बरखा और मेघा : पाठ -14

एक बार की बात है, दो सहेलियाँ  थीं— एक मर्गी और एक बतख।
मुर्गी का नाम था— मेघा। बतख का नाम था— बरखा। उनके तीन-तीन बच्चे थे। वे सब मेला देखने दूसरे गाँव जा रहे थे।

रास्ते में नदी आ गई। मेघा ने कहा, “हम नदी कै से पार करेंगे?
हम तो डूब जाएँगे।” बरखा ने कहा,
“हम सब तैरकर नदी पार कर लेंगे।”
मेघा ने पूछा,“वो कैसे?”

बरखा ने सबको पास बुलाया और अपनी जगत बताई।सब खुशी से उछल पड़े—हुर्रे!
वे सब नदी पार कर गए।

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बातचीत के लिए

1. मेघा और बरखा ने बच्चों के साथ नदी कैसे पार की?
Ans.
बरखा बतख थी, इसलिए वह तैर सकती थी। उसने सभी को पास बुलाया और तैरकर नदी पार करने का उपाय बताया। फिर सबने मिलकर नदी तैरकर पार की।

2. मेघा और बरखा के बच्चों ने मेले में क्या-क्या किया होगा?
Ans.
बच्चों ने मेले में झूले झूले होंगे, रंग-बिरंगे खिलौने खरीदे होंगे और मिठाइयाँ खाई होंगी। उन्होंने मेले में ढेर सारी मस्ती की होगी।

3. मेले से घर लौटते समय मेघा और बरखा के बच्चे आपस में क्या बातें कर रहे होंगे?
Ans.
बच्चे एक-दूसरे से पूछ रहे होंगे कि किसने क्या खाया, कौन-सा खिलौना लिया, झूले पर किसे सबसे ज़्यादा मज़ा आया। वे कह रहे होंगे, “आज बहुत मज़ा आया, अगली बार फिर चलेंगे।”

4. मेला आपके घर से कितनी दूर लगता है? आप वहाँ कैसे पहुँचते हैं?
Ans.
हमारे घर से मेला लगभग 2 किलोमीटर दूर लगता है। हम वहाँ पैदल या साइकिल से जाते हैं। कई बार परिवार के साथ गाड़ी से भी जाते हैं।

5. नीचे दिए चित्र को देखि‍ए और गिनकर बताइए कि मुर्गी और बतख के कितने-कितने बच्चे हैं—

Ans. मुर्गी और बतख के तीन-तीन बच्चे हैं।

मेरा नाम सुनीत कुमार सिंह है। मैं कुशीनगर, उत्तर प्रदेश का निवासी हूँ। मैं एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हूं।

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