बगीचे का घोंघा : पाठ- 2

बहुत समय पहले की बात है। एक बगीचे में एक घोंघा रहता था। जानते हो घोंघा कैसा होता है?

बगीचा बहुत छोटा और सुंदर था। घोंघे ने अपना सारा जीवन उसी बगीचे में बिताया था। उसे बगीचे के एक छोर से दूसरे छोर तक पहुँचने में पूरे दो दिन लगते थे। इतने समय तक वहाँ रहने के कारण घोंघा बगीचे का कोना-कोना पहचान गया था।

पर कभी-कभी घोंघे को लगता था, इस बगीचे के बाहर क्या होगा? कैसी होती होगी बाहर की दुनिया?

बगीचे की दीवार में एक छेद था। घोंघा प्रतिदिन उस छेद को देखता था। उसे याद आता था कि उसकी माँ उससे कहा करती थीं, “वहाँ कभी मत जाना। वह दुनिया हमारी दुनिया से बहुत अलग है।”

घोंघा कुछ और दिन सोचता रहा। फिर उसने तय कर लिया, “मैं बाहर जाकर देखूँगा कि दुनिया कैसी है।”

यह सोचकर उसने अपना सामान अपने शंख में बाँध लिया। अगले दिन सूरज निकलने के पहले ही घोंघा निकल पड़ा। बगीचा पीछे छोड़ दिया।

घोंघा छेद में घुसा और जल्दी ही बाहर निकल आया। बाहर आते ही घोंघा चकित रह गया। जितनी दूर तक उसकी आँखें देख सकती थीं, उतना उसने देखा। उसके सामने बहुत बड़ा, लंबा और चौड़ा-सा मैदान था।

वास्तव में वह बच्चों के खेलने की जगह थी। पर घोंघे ने तो सोचा ही नहीं था कि इतनी बड़ी जगह भी हो सकती है। “वाह! दुनिया सचमुच कितनी बड़ी है”, घोंघे ने कहा।

उसी समय खड़-खड़ की ध्वनि आई। घोंघे को लगा कि पूरा आकाश ढँक गया है। वह डर के मारे जोर से चिल्लाया, “उई!” फिर वह अपने ऊपर हँसने लगा। उसने देखा कि एक सूखा पत्ता उसके ऊपर आ गिरा था।

“वाह! दुनिया तो कितनी मज़ेदार है”, घोंघे ने कहा। वह उस सूखी-भूरी पत्ती के नीचे से बाहर निकल गया।

थोड़ा आगे एक बड़ा-सा पत्थर पड़ा हुआ था। घोंघे को लगा यह कोई पहाड़ होगा। वह झट से उस पर चढ़ गया और देखने लगा।

घोंघे ने अपने जीवन में पहली बार लाल, चींटों को देखा। वे अपने लंबे-पतले पाँवों से इधर-उधर आ-जा रहे थे।

उसने देखा कि एक गिलहरी फुदक-फुदककर एक पेड़ पर चढ़ गई। उसने देखा कि दूर एक गेंद लुढ़कती हुई जा रही है और एक कुत्ता उसके पीछे भाग रहा है।

“वाह! दुनिया में सब कुछ कितनी तेज़ी से चलता है”, घोंघे ने कहा। “बगीचे में तो सबकुछ धीरे-धीरे चलता था।”

तभी अचानक उसने एक ऐसी चीज़ देखी जिससे उसका सर चकरा गया। अभी तक तो घोंघे ने पौधे या छोटे पेड़ ही देखे थे। पर यहाँ पर तो एक ऐसा लंबा पेड़ था जो पूरे आसमान तक जाता था। बेचारे घोंघे ने कभी खजूर का पेड़ नहीं देखा था।

वहाँ एक और पेड़ था जो इतना बड़ा था कि घोंघा उसके एक छोर से दूसरे छोर तक भी नहीं देख पाता था। बड़ के पेड़ से जो उसका पाला पड़ गया था, इसलिए। घोंघे की आँखें आश्चर्य से और भी खुल गईं। उसने कहा, “वाह, सचमुच दुनिया कितनी अद्भुत है!” घोंघे ने तय कर लिया कि अब तो वह इस दुनिया में ही रहेगा।

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बातचीत के लिए

1. घोंघे को बगीचे (उद्यान) के एक किनारे से दूसरे किनारे तक पहुँचने में दो दिन क्यों लगते थे?
Ans.
घोंघा बहुत धीरे चलता है, इसलिए उसे बगीचे के एक छोर से दूसरे छोर तक पहुँचने में दो दिन लगते थे।

2. आप अपने विद्यालय कैसे जाते हैं और आपको कितना समय लगता है?
Ans.
मैं अपने विद्यालय पैदल (या साइकिल/बस से – छात्र अनुसार) जाता/जाती हूँ। मुझे वहाँ पहुँचने में लगभग 15–20 मिनट लगते हैं।

3. घोंघा उद्यान से बाहर क्यों जाना चाहता था?
Ans.
घोंघा यह देखना चाहता था कि बगीचे के बाहर की दुनिया कैसी होती है, इसलिए वह बाहर जाना चाहता था।

4. आपका कहाँ-कहाँ जाने का मन करता है?
Ans.
मेरा मन पार्क, चिड़ियाघर, पहाड़ों और नए शहरों में घूमने जाने का करता है।

5. आप घूमने के लिए कहाँ-कहाँ जाते हैं और किसके साथ जाते हैं?
Ans.
मैं अपने माता-पिता और दोस्तों के साथ पार्क, मेले, मंदिर और रिश्तेदारों के घर घूमने जाता/जाती हूँ।

पाठ के भीतर

नीचे दिए गए प्रश्नों के सटीक उत्तर के सामने सूरज का चित्र(🌞) बनाइए-

1. घोंघा उद्यान से बाहर क्यों जाना चाहता था?

(क) उसे उद्यान में अच्छा नहीं लगता था।
(ख) वह बाहर का जीवन देखना चाहता था। 🌞
(ग) उसे उद्यान सुंदर नहीं लगता था।
(घ) उसे उद्यान बहुत छोटा लगता था।

2. घोंघे को बड़ा-सा पत्थर पहाड़ जैसा क्यों लगा होगा?

(क) पत्थर पहाड़ की तरह बहुत ही बड़ा था।
(ख) घोंघे ने उद्यान में पत्थर जैसी बड़ी वस्तु कभी नहीं देखी थी। 🌞
(ग) घोंघे को पत्थर पर चढ़कर दूर-दूर तक दिखाई दे रहा था।
(घ) पत्थर की आकृति पहाड़ जैसी थी।

3. घोंघे ने अपने जीवन में पहली बार क्या देखा?

(क) अपने लंबे-पतले पाँवों से आ-जा रहे लाल चींटें 🌞
(ख) अपना शंख
(ग) पीपल का पेड़
(घ) हरी-हरी घास

4. घोंघे की आँखें आश्चर्य से क्यों खुली रह गईं?

(क) उसके ऊपर एक बड़ा पत्ता गिरा।
(ख) वह उद्यान में एक नए कीट से मिला।
(ग) उसने पहली बार एक तालाब देखा।
(घ) उसने बड़ का एक पेड़ देखा 🌞

मेरा नाम सुनीत कुमार सिंह है। मैं कुशीनगर, उत्तर प्रदेश का निवासी हूँ। मैं एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हूं।

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