हम अनेक किंतु एक : पाठ -18

हैं कई प्रदेश के,
किंतु एक देश के,
विविध रूप-रंग हैं,
भारत के अंग हैं।

भारतीय वेश एक
हम अनेक किंतु एक।

बोलियाँ हजार हैं,
टोलियाँ हजार हैं,
कंठ भी अनेक हैं,
राग भी अनेक हैं,
किंतु गीत-बोल एक
हम अनेक किंतु एक।

एक मातृभूमि है,
एक पितृभूमि है,
एक भारतीय हम
चल रहे मिला कदम,
लक्ष्य के समक्ष एक
हम अनेक किंतु एक।

यह भी पढ़ें: बोलने वाली माँद : पाठ -17

बातचीत के लिए

1. आप किस देश में रहते हैं? आपका प्रदेश कौन-सा है?
Ans.
मैं भारत देश में रहता हूँ। मेरा प्रदेश [अपना प्रदेश लिखें, जैसे – उत्तर प्रदेश] है।

2. आपके घर में कौन-सी भाषा बोली जाती है?
Ans.
मेरे घर में [अपनी भाषा लिखें, जैसे – हिंदी] बोली जाती है।

3. आपके घर के आस-पास के लोग कौन-सी भाषा बोलते हैं?
Ans.
मेरे घर के आस-पास के लोग भी [हिंदी/भोजपुरी/मराठी/गुजराती आदि] भाषा बोलते हैं।

4. सभी प्रदेश अलग हैं, लेकिन सबका देश एक है। आपके मित्रों की टोली में कौन-कौन हैं?
Ans.
मेरी मित्रों की टोली में राम, मोहन, सोना, रीमा और अली हैं।

सोचिए और लिखिए

1. ‘हम अनेक हैं किंतु एक हैं’, उदाहरण देकर इस बात को समझाइए।
Ans.
भारत में लोग अलग-अलग प्रदेशों में रहते हैं, उनकी भाषा, पहनावा और रीति-रिवाज अलग-अलग हैं। फिर भी हम सब भारतवासी हैं और मिलकर रहते हैं। इसलिए हम अनेक हैं किंतु एक हैं।

2. कविता में भारत भारत के विविध रूप-रंग के बारे में बताया गया है। विविध रूप-रंग का क्या अर्थ है?
Ans.
विविध रूप-रंग का अर्थ है – अलग-अलग भाषाएँ, अलग-अलग पहनावे, अलग-अलग बोलियाँ, अलग-अलग संस्कृतियाँ और परंपराएँ।

3. ‘चल रहे मिला कदम’ इस पंक्ति में किनके कदम मिलाकर चलने की बात कही गई है?
Ans.
इस पंक्ति में सभी भारतीयों के कदम मिलाकर एक साथ आगे बढ़ने की बात कही गई है।

मेरा नाम सुनीत कुमार सिंह है। मैं कुशीनगर, उत्तर प्रदेश का निवासी हूँ। मैं एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हूं।

1 thought on “हम अनेक किंतु एक : पाठ -18”

Leave a Comment