दक्कन का पठार (The Deccan Plateau)
यह त्रिभुजाकार पठार, पूर्वी तथा पश्चिमी घाटों, सतपुड़ा, मैकाल तथा राजमहल पहाड़ियों के मध्य 7 लाख वर्ग किमी क्षेत्र पर विस्तृत है। इसकी ऊँचाई 500-1000 मीटर है। …
यह त्रिभुजाकार पठार, पूर्वी तथा पश्चिमी घाटों, सतपुड़ा, मैकाल तथा राजमहल पहाड़ियों के मध्य 7 लाख वर्ग किमी क्षेत्र पर विस्तृत है। इसकी ऊँचाई 500-1000 मीटर है। …
इस लेख में हम मध्यवर्ती उच्च भूमियाँ के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करेंगे। तो आइए नीचे दिए गए मुख्य श्रेणी एवं पठार के …
किसी पर्वत अथवा पहाड़ी में स्थित अनुप्रस्थ संकरी द्रोणी (Transverse Narrow Basin) व निचला भाग जिससे होकर स्थल मार्ग गुजरता है, ‘दर्श’ (Pass) की संज्ञा …
हिमालय की उत्तर से दक्षिण म्यांमार-भारत सीमा के सहारे फैली और अरूणाचल प्रदेश (तिराप मण्डल), नागालैण्ड, मणिपुर एवं मिजोरम से गुजरने वाली पहाड़ी श्रेणियों को …
भारत की भूगर्भिक संरचना की विविधता ने देश के उच्चावच तथा भौतिक लक्षणों की विविधता को जन्म दिया है। देश के लगभग 10.6% क्षेत्र पर पर्वत, 18.5% …
हिमालय का निर्माण एक लम्बे भू-गर्भिक ऐतिहासिक काल से गुजरकर सम्पन्न हुआ है। इसके निर्माण के सम्बन्ध में कोबर का भू- सन्नति का सिद्धान्त (Geo-syncline …
प्रायद्वीपीय भारत प्राचीनतम से लेकर प्राचीन चट्टानों का बना है। इसका निर्माण प्री-कैम्ब्रियन काल में भू-पृष्ठ के शीतलन और दृढ़ीकरण से हुआ। यह भाग कभी …
भूगर्भ में चट्टानों की प्रकृति, उनके क्रम तथा व्यवस्था को भूगर्भिक संरचना कहते हैं। यह संरचना सामान्यतः पृथ्वी के भीतर होने वाली शक्तिशाली विवर्तनिक शक्तियों …
भारत में जनगणना का आधार जनसंख्या की संरचना है। जनसंख्या की संरचना से अर्थ जनसंख्या के ढांचे से है अर्थात् जन की संख्या उसकी आयु, …
15 अगस्त, 1947 को स्वतंत्रता के पश्चात् भारत सरकार ने फ्रांस तथा पुर्तगाल द्वारा शासित कई क्षेत्रों को सफलतापूर्वक समाहित करने का प्रयास किया। यथा- अगस्त, 1961 में दादरा …