मुझे एक बीज मिला।
मैंने उसको गमले में डाला।
मैंने उसे पानी दिया और बहुत सारी धूप।
क्या यह पेड़ है?
क्या यह झाड़ी है?
क्या इसमें फूल होंगे?
क्या इसमें फल होंगे?
क्या यह लम्बा ऊँचा होगग
क्या यह छोटा ही रहेगा? रहेगा?
मुझे नहीं पता।
कोई फर्क नहीं पड़ता !

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बातचीत के लिए
1. बीज कहाँ मिला होगा?
Ans. बीज किसी बगीचे, पार्क, खेत, पेड़ के नीचे या किसी रास्ते पर पड़ा हो सकता है।
2. पेड़ और झाड़ी में कोई फर्क होता है क्या?
Ans. हाँ, फर्क होता है।
• पेड़ बड़े और ऊँचे होते हैं, जिनमें एक तना (तना मोटा और मज़बूत) होता है।
• झाड़ी छोटी होती है, जिनमें कई पतली टहनियाँ ज़मीन से ही निकलती हैं।
3. कहानी में क्यों कहा गया है कि ‘कोई फर्क नहीं पड़ता’?
Ans. क्योंकि लेखक कहना चाहता है कि बीज से चाहे पेड़ बने, झाड़ी बने, फूल आएँ या फल—हर रूप में वह सुंदर और उपयोगी है। इसलिए इससे फर्क नहीं पड़ता कि वह क्या बनेगा।
4. क्या आपने कभी बीज बोया है? या किसी और को बीज बोते देखा है?
Ans. (अपना अनुभव लिख सकते हैं, उदाहरण:)
हाँ, मैंने मटर का बीज बोया था और उसमें छोटे पौधे निकले।
या, मैंने अपने दादा जी/चाचा जी को बीज बोते देखा है।
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