संवैधानिक उपबंध
मूल संविधान में हिंदी भाषा में प्राधिकृत पाठ के संबंध में कोई उपबंध नहीं किया गया था। बाद में, 58वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1987 द्वारा इस संबंध में उपबंध किया गया। इस संशोधन के द्वारा संविधान के भाग XXII में एक नया अनुच्छेद 394-क जोड़ा गया। इस अनुच्छेद में निम्न उपबंध किये गये हैं:
1. इस प्राधिकार के अंतर्गत राष्ट्रपति द्वारा करवाये गये अनुवाद का प्रकाशन इस प्रकार होगाः
(I) संविधान का हिंदी में अनुवाद, यदि इसमें किसी प्रकार के संशोधन की आवश्यकता होगी तो केंद्रीय अधिनियम द्वारा हिंदी के लिये स्वीकार किये गये भाषायी रूप एवं शब्दावली को ही अपनाया जायेगा। संविधान के सभी संशोध न प्रकाशन से पहले सम्मिलित किये जायेंगे।
(II) संविधान के प्रत्येक संशोधन का, जो अंग्रेजी में है, हिंदी अनुवाद किया जायेगा।
2. इस हिंदी पाठ का वही अर्थ लगाया जायेगा, जो अंग्रेजी के मूल पाठ में विहित है। यदि अर्थ लगाने में कोई असुविधा उत्पन्न होगी तो राष्ट्रपति इसका उपयुक्त परीक्षण करायेंगे।
3. संविधान के प्रत्येक संशोधन का, जो अंग्रेजी में है, हिंदी अनुवाद किया जायेगा तथा इसे हिंदी भाषा का प्राधिकृत पाठ समझा जायेगा।
58वें संविधान संशोधन अधिनियम के कारण
58वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1987 द्वारा संविधान में इस नये उपबंध को शामिल करने के कारण निम्नानुसार थेः
भारत के संविधान को संविधान सभा द्वारा 26 नवंबर, 1949 को अंगीकार किया गया। यह संविधान अंग्रेजी में था। 1950 में संविधान सभा के अध्यक्ष के प्राधिकार से इस संविधान का हिदीं भाषा में अनुवाद कराया गया, जिस पर संविधान सभा के सदस्यों ने हस्ताक्षर किये। इसके बाद यह मांग भी उठी की आगे संविधान में जितने भी संशोधन किये जायें, उनका हिंदी में अनुवाद हो एवं उन्हें भी बराबर संविधान में शामिल किया जाता रहे। यह माना गया कि संविधान का हिंदी पाठ तैयार करवाने से कानूनी कार्यों में भी इससे सहायता मिलेगी। इसके अलावा, 1950 में संविधान सभा के अध्यक्ष के प्राधिकार से संविधान का हिदीं भाषा में जो अनुवाद कराया गया था तथा जिस पर संविधान सभा के सदस्यों ने हस्ताक्षर किये थे, वह न केवल संविधान के हिंदी पाठ का अधिकृत पाठ था, अपितु यह केंद्रीय अधिनियम द्वारा हिंदी भाषा की शैली एवं शब्दावली का भी प्राधिकृत रूप था। इसीलिये आगे होने वाले सभी संविधान संशोधनों को, जो अंग्रेजी में होगे, हिंदी में अनुवाद कराने एवं संविधान में सम्मिलित करने की व्यवस्था की गयी।
अनुच्छेद 394-क के संदर्भ में भारत का राष्ट्रपति संविधान के इस अनुवादित हिंदी पाठ को प्राधिकृत पाठ के रूप में राजपत्र में प्रकाशित करने की व्यवस्था करता है।
संदर्भ सूची
1. 56वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1987 को जब संसद के दोनों सदनों ने पास कर दिया तथा इस पर राष्ट्रपति ने अपने हस्ताक्षर कर दिये तो यह 58वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1987 के रूप में सामने आया।
2. संविधान के भाग XXII का नाम ‘संक्षिप्त नाम, प्रारंभ, हिंदी में प्राधिकृत पाठ और निरसन’ रखा गया है। मूलतः इस भाग में तीन अनुच्छेद 393 (संक्षिप्त नाम), 394 (प्रारंभ) एवं 395 (निरसन) हैं।
3. संविधान सभा द्वारा पारित प्रस्ताव के अनुसार।
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