संघर्ष के कारण मैं तुनुकमिज़ाज हो गया – धनराज : अध्याय 14

धनराज

हॉकी के सुप्रसिद्ध खिलाड़ी धनराज पिल्लै जब पैतींस वर्ष के हो गए, उनका एक साक्षात्कार विनीता पाण्डेय ने लिया था। इस साक्षात्कार का संपादित अंश …

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वीर कुँवर सिंह : अध्याय 13

वीर कुँवर सिंह

आपने सुभद्रा कुमारी चौहान की कविता ‘झाँसी की रानी’ छठी कक्षा में पढ़ी होगी। इस कविता में ठाकुर कुँवर सिंह का नाम भी आया है। …

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भोर और बरखा :  अध्याय 12

भोर और बरखा

जागो बंसीवारे ललना!जागो मोरे प्यारे!रजनी बीती, भोर भयो है, घर-घर खुले किंवारे।गोपी दही मथत, सुनियत हैं कंगना के झनकारे।।उठो लालजी! भोर भयो है, सुर-नर ठाढ़े …

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नीलकंठ : अध्याय 11

नीलकंठ

उस दिन एक अतिथि को स्टेशन पहुँचाकर मैं लौट रही थी कि चिड़ियों और खरगोशों की दुकान का ध्यान आ गया और मैंने ड्राइवर को …

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खानपान की बदलती तसवीर : अध्याय 10

खानपान की बदलती तसवीर

पिछले दस-पंद्रह वर्षों में हमारी खानपान की संस्कृति में एक बड़ा बदलाव आया है। इडली-डोसा-बड़ा-साँभर रसम अब केवल दक्षिण भारत तक सीमित नहीं हैं। ये …

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एक तिनका : अध्याय 9

एक तिनका

मैं घमंडों में भरा ऐंठा हुआ,एक दिन जब था मुंडेरे पर खड़ा।आ अचानक दूर से उड़ता हुआ,एक तिनका आँख में मेरी पड़ा। मैं झिझक उठा, …

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रहीम के दोहे : अध्याय 8

रहीम के दोहे

कहि रहीम संपति सगे, बनत बहुत बहु रीत।बिपति कसौटी जे कसे, तेई साँचे मीत।।।।। जाल परे जल जात बहि, तजि मीनन को मोह।रहिमन मछरी नीर …

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अपूर्व अनुभव : अध्याय 7

अपूर्व अनुभव

सभागार में शिविर लगने के दो दिन बाद तोत्तो-चान के लिए एक स बड़ा साहस करने का दिन आया। इस दिन उसे यासुकी-चान से मिलना …

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शाम – एक किसान : अध्याय 6

शाम - एक किसान

आकाश का साफ़ा बाँधकरसूरज की चिलम खींचताबैठा है पहाड़,घुटनों पर पड़ी है नदी चादर-सी,पास ही दहक रही हैपलाश के जंगल की अँगीठीअँधकार दूर पूर्व मेंसिमटा …

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