बरसात और मेंढक : पाठ -17

सोमारू और कमली जंगल घूमने गए। लौटते समय उन्हें ज़ोर की भूख लगी। उन्हें एक गाय दिखी। कमली ने गाय से कहा, “ज़रा-सा दूध दे दो तो भूख मिटे।” गाय बोली, “मेरे खाने को घास ही नहीं है। मुझे हरी-हरी घास खिलाओ तो मैं दूध दूँ।”

कमली और सोमारू चले घास लाने। पर घास तो सूखकर पीली हो गई थी। घास ने कहा, “मुझे पानी दो तो मैं खाने लायक बनूँ।”

कमली और सोमारू चले पानी लाने पर नदी तो सूखी हुई पड़ी थी। नदी ने कहा, “बरसात हो तो मुझे पानी मिले।”

कमली और सोमारू चले बादल लाने। पर बादल तो बिन बरसे टॅगे थे।

बादल बोले, “मेंढक टर्र-टर्र बोले तब तो हम बरसें।”

कमली और सोमारू चले मेंढक के पास। मेंढक बोले, “हम बाहर निकलते हैं तो बच्चे हमें पत्थर मारते हैं।” दोनों बोले, “जो हुआ उसके लिए माफ़ करो। अब से तुम्हें कोई पत्थर नहीं मारेगा।”

मेंढक मान गए और टर्र-टर्र करने लगे। टर्र-टर्र सुनकर बादल आए और झूमकर बरसे। नदी में पानी बहने लगा।

कमली और सोमारू ने नदी से पानी लाकर घास को दिया। घास हरी हो गई। दोनों घास लेकर गाय के पास गए। गाय ने घास खाकर दूध दिया। कमली और सोमारू ने दूध पीकर अपने घर की राह ली।

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बातचीत के लिए

1. आपको ये कहानी कैसी लगी?
Ans.
मुझे यह कहानी बहुत अच्छी लगी। इसमें दिखाया गया है कि सब मिलकर एक-दूसरे की मदद करते हैं, तभी सबका काम पूरा होता है।

2. मेंढक सोमारू और कमली की बात क्यों मान गया? क्या आप होते तो मान जाते?
Ans.
मेंढक ने उनकी बात इसलिए मानी क्योंकि सोमारू और कमली ने गलती मान ली और वादा किया कि अब से बच्चे उसे पत्थर नहीं मारेंगे।

• हाँ, मैं भी मान जाता, क्योंकि जिसने गलती की है और माफी माँग ली, उसे माफ़ करना चाहिए।

3. कहानी से लिए इन वाक्यों को पढ़िए। क्या आपने कभी किसी मित्र के साथ ऐसा कुछ किया है जिससे उन्हें चोट लगी हो या बुरा लगा हो?
Ans.
हाँ, कभी-कभी खेलते समय गलती से मेरे किसी दोस्त को चोट लग गई या उसने बुरा मान लिया।

• तब मैंने तुरंत उससे माफी माँगी और उसे मनाया।

अतिलघु प्रश्न-उत्तर

1. सोमारू और कमली जंगल से लौटते समय किससे दूध माँगते हैं?
Ans.
गाय से।

2. घास ने दूध पाने के लिए क्या माँगा?
Ans.
पानी।

3. नदी ने पानी देने के लिए किसकी ज़रूरत बताई?
Ans.
बरसात की।

4. बादल कब बरसने को तैयार हुए?
Ans.
जब मेंढक टर्र-टर्र बोले।

5. अंत में सोमारू और कमली ने क्या पीकर भूख मिटाई?
Ans.
दूध।

मेरा नाम सुनीत कुमार सिंह है। मैं कुशीनगर, उत्तर प्रदेश का निवासी हूँ। मैं एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हूं।

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