अपना-अपना काम:  पाठ -12

सिमरन बाग में बैठी स्कूल का काम कर रही थी। “ओ हो! मैं तो थक गई। इतना सारा लिखने-पढ़ने का काम !” वह सोचने लगी, “स्कूल जाओ तो वहाँ पढ़ो। घर आओ तो फिर पढ़ो। कितना अच्छा होता अगर मुझे पढ़ना न पड़ता।”

पुस्तक रख सिमरन चारों ओर देखने लगी। उसने देखा कि मधुमक्खियाँ आनंदपूर्वक एक फूल से दूसरे फूल तक उड़ रही थीं।

“मैं भी मधुमक्खी बनना चाहती हूँ.” सिमरन ने कहा।

भिन-भिन करती मधुमक्खियाँ रुक गईं। वे अचंभित होकर बोलीं, “तुम तो इतनी सुखी हो, तुम क्यों हम जैसा नन्हा कीड़ा बनना चाहती हो?”

“मुझे क्या सुख है? इतना तो पढ़ना पड़ता है। मैं तो तुम्हारी तरह डाल-डाल, फूल-फूल उड़ना चाहती हूँ।” सिमरन ने कहा।

“इधर से उधर उड़ना हमारा काम है। सारे दिन उड़-उड़कर रस इकट्ठा करते-करते हमारे पंख थक जाते हैं और…”

“ओहो!” सिमरन ने कान बंद कर लिए, “सारे दिन पंख फैलाकर उड़ना पड़े तो मैं बहुत थक जाऊँगी। ना, ना…”

फिर उसने ऊपर देखा। फलों से लदा पेड़। “हाँ, अगर मैं पेड़ होती तो अच्छा था। आराम से एक जगह खड़े-खड़े सब कुछ मिल जाता।”

पेड़ हँसने लगा, “मैं समझ गया। तुम सोचती हो कि मैं आराम से खड़ा रहता हूँ, बस!”

“सुनो” पेड़ ने कहा, “मेरे शरीर का तो हर अंग दिन-रात काम करता है। जड़ें मिट्टी से पानी खींचती हैं। पत्ते दिनभर खाना बनाते हैं और इतने परिश्रम के पश्चात जो फल उगते हैं, वे भी हम तुम्हें दे देते हैं…”

ये पेड़ सिमरन ने आँखें झुका लीं, “सच! तो बहुत परिश्रम करते हैं। फल तो हम ही खा लेते हैं।”

“लेकिन इन चिड़ियों की मौज है।” सिमरन ने चिड़ियों को दाना खाते देखकर कहा, “हाँ, मैं भी चिड़िया बन जाती तो ठीक था।”

“ना, ना! यह क्या सोच रही हो?” एक चिड़िया बोली, “एक-एक दाना ढूँढ़ते-ढूँढ़ते सारे दिन उड़ती हूँ मैं।

घोंसला बनाने के लिए भी बहुत परिश्रम करना पड़ता है, और…”

सिमरन बोली, “बस, बस! मैं समझ गई।” वह सोचने लगी, “परिश्रम से ही सब जीते हैं। मुझे भी परिश्रम करना चाहिए और मन लगाकर पढ़ना चाहिए।”

उसने अपनी पुस्तकें उठाईं और उत्साह से स्कूल का काम करने बैठ गई।

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बातचीत के लिए

1. आप क्या-क्या काम करते हैं?
Ans.
मैं पढ़ाई करता/करती हूँ, घर के छोटे-छोटे काम करता/करती हूँ और खेलता/खेलती हूँ।

2. आपको कौन-कौन से काम बहुत अच्छे लगते हैं?
Ans.
मुझे पढ़ाई करना, खेलना और दोस्तों के साथ समय बिताना बहुत अच्छा लगता है।

3. इस कहानी में आपको किसका काम अच्छा लगा और क्यों?
Ans.
मुझे पेड़ का काम अच्छा लगा क्योंकि पेड़ बिना किसी स्वार्थ के सबको फल और छाया देता है।

सोचिए और लिखिए

1. सिमरन क्यों थक गई थी?
Ans.
सिमरन स्कूल का बहुत सारा लिखने-पढ़ने का काम करके थक गई थी।

2. सिमरन मधुमक्खी क्यों बनना चाहती थी?
Ans.
सिमरन को लगा कि मधुमक्खियाँ मज़े से फूल-फूल पर उड़ती हैं, इसलिए वह भी मधुमक्खी बनना चाहती थी।

3. पेड़ क्या-क्या काम करते हैं?
Ans.
पेड़ की जड़ें मिट्टी से पानी खींचती हैं, पत्ते खाना बनाते हैं और पेड़ फल भी देते हैं।

4. सिमरन को चिड़िया का काम सरल क्यों लगा?
Ans.
सिमरन ने देखा कि चिड़िया दाने खा रही है, इसलिए उसे लगा कि चिड़िया का काम बहुत सरल और मज़ेदार है।

5. आपके अनुसार सिमरन अंत में पुस्तकें उठाकर काम क्यों करने लगीं?
Ans.
क्योंकि सिमरन को समझ आ गया कि हर किसी को परिश्रम करना पड़ता है, इसलिए उसने भी मन लगाकर पढ़ाई करने का निश्चय किया।

मेरा नाम सुनीत कुमार सिंह है। मैं कुशीनगर, उत्तर प्रदेश का निवासी हूँ। मैं एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हूं।

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