बोलने वाली माँद : पाठ -17

एक जंगल में खरनखर नाम का एक सिंह रहता था। एक दिन उसे बहुत भूख लगी। वह आहार की खोज में पूरे जंगल में घूमता रहा, पर एक चूहा तक हाथ नहीं लगा। इस खोज में ही शाम हो गई। अँधेरा हो रहा था। इसी समय उसे एक माँद दिखाई दी। रात काटने के लिए वह उसी में घुस गया।

उस माँद में घुसकर उसने सोचा, इसमें कोई न कोई पशु तो रहता ही होगा। जब वह विश्राम करने के लिए इसमें घुसेगा, मैं उसे दबोच लूँगा। यह सोचकर वह उस माँद में एक ओर छिपकर बैठ गया।

उस माँद में दधिपुच्छ नाम का एक सियार रहा करता था। वह माँद की ओर आ रहा था। माँद के द्वार पर आकर उसने देखा तो उसे सिंह के पैरों के चिह्न दिखाई दिए। चिह्न माँद की ओर जाने के लिए तो थे, पर लौटने के नहीं थे। उसने सोचा, हे भगवान! आज तो मेरी जान पर ही आ बनी। इसके भीतर अवश्य कोई सिंह घुसा बैठा है। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे। वह पता करना चाहता था कि सिंह इस समय भी माँद के भीतर ही है या बाहर निकल गया है।

सोचने से क्या नहीं हो सकता। सोचते-सोचते उसे एक उपाय सूझ ही गया। माँद के द्वार पर जाकर उसने पुकारा, “ऐ मेरी माँद, ऐ मेरी माँद।” पुकारकर वह चुप हो गया। कुछ देर बाद उसने कहा, “अरे, तुझे हो क्या गया है! आज बोलती क्यों नहीं? पहले तो जब मैं तुझे पुकारता था, तू झट बोल पड़ती थी। क्या तू यह भूल गई कि मैंने तुझसे कहा था कि मैं जब भी बाहर से आऊँगा, तब तुझे पुकारूँगा और जब तू उत्तर देगी, उसके बाद ही मैं माँद के भीतर आऊँगा! यदि तूने इस बार भी उत्तर न दिया तो मैं तुझे छोड़कर किसी दूसरी माँद में चला जाऊँगा।”

अब सिंह को विश्वास हो गया कि सियार के पुकारने पर यह माँद सचमुच उत्तर दिया करती है। उसने सोचा, आज मैं आ गया हूँ, इसलिए डर के मारे इसके मुँह से ध्वनि नहीं निकल रही है। उसने सोचा, यह माँद नहीं बोलती है तो कोई बात नहीं। इसके स्थान पर मैं ही उत्तर दे देता हूँ। यदि चुप रहा तो हाथ आया शिकार भी चला जाएगा। यह सोचकर सिंह ने उसका उत्तर दे दिया। उसकी दहाड़ से वह माँद तो गूँज ही उठी, आस-पास के पशु भी चौकन्ने हो गए।

सियार वहाँ से यही कहते हुए चंपत हो गया कि इस वन में रहते हुए मैं बूढ़ा हो गया, पर आज तक कभी किसी माँद को बोलते हुए नहीं सुना।

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बातचीत के लिए

1. आपको भूख लगती है तो आप क्या-क्या खाने की कामना करते हैं?
Ans.
मुझे भूख लगती है तो रोटी, दाल, चावल, फल और मिठाई खाने की इच्छा होती है।

2. क्या आपने किसी पशु के पैर के चिह्न देखे हैं? किस-किस पशु के देखे हैं?
Ans.
हाँ, मैंने कुत्ते, बिल्ली, गाय और भैंस के पैर के चिह्न देखे हैं।

3. सिंह माँद यानी गुफा में रहता है। माँद में कौन-कौन से जानवर रहते हैं?
Ans.
माँद में सिंह, भालू, सियार और लोमड़ी जैसे जानवर रहते हैं।

4. कठिन समय में बुद्धि अधिक काम आती है या शक्ति ?
Ans.
कठिन समय में शक्ति से ज्यादा बुद्धि काम आती है।

सोचिए और लिखिए

1. दधिपुच्छ ने कैसे जाना कि माँद में खरनखर बैठा है?
Ans.
दधिपुच्छ ने माँद के पास सिंह के पैरों के चिह्न देखे, जो अंदर की ओर जा रहे थे, पर लौटने के नहीं थे। इससे उसने समझ लिया कि सिंह माँद के अंदर है।

2. इस कहानी में सिंह का नाम खरनखर है और सियार का नाम दधिपुच्छ, आप इनके क्या नाम रखेंगे?
Ans.
मैं सिंह का नाम “शेरू” और सियार का नाम “चतुरु” रखूँगा।

3. यदि आप सिंह के स्थान पर होते तो क्या करते?
Ans.
यदि मैं सिंह के स्थान पर होता तो चुप रहता और सियार के बहकावे में नहीं आता।

4. जब सियार ने पुकारा, “ऐ मेरी माँद, ऐ मेरी माँद”, तब सिंह ने उत्तर दिया। सिंह ने उत्तर में क्या कहा होगा?
Ans.
सिंह ने दहाड़ते हुए कहा होगा – “हाँ… मैं यहाँ हूँ, जल्दी अंदर आओ!”

मेरा नाम सुनीत कुमार सिंह है। मैं कुशीनगर, उत्तर प्रदेश का निवासी हूँ। मैं एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हूं।

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