिंग (Ring)
(iv) ट्री (Tree)
12.1 स्टार टोपोलॉजी (Star Topology): इसमें किसी एक नोड को होस्ट नोड या केन्द्रीय हब (Host node or Central Hub) का दर्जा दिया जाता है। अन्य कम्प्यूटर या नोड आपस में केंद्रीय हब द्वारा ही जुड़े रहते हैं। इसमें विभिन्न नोड या टर्मिनल आपस में सीधा संपर्क न करके होस्ट कम्प्यूटर द्वारा संपर्क स्थापित करते हैं। इसमें n नोड को आपस में जोड़ने के लिए n-1 संचार लाइनों की जरूरत पड़ती है।

लाभ : किसी एक नोड या केबल में त्रुटि से नेटवर्क का शेष हिस्सा अप्रभावित रहता है। नया नोड जोड़ने का नेटवर्क पर प्रभाव नहीं पड़ता है।
हानि : केंद्रीय हब में त्रुटि आने पर पूरा नेटवर्क प्रभावित होता है।
12.2. बस टोपोलॉजी (Bus Topology)
इसमें एक केबल, जिसे ट्रांसमिशन लाइन (Transmission line) कहा जाता है, के जरिये सारे नोड जुड़े रहते हैं। किसी एक स्टेशन द्वारा संचारित डाटा सभी नोड्स द्वारा ग्रहण किये जा सकते हैं। इस कारण इसे ब्रॉडकास्ट नेटवर्क (Broadcast Net-work) भी कहते हैं। डाटा को पैकेट में भेजा जाता है जिसमें विशेष एड्रेस रहता है। कम्प्यूटर नोड्स इस एड्रेस को पढ़कर अपने लिए बने डाटा को ग्रहण करते हैं। लैन (LAN) में मुख्यतः यही टोपोलॉजी प्रयोग की जाती है।

लाभ : इसमें कम केबल की आवश्यकता पड़ती है। अतः इसमें खर्च कम पड़ता है। किसी एक कम्प्यूटर में त्रुटि होने पर पूरा नेटवर्क प्रभावित नहीं होता। नया नोड जोड़ना आसान है।
हानि : ट्रांसमिशन लाइन में त्रुटि होने पर सारा नेटवर्क प्रभावित होता है। इसमें एक बार में केवल एक ही नोड डाटा संचारित कर सकता है। प्रत्येक नोड को विशेष हार्डवेयर की आवश्यकता पड़ती है।
12.3 रिंग टोपोलॉजी (Ring Topology)
सभी नोड एक दूसरे से रिंग या लूप (Ring or Loop) में जुड़े होते हैं। बस टोपोलॉजी के दो अंत बिन्दुओं को जोड़ देने से रिंग टोपोलॉजी का निर्माण होता है। प्रत्येक नोड अपने निकटतम नोड से डाटा प्राप्त करता है। अगर वह डाटा उसके लिए है तो वह उसका उपयोग करता है, अन्यथा उसे अगले नोड को भेज देता है। प्रत्येक नोड के साथ रिपीटर (Repeater) लगा रहता है जो सूचनाओं को पुनः प्रेषित कर सकता है। इसमें सूचनाओं का संचरण एक ही दिशा में होता है।

लाभ : केंद्रीय कम्प्यूटर की आवश्यकता नहीं पड़ती। दो कम्प्यूटरों के बीच केबल में त्रुटि से दूसरे मार्ग द्वारा संचार संभव हो पाता है।
हानि : संचार की गति नेटवर्क में लगे कम्प्यूटरों की संख्या तथा संरचना से प्रभावित होती है। किसी एक स्थान पर रिपीटर में त्रुटि होने पर पूरा नेटवर्क प्रभावित होता है। इसके संचालन में जटिल साफ्टवेयर की आवश्यकता होती है।
13. नेटवर्क इंटरफेस कार्ड (NIC-Network Interface Card)
यह एक हार्डवेयर डिवाइस है जो कम्प्यूटर को नेटवर्क से जोड़ता है तथा डाटा का आदान-प्रदान संभव बनाता है।
14. बेतार तकनीक (Wireless Technology)
केबल के खर्चीला होने तथा रख-रखाव की समस्या के कारण विभिन्न कम्प्यूटर को नेटवर्क से जोड़ने के लिए बेतार तकनीकी का प्रयोग किया जा रहा है।
14.1 वाई-मैक्स (WiMAX- World wide
Interoperability for Microwave Access)
यह लंबी दूरी के लिए बेतार की सहायता से डाटा का संचरण संभव बनाता है। इसकी विशेषता संचार माध्यम का विशाल बैंड (ब्राडबैंड) है। वाई-मैक्स 3.3 से 3.4 GHz के बीच कार्य करता है।
14.2. वायरलेस लोकल लूप (WLL-Wireless Local Loop)
यह स्थानीय बेतार तकनीक है जिसमें बड़ा बैंडविड्थ तथा उच्चगति के डाटा संचरण के साथ टेलीफोन की सुविधा भी प्रदान की जाती है। यह नेटवर्क के लिए एक लोकप्रिय साधन होता जा रहा है।
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FAQs
1. प्रकाश तंतु (Optic Fiber) जिस सिद्धांत पर कार्य करता है, वह है-
(a) पूर्ण अभ्यांतर परावर्तन
(b) अपवर्तन
(c) प्रकीर्णन
(d) व्यतिकरण
Ans. (a)
व्याख्या : प्रकाश तंतु प्रकाश के पूर्ण आंतरिक परावर्तन (Total Internal Reflection) के सिद्धांत पर कार्य करता है। यह उच्च गुणवत्ता वाले कांच या प्लास्टिक का बना होता है जो क्षमता में कमी किये बिना प्रकाशीय संकेतों का संचरण करता है।
2. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
1. तंतु प्रकाशिकी पूर्ण आंतरिक परावर्तन पर आधारित है।
2. प्रकाशिकी तंतुसंचार में ऊर्जा उपभोग अधिक होता है।
3. प्रकाशिकी तंतु संचार रेडियो आवृत्ति अवरोधों से मुक्त होता है।
4. भारत में प्रकाशिक तंतु के निर्माण में रिलायंस उद्योग समूह सम्बद्ध है।
नीचे दिये कूट से सही उत्तर का चयन करें-
(a) 1, 2, एवं 3
(b) 1, 2, एवं 4
(c) 1, 3 एवं 4
(d) 2, 3 एवं 4
Ans. (c)
व्याख्या : प्रकाशिकी तंतु (Optical Fiber) कांच, प्लास्टिक या सिलिका का बना होता है। यह प्रकाश के पूर्ण आंतरिक परावर्तन पर कार्य करता है। इसके संचरण में ऊर्जा की खपत अत्यंत कम होती है तथा यह रेडियो आवृत्ति अवरोधों से मुक्त है। रिलायंस समूह द्वारा इसका उत्पादन किया जा रहा है।
3. निम्नलिखित में से कौन सा एक छोटा सिंगल साइट नेटवर्क है?
(a) LAN
(b) DSL
(c) RAM
(d) USB
(e) CPU
Ans. (a)
व्याख्या : लैन (LAN- Local Area Network) एक छोटे भौगोलिक क्षेत्र (लगभग 1 किमी.) में आपस में जुड़े कम्प्यूटरों का जाल है। यह किसी एक आफिस, फैक्ट्री या विश्वविद्यालय क्षेत्र में कार्य करता है।
4. लोकल एरिया नेटवर्क (LAN) से जुड़े कम्प्यूटर–
(a) तेज चल सकते हैं
(b) ऑनलाइन जा सकते हैं
(c) इन्फार्मेशन और/या पेरिफेरल उपकरण शेयर कर सकते हैं
(d) ई-मेल कर सकते हैं
(e) इनमें से कोई नहीं
Ans. (c)
व्याख्या : अन्य सभी कार्य कोई भी कम्प्यूटर जो लैन (LAN) पर न भी जुड़ा हो, कर सकता है। अतः विकल्प ‘c’ सर्वाधिक उपयुक्त है।
5. WLL का पूरा रूप है –
(a) वाकिंग लैंड लाइन
(b) वर्किंग लूप लाइन
(c) वायरलेस लैंड लाइन
(d) वायरलेस इन लोकल लूप
Ans. (d)
व्याख्या : WLL का पूरा रूप है Wireless in Local Loop यह एक स्थानीय बेतार तकनीक है जिसमें टेलीफोन तथा डाटा संचरण की सुविधा प्रदान की जाती है।
6. किसी नेटवर्क में संचार स्थापित करने के लिए आवश्यक है-
(a) प्रेषक तथा प्राप्तकर्ता
(b) माध्यम
(c) भेजने और प्राप्त करने की कार्यविधि
(d) उपर्युक्त सभी
Ans. (d)
ब्याख्या : नेटवर्क आपस में जुड़े स्वतंत्र कम्प्यूटरों का समूह है, जो सूचनाओं के आदान-प्रदान में सक्षम है। इसके लिए प्रेषक, प्राप्तकर्ता, माध्यम और भेजने तथा प्राप्त करने के लिए कार्यविधि (Protocol) आवश्यक है।
7. भारत सरकार की ब्राडबैंड नीति के अनुसार इसके डाटा स्थानान्तरण की क्षमता है-
Ans. (c)
व्याख्या : अक्टूबर 2004 में घोषित भारत सरकार की ब्राडबैण्ड (Broadband) नीति के अनुसार, 256 के बीपीएस (KBPS-Kilo Byte Per Second) क्षमता वाले डाटा स्थानान्तरण को ब्राडबैण्ड का नाम दिया गया।
(a) 64 केबीपीएस
(b) 128 केबीपीएस
(c) 256 केबीपीएस
(d) 512 केबीपीएस
8. उपग्रह के जरिये संचार स्थापित करने पर एक व्यक्ति की आवाज दूसरे व्यक्ति को सुनाई पड़ती है-
(a) तुरंत
(b) 270 मिली सेकेण्ड बाद
(c) 27 मिली सेकेण्ड बाद
(d) 27 सेकेण्ड बाद
Ans. (b)
व्याख्या: उपग्रह के जरिये संचार स्थापित करने पर ध्वनि के स्थानान्तरण में 270 मिली सेकेण्ड का समय लगता है। अतः एक व्यक्ति की आवाज दूसरे व्यक्ति को सुनाई देने में 270 मिली सेकेण्ड का समय लगता है।
9. वाई-मैक्स (WiMAX) है-
(a) माइक्रोवेब द्वारा स्थापित बेतार संचार माध्यम
(b) विशाल संचार नेटवर्क
(c) कम्प्यूटर का एक प्रकार
(d) भण्डारण की तकनीक
Ans. (a)
व्याख्या: वाई-मैक्स (Wi MAX- World Wide Inter Operability for Microwave Access) लंबी दूरी के लिए माइक्रोवेब द्वारा स्थापित बेतार संचार माध्यम है जिसका बैंडविड्थ विशाल होता है।
10. स्टार टोपोलॉजी (Star Topology) के संबंध में कौन सही नहीं है-
(a) एक नोड में त्रुटि से नेटवर्क अप्रभावित रहता है
(b) नया नोड जोड़ने पर नेटवर्क पर प्रभाव नहीं पड़ता
(c) केंद्रीय हब में त्रुटि का नेटवर्क पर आंशिक प्रभाव पड़ता है
(d) केंद्रीय हब में त्रुटि से पूरा नेटवर्क प्रभावित होता है
Ans. (c)
व्याख्या: स्टार टोपोलाजी में किसी एक नोड को केंद्रीय हब का दर्जा दिया जाता है जिससे अन्य सभी नोड स्वतंत्र रूप से जुड़े रहते हैं। किसी एक नोड के खराब होने या नया नोड जोड़ने का नेटवर्क पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। पर केंद्रीय हब में त्रुटि आने पर पूरा नेटवर्क प्रभावित होता है। अतः विकल्प ‘c’ गलत है।
11. इथरनेट (Ethernet) है-
(a) लैन
(b) मैन
(c) चैन
(d) एक रसायन का नाम
Ans. (a)
व्याख्या : इथरनेट एक लोकप्रिय लैन (LAN) है। लैन एक छोटे भौगोलिक क्षेत्र (1 किमी.) में आपस में जुड़े कम्प्यूटरों का नेटवर्क है। इसमें डाटा स्थानान्तरण की गति तेज तथा त्रुटि कम होती है।
12. निकनेट (NICNET) है-
(a) एक अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्क
(b) विशेष तार का बुना जाल
(c) इंटरनेट का दूसरा नाम
(d) भारत के प्रत्येक जिलों को जोड़ने वाला नेटवर्क
Ans. (d)
व्याख्या: निकनेट (NICNET-National Informatics Centre’s Network) भारत में कम्प्यूटरों का एक जाल है जो भारत के प्रत्येक जिलों को आपस में जोड़ता है।
13. लॉग हॉल नेटवर्क (Long Haul Network) कहा जाता है-
(a) लैन को
(b) मैन को
(c) वैन को
(d) इनमें से कोई नहीं
Ans. (c)
व्याख्या : वैन (WAN- Wide Area Network) एक विस्तृत भूभाग और लम्बी दूरी तक फैले कम्प्यूटरों का नेटवर्क है। अतः इसे लॉग हॉल नेटवर्क भी कहा जाता है।
14. अर्पानेट है-
(a) विश्व का पहला वैन
(b) एशिया का पहला वैन
(c) भारत का पहला वैन
(d) विश्व का पहला लैन
Ans. (a) व्याख्या : अर्पानेट (ARPANET- Advance Research Project agency Network) विश्व का पहला वैन है जिसे अमेरिकी रक्षा विभाग द्वारा विकसित किया गया।
15. आईएसडीएन सेवा में मॉडेम की जरूरत नहीं पड़ती क्योंकि –
(a) इससे कम्प्यूटर को जोड़ा नहीं जा सकता
(b) यह छोटी दूरी के लिए प्रयोग किया जाता है
(c) इसमें डाटा हस्तांतरण संभव नहीं है
(d) इसमें डाटा हस्तांतरण डिजिटल रूप में होता है
Ans. (d)
व्याख्या : आइएसडीएन (ISDN- Integrated Services Digital Network) में टेलीफोन व डाटा संचारण डिजिटल रूप में होता है, अतः इसमें मॉडेम की आवश्यकता नहीं रहती।
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